कन्यादान: kanyadan class 10 Hindi Kshitij chapter 8 NCERT notes

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कन्यादान: kanyadan class 10

कितना प्रामाणिक था उसका दुख 
लड़की को दान में देते वक्त 
जैसे वहीं उसकी अंतिम पूंजी हो 
लड़की अभी सयानी नहीं थी 
अभी इतनी भोली सरल थी
 कि उसे सुख का आभास तो होता था 
लेकिन दुख बात बांचना नहीं आता था
पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की 
कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की 
मां ने कहा पानी में झांककर 
अपने चेहरे पर मत रिझना
आग रोटियां सेंकने के लिए है 
जलने के लिए नहीं 
वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह 
बंधन हैं स्त्री जीवन के  
मां ने कहा लड़की होना 
पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।
kanyadan class 10
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(A)कवि और कविता का नाम लिखिए।
Ans:-
कवि – ऋतुराज , कविता – कन्यादान।

(B) मां किसे अपनी अंतिम पूंजी समझती है और क्यों? वर्णन करें।
Ans:-
मां अपनी बेटी को अंतिम पूंजी समझती है। मां अपने गहरे दुखों को, नारी – जीवन के सुख – दर्द को केवल अपनी बेटी के साथ ही बांट सकती है। बेटी के विवाह के बाद ये पूंजी भी चली जाती है।

(C) ‘धुंधले प्रकार की पाठिका’ के कवि का क्या आशय है? स्पष्ट करें।
Ans:-
इस कविता में ‘धुंधले प्रकार की पाठिका’ से कवि का आशय है कि अभी उसने पूरी दुनिया की रोशनी नहीं देखी थी इस दुनिया की रोशनी से अभी वह अनजान थी। वह केवल धुंधले को पढ़ सकती थी अर्थात थोड़े – छोटे सुखों से ही उसका परिचय था। वह केवल सीधी , सीधी बातें ही समझना जानती थीं। टेढी बातें इसे समझ आती थी।

(D) लड़की के सयाने न होने का क्या तात्पर्य है?
Ans:-
लड़की के सयाने न होने का तात्पर्य है- उसका दुनियादारी को न समझना दुनिया के तौर – तरीके से अनजान रहना। उसका सरल एवं मासूम होना। छल – कपट को न समझना एवं चलावे के प्यार में आसानी से आ जाना। ससुराल में सदैव दबकर रह जाना और मनमाने अत्याचार सहना।

(E) मां ने अपनी बेटी को चेहरे के बारे में क्या समझाया? स्पष्ट करें।
Ans:-
मां ने अपनी बेटी को चेहरे के बारे में समझाते हुए कहती है कि पानी में झांककर जब अपना चेहरा देखो तब उसके रूप – सौंदर्य पर रीझ मत जाना अर्थात स्वयं को रूप – सुंदरी समझकर भ्रमित मत होना। अगर यह भ्रम पालेगी तो जीवन कष्टमय हो जाएगा।

(F) कन्या का मनोदशा विवाह के समय क्या होती है?
Ans:-
कन्या का मनोदशा विवाह के समय प्राय: कन्या सुखो की काल्पनिक दुनिया में जीती है। वह आगे मिलने वाले कष्टो के बारे में न सोच पाती है , न उससे बचने के लिए कोई उपाय कर पाती है। वह सरलता और भोलेपन में जीती है।

(G) मां ने अंत में क्या शिक्षा दी? वर्णन करें।
Ans:-
मां ने अंत में अपनी बेटी को शिक्षा देते हुए कहा कि तुम लड़की भले ही हो, पर लड़की जैसी दिखाई मत देना अर्थात लड़की की जैसी आदर्शवादी छवि बना दी गई है , पर वैसी दिखाई मत देना अन्यथा सभी तुम्हें दबाकर रखेंगे और सदैव केवल शोषण का शिकार बनी रहेगी।

Q.1.आपके के विचार से मां ने ऐसा क्यों कहा कि लड़की होना पर लड़की जैसी मत दिखाई देना?
Ans:-
हमारे विचार से मां ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि आज भी विवाह के उपरांत ससुराल वालों द्वारा किये जाने वाले अत्याचारों के कारण मां ने अपनी बेटी को यह कहा है कि लड़की होना पर लड़की जैसी कमजोर, अबला दिखाई मत देना। जब लड़की, लड़की जैसी ही दिखाई देती है तब प्राय: उसका शोषण होने लगता है। स्त्री को कभी भी समाज में पुरुष के समान नहीं समझा जाता है। हर क्षेत्र में लड़कियों के अधिकारों का हनन होता है। आज भी ससुराल में स्त्रियों पर तरह – तरह के अत्याचार किये जाते हैं। कभी-कभी तो मारने – पीटने, धमकाने यहां तक कि जलाकर मार देने की भी घटनाएं सामने आती है। मां अपनी बेटी को इस सब स्थिति से बचाना चाहती थी इसीलिए मां ने अपनी बेटी को कमजोर न दिखाई देने की सलाह देती है।

Q.2.’आग रोटियां सेकने के लिए है जलने के लिए नहीं ‘

(A)इन पंक्तियों में समाज में स्त्री की किस स्थिति की ओर संकेत किया गया है?
Ans:-
इस पंक्ति से आशय है कि इस स्थिति में समाज पुत्रवधू को जलाकर मार देने की ओर संकेत किया गया है। पुत्रवधू घर का सारा काम करती है, दिन-रात सबका सेवा करती है इसके बावजूद भी इस पर अत्याचार किये जाते हैं तथा मांग पूरी न होने पर ससुराल वाले अपनी पुत्रवधू को जलाकर मार देने का कार्य करते हैं।

(B)मां ने बेटी को सचेत करना क्यों जरूरी समझा?
Ans: – मां ने बेटी को सचेत करना इसलिए जरूरी समझा क्योंकि मां को यह डर था कि कहीं उसकी बेटी समाज के द्वारा अत्याचारों की शिकार न बन जाए। मां नहीं चाहती थी कि जो समाज के अत्याचारो को ये स्वयं झेल चुकी है वो समाज के अत्याचार इसकी बेटी भी सहे। इसलिए मां ने अपनी बेटी को लड़की बनकर रहने के बजाय शक्तिपूर्वक बन कर अत्याचारो का मुकाबला करने का सुझाव दिया।

Q.3.पाठिका थी वह धुंधले प्रकाश की कुछ तुकों और कुछ लयबद्ध पंक्तियों की ‘इन पंक्तियों को पढ़कर लड़की की जो छवि आपके सामने उभरकर आ रही है उसे शब्दबद्ध किजिए।
Ans:-
इन पंक्तियों को पढ़कर लड़कियों पर किये जाने वाले अत्याचार उभरकर सामने आते हैं। लड़की समाज व्यवस्था द्वारा बनाए तुकां और लयबद्ध उक्तियो की शिकार बन जाती है। समाज में सदैव लड़की को लड़के से निम्न समझा जाता है। कहीं समाज में लड़की ओहदा ना बढ़ जाए इसलिए लड़कियों पर दकियानूसी उक्तियों द्वारा उस पर कटाक्ष किए जाते हैं। आज – कल नारी प्रत्येक क्षेत्र में आगे बढ़ रही है, परंतु आज भी घर – परिवार में नारी की स्थिति पुरुष से निम्न हीं है।

Q.4.मां को अपनी बेटी ‘अंतिम पूंजी’ क्यों लग रही थी?
Ans:-
मां को अपनी बेटी अंतिम पूंजी इसलिए लग रही थी क्योंकि मां अपने जीवन के संपूर्ण संस्कारों को अपनी बेटी में भर देती हैं। बेटी मां की परछाई होती है। मां अपनी हर सुख-दुख को अपनी बेटी के साथ बांटती थी। इसलिए जब मां अपनी बेटी का कन्यादान कर रही थी तब उसे अपनी बेटी अंतिम पूंजी लग रही थी।

Q.5.मां ने बेटी को क्या-क्या सीख दी?
Ans:-
मां ने अपनी बेटी को निम्नलिखित सीख दी –
1. मां ने बेटी को यह सीख दे रही थी कि तुम लड़की होना पर लड़की जैसी कमजोर मत दिखाई देना।
2. मां अपनी बेटी से कहती है कि आग का सदुपयोग करना रोटी सेकने के लिए जलने के लिए नहीं।
3. वस्त्र – आभूषण पाकर कभी भ्रमित न हो जाना। ये स्त्री – जीवन के लिए बंधन है।
4. कभी अपने रूप – सौंदर्य पर गर्व मत करना।

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