चीन की साम्यवादी क्रांति: BA History Sem 5 BBMKU

चीन की साम्यवादी क्रांति 20वीं सदी की एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने चीन के इतिहास को एक नया मोड़ दिया। इस क्रांति के परिणामस्वरूप, चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना हुई, जो आज भी कायम है।

चीन में साम्यवाद के उदय के कारण

चीन में साम्यवाद के उदय के कई कारण थे। इनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

  • चीन की पिछड़ी अर्थव्यवस्था: 19वीं सदी के अंत तक, चीन एक कृषि प्रधान देश था, जिसका अर्थव्यवस्था अक्षम और असमान थी। किसानों का शोषण जमींदारों और व्यापारियों द्वारा किया जाता था, और देश में गरीबी और भुखमरी आम थी। इस स्थिति ने लोगों को साम्यवाद की ओर आकर्षित किया, जो आर्थिक समानता और न्याय का वादा करता था।
  • चीन की राजनीतिक अस्थिरता: 20वीं सदी की शुरुआत में, चीन में राजनीतिक अस्थिरता का एक लंबा दौर था। चीन की सरकार कमजोर और अक्षम थी, और देश को लगातार आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। इस स्थिति ने लोगों को एक मजबूत और स्थिर सरकार की मांग की, जिसे साम्यवादी दल प्रदान करने का वादा करता था।
  • चीन में विदेशी साम्राज्यवाद: 19वीं सदी में, चीन को पश्चिमी शक्तियों द्वारा कई युद्धों में हराया गया था। इन युद्धों के परिणामस्वरूप, चीन को कई विशेषाधिकार दिए गए, जिनसे पश्चिमी शक्तियों को चीन में आर्थिक और राजनीतिक लाभ हुआ। इस स्थिति ने लोगों में विदेशी साम्राज्यवाद के खिलाफ गहरा असंतोष पैदा किया, और साम्यवादी दल ने इस असंतोष का फायदा उठाया।
  • माओत्से तुंग का नेतृत्व: माओत्से तुंग एक कुशल नेता और क्रांतिकारी थे, जिन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को एक मजबूत और संगठित बल में बदल दिया। माओ के नेतृत्व में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन की गृहयुद्ध में जीत हासिल की और 1949 में चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना की।

चीनी साम्यवादी दल की स्थापना

चीनी साम्यवादी दल (सीसीपी) की स्थापना 1 जुलाई, 1921 को शांघाई में हुई थी। इसकी स्थापना 13 लोगों ने की थी, जिनमें माओत्से तुंग, चेन दुशू, और ली दाज़ो शामिल थे। सीसीपी की स्थापना के समय, चीन में राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक असमानता का एक लंबा दौर था। इस स्थिति ने लोगों को साम्यवाद की ओर आकर्षित किया, जो आर्थिक समानता और न्याय का वादा करता था। माओ त्से-तुंग ने चीन में साम्यवादी क्रांति को सफल बनाने के लिए एक रणनीति विकसित की, जिसमें किसानों और श्रमिकों को एकजुट करना शामिल था।

सीसीपी की स्थापना के बाद, यह चीन में एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति बन गई। 1949 में, सीसीपी ने चीनी गृहयुद्ध में जीत हासिल की और चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना की। तब से, सीसीपी ने चीन पर शासन किया है और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर उसका एकमात्र नियंत्रण है।

चीनी गृहयुद्ध

चीनी गृहयुद्ध चीन गणराज्य की नेतृत्व कर रही कुओमितांग दल और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बीच 1945 से 1949 तक चलने वाला संघर्ष था। वास्तव में यह गृहयुद्ध समय-समय पर 1927 से ही जारी रहा, जब गुओमिंदांग के नेता च्यांग काई शेक ने साम्यवादियों को कुचलने के लिए उनके विरुद्ध प्रथम कड़ा अभियान चलाया।

गृहयुद्ध दो चरणों में लड़ा गया:

  • प्रथम चरण: 1927 से 1937 तक, गुओमिंदांग और साम्यवादियों के बीच संघर्ष मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में केंद्रित था। इस अवधि के दौरान, साम्यवादियों ने अपनी ताकत बढ़ाई और चीन के कई हिस्सों पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
  • द्वितीय चरण: 1937 से 1949 तक, जापान के आक्रमण के कारण गृहयुद्ध को रोक दिया गया। जापान के खिलाफ लड़ाई में साम्यवादियों और गुओमिंदांग ने एक साथ काम किया। युद्ध के अंत में, जापान हार गया और गृहयुद्ध फिर से शुरू हो गया।

चीन की साम्यवादी क्रांति का प्रभाव

चीनी साम्यवादी क्रांति का चीन और दुनिया भर पर गहरा प्रभाव पड़ा। चीन में, क्रांति ने चीन को एक साम्यवादी देश में बदल दिया, और इसने चीन की अर्थव्यवस्था, राजनीति, और समाज को गहराई से प्रभावित किया।

क्रांति के कुछ प्रमुख प्रभावों में शामिल हैं:

  • चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना: क्रांति के परिणामस्वरूप, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन पर शासन करना शुरू किया। सीसीपी ने एक एकल-पार्टी राज्य की स्थापना की, और इसने चीन की राजनीति और समाज को नियंत्रित किया।
  • चीनी अर्थव्यवस्था का परिवर्तन: क्रांति के बाद, सीसीपी ने चीन की अर्थव्यवस्था को राष्ट्रीयकृत करना शुरू किया। इसने निजी संपत्ति को जब्त किया और राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों और उद्यमों को स्थापित किया।
  • चीनी समाज का पुनर्गठन: क्रांति के बाद, सीसीपी ने चीन के समाज को पुनर्गठित करना शुरू किया। इसने जमींदारी को समाप्त किया, और इसने किसानों को भूमि प्रदान की। सीसीपी ने महिलाओं के अधिकारों को भी बढ़ावा दिया, और इसने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए कानूनों को पारित किया।

चीन की साम्यवादी क्रांति ने दुनिया भर में भी एक बड़ा प्रभाव डाला। इसने सोवियत संघ के नेतृत्व वाले साम्यवादी ब्लॉक के लिए एक बड़ी जीत का प्रतिनिधित्व किया, और इसने शीत युद्ध के दौरान वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल दिया। क्रांति ने अन्य देशों में साम्यवादी आंदोलनों को भी प्रेरित किया, और इसने दुनिया भर में राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन की लहर को जन्म दिया।

चीन की साम्यवादी क्रांति के प्रमुख परिणाम

चीनी साम्यवादी क्रांति के प्रमुख परिणाम निम्नलिखित हैं:

  • चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना: चीन में साम्यवादी दल ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और एक नए चीन गणराज्य की स्थापना की।
  • चीन में आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन: साम्यवादी शासन ने चीन में कई आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन किए। इनमें से कुछ परिवर्तनों में कृषि भूमि का सामूहिककरण, औद्योगिकीकरण और सार्वजनिक शिक्षा के प्रसार शामिल हैं।
  • चीन की भूमिका में बदलाव: चीन की साम्यवादी क्रांति ने चीन की भूमिका में बदलाव लाया। चीन एक रूढ़िवादी और पिछड़े हुए देश से एक प्रमुख विश्व शक्ति बन गया।

चीन की साम्यवादी क्रांति का विश्व राजनीति पर प्रभाव

चीन की साम्यवादी क्रांति का विश्व राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा। इसने सोवियत संघ के नेतृत्व वाले साम्यवादी ब्लॉक के लिए एक बड़ी जीत का प्रतिनिधित्व किया, और इसने शीत युद्ध के दौरान वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल दिया। क्रांति ने अन्य देशों में साम्यवादी आंदोलनों को भी प्रेरित किया, और इसने दुनिया भर में राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन की लहर को जन्म दिया।

चीनी साम्यवादी क्रांति के कुछ प्रमुख प्रभावों में शामिल हैं:

  • शीत युद्ध का उदय: चीन की साम्यवादी क्रांति ने शीत युद्ध के उदय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। क्रांति के बाद, चीन और सोवियत संघ दोनों ने एक-दूसरे को अपने क्षेत्रों के लिए एक खतरे के रूप में देखा। इसने दोनों देशों के बीच एक प्रतिस्पर्धी और शत्रुतापूर्ण संबंध को जन्म दिया, जिसे शीत युद्ध के रूप में जाना जाता है।
  • विश्व राजनीति में साम्यवाद का उदय: चीन की साम्यवादी क्रांति ने विश्व राजनीति में साम्यवाद का उदय किया। चीन के उदय से, साम्यवादी ब्लॉक में दो महान शक्तियां थीं: सोवियत संघ और चीन। इसने विश्व राजनीति में शक्ति संतुलन को बदल दिया, और यह शीत युद्ध के दौरान एक प्रमुख कारक बना रहा।
  • साम्यवादी आंदोलनों का उदय: चीन की साम्यवादी क्रांति ने दुनिया भर में साम्यवादी आंदोलनों को प्रेरित किया। चीन के उदय ने दिखाया कि साम्यवाद एक सफल राजनीतिक प्रणाली हो सकती है, और इसने कई देशों में साम्यवादी आंदोलनों को जन्म दिया।
  • सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन: चीन की साम्यवादी क्रांति ने चीन में सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन की एक लहर को जन्म दिया। क्रांति ने चीन को एक कृषि प्रधान देश से एक औद्योगिक शक्ति में बदल दिया, और इसने चीन की राजनीति और समाज को गहराई से प्रभावित किया।

चीन की साम्यवादी क्रांति एक ऐतिहासिक घटना थी जिसने दुनिया भर में एक बड़ा प्रभाव डाला। इसने शीत युद्ध के दौरान वैश्विक शक्ति संतुलन को बदल दिया, और इसने दुनिया भर में राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन की लहर को जन्म दिया।

निष्कर्ष

चीन की साम्यवादी क्रांति 20वीं सदी की एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने चीन के इतिहास और विश्व राजनीति को एक नया मोड़ दिया। इस क्रांति ने चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना की, जिसने चीन के आर्थिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

FAQ

प्रश्न: चीन की साम्यवादी क्रांति कब हुई?

उत्तर: चीन की साम्यवादी क्रांति 1949 में हुई, जब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन पर शासन करना शुरू किया। क्रांति का पहला चरण 1927 से 1937 तक चला, जब साम्यवादियों और गुओमिंदांग के बीच गृहयुद्ध हुआ। दूसरा चरण 1937 से 1949 तक चला, जब साम्यवादियों और गुओमिंदांग ने जापान के खिलाफ मिलकर लड़ाई लड़ी।

प्रश्न: चीन की साम्यवादी क्रांति के क्या कारण थे?

उत्तर: चीन की साम्यवादी क्रांति के कई कारण थे, जिनमें शामिल हैं:

  • चीन की पिछड़ी अर्थव्यवस्था: 19वीं सदी के अंत तक, चीन एक कृषि प्रधान देश था, जिसका अर्थव्यवस्था अक्षम और असमान थी। किसानों का शोषण जमींदारों और व्यापारियों द्वारा किया जाता था, और देश में गरीबी और भुखमरी आम थी। इस स्थिति ने लोगों को साम्यवाद की ओर आकर्षित किया, जो आर्थिक समानता और न्याय का वादा करता था।
  • चीन की राजनीतिक अस्थिरता: 20वीं सदी की शुरुआत में, चीन में राजनीतिक अस्थिरता का एक लंबा दौर था। चीन की सरकार कमजोर और अक्षम थी, और देश को लगातार आंतरिक और बाहरी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। इस स्थिति ने लोगों को एक मजबूत और स्थिर सरकार की मांग की, जिसे साम्यवादी दल प्रदान करने का वादा करता था।
  • चीन में विदेशी साम्राज्यवाद: 19वीं सदी में, चीन को पश्चिमी शक्तियों द्वारा कई युद्धों में हराया गया था। इन युद्धों के परिणामस्वरूप, चीन को कई विशेषाधिकार दिए गए, जिनसे पश्चिमी शक्तियों को चीन में आर्थिक और राजनीतिक लाभ हुआ। इस स्थिति ने लोगों में विदेशी साम्राज्यवाद के खिलाफ गहरा असंतोष पैदा किया, और साम्यवादी दल ने इस असंतोष का फायदा उठाया।
  • माओत्से तुंग का नेतृत्व: माओत्से तुंग एक कुशल नेता और क्रांतिकारी थे, जिन्होंने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को एक मजबूत और संगठित बल में बदल दिया। माओ के नेतृत्व में, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन की गृहयुद्ध में जीत हासिल की और 1949 में चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना की।

प्रश्न: चीन की साम्यवादी क्रांति के क्या परिणाम हुए?

उत्तर: चीन की साम्यवादी क्रांति के कई परिणाम हुए, जिनमें शामिल हैं:

  • चीन में साम्यवादी शासन की स्थापना: क्रांति के परिणामस्वरूप, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने चीन पर शासन करना शुरू किया। सीसीपी ने एक एकल-पार्टी राज्य की स्थापना की, और इसने चीन की राजनीति और समाज को नियंत्रित किया।
  • चीनी अर्थव्यवस्था का परिवर्तन: क्रांति के बाद, सीसीपी ने चीन की अर्थव्यवस्था को राष्ट्रीयकृत करना शुरू किया। इसने निजी संपत्ति को जब्त किया और राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों और उद्यमों को स्थापित किया।
  • चीनी समाज का पुनर्गठन: क्रांति के बाद, सीसीपी ने चीन के समाज को पुनर्गठित करना शुरू किया। इसने जमींदारी को समाप्त किया, और इसने किसानों को भूमि प्रदान की। सीसीपी ने महिलाओं के अधिकारों को भी बढ़ावा दिया, और इसने लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए कानूनों को पारित किया।
  • शीत युद्ध का उदय: चीन की साम्यवादी क्रांति ने शीत युद्ध के उदय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। क्रांति के बाद, चीन और सोवियत संघ दोनों ने एक-दूसरे को अपने क्षेत्रों के लिए एक खतरे के रूप में देखा। इसने दोनों देशों के बीच एक प्रतिस्पर्धी और शत्रुतापूर्ण संबंध को जन्म दिया, जिसे शीत युद्ध के रूप में जाना जाता है।

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