भोगोलिक परिप्रेक्ष्य में प्रमुख मुददे और समस्याएँ: इस पाठ में हम पृथ्वी को क्षति पहुचने वाले तथ्यों के बारें में पढेंगे और जानने का प्रत्न करेगें की इसे ठीक करने के क्या-क्या उपाय है। इस पाठ से संबंधित जितने भी प्रश्न बन सकते थे उसका समाधान यहाँ दिया गया है। इसे दोस्तों के साथ भी साझा करें।
भोगोलिक परिप्रेक्ष्य में प्रमुख मुददे और समस्याएँ लघु उत्तरीय प्रश्न
Q.1. पर्यावरण की संकल्पना क्या है?
Ans: पृथ्वी के चारों ओर उपस्थित भौतिक एवं जैविक वायुमंडल को पर्यावरण के नाम से जाना जाता है। पर्यावरण की शुद्धता पर ही पृथ्वी पर जीवों का अस्तित्व संभव होता है। भौतिक एवं जैविक घटकों के उपस्थिति के अनुसार पर्यावरण में विभिन्नता आती है। पर्यावरण में भूमि, वायु तथा जल को सम्मिलित किया जाता है।
Q.2. प्रदूषण से आप क्या समझते हैं?
Ans: पर्यावरण के विभिन्न तत्वों जैसे भूमि, जल, वायु, जीव तंत्र आदि में हानिकारक बदलाव को प्रदूषण करते हैं। प्रदूषण मानवीय क्रियाकलापों के अपशिष्ट उत्पादों से मुक्त द्रव्य एवं ऊर्जा का परिमाप परिणाम है। मानव स्वास्थ्य पर प्रदूषण का हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
Q.3. जल प्रदूषण क्या है?
Ans: नदियों, झीलों, तालाबों आदि में निलंबित कण कार्बनिक पदार्थ तथा अकार्बनिक पदार्थों की सांद्रता एक सीमा से अधिक बढ़ने से जल प्रदूषण होता है।जल प्रदूषण की स्थिती अत्यधिक जनसंख्या एवं औद्योगीकरण की स्थिती में उत्पन्न होती है, क्योंकि इन दोनों ही कारणों से जल का अविवेकपूर्ण उपयोग आरंभ हो जाता है और उसकी गुणवत्ता में निम्नीकरण आरंभ हो जाता है।
Q.4. विश्व तापवृद्धि के क्या कारण है?
Ans: ग्लोबल वार्मिंग के निम्नलिखित प्रमुख कारण हैं:
1 .उद्योगों एवं वाहनों के धुएं से कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा में वृद्धि।
2. एयर कंडीशनर एवं श्रीजी के रसायनों के कारण क्लोरोफ्लोरो कार्बन की मात्रा में वृद्धि।
3. न्यायालय एवं प्लास्टिक जलने से नाइट्रस ऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि।
4. उद्योगों एवं पर्यावरण असंतुलन से मिथेन गैस की मात्रा में वृद्धि।
Q.5. अम्लीय वर्षा क्या है?
Ans: जीवाश्म ईंधन के दहन से निकली सल्फर डाइऑक्साइड गैस वायुमंडल में बर्षा जल में धुलकर सल्फ्यूरिक एसिड परिवर्तित हो जाती है और वही अम्ल वर्षा जल की बूंदों के साथ धरती पर बस जाती हैं, वर्षा जल के साथ अम्ल के संयोग को ही अम्लीय वर्षा कहते हैं।
भोगोलिक परिप्रेक्ष्य में प्रमुख मुददे और समस्याएँ दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
Q.6. नगरीय समस्याओं से छुटकारा पाने के सुझाव दीजिए।
Ans: नगरीय समस्याओ से छुटकारा पाने के उपाय निम्नलिखित है:
- नगरों के लिए अनुकूल तक जनसंख्या के निर्धारण के लिए जीवन गुणवत्ता के सूचकांक का विकास किया जाए तथा इसके आधार पर शहरीकरण की विसंगतियो पर प्रभावशाली नियन्त्रण रखा जाए।
- नगरों में पर्याप्त अवसंरचनात्मक संरचना का विकास किया जाए। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं तथा सुविधा प्राप्त करने वाले से वित्त का प्रबंध करना।
- नगर के बाहरी क्षेत्रों में विस्तृत, सस्ती एवं सुगम परिवहन व्यवस्था का विकास हो।
- स्थानीय प्रशासनिक शुल्क को वृद्धि करके भी नगरों को अत्यधिक सघन होने से रोका जा सकता है।
- शहरों के बाहरी क्षेत्रों में निवास को प्रोत्साहित करने के लिए गृह ऋण योजना का संचालित।की जानी चाहिए।
- गंदे पानी से तो सबसे स्टोर का निपटान इस तरह से किया जाए ताकि भूमि, जल एवं वायु प्रदुषित होने से बची रहें।
- आर्थिक शक्ति के विकेंद्रीकरण को प्रोत्साहन दिया जाए।
- मज़दूरों के हित व कल्याण संबंधी कानून बनाए जाएं।
- नगरों का निर्माण नियोजित एवं योजनाबद्ध ढंग से किया जाए।
Q.7. वायु प्रदूषण क्या है?वायु प्रदूषण के कुप्रभावों का वर्णन करें।
Ans: वायु प्रदूषण: प्राकृतिक रूप से वायुमंडल में व्याप्त विभिन्न गैसों के सापेक्षिक अनुपात में परिवर्तन को वायु प्रदूषण कहा जाता है। इस प्रक्रिया में जीवनदायी ऑक्सीजन गैस प्रदुषित हो जाती है तथा इससे श्वसनतंत्र तथा स्नायुतंत्र आदि से संबंधित बीमारियां होती है।
वायु प्रदूषण के प्रभाव:
- वायु प्रदूषण का मुख्य कारक क्लोरोफ्लोरो कार्बन है जो ओजोन परत को नष्ट करता है। इससे सूर्य की पराबैगनी किरणें सीधे पृथ्वी पर पहुंचती है जो व्यक्ति की त्वचा को नुकसान पहुंचाती है तथा इससे त्वचा के कैंसर होने की संभावना रहती है।
- वायु प्रदूषण के कारण वायुमंडल में कार्बनडाइऑक्साइड गैस के संकेंद्रण में वृद्धि होती है, जिससे पृथ्वी का तापमान बढ़ जाता है। इससे ‘ग्लोबल वार्मिंग’ या ‘हरित गृह प्रभाव’ कहा जाता है।
- वायु प्रदूषण का सर्वाधिक गंभीर दुष्परिणाम अम्ल वृष्टि के रूप में सामने आता है। इससे जीव जंतु तथा वनस्पतियो पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है।
- मानव स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण का प्रत्यक्ष और गंभीर प्रभाव पड़ता है। इससे फेफड़े, हृदय, स्नायुतंत्र तथा परिसंचरण तंत्र से संबंधित बीमारियां होती है।
Q.8. प्रदूषण के चार प्रकारों का वर्णन करें।
Ans: प्रदूषण के मुख्य चार प्रकार निम्नलिखित है:
1. जल प्रदूषण: उद्योगों, कारखानों के दूषित जल को प्रदूषण मुक्त किए बिना नदियों और जलाशयों में बहाना महानगरों तथा अन्य बड़े बड़े नगरों के मलयुक्त जल को नदियों तथा अन्य जल स्रोतों में मिलने देना आदि इसके प्रमुख कारण हैं। रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग से भी जल प्रदूषण बढ़ रहा है। भारत में 80% रोग प्रदुषित जल के पीने के कारण होते हैं।
2. वायु प्रदूषण: कल कारखानों, मोटर स्कूटर, बसें आदि निरंतर जहरीला धुआं उगलती रहती है। इससे वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड और मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ रहा है जिससे ओजोन परत प्रभावित हो रहा है और वैश्विक गर्मी बढ़ती जा रही है।
3. भूमि प्रदूषण: रसायनिक उर्वरकों का अत्यधिक प्रयोग, प्लास्टिक कचरा, अनावश्यक बांधों के निर्माण, वनों का कटाव आदि इसके प्रमुख कारण हैं। इससे भूमि की उर्वरकता घटती जा रही है।
4. ध्वनि प्रदूषण: वर्तमान में तकनीकी और औद्योगिक विकास के फलस्वरूप ध्वनि की तीव्रता में वृद्धि हुई है, जिससे ध्वनि प्रदूषण का खतरा उत्पन्न हुआ है।ध्वनि प्रदूषण का मानव के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।