जल संसाधन कक्षा 12 भूगोल

जल संसाधन (Jal Sansadhan): कक्षा 12 भूगोल अध्याय जल संसाधन से संबंधित अति महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर। यह सभी प्रश्न वार्षिक परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है अतः परीक्षा में शामिल होने से पहले इन की तैयारी अवश्य कर लें।

जल संसाधन लघु उत्तरीय प्रश्न

Q.1. संसाधन की परिभाषा दीजिए।
Ans: पृथ्वी की सतह पर या सतह से नीचे पाए जाने वाले प्राकृतिक पदार्थों को संसाधन के नाम से जाना जाता है। संसाधन जैव भोतीक पर्यावरण के मुख्य तत्व होते हैं। प्राकृतिक पदार्थों को संसाधन तब कहा जाता है जब उसकी उपयोगिता का ज्ञान मनुष्य को हो जाता है। जैसे- कोयला पर्यावरण में सदैव से उपस्थित था लेकिन इससे एक संसाधन तब माना गया जब ऊर्जा उत्पादन के साधन के रूप में मनुष्य ने इसका प्रयोग किया।

Q.2. वर्षा जल संग्रहण क्या है? भारत में इसकी आवश्यकता क्यों है?
Ans: भविष्य के उपयोग के लिए वर्षा के जल को कुआं, गड्ढों, तालाबों आदि में जमा करके रखने की प्रक्रिया को वर्षा जल संग्रहण के नाम से जाना जाता है। यह भोम जल स्तर में वृद्धि करने और उसकी गुणवत्ता बनाए रखने की एक कम लागत की तकनीकी है। भारत में वर्षा जल संग्रहण की आवश्यकता के कारण निम्नलिखित हैं- भू क्षरण को नियंत्रित करने में, भोम जल स्तर में वृद्धि तथा भोम जल की गुणवत्ता बनाए रखने में, संकट के समय पानी की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने में, सिंचाई में, आदि।

Q.3. भारत में सिंचाई की आवश्यकता क्यों है?
Ans: भारत में सिंचाई की आवश्यकता के कारण निम्नलिखित हैं:

  1. भारत एक कृषि प्रधान देश है जीवन के लिए आवश्यक खाद्यान्न कृषि से प्राप्त होता है। कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए सिंचाई आवश्यक है।
  2. भारत में वर्षा का वितरण अत्यधिक असमान है कोई क्षेत्र बाढ़ में डूबा होता है तो उसी समय कहीं सूखे का प्रकोप जारी रहता है अतः सूखे क्षेत्र के विकास के लिए सिंचाई आवश्यक है।
  3. वर्षा केवल 4 महीने होती है वर्षा जल का बड़ा भाग व्यर्थ नालियों में बर्बाद हो जाता है अतः शुष्क महीनों में सिंचाई की सहायता से कृषि कार्य को जारी रखा जा सकता है।
  4. चावल, गन्ना, जूस आदि जैसी फसलों को जल की काफी मात्रा में आवश्यकता पड़ती है अतः इसे पूरा करने के लिए सिंचाई का प्रयोग आवश्यक है।

Q.4. प्रायद्वीपीय भारत की तुलना में विशाल मैदानों में सिंचाई अधिक क्यों विकसित है?
Ans: भारत की तुलना में विशाल मैदानों में सिंचाई के अधिक होने के कारण निम्नलिखित हैं:
1. उत्तरी मैदानों में बहने वाली नदियां बारहमासी होती है अर्थात इस में वर्ष भर जल का प्रवाह बना रहता है।
2. समतल मैदानों में नहरों, कुआं, हेडपंप का निर्माण आसानी से हो जाता है. मैदानी भागों में जल का स्तर ऊंचा रहता है।
3.विशाल मैदान संपूर्ण देश की भोजन की आवश्यकता को पूर्ण करते हैं अतः उत्पादन में वृद्धि लाने के लिए इस भाग में सिंचाई और सुविधा प्रदान की गई है।

Q.5. भारत में जल से संबंधित किन्हीं तीन प्रमुख समस्याओं को स्पष्ट कीजिए।
Ans: भारत में जल से संबंधित प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं:

  • जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता जनसंख्या बढ़ने के कारण दिन-प्रतिदिन कम होते जा रही है।
  • प्रदूषित जल उपयोगी जल संसाधन की उपलब्धता को और भी सीमित कर देता है।
  • जल संसाधनों की उपलब्धता का स्वरूप बहुत भिन्न है।

जल संसाधन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Q.6. वर्षा जल संग्रहण हमारे लिए किस प्रकार लाभप्रद है?
Ans: वर्षा जल संग्रहण भौम जल के पुनर्भरण को बढ़ाने की एक तकनीक है।इस प्रक्रिया के अंतर्गत वर्षा के जल को भविष्य के उपयोग के लिए संरक्षित कर रखा जाता है।
वर्षा जल संग्रहण एक कम लागत वाली तकनीक है।पी के।इसकी परंपरा भारत में प्राचीनकाल से ही रही है। वर्षा के जल को इस प्रक्रिया में कुओं, हैंडपंप के पुनर्भरण के प्रयोग में लाया जाता है। खेत की चारों ओर गड्ढो का निर्माण कर उसमें पानी को जमा किया जाता है। प्राचीन काल में छतों के जल को बांस की नालियों द्वारा दूर तक ले जाया जाता था। तालाब का निर्माण इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम था। वर्षा जल संग्रहण के उद्देश्य-
जल की आपूर्ति को जारी रखना,जल की सतह प्रवाह को कम करना, जल के व्यर्थ बर्बादी को रोकना, भौम जलस्तर में वृद्धि करना, भौम जल प्रदूषण को रोकना तथा जल की गुणवत्ता को बनाए रखना, तटीय क्षेत्रों में लवणीय जल के प्रवेश को रोकता है। यह एक कम मूल्य और पारिस्थितिकी अनुकूल विधि है।

Q.7. संसाधनों का संरक्षण क्यों आवश्यक है?विवेचना कीजिए।
Ans: संसाधन पृथ्वी पर सीमित मात्रा में उपलब्ध है। अतः उन्हें अगली पीढ़ी के लिए बचाए रखने के लिए उनका संरक्षण आवश्यक है।वन, जल, जमीन, पेट्रोलियम, कोयला आदि जैसे संसाधन आधुनिक जीवन तथा आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यदि इन संसाधनों का संरक्षण नहीं किया गया तो वर्तमान पीढ़ी के साथ साथ अगली पीढ़ी के समक्ष गंभीर कठिनाइयां उत्पन्न हो जाएंगी। संसाधन के संरक्षण की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से है:
1. वनों की निरंतर कटाई से वातावरण प्रदुषित होता जा रहा है। यदि वनों के संरक्षण की ओर ध्यान नहीं दिया गया तो प्रदूषण इतना अधिक बढ़ जाएगा कि मानव जीवन खतरे में पड़ जाएगा।
2.भूमिगत जल के निरंतर उपयोग से जलस्तर नीचा हो गया है, जिससे कृषि पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। इसलिए भूमिगत जल का संरक्षण आवश्यक हो गया है।
3.खनीज संसाधनों तथा शक्ति संसाधनों के बिना कारखाने लगाना और उन्हें चलाना असंभव हो जाएगा।इसलिए खनीज संसाधनों का उपयोग बड़ी सूझबूझ से करना होगा।
4. मानव आवास के कारण घने बसे प्रदेशों अपने भूमि दुर्लभ हो गई है। कृषि के लिए उपयोगी भूमि पर मकान बन रहे हैं, अतः यह आवश्यक हो गया है कि उपलब्ध भूमि का योजनाबद्ध उपयोग किया जाएगा।

Q.8. वर्षा जल संग्रहण किसे कहते हैं? वर्षा जल संग्रहण के आर्थिक व राजनीतिक मूल्यों का विश्लेषण कीजिए।
Ans: वर्षा जल संग्रहण स्थानीय स्तर पर विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा के जल को रोकने और एकत्र करने की विधि है। वर्षा अलवाणीय और भूमिगत जल का प्रमुख स्रोत हैं। हमारे देश में अच्छी वर्षा होती है, लेकिन दुर्भाग्यवश अधिकांश वर्षा का जल नालों और नदियों से बहकर समुद्र में चला जाता है। इसके कारण भौम जल का स्तर बढ़ती आवश्यकताओं के अनुसार बढ़ नहीं पाता। इससे जल की कमी होती है और यह अनेक आर्थिक व सामाजिक समस्याएं पैदा करता है।
कृषि किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है। अच्छी कृषि के लिए सिंचाई की उत्तम व्यवस्था आवश्यक है। कृषि की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रचुर मात्रा में जल की उपलब्धता आवश्यक है। वर्षा जल संग्रहण के विभिन्न विधियों जैसे जल संभर, तालाब, कुआं, खेतों के चारों ओर गड्ढे का निर्माण आदि विधियों को अपनाकर वर्षा के जल को गांवों में ही संग्रहित कर खेती और घरेलू आवश्यकताओं को पूरा किया जा सकता है। इससे गांवों का आर्थिक विकास भी होता है और उसके साथ ही सामाजिक जीवन स्तर भी प्रगति होती है।
उसी प्रकार शहरों में भी पानी की आवश्यकता कई गुना बढ़ गई है। आए दिन जल संकट के कारण शहरों के विभिन्न हिस्सों में पानी की कमी के कारण झगड़े होते हैं।औरतो को दूर- दूर जाकर अपनी आवश्यकता के लिए जल इकट्ठा करना पड़ता है। इसका कुप्रभाव नागरिको के सामाजिक एवं आर्थिक जीवन पर पड़ता है। वर्षा जल संग्रहण की विभिन्न विधियों को अपनाकर ही शहरों के भूमिगत जलस्तर को बढ़ाया जा सकता है और इन समस्याओं का निदान हो सकता है। पानी की मांग बढ़ती जा रही है और उस अपेक्षानुसार आपूर्ति का अनुपात कम हो गया है। अतः भविष्य में आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए वर्षा जल संग्रहण आवश्यक है।

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