नेताजी का चश्मा: हिंदी कक्षा 10 महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर पढ़ें। सभी प्रश्न वार्षिक परीक्षा के लिए अति आवश्यक है। इन सभी प्रशों को झारखण्ड अधिविध परिषद् राँची द्वारा संचालित पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार किया गया है।
अभ्यास: नेताजी का चश्मा
Q. 1. सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?
Ans: – लोग चश्मेवाले को कैप्टन चश्मेवाला कहते थे। चश्मेवाला एक बहुत बुढ़ा मरियल – सा लंगड़ा आदमी था जिसमें देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरा था। इसे नेता जी का मूर्ति बिना चश्मे के अच्छा नहीं लगता था। अतः ये नेताजी के मूर्ति पर चश्मा लगा देता था। चश्मेवाला सेनानी नहीं था इसकी देशभक्ति के प्रति भावना को देखकर लोग इसको कैप्टन कहते थे।
Q.2. हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा-
(A) हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?
Ans: – हालदार साहब इसलिए मायूस हो गये थे, क्योंकि हालदार साहब सोचते थे कि कस्बे के चौराहे पर नेता जी का मूर्ति तो होगी परंतु इनकी मूर्ति पर चश्मा न होगा। यही सोचकर हालदार साहब मायूस हो गए।
(B) मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?
Ans: – मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि देश में देशप्रेम एवं देशभक्ति समाप्त नहीं हुई है। लोगों में अभी भी देशभक्ति की भावना निहित है।
(C) हालदार साहब इतनी – सी बात पर भावुक क्यों हो उठे?
Ans: – हालदार साहब सोच रहे थे कि अब कैप्टन जिंदा नहीं है। कैप्टन के न रहने से नेताजी की मूर्ति चश्माविहिन होगा, लेकिन जब हालदार साहब नेताजी के मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ देखे तो हालदार साहब भावुक हो गए। हलदर साहब समझ गए कि युवा पीढ़ी में भी देशप्रेम और देशभक्ति की भावना है।
Q. 3. आशय स्पष्ट कीजिए-
“बार – बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर – गृहस्थी – जवानी – जिंदगी सब कुछ छोड़ देनेवालों पर हंसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूंढती है।”
Ans: – इस पंक्ति का आशय यह है कि बहुत से लोगों ने देश के लिए अपना सब कुछ बलिदान कर दिया, लेकिन कुछ लोग इनके बलिदान की प्रशंसा ना करके उनके बलिदानों एवं ऐसे देशभक्तों का उपहास उड़ाते हैं। देश में ऐसे लोगों में देशभक्ति की ऐसी घटती भावना निश्चित रूप से निंदनीय है। ये लोग इतने स्वार्थी होते हैं कि अपने स्वार्थ के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
Q. 4. पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।
Ans: – पानवाला बहुत मोटा, काला, खुशमिजाज तरह के व्यक्ति थे। पानवाला अपनी पान की दुकान पर आने वाले हर ग्राहकों को अपने बातों से हंसाते रहते थे। पानवाला हमेशा पान खाता रहता था जिससे इनकी बत्तीसी लाल काली हो गयी थी तथा इनके तोंद भी निकले थे। जब पानवाला हंसता था तो इनके तोंद थिरकने लगते थे।
Q. 5. “वो लंगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल!” कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टिप्पणी पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
Ans: – कैप्टन के प्रति पानवाले की व्यंग्यपूर्ण टिप्पणी पानवाले की कटाक्षपूर्ण प्रवृत्ति की ओर संकेत करती है। किसी भी व्यक्ति के हृदय में देशभक्ति की भावना हो सकता है। चश्मेवाला लंगड़ा व्यक्ति था परंतु फिर भी चश्मेवाला का वेशभूषा – गांधी टोपी पहनना तथा काला चश्मा लगाना आदि नेताओं जैसी ही थी। चश्मेवाला अपाहिज था जिस कारण वह देश के किसी भी युद्ध में शामिल नहीं हो सकता था, लेकिन फिर भी इसके रोम-रोम में देशभक्ति की भावना भरी थी। नेताजी की मूर्ति पर चश्मा नहीं लगा था, तब चश्मेवाला ही नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगा देता था। चश्मेवाला का यह भावना देशभक्ति के सच्चे हृदय की भावना ही मानी जा सकती है। अतः पानवाले द्वारा कैप्टन को लंगड़ा एवं पागल कहना हमें सर्वथा अनुचित लगता है।
रचना और अभिव्यक्ति: नेताजी का चश्मा
Q. 6. निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन – सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं?
(A) हलदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।
Ans: – हालदार साहब अपने कर्म के प्रति बहुत ही सजग थे एवं पान खाने के शौकीन भी थे। हालदार साहब के मन में शहीदों एवं देशभक्तों के प्रति बहुत ही आदर की भावना थी। हालदार साहब नेताजी के मूर्ति को रूककर निहारते थे और देखते थे कि हर बार नेताजी के मूर्ति पर नया चश्मा लगा होता था। यह देखकर हालदार साहब मन ही मन में खुश हो जाते थे और चाहते थे कि युवा पीढ़ी में भी यही भावना और भी प्रबल हो।
(B) पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुडकर मुंह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आंखे पोंछता हुआ बोला – साहब! कैप्टन मर गया।
Ans: – पानवाला प्राय: कैप्टन चश्मेवाले का मजाक उड़ाया करता था। इससे ऐसा प्रतीत होता था मानो जैसे इसके अंदर देशभक्ति का भाव नहीं है, परंतु जब कैप्टन मर जाता है तब पानवाले के अंदर देशप्रेम की झलक देखने को मिलता है। पानवाला कैप्टन जैसे व्यक्ति की मृत्यु से दुखी होकर हालदार साहब को कैप्टन की मृत्यु की सूचना देते हैं। हालदार साहब को ये सूचना देते समय पानवाले की आंखें भरा आता है।
(C) कैप्टन बार – बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।
Ans: – कैप्टन भले ही शारीरिक रूप से फौजी व्यक्तित्व वाला न हो, परंतु कैप्टन मानसिक रूप से फौजियों जैसा ही मनोभावना रखता था। कैप्टन के हृदय में देशभक्ति एवं देशप्रेम की भावना कूट-कूटकर भरी थी। नेताजी की मूर्ति को चश्माविहिन देखकर कैप्टन को बहुत आघात होता था तथा कैप्टन उस कमी को पूरा करने के लिए नेताजी के मूर्ति पर कैप्टन चश्मा लगा दिया करता था ताकि नेताजी का प्रतिमा अधूरा न दिखे। इससे कैप्टन की देशभक्ति की भावना दिखाई देता है।
Q. 7. जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नही था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन – सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।
Ans: –जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात् देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर कैप्टन का व्यक्तित्व एक फौजी व्यक्ति जैसा रहा होगा जो लंबे कदवाला मजबूत कद – काठी वाला हट्टा – कट्टा व्यक्ति दिखता होगा। कैप्टन अवश्य ही नेताजी की फौज का सिपाही रहा होगा। इनका चेहरा रोबीला एवं घनी मूछों वाला रहा होगा। कैप्टन हर तरह से फौजियों जैसा दिखता होगा।
Q. 8.कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन – सा हो गया है।
(A) इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?
Ans: – इस तरह के मूर्ति लगाने के निम्नलिखित उद्देश्य हो सकते हैं-
- इस तरह की मूर्ति हमें देश के लिए तन – मन – धन से न्यौछावर करने की सीख देती है।
- लोग ऐसे लोगों की मूर्ति को देखें तथा इनके कार्यों को जाने एवं इनसे प्रेरित हो।
- लोगों में अच्छे कार्य करने की रुचि उत्पन्न हो और वे उसके लिए प्रेरित हो।
- लोग ऐसे महान पुरुषों को भूले न और उनकी चर्चाएं करते रहे तथा युवा पीढ़ी को भी इनसे परिचित कराएं।
(B) आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों?
Ans :- हम अपने इलाके के चौराहे पर झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की प्रतिमा लगाना चाहेंगे जिससे हमें यह प्रेरणा मिलेगी कि हमारे देश के लिए केवल पुरष से ही नहीं बल्कि स्त्री भी देश के लिए मर – मिटने की भावना रखते है।
(C) उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
Ans:-जो मूर्ति हमारे चौराहे पर स्थापित की जाती है उसके प्रति हमारे एवं दूसरे लोगों का यह उत्तरदायित्व होना चाहिए कि हम उस मूर्ति की साफ – सफाई करते रहे। उस मूर्ति को किसी प्रकार की क्षति न पहुंचाएं। उस मूर्ति के प्रति सदैव श्रद्धा की भावना बनाए रखें एवं उसके कार्यों की सभी लोगों को सीख दे।
Q.9. सीमा पर तैनात फौजी ही देश – प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश – प्रेम प्रकट करते हैं, जैसे – सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुंचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन – जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख करें और उन पर अमल भी करें।
Ans:- हमारे जीवन – जगत से जुड़े ऐसे अनेक कार्य है जिनसे हम देश – प्रेम का परिचय दे सकते हैं-
- वृक्षों को लगाना एवं वृक्षों को काटने से रोकना।
- बिजली पानी को बर्बाद होने से बचाना। इसको व्यर्थ खर्च न करना।
- बनाए गए कानूनों का पालन करना।
- शिक्षा का प्रसार करके सर्वशिक्षा अभियान चलाना।
- देश के महानपुरुषों एवं देशभक्तों का सम्मान करना।
Q.10. निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए – कोई गिराक आ गया समझो । उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा ? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया । उदर दूसरा बिठा दिया।
Ans:- यह समझो कि कोई ग्राहक आ गया उसे चोडी फ्रेम वाला चाहिए तब कैप्टन कहां से लाएगा? तब उसको मूर्तिवाला दे दिया। उस पर दूसरा लगा दिया।
Q.11. भाई खूब ! क्या आइडिया है। इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्द आने से क्या लाभ होते हैं?
Ans:- एक भाषा में दूसरी भाषा के प्रयोग से कथन अत्यंत सजीव, रोचक एवं प्रभावशाली बन जाता है। भाषा का भंडार बढ़ जाता है। भाषा का स्वरूप अधिक आकर्षक हो जाता है। भाषा में प्रवाहमयता आ जाती है।