विद्रोही और राज़ 1857 की क्रांति | Vidrohi aur Raj 1857 Ki Kranti | Class 12 History Chapter 11 NCERT Solution in Hindi

विद्रोही और राज़: इस आर्टिकल में कक्षा 12 के इतिहास विषय के ग्यारहवीं अध्याय विद्रोही और राज के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए हैं तथा इसके साथ ही कुछ स्मरणीय महत्वपूर्ण तथ्य भी लिखे गए हैं। ये सभी प्रश्न उत्तर एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तक से लिए गए हैं। (विद्रोही और राज़)

विद्रोही और राज़: कुछ महत्वपूर्ण स्मरणीय तथ्य

  • 10 मई 1857 को मेरठ छावनी में सिपाहियों ने विद्रोह किया।
  • दिल्ली से बहादुर शाह जफर विद्रोह का नेतृत्व कर रहे थे।
  • 1829 में सती प्रथा का अंत किया गया।
  • सहायक संधि लॉर्ड वेलेजली द्वारा 1798 में प्रस्तावित किया गया।
  • 1801 में अवध में सहायक संधि थोपा गया तथा इसी संधि के तहत 1856 में अवध को हड़प लिया गया।
  • एकमुश्त बंदोबस्त ब्रिटिश भू- राजस्व की एक व्यवस्था थी, जिसे 1856 में लागू किया गया था।
  • अवध को ‘बंगाल आर्मी की पौधशाला’ कहा जाता था।
  • 1857 को लखनऊ में विद्रोह शुरू हुआ।
  • 1856 में वाजिद अली शाह को गद्दी से हटाया गया।
  • जून 1858 में झांसी की रानी की युद्ध में मृत्यु हुई।
विद्रोही और राज: 1857 का विद्रोह कक्षा 12 इतिहास

विद्रोही और राज़: वास्तुनिष्ठ प्रश्न उत्तर

Q.1. 1857 के शुरू में अशांति के प्रथम संकेत कहाँ दिखाई दिए?
Ans: बंगाल।
Q.2. मंगल पांडेय को उनके किस अपराध के लिए फांसी की सजा दी गई थी?
Ans: चर्बी वाले कारतूसों का प्रयोग करने से इनकार कर देना उसका अपराध था।
Q.3. 10 मई 1857 को सैनिकों ने कहा विद्रोह शुरू किया?
Ans: मेरठ।
Q.4. कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व किसने किया?
Ans: नाना साहब।
Q.5. बिहार में 1857 के विद्रोह का प्रमुख नेता कौन था?
Ans: कुँवर सिंह।
Q.6. रुहेलखंड में 1857 के विद्रोह का नेता कौन था?
Ans: खान बहादुर खान।
Q.7. 1857 के विद्रोह के समय भारत का सम्राट कौन था?
Ans: बहादुर शाह द्वितीय।
Q.8. 34वीं रेजिमेंट का सिपाही कौन था?
Ans: मंगल पांडे।
Q.9. झांसी को ब्रिटिश राज्य में कब मिलाया गया था?
Ans: 1853
Q.10. अवध राज्य का अंग्रेजी शासन में इस वर्ष विलय हुआ।
Ans: 1856
Q.11. 1857 के विद्रोह का आरंभ कब हुआ था?
Ans: 10 मई 1857
Q.12. तात्याटोपे को मृत्युदंड कब दिया गया था?
Ans: 1859
Q.13. मंगल पांडे को फांसी की सजा कब दी गई थी?
Ans: 29 मार्च 1857

विद्रोही और राज़: अति लघु उत्तरीय प्रश्न

Q.1. झांसी की रानी क्यों प्रसिद्ध है?
Ans: झांसी की रानी अपने साहस और अन्याय के विरुद्ध आवाज उठाने के लिए प्रसिद्ध है। स्त्री होने के बावजूद उन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध अद्वितीय साहस का परिचय दिया।उन्होंने झांसी में 1857 के विद्रोह का नेतृत्व किया।
झांसी को अंग्रेजी साम्राज्य से मिलाए जाने के पश्चात्अं ग्रेजों के विरुद्ध हथियार उठा लिया अनेक स्थानों पर अंग्रेजों को पराजित किया। इसके लिए अंतिम दम तक लड़ती रही।

Q.2. तात्याटोपे कौन थे?
Ans: तात्या टोपे नाना साहब के निष्ठावान सेवक और पक्के देशभक्त थे। उन्होंने गोरिल्ला सेना के बल पर अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। कालपी में उन्होंने अंग्रेज जनरल बिग हम को पराजित किया।कैंपबेल में अंग्रेजों से हारने के बाद भी ग्वालियर में अंग्रेजों के विरुद्ध रानी लक्ष्मीबाई का साथ दिया। रानी झांसी की मृत्यु के पश्चात वे अंग्रेजों द्वारा पकड़ लिए गए और उन्हें फांसी दे दी गई।

Q.3. सन 1857 के दो प्रतीक कमल और चपाती के महत्व को लिखिए।
Ans: कमल और चपाती सन 1857 के विद्रोह के दो गुप्त चेन्नई थे। कमल को एक सैनिक से दूसरे सैनिक तक घुमाया गया जिसका अर्थ है कि भारतीय सैनिक विद्रोह में भाग लेने के लिए तैयार या सहमत हैं। इसी प्रकार चपाती को प्रत्येक ग्रामीण के हाथों में घुमाया गया, जिसका तात्पर्य है कि देश की जनता विदेशियों को अपने देश से बाहर निकालने को तत्पर हैं।

Q.4. 1856 का सैनिक कानून क्या था?
Ans: 1856 में एक कानून बना जिसके अनुसार हर नए भर्ती होने वाले सिपाही को आवश्यकता हो तो समुद्र पार जाकर भी सेवा करने की जमानत देनी पड़ती थी। इससे सिपाहियों की भावनाओं को चोट लगी क्योंकि उस समय की हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार समुद्र पार जाना पाप था इसके दंड में किसी को जाति से बाहर भी कर दिया जाता था।

Q.5. 1857 के विद्रोह की असफलता के किसी एक कारण का उल्लेख कीजिए।
Ans: सन 1857 के विद्रोह की असफलता का एक कारण योग्य नेतृत्व का अभाव था। क्रांतिकारियों का नेतृत्व योग्य व्यक्तियों के हाथों में नहीं था। उनमें वीरता तथा त्याग की भावना थी, परन्तु इतनी योग्यता किसी में भी नहीं थी कि वह युद्ध क्षेत्र में अंग्रेजों से टक्कर ले सके।

विद्रोही और राज़: लघु उत्तरीय प्रश्न

Q.6. 1857 के विद्रोह के बाद भारत सरकार अधिनियम, 1858 द्वारा भारत की प्रशासनिक व्यवस्था में किस प्रकार के बदलाव लाए गए?
Ans: 1858 के भारत सरकार अधिनियम द्वारा भारतीय प्रशासन का नियंत्रण कंपनी से छीन कर ब्रिटिश क्राउन को सौंप दिया गया। इंग्लैंड में इस अधिनियम द्वारा एक भारतीय राज्य सचिव का प्रावधान किया गया और उसकी सहायता के लिए एक 15 सदस्यों वाली सलाहकार परिषद गठित की गई इस परिषद में 8 सदस्य सरकार द्वारा मनोनीत होने थे और शेष 7 कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स द्वारा चुने जाने थे। इस प्रकार पुराने डायरेक्टर्स ही भारत परिषद में नियुक्त हो गए कोई नीतिगत परिवर्तन नहीं हुआ बल्कि इस घोषणा में कंपनी की पुरानी नीतियों के अनुसरन का ही प्रस्ताव था। 1858 की उद्घोषणा से दोहरा नियंत्रण समाप्त हो गया और सरकार ही सीधे भारतीय मामलों के लिए उत्तरदाई हो गई।

Q.7. सन 1857 के विद्रोह के स्वरूप की व्याख्या करे।
Ans: 1857 के विद्रोह के स्वरूप को लेकर विद्वानों में पर्याप्त मतभेद है। इसकी व्याख्या अपने अपने मत के अनुसार करते हैं जहां लॉरेंस और सीले जैसे विद्वान इस विद्रोह को सैनिक विद्रोह की संज्ञा देते हैं वही टीज ने इसे कट्टरपंथियों द्वारा ईसाइयों के विरुद्ध संग्राम माना है। टी. आर. होम्स से सभ्यता और बर्बरता के बीच का विद्रोह भारत के लगभग सभी क्षेत्रों में फैले था। अब इस विद्रोह को राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम की संख्या देना अधिक तर्कसंगत प्रतीत होता है।

Q.8. ‘महारानी की उद्घोषणा’ क्या थी?
Ans: महारानी की उद्घोषणा 1857 के विद्रोह सर्वाधिक महत्वपूर्ण परिणाम था। यह उद्घोषणा एक नवंबर 1858 को इलाहाबाद में हुए दरबार में लॉर्ड कैनिंग द्वारा उद्घोषक की गई। इस महारानी की उद्घोषणा को 1858 एक्ट के द्वारा वैधानिक स्वरूप प्रदान किया गया इस घोषणा में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन की समाप्ति और भारत के शासन की सीधे क्राउन के अंतर्गत लाए जाने की घोषणा की गई। भारत में ब्रिटिश गवर्नर जनरल को वायसराय पदनाम प्रदान किया गया। इस घोषणा के अंतर्गत लॉर्ड कैनिंग ब्रिटिश भारत के प्रथम वायसराय बने उद्घोषणा में यह भी घोषित किया गया कि भविष्य में भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार नहीं किया जाएगा इसमें भारतीयों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने एक समान कानूनी सुरक्षा प्रदान करने तथा पारस्परिक रीति-रिवाजों का सम्मान करने का आश्वासन भी दिया गया।

Q.9. तात्या टोपे की भूमिका पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
Ans: तात्या टोपे का वास्तविक नाम रामचंद्र पांडुरंग था। वह मराठा गुरिल्ला युद्ध प्रणाली में निपुण एक वीर योद्धा थे, उन्होंने कानपुर के विद्रोह में नाना साहेब की और ग्वालियर पर आक्रमण के दौरान रानी लक्ष्मीबाई की सहायता की। रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु के बाद ब्रिटिश सेना मध्य भारत और राजपूताना में उनका पीछा करती रही। अंत में एक विश्वासघाती मित्र के कारण उन्हें बंदी बना दिया लिया गया और उन पर मुकदमा चलाकर फांसी दे दी गई। 16 अप्रैल 1859 को उनकी फांसी हुई। तात्या टोपे की गिरफ्तारी मध्य भारत में विद्रोह की 10 महीने तक अंग्रेजों के विरुद्ध गुरिल्ला युद्ध चलाए रखने के लिए उनके विरोधियों तक ने प्रशंसा की। उनके इस शौर्यपूर्ण संघर्ष को विद्रोह का महान उपसंहार कहा जा सकता है।

Q.10. खान बहादुर खान पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
Ans: खान बहादुर खान रोहिल्ला सरदार हाफिज रहमत खान के पुत्र थे और उन्होंने रोहिलखंड विद्रोह का नेतृत्व किया। इनकी गतिविधियों का केंद्र बिंदु बरेली था उन्होंने बरेली की ओर बढ़ रहे अंग्रेजी सेना को पूरी तरह पराजित किया लेकिन युद्ध में उन्हें हिमालय के तराई के जंगलों में शरण लेने के लिए बाध्य होना पड़ा। मुगल सम्राट बहादुर शाह द्वितीय ने उन्हें वायसराय के पद पर नियुक्त किया इस पद पर रहते हुए उन्होंने एक योग्य राजनीतिज्ञ के गुणों का प्रदर्शन किया। अंगरेजों ने उन्हें धोखेबाज उसे पकड़ लिया और उन पर मुकदमा चलाकर फांसी की सजा दे दी।

विद्रोही और राज़: दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Q.11. सन 1857 के विद्रोह के कौन कौन से कारण थे? विस्तार से लिखें।
Ans: सन 1857 के विद्रोह के अनेक राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक एवं आर्थिक कारण थे जिन्हें निम्नलिखित रूप से व्यक्त किया जा सकता है:

राजनीतिक कारण: 1. 1857 की क्रांति के कारणो में सबसे प्रमुख राजनीतिक कारण वेलेजली की सहायक संधि यही। यह संधि 1798 में बनाई गई थी इसे 1801 में अवध पर थोपा गया तथा 1856 में अवध को हड़प ले हड़प लिया गया और वहां के शासक वाजिद अली शाह को कलकत्ता निष्कासित कर दिया गया यह कहते हुए कि वह शासन अच्छे से नहीं चला पा रहे हैं जबकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। 2. झांसी की रानी चाहती थी कंपनी उसके पति की मृत्यु के बाद उसकी गोद लिए हुए बेटे को राजा मान ले परंतु अंग्रेजों ने उसे राजा मानने से इनकार कर दिया। 3. पेशवा बाजीराव के दत्तक पुत्र नाना साहब ने भी कंपनी से आग्रह किया था कि वह उनके पिता की मृत्यु के पश्चात उन्हें उनकी पिता की पेंशन मिले पर कंपनी ने इसे भी अस्वीकार कर दिया। 4. कंपनी ने बहादुरशाह जफर तथा उसके परिवार वालों को लाल किले से हटाकर दिल्ली में कहीं ओर बसा दिया और यह ऐलान किया की बहादुर शाह जफर अंतिम मुगल शासक होंगे और उसके बाद उनके वंशजों को राजा नहीं माना जाएगा।

तात्कालिक कारण: इस क्रांति का तत्कालीन कारण मंगल पांडे का सूअर तथा गाय की चर्बी के लिए से लगे कारतूसों के प्रयोग करने से मना करना था।यह भारतीय सेना के धार्मिक भावनाओ की क्रूर अवहेलना थी। कारतूस की घटना ने बारूद के ढेर में चिंगारी लगाने का कार्य किया और विद्रोह फुट पड़ा। इसके लिए मंगल पांडे को फांसी दे दी गई थी।

प्रशासनिक एवं आर्थिक कारण: कंपनी का प्रशासनिक तंत्र अकुशल और अपर्याप्त था। भू- राजस्व नीति सर्वाधिक अलोकप्रिय थी। की जमींदारों से उनके पद और संसाधन छिन लिए गए थे। लगान की ऊंची दर और उसे वसुल करने के अमानविय तरीकों ने किसान, खेतिहारों मजदूर, दस्तकार और छोटे जमींदार साहूकार के चंगुल में फसते चले गए और साथ ही उनमे अंग्रेजों के प्रति असंतोष भी बढ़ता गया। प्रशासनिक पदों पर भारतीयों के साथ जाती एवं रंग के आधार पर भेदभाव किया जाता था।

सामाजिक एवं धार्मिक कारण: अंग्रेज प्रशासको की सुधारवादी उत्साह के अंतर्गत पारंपरिक भारतीय समाजिक प्रणाली और संस्कृति संकटग्रस्त प्रतीत होने लगी। हिन्दू और मुसलमान दोनों के शस्त्र व सम्मत को चुनौती दी जाने लगी। 1856 के धार्मिक नियोग्यता अधिनियम द्वारा हिन्दू प्रथाओ में शोधन किया गया।धर्म परिवर्तन करने से पुत्र और गैर ईसाई पिता की संपत्ति का उत्तराधिकारी बनने से वंचित नहीं हो सकता था ईसाई धर्म के प्रचार प्रसार के लिए धर्म प्रचारकों को पर्याप्त सुविधाएं दी गई थी इससे भारत यह महसूस कर रहे थे कि अंग्रेजों उन्हे ईसाई बनाने का षडयंत्र रच रहे हैं।

सैनिक कारण: अंग्रेजी सेना ने कार्यरत भारतीय सैनिकों में व्यापक असंतोष और इससे ना कि अधिकांश सैनिक और कनिष्ठ अधिकारी भारतीय थे। भारतीय सैनिक ने अपने कम वेतन तथा पदोन्नति की संभावनाओं को लेकर रोष व्याप्त था समुद्र का सेवा करना अनिवार्य था।

Q.12. 1857 की क्रांति के क्या परिणाम हुई?
Ans: 1857 के विद्रोह के मुख्य परिणाम निम्नलिखित हैं:

  • महारानी की उद्घोषणा विद्रोह का सबसे महत्वपूर्ण परिणाम था यह घोषणा 1 नवंबर 1858 को इलाहाबाद में हुए दरबार में लॉर्ड कैनिंग द्वारा उद्घोषक की गई उद्घोषणा में ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन की समाप्ति और भारत के शासन को सीधे क्राउन (ब्रिटिश शाही ताज) के अंतर्गत लाए जाने की घोषणा की गई। गवर्नर जनरल को अब वायसराय कहा जाने लगा। लॉर्ड कैनिंग ब्रिटिश भारत के पहले वायसराय बने।
  • उद्घोषणा में इस बात का आश्वासन दिया गया कि भविष्य में भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार नहीं किया जाएगा साथ ही धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप ना करने, एक समान कानूनी सुरक्षा प्रदान करने तथा लोगों के पारस्परिक रीति-रिवाजों का सम्मान करने का वचन भी दिया गया।
  • भारत में एक सुव्यवस्थित शासन प्रदान करने के लिए गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1858 पारित किया गया। इस एक्ट के भारतीय शासन के नियंत्रण दोहरी व्यवस्था कर दिया गया और भारतीय प्रशासनिक व्यवस्था के प्रबंध के लिए सीधे ब्रिटिश क्राउन को उत्तरदाई बनाया गया इंडियन काउंसिल एक्ट 1861; इंडियन हाई कोर्ट एक्ट 1861 इंडियन सर्विस एक्ट 1861 पारित करके कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के ढांचे में बुनियादी परिवर्तन किए गए।
  • ‘फूट डालो और राज करो’ की सुनियोजित नीति के तहत मुसलमानों के प्रति तुष्टिकरण की नीति अपनाई गई जिसके परिणाम भारतीय राष्ट्रवाद के लिए विनाशकारी साबित हुए।
  • देसी राज्यों के विजय और विलय की नीति का पूरी तरह परित्याग कर दिया गया। देसी राज्यों के शासकों को गोद लेने की अनुमति प्रदान की गई लेकिन उन्हें ब्रिटिश सरकार के अधिनस्थ शासक बना कर रखा गया।
  • ब्रिटिश साम्राज्य के हितों की रक्षा के लिए देशी राज्यों के शासकों, जमींदारों, भू स्वामियों और व्यापारियों जैसे- रूढ़िवादी और प्रतिक्रियावादी तत्वों को विशेष संरक्षण प्रदान किया गया।
  • यह विद्रोह भारत में अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध चुनौती का प्रतीक बन गया। यह भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के उदय और विकास की पृष्ठभूमि तैयार करने में सहायक रही रानी लक्ष्मीबाई, कुंवर सिंह, नाना साहब जैसे नेता राष्ट्रीय आंदोलन कार्यों के लिए अग्रदूत बने रहे। इनके वीर गाथाओं ने स्वतंत्रता सेनानियों के लिए प्रेरणा के स्रोत का काम किए।

Q.13. 1857 के विद्रोह के असफलता के कारणों का वर्णन करें।
Ans: 1857 की क्रांति की असफलता के बहुत सारे कारण थे जिनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • विद्रोहियों में एकता की कमी: 1857 की क्रांति में विद्रोहियों में एकता की कमी थी। सभी लोग अपने अपने निजी स्वार्थ के लिए यह विद्रोह कर रहे थे, अगर विद्रोहियों में एकता की कमी नहीं होती तो शायद यह विद्रोह सफल होता और 1857 में ही भारत अंग्रेजों से आजाद हो गया होता। एकता की कमी इयुद्ध की असफलता का प्रमुख कारण थी।
  • विद्रोह का समय से पूर्व शुरू होना: 31 मई 18 57 की तारीख विद्रोह के लिए तय की गई थी परंतु परंतु इसे 10 मई 1857 को ही बैरकपुर छावनी में शुरू कर दिया गया। यह तथ्य भी इस विद्रोह की असफलता का एक प्रमुख कारण है क्योंकि बहुत सारे लोगों को पता भी नहीं था कि विद्रोह शुरू हो चुका है और उन्हें जब यह खबर लगी तब बहुत देर हो चुकी थी यह विद्रोह एक व्यापक विद्रोह था पर असफल रहा।
  • हथियारों की कमी: भारतीय विद्रोहियों के पास हथियारों की कमी थी जबकि इसके विपरीत अंग्रेजों के पास नई तकनीकी के हथियार थे। यह कारण भी इस विद्रोह के असफल होने के प्रमुख कारण है।
  • प्रभावशाली नेतृत्व का अभाव: प्रभावशाली नेतृत्वकर्ता का ना होना इस क्रांति की असफलता का एक प्रमुख कारण माना जा सकता है। यद्यपि रानी लक्ष्मीबाई, नानासाहेब, तात्या टोपे आदि कई सारे काफी कुशल नेतृत्वकर्ता थे परंतु फिर भी इस क्रांति में कुछ और अच्छे और कुशल नेतृत्वकर्ताओ की जरूरत थी।
  • सैनिकों की संख्या में कमी: भारतीय सैनिक अंग्रेजी सैनिक के मुकाबले कम थी। देसी रियासतों के सैनिकों को अंग्रेजों की सहायता के लिए भेज दिया गया था जिस कारण भारतीय सैनिक कम थे फिर भी जितने भी सैनिक थे उन्होंने बहुत ही बहादुरी से इस क्रांति में हिस्सा लिया परंतु कुछ सनिकों की कमी के कारण यह विद्रोह असफल रहा।
    अतः इन सभी कारणों से यह विद्रोह असफल रहा।

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