Lakhnavi Andaaz: Hindi class 10th important question answers for JAC Board Students. Class 10th Kshitij book chapter 3 Hindi Solutions at Jharkhand Pathshala.
अभ्यास: Hindi Lakhnavi Andaaz class 10
Q. 1. लेखक को नवाब साहब के किन हाव -भावो से महसूस हुआ कि वे उनसे बातचीत करने के लिए तनिक भी उत्सुक नहीं है?
Ans: – लेखक को नवाब साहब के हाव – भावों से यह महसूस हुआ कि वह लेखक से तनिक भी बातचीत करने के लिए उत्सुक नहीं है क्योंकि जब लेखक पैसेंजर ट्रेन के सेकंड क्लास के एक छोटे डिब्बे को खाली समझकर, लेखक दौड़कर उस डिब्बे में चढ गया तो वहां एक बर्थ पर लखनऊ की नवाबी नस्ल के एक सफेद सज्जन जो बहुत ही सुविधा से पालथी मारे बैठे थे। लेखक के आने से उसके हाव – भावों से एसा लगा कि उस सज्जन के एकांत में बाधा आ गयी है। लेखक को देखकर नवाब साहब ने उनकी संगीत के लिए किसी प्रकार का कोई उत्साह नहीं दिखाया। लेखक को लगा कि नवाब साहब अकेले यात्रा के चक्कर में ही खीरे खरीदे होंगे। लेखक को देखकर नवाब साहब असुविधा एवं संकोच का अनुभव करने लगे थे।
Q. 2. नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से खीरा काटा, नमक – मिर्च बुरका, अंतत: सूंखकर ही खिड़की से बाहर फेंक दिया। उन्होंने ऐसा क्यों किया होगा? उनका ऐसा करना उनके कैसे स्वभाव को इंगित करता है?
Ans: – नवाब साहब ने बहुत ही यत्न से धो – पोछ कर खीरे काटे, उस खीरे पर नमक – मिर्च बुरका, अंततः नवाब साहब खीरे को सूंघकर ही खिड़की के बाहर फेंक दिया। नवाब साहब ने ऐसा अपनी खानदानी तहजीब, नफरत और नजाकत के कारण किया। हालांकि नवाब साहब पैसेंजर ट्रेन के सेकंड क्लास में यात्रा कर रहे थे, लेकिन फिर भी नवाब साहब ने अपना खानदानी रईसी तरीका दिखाने के लिए नवाब साहब ने खीरे को बिना खाये ही सूंघकर खिड़की से बाहर फेंक दिया था। नवाब साहब खानदानी वास्तविकता से दूर बनावटी जीवन शैली में जी रहे थे इसलिए नवाब साहब ने खीरा बिना खाये ही डकार लेकर लेखक से कहा कि खीरा बढ़िया तो होता है, परंतु ये आसानी से पचने वाला नहीं है। यह तर्क नवाब साहब के सनकी स्वभाव की ओर संकेत करता है।
Q. 3. बिना विचार, घटना और पात्रों के भी क्या कहानी लिखी जा सकती है। यशपाल के इस विचार से आप कहां तक सहमत है?
Ans: – हमारे विचार से बिना विचार, घटना एवं पात्रों के बिना कोई भी कहानी नहीं लिखी जा सकती। ये तीनों बातें किसी भी कहानी के आवश्यक तत्व होते हैं। जब तक कहानी में कोई विचार नहीं आएगा , तब तक कहानी बन ही नहीं सकती। घटना कहानी की कथावस्तु को आगे बढ़ाती हैं और पात्रों के माध्यम से कहानी कही जाती है। कहानीकार किसी भी कहानी में अपने जीवन के अनुभवों का ही उद्घाटन करता है। जो कुछ वह समाज में देखता है, उसे अपने अनुभव अनुसार अभिव्यक्ति प्रदान करता है। विचार, घटना और पात्र ही किसी कहानी के प्राण हैं । ये सभी कहानी के मुख्य तत्व है जिसे लेखक अपनी भाषा में व्यक्त करता है।
Q. 4. आप इस निबंध को और क्या नाम देना चाहेंगे?
Ans: – हम इस निबंध को नाम देना चाहेंगे – सामन्ती वर्ग की बनावटी जीवन शैली।
रचना और अभिव्यक्ति : Lakhnavi Andaaz
Q. 5 (A)नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में प्रस्तुत करें।
Ans: – नवाब साहब ने खीरो को लौटे के पानी से खिड़की के बाहर करके धोया और फिर खीरो को तौलिए से पोछ लिया। इसके उपरांत नवाब साहब ने अपनी जेब में रखे चाकू को निकाल कर दोनों खीरो के सिर काटकर उन्हें अच्छी तरह से गोंदकर झाग निकाला। इसके पश्चात खीरो को बहुत ही सावधानी से छीला और काटकर फांके तैयार की। इसके बाद बहुत करीने से खीरे की फांको पर जीरा मिला नमक और पीसी हुई लाल मिर्च को पुड़िया से निकालकर बारी – बारी खीरो की फांको पर छिड़का। अब खीरे की फांके नवाब साहब के खाने के लिए तैयार हो गई।
(B) किन-किन चीजों का रसास्वादन के लिए आप किस प्रकार की तैयारी करते हैं?
Ans: – विभिन्न चीजों के रसास्वादन करने के लिए हमें उनकी तैयारी अलग-अलग ढंग से करनी पड़ती है। मान लीजिए अगर हमें तरबूज का रसास्वादन करना है, तो हम सबसे पहले तरबूज को धोएंगे। उसके पश्चात तरबूज को काटकर उसके भाग्य बना लेंगे फिर उस पर नमक भुरभुरा लेंगे । इसी प्रकार रसास्वादन के लिए अन्य खाने की वस्तु की तैयारी का ढंग भिन्न भिन्न होता है।
Q. 6. खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। आपने नवाबों की और भी सनकों और शौख के बारे में पढ़ा – सुना होगा। किसी एक के बारे में लिखिए।
Ans: – खीरे के संबंध में नवाब साहब द्वारा तैयार किए गए खीरे को बिना खाये ही केवल सूंघकर ट्रेन के बाहर फेंक देना। इसमें नवाब साहब की झूठी नवाबी शान की सनक थी। ऐसा ही सनकी स्वभाव कई वृद्ध लोगों में देखा जा सकता है या ऐसे लोग जो अपनी खानदानी रईसी को दिखाने की धुन रखते हैं, वे ऐसा ही दिखावा करते दिखाई देते हैं। Lakhnavi Andaaz
Q. 7. क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हां तो ऐसी सनको का उल्लेख करें।
Ans: – ‘हां’ सनक का भी सकारात्मक रूप हो सकता है। सनक भी एक आदत है अगर हमारे मन में देश के लिए मर – मिटने की सनक हो तो पारिवारिक बंधन उसे नहीं रोक सकते। सिद्धार्थ के मन में मानव – प्रेम की भावना ने ही उसे गृह – त्याग पर विवश किया और वे बुद्ध कहलाये। दान करने की सनक ने ही राजा कर्ण को सर्वस्व त्यागने पर मजबूर कर दिया। अतः सनक के सकारात्मक प्रभाव भी देखे जा सकते हैं।