Economics class 12 Model paper 2022 Set 1

Economics for class 12: Jharkhand Academic Council Rachi Model Question paper class 12, 2022. These model papers have been made for practice purposes. The language of this paper is Hindi. Questions are taken from NCERT Book.

Economics for class 12 Model paper

Subject: Economics

Time: 3 Hours

Full Marks: 50

Pass marks: 33

Microeconomics: व्यष्टि अर्थशास्त्र : 50 Marks

Group-A: Multitple Choice Type Questions: 1×5 = 5

Q.1. किसके अनुसार अर्थशास्त्र मानव कल्याण का विज्ञान है?
a. मार्शल ✔️
b. पीगू
c. एडम स्मिथ
d. इनमें से कोई नहीं

Q.2. निम्न में से कौन अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्या है?
a. साधनों का आबंटन
b. साधनों का कुशलतम प्रयोग
c. आर्थिक विकास
d. इनमें से सभी ✔️

Q.3. व्यष्टि अर्थशास्त्र में किसका अध्ययन किया जाता है?
a. वस्तु की कीमत निर्धारण का
b. साधन की कीमत निर्धारण
c. आर्थिक कल्याण
d. इनमें से सभी ✔️

Q.4. उत्पादन के साधन निम्न में से कौन है?
a. भूमि
b. श्रम
c. पूंजी
d. सभी ✔️

Q.5. अर्थशास्त्र को दो शाखाओं में किसने बाटा?
a. रेगनर फ्रिश ✔️
b. रॉबिन्स
c. एडम स्मिथ
d. इनमें से कोई नहीं

Group-B: Short Answer Type 1 Questions: 3×5 = 15

Q.6. सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम क्या है?
Ans: सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम को गोसेन का प्रथम नियम भी कहते हैं। यह उपभोग के क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण नियम है। इसका प्रतिपादन एसo एसo गोसेन ने किया है। सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम के अनुसार जैसे-जैसे उपभोक्ता किसी वस्तु की अधिकाधिक इकाइयों का उपभोग करता है, तो उससे मिलने वाली सीमांत उपयोगिता एक सीमा के बाद घटने लगती है।

Q.7. मांग किसे कहते हैं?
Ans: एक निश्चित समय तथा निश्चित कीमत पर कोई उपभोक्ता अपने संसाधनों की सहायता से वस्तु की जो मात्रा खरीदने के लिए तैयार होता है उसे उस वस्तु की मांग कहते हैं। मांग को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है: व्यक्तिगत मांग और बाजार मांग।

Q.8. अवसर लगत क्या है?
Ans: अवसर लगत का अभिप्राय उस लगत से जो एक श्रेष्ठ विकल्प के लिए त्यागा गया हो। अर्थात यदि कोई किसान उपलब्ध संसाधनों के पूर्ण प्रयोग से चावल या गेहू का उत्पादन कर सकता है। चावल के उत्पादन से उसे 4000रूo का लाभ होगा जबकि गेंहू से 5000रूo का लाभ होगा। एक विवेकशील किसान ज्यादा लाभ के लिए गेंहू का उत्पादन करना पसंद करेगा। यहाँ गेहूं के लिए चावल का त्याग करना पड़ेगा इस प्रकार गेहूं का अवसर लगत 4000रूo होगी।

Q.9. आर्थिक वस्तु एवं निःशुल्क वस्तु में अंतर स्पष्ट करें।
Ans: आर्थिक वस्तु एवं निःशुल्क वस्तु में निम्नलिखित अंतर है:
आर्थिक वस्तु: वे वस्तुएँ जिनके उपभोग के लिए हमें भुक्तान करना पड़ता है उसे आर्थिक वस्तुएँ कहते है। जैसे: रोटी, कपड़ा, माकन, कार और पेट्रोल आदि।
निःशुल्क: इन वस्तुओं को गैर आर्थिक वस्तुएँ भी कहते है। ये वो वस्तुएँ है जिनके उपभोक के लिए किसी प्रकार की भुक्तान नहीं करना पड़ता है। ये हमें प्राकृतिक से उपहार के तौर पर मिलते है। जैसे: हवा, नदी का पानी और धुप आदि।

Q.10. पूर्ति के नियम की व्याख्या करें?
Ans: पूर्ति और कीमत के बिच सीधा संबंध होता है अर्थात कीमत बढ़ने से पूर्ति पूर्ति बढाती तथा इसके विपरीत कीमत घटने पर पूर्ति भी घटती है।

ऊपर के चित्र में पूर्ति वक्र को दिखाया गया है। इसमें देखा जा सकता है की जब कीमत 10रूo से बढ़ कर 20रूo हो जाती है तो पूर्ति की मात्रा भी बढ़ जाती है। पहली अवस्था में पूर्ति A से खिसक कर B हो जाती है।

Group-C: Short Answer Type 2 Questions: 4×3 = 12

Q.11. परिवर्तनशील अनुपातो के नियम की व्याख्या करें।
Ans: परिवर्तनशील अनुपातो का नियम और उत्पत्ति का नियम एक ही है। इसका संबध उत्पादन के अल्प काल से होता है। इस निमय के अनुसार जब कुछ साधनों को स्तिर मानकर परिवर्तनशील साधनों में परिवर्तित किया जाता है तो उससे उत्पादन मात्रा में जो परिवर्तन होता है उसे परिवर्तनशील अनुपातों के नियम के नाम से जाना जाता है। इसके तीन नियम होते है जो निम्नलिखित है:
उत्पत्ति का वृद्धि नियम: इस नियम में जिस अनुपात में साधनों में वृद्धि की जाती है उससे अधिक अनुपात में उत्पादन में वृद्धि होती है।
उत्पत्ति का समता नियम: इसमें उत्पादन का अनुपात साधन के वृद्धि के अनुपात के समान होता है।
उत्पत्ति का घटता नियम: इसमें नियम में जिस अनुपात में साधनों में वृद्धि होती है उससे कम अनुपात में उत्पादन में वृद्धि होती है।

Q.12. मांग का नियम लिखें।
Ans: अन्य बातें समान रहने पर जब किसी वस्तु की कीमत घटती है तब उस वस्तु की मांग मात्रा बढ़ती है तथा कीमत के घटने पर उस वस्तु की मांग मात्रा बढ़ जाती है, अतः कम कीमत पर अधिक मांग तथा अधिक कीमत पर कम मांग ही मांग का नियम है।

चित्र में DD मांग वक्र है जो बांये से दायें ऋणात्मक है। OX वस्तु की माँग मात्रा है। OY वस्तु की कीमत है। जब बस्तु की कीतम OP से बढ़कर OP1 हो जाती है तब माँग मात्रा OQ से घटकर OQ1 हो जाती है। अर्थात वस्तु की माँग और कीमत के बिच विपरीत संबंध होता है।

Q.13. सीमांत उत्पाद और औसत उत्पाद के संबंध को लिखें
Ans: सीमांत उत्पाद और औसत उत्पाद में निम्नलिखित संबंध होते है:
1. जब तक औसत उत्पादन बढ़ता है तब तक सीमांत उत्पादन औसत उत्पादन से अधिक होता है।
2. सीमांत उत्पाद वक्र असद उत्पाद वक्र को उच्चतम बिंदु पर काटता है।
3. जब औसत उत्पादन घटता है तब सीमांत उत्पादन औसत उत्पादन से कम होता है।

relationship between average product and marginal product

चित्र में सीमांत उत्पाद और औसत उत्पाद के संबंध को दिखाया गया है। AP औसत उत्पाद को और MP सीमांत उत्पाद की दर्शा रहा है।

Group-D: Long Answer Type Questions: 6×3 = 18

Q.14. केंद्रीय समस्या ‘क्या उत्पादन किया जाए’ को समझाएं
Ans: किन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए? इस समस्या के दो पहलू हैं- एक तो, किस वस्तु का उत्पादन किया जाए और दूसरी, जिन वस्तुओं का उत्पादन किया जाना है उनकी मात्रा कितनी हो? पहली समस्या वस्तुओं के प्रकार के चुनाव की है और दूसरी वस्तु की मात्रा की। एक अर्थव्यवस्था को विभिन्न वस्तुओं की आवश्यकता होती है। परंतु वर्तमान साधनों की सहायता से उन समस्त वस्तुओं का उत्पादन नहीं किया जा सकता, जिनके आवश्यकता होती हैं। साधनों के विभिन्न उपयोग के कारण समस्या और गंभीर बन जाती है। इसलिए अर्थव्यवस्था को यह चुनाव करना पड़ता है कि वह किस वस्तु का उत्पादन करें और किस वस्तु को छोड़ें। अर्थात उपभोग वस्तुओं का उत्पादन करें अथवा पूंजीगत वस्तुओं का सामान्य उपभोग की वस्तुओं का उत्पादन करें अथवा युद्ध संबंधी वस्तुओं का।

Q.15. उत्पादन संभावना वक्र से आप क्या समझते है?
Ans: उत्पादन संभावना वक्र: एक सरल अर्थव्यवस्था में दिए गए साधनों के पूर्ण प्रयोग द्वारा दो वस्तुओं के बहुत से संयोगओं का उत्पादन असंभव है। जब इन संयोग को ग्राफ के रूप में प्रस्तुत किया जाता है तो इन्हें मिलाने वाली रेखा को उत्पादन संभावना वक्र कहते हैं। उत्पादन संभावना वक्र उद्गम की तरफ अवतल होता जब संसाधन बढ़ते हैं या उत्पादन की तकनीक में सुधार होता है तो उत्पादन संभावना वक्र दाहिनी तरफ खिसक जाता है। यदि संसाधनों का भरपूर प्रयोग नहीं हो रहा है तो संचालन बिंदु उत्पादन संभावना वक्र के अंदर स्थित होगा।

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चित्र में ox रेखा x-वस्तु की मात्रा है जबकि oy रेखा y-वस्तु की मात्रा है। abcde रेखा दो वस्तुओं के उत्पादन के विभिन्न संभावनों को दर्शाता है। चित्र के द्वारा यह प्रदर्शित किया गया गया है जैसे-जैसे x-वस्तु के उत्पादन में वृद्धि की जाती है तो y-वस्तु के उत्पादन में कमी आती है। उत्पादन संभावन वक्र के अनुसार जब सिमित संसाधनों के प्रयोग से दो वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है तो दोनों वस्तुओं के उत्पादन मात्रा के एक साथ वृद्धि नहीं की जा सकती है।

Q.16. मांग को प्रभावित करने वाले कारक लिखें
Ans: वैसे तो मांग को बहुत सारे कारक प्रभावित करते हैं जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण कारक निम्नलिखित है:-
1. वस्तु की कीमत:- मांग को प्रभावित करने में वस्तु की कीमत कि अहम भूमिका होती है। जब किसी वस्तु की कीमत घटती है तब उस वस्तु की मांग बढ़ती है तथा जब किसी वस्तु की कीमत बढ़ती है तब उस वस्तु की मांग घटती है। कीमत और मांग के बीच विपरीत संबंध होता।
2. उपभोक्ता की आय:-जब किसी उपभोक्ता कि आय बढ़ती है तब वह वस्तु की मांग बढ़ा देता है तथा आय के घटने पर वस्तु की मांग घटा देता है। अतः उपभोक्ता की आय भी मांग को प्रभावित करता है।
3. भविष्य में कीमत परिवर्तन की आशंका:-जब किसी वस्तु की भविष्य में कीमत घटने की आशंका होती है तब उसकी मांग वर्तमान में घट जाती है तथा जब किसी वस्तु की मांग भविष्य में बढ़ने की आशंका होती है तो उसकी मांग वर्तमान में बढ़ जाती है।
4. जनसंख्या का आकार:- जिस जगह पर जनसंख्या जितनी ज्यादा होती है वहां वस्तु की मांग इतनी अधिक होती है तथा कम जनसंख्या वाले स्थान पर वस्तु की मांग कम होती है।

Macroeconomics: समष्टि अर्थशास्त्र: 50 Marks

Group-A: Multitple Choice Type Questions: 1×5 = 5

Q.17. राष्ट्रीय आय के आकलन में वस्तु या सेवाओं का मूल्य एक से अधिक बार सामिल करना कहलाता है-
a. एकल गणना
b. दोहरी गणना ✔️
c. बहुल गणना
d. इनमें से कोई नहीं

Q.18. “मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करें” यह किसकी कथन है?
a. हर्टले विदर्स ✔️
b. प्रोo थॉमस
c. कीन्स
d. इनमें से कोई नहीं

Q.19. सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया क्या है?
a. केंद्रीय बैंक
b. निजी बैंक
c. व्यापारिक बैंक ✔️
d. इनमें से कोई नहीं

Q.20. रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की स्थापना कब हुयी थी?
a. 1947 में
b. 1935 में ✔️
c. 1937 में
d. 1945 में

Q.21. “पूर्ति स्वयं मांग का सृजन करती है” यह कथन किसकी है?
a. जेo बीo सेo ने ✔️
b. जेo एसo मिल ने
c. रिकार्डो ने
d. कीन्स ने

Group-B: Short Answer Type 1 Questions: 3×5 = 15

Q.22. मध्यवर्ती मस्तुओं और अंतिम वस्तु में अंतर स्पष्ट कीजिये।
Ans: मध्यवर्ती वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती जो उत्पादन प्रक्रिया में समाप्त हो जाती है। जैसे कच्चा माल और इंधन आदि। अंतिम वस्तुएँ वे वस्तुएँ होती जो उत्पादन के सीमा को पर कर चुकें है। अर्थात इसका उपभोक खरीदने वाला उपभोक्ता स्वमं करेगा न की बेचेगा। जैसे एक व्यक्ति खुद के प्रयोग के लिए एक शर्ट लेता है तो वो शर्ट अंतिम वस्तु है।

Q.23. खुली अर्थव्यवस्था को उदहारण सहित समझायिए।
Ans: खुली अर्थव्यवस्था एक ऐसी अर्थव्यवस्था है जो विभिन्न जो विभिन्न माध्यमों द्वारा अन्य देशो से अंतर्व्यव्हार करती है। अर्थात, खुली अर्थव्यवस्था वह है जो अन्य देशों के साथ वस्तुओं और सेवाओं में व्यापर करती है। उदहारण के लिए, वर्तमान में सभी देशों की अर्थव्यवस्था खुली है। भारत विश्व के विभिन्न देशों के साथ वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान करती है। इसी करना से भारत में विभिन्न वैश्विक कम्पनियों के उत्पाद उपलब्ध है।

Q.24. व्यवसाहिक बैंक के किन्हीं तीन कार्यों का उल्लेख कीजिये।
Ans: सामान्य बैंकिंग कार्य करने वाले बैंकों को व्यापारिक बैंक कहते हैं। इनका मुख्य उदेश्य व्यापारिक संस्थाओं को अल्कालिन वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करना है। इसकी तीन विशेषताएँ निम्नलिखित है:
(a) जमा स्वीकार करना: इन बैंकों का एक महत्वपूर्ण कार्य जनताओं के माँग जमाओं को स्वीकार करता है। जनता बैंकों में चालू, बजत, सावधि तथा आवृति आदि जैसे रकम जमाए करती है।
(b) ऋण देना: बैंक जनताओं के जमा रकम के एक बड़े हिस्से को ऋण देने में प्रयोग करता है। ऋण से मिलने वाली ब्याज बैंकों के आय का एक मूल स्रोत होता है।
(c) साख का निर्माण: बैंक जनता से प्राथिमक जमाएँ प्राप्त करता है साख गुणक के आधार पर प्राप्त जमाओं से कई गुना अधिक ऋण देते है।

Q.25. आय के चक्रीय प्रभाव का दो क्षेत्रीय मोडल का वर्णन करें।
Ans: आय के चक्रीय प्रवाह का दो क्षेत्रीय मोडल में अर्थव्यवस्था के केवल दो क्षेत्रो – घरेलु क्षेत्र तथा उत्पादक क्षेत्र के बिच होने वाले चक्रीय प्रवाहों का अध्ययन किया जाता है।

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चित्र में दो क्षेत्रो को दिखाया गया है: घरेलु और उत्पादक क्षेत्र। एक घरेलु क्षेत्र उत्पादक क्षेत्र से वस्तुएँ और सेवाएँ प्राप्त करता है और बदले में उत्पादक क्षेत्र को उपभोग व्यय है। इसी प्रकार एक उत्पादक क्षेत्र घरेलु क्षेत्र से उत्पादन साधन प्राप्त कर उसका भुक्तान करता है।

Q.26. प्रतिगामी कर क्या है?
Ans: वह कर जिसमें आय के बढ़ने पर कर की दर घट जाती है तथा आय के घटने पर कर की दर बढ़ जाती है उसे प्रतिगामी कर कहते हैं। प्रतिगामी कर का भार अमीर व्यक्तियों पर कम पड़ता है तथा गरीब व्यक्तियों पर इसका अधिक भार पड़ता है। इस कर को उपभोक्ता के आय के स्तर के परवाह किये बिना ही लगा दिया जाता है।

Group-C: Short Answer Type 2 Questions: 4×3 = 12

Q.27. पूर्ण रोजगार की अवधारणा को स्पष्ट करें।
Ans: वह स्थिति जिसमें एक अर्थव्यवस्था में सभी इच्छुक लोगों को दी गई या प्रचलित मजदूरी दर पर योग्यतानुसार आसानी से कार्य मिल जाता है पूर्ण रोजगार कहलाती है। परंपरावादी अर्थशास्त्री जे. बी. से का पूर्ण रोजगार के बारे में अलग विचार था। परंपरावादी रोजगार सिद्धान्त के अनुसार पूँजीवादी अर्थव्यवस्था में सदैव पूर्ण रोजगार की स्थिति होती है क्योंकि प्रचलित मजदूरी पर काम करने के इच्छुक सभी व्यक्तियों को आसानी से काम मिल जाता है। जे. एम. कीन्स के अनुसार आय के सन्तुलन स्तर पर रोजगार स्तर को साम्य रोजगार स्तर कहते हैं। आवश्यक रूप से साम्य रोजगार का स्तर पूर्ण रोजगार स्तर के समान नहीं होता है। साम्य रोजगार का स्तर यदि पूर्ण रोजगार स्तर से कम होता है तो अर्थव्यवस्था में बेरोजगारी की समस्या रहती है। परंपरावादी अर्थशास्त्री साम्य रोजगार को ही पूर्ण रोजगार कहते थे।

Q.28. उपभोग फलन के संबंध में किन दो बातों का ध्यान रखना चाहिए
Ans: उपभोग फलन के बारे में निम्नलिखित दो बातों का ध्यान रखना चाहिए-
(i) उपभोग का स्तर वैयक्तिक प्रयोज्य आय के स्तर पर निर्भर करता है। वैयक्तिक प्रयोज्य आय वैयक्तिक आय में से प्रत्यक्ष करों के भुगतान दण्ड जुर्माना एवं सामाजिक सुरक्षा व्यय को घटाने पर प्राप्त होती है। उपभोग एवं वैयक्तिक प्रयोज्य आय का सीया संबंध होता है। वैयक्तिक प्रयोज्य आय के ऊँचे स्तर पर उपभोग अधिक किया जाता है।
(ii) आय का स्तर शून्य होने पर लोग उपभोग के लिए पुरानी बचतों का प्रयोग करते
हैं। जब तक आय, उपभोग से कम रहती है उपभोग के लिए पुरानी बचतों का ही प्रयोग किया
जाता है। यह उपभोग जीवित रहने के लिए आवश्यक न्यूनतम उपभोग कहलाता है।

Q.29. अंतिम ऋण दाता के रूप में केंद्रीय बैंक क्या करता है?
Ans: केंद्रीय बैंक बैंकों का बैंक होता। यह बैंक सभी बैंक को नियंत्रित करती है। यदि किसी व्यवसाहिक बैंक को वितीय संकट का सामना करना पड़ता है तो केन्द्रीय बैंक उसे सहायता प्रदान करता है। जिस प्रकार एक व्यसाहिक बैंक का जनता के साथ संबंध होता है उसी प्रकार केंद्रीय बैंक का एक व्यवसाहिक बैंक के साथ होता है। अर्थात, आप कह सकते हो की व्यसाहिक बैंक को धन की जरुरत हो तो वह केंद्रीय बैंक से ऋण ले सकता है। रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया भारत का केंद्रीय बैंक है जो भारतिय व्यवसाहिक बैंकों को वितीय सहायता देता है। इस प्रकार यह अंतिम ऋणदाता के रूप में कार्य करता है।

Group-D: Long Answer Type Questions: 6×3 = 18

Q.30. समष्टि अर्थशास्त्र के महत्व का वर्णन करें।
Ans: निम्नलिखित विषयों में समष्टि अर्थशास्त्र का अध्ययन महत्वपूर्ण है:
(i) आर्थिक नीतियों के निर्माण में सहायक- आर्थिक नीतियों का निर्माण करते समय समष्टिगत अर्थशास्त्र का अध्ययन अत्यंत लाभदायक है। अर्थव्यवस्था में गरीबी, बेरोजगारी तथा आर्थिक उन्नति की बढ़ती माँग जैसी समस्याओं के समाधान के लिए, समष्टिगत अर्थशास्त्र के विचार जैसे उत्पादन, उपभोग तथा निवेश की आवश्यकता पड़ती है। इन चरों को ध्यान में रखकर विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए नीतियों का निर्माण किया जा सकता है।
(ii) अर्थव्यवस्था में होने वाले परिवर्तन के अध्ययन में सहायक: अर्थव्यवस्था में विभिन्न स्तरों पर परिवर्तनों केअध्ययन के लिए समष्टिगत अर्थशास्त्र का विचार जैसे उत्पादन, आय, व्यय, बचत तथा निवेशके स्तर आदि में सहायक हैं।
(iii) तुलना करने में सहायक: समष्टि अर्थशास्त्र में राष्ट्रीय आय, आर्थिक प्रगति की दर तथा अर्थव्यवस्था की प्रकृति आदि के अध्ययन की सहायता से विभिन्न देशों से तुलना करना संभव हो जाता है।
(iv) आर्थिक विकास का माप: समष्टिगत अर्थशास्त्र में आर्थिक विकास से संबंधित चरों जैसे उत्पादन, उपभोग, आय का सृजन, पूँजी निर्माण, राष्ट्रीय धन, रोजगार आदि पर विचार किया जाता है, जिसके द्वारा देश के आर्थिक विकास को मापा जा सकता है।
(v) कल्याण का अनुमान: व्यष्टिगत अर्थशास्त्र द्वारा केवल व्यक्तिगत स्तर पर कल्याण का माप किया जा सकता है। संपूर्ण अर्थव्यवस्था के आर्थिक कल्याण का अनुमान लगाने के लिए समष्टिगत अर्थशास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता पड़ती है।
(vi) स्फीति तथा अस्फीति के अध्ययन में सहायक: जैसा कि हम जानते हैं, अर्थशास्त्र की दो शाखाओं (व्यष्टि तथा समष्टि) होतीहै। इसी प्रकार समष्टिगत (Macro) अर्थशास्त्र के भी दो आधार स्तंभ हैं, कुल माँग तथा कुलपूर्ति। इनकी सहायता से देश में स्फीति तथा अस्फीति की स्थितियों का अध्ययन किया जा सकताहै, जोकि देश की आर्थिक स्थिति तथा व्यक्तियों के जीवन स्तर को जानने में सहायक हैं।

Q.31. राष्ट्रीय आय गणना के लिए आय एवं व्यय प्रणाली की व्याख्या कीजिए।
Ans:आय विधि से राष्ट्रीय आय: सभी वस्तुओं एवं सेवाओं की उत्पादन प्रक्रिया में अर्जित आय के योग को राष्ट्रीय आय कहते हैं। आय विधि से राष्ट्रीय आय की गणना में निम्नलिखित चरणों का प्रयोग किया जाता है:
1. कर्मचारियों का पारिश्रमिक: श्रमिक वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करने के लिए अपनी शारीरिक एवं मानसिक सेवाएं प्रदान करते हैं। श्रमिकों की सेवाओं के बदले उन्हें नकद, वस्तु या सामाजिक सुरक्षा के रूप में भुगतान दिया जाता है। श्रमिकों को दिए गए सभी भुगतान के योग को कर्मचारियों का पारिश्रमिक कहते हैं।
2. लगान: भूमि की सेवाओं के बदले भूमि पतियों को दिए जाने वाले भुगतान को लगान या किराया कहते हैं।
3. ब्याज: पूंजी के प्रयोग के बदले पूंजीपतियों को किए गए भुगतान को ब्याज कहते हैं।
4. लाभ: उत्पादन प्रक्रिया के जोखिमों व अनिश्चितता ओं को वाहन करने के प्रतिफल को लाभ कहते हैं।
5. घरेलु साधन आय: घरेलु साधन आय की गणना करने के लिए कर्मचारियों के पारिश्रमिक, लगन, ब्याज एवं लाभ का योग करते है।
6. राष्ट्रिय आय: अंत में राष्ट्रीय आय प्राप्त करने के लिए घरेलु साधन आय में विदेशों से प्राप्त सुद्ध साधन आय को जोड़ा जाता है। अर्थात,
राष्ट्रीय आय + घरेलु साधन आय + विदेशों से प्राप्त सुद्ध साधन आय

Q.32. उपभोग प्रवृत्ति को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन करें।
Ans: उपभोग प्रवृत्ति को निम्नलिखित कारक प्रभावित करते हैं-
(i) राष्ट्रीय आय: जे. एम. कीन्स ने उपभोग प्रवृत्ति का सबसे प्रमुख निर्धारित तत्त्व आय को बताया है। आय के बढ़ने पर उपभोग बढ़ता है परन्तु आय के बढ़ने पर उपभोग प्रवृत्ति घटती है और आय के घटने पर वह घटता है।
(ii) आय का वितरण: धन के असमान रूप से वितरण होने पर समाज के धनी वर्ग की बचत क्षमता बढ़ जाती है। परिणामस्वरूप उपभोग प्रवृत्ति घटती है। अतः उपभोग प्रवृत्ति में वृद्धि के लिए आय का समान वितरण आवश्यक है।
(ii) भावी परिवर्तन: भविष्य में होने वाली घटनाओं के प्रति अपेक्षाओं से भी उपभोग
प्रवृत्ति प्रभावित होती है। यदि किसी युद्ध या अन्य प्रकार के संकट की सम्भावना हो तो लोग
अधिक वस्तुओं का क्रय करेंगे और इससे उपभोग प्रवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा।
(iv) साख की उपलब्धता: आजकल उपभोक्ताओं को किस्त व साख सुविधाएँ मिलने लगी हैं। उपभोक्ता नयी-नयी वस्तुओं जैसे मकान, कार आदि उधार क्रय करते हैं या साख सुविधा प्राप्त कर किस्तों में क्रय कर सकते हैं जिससे उपभोग प्रवृत्ति बढ़ती है ।
(v) ब्याज दर में परिवर्तन: यदि ब्याज में वृद्धि हो जाती है तो ऊँची ब्याज दर का लाभ
उठाने के उद्देश्य से लोग उपभोग कम करके अधिक बचत करते हैं । अर्थात् उपभोग प्रवृत्ति
कम हो जाती है।
(vi) कर नीति: यदि सरकार ज्यादा कर लगाती है तो प्रयोज्य आय कम हो जाती है
परिणामस्वरूप उपभोग प्रवृत्ति कम हो जाती है तथा इसके विपरीत यदि सरकार कम कर लगाती
है तो प्रयोज्य आय बढ़ जाती है परिणामस्वरूप उपभोग प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
(vii) लाभांश नीति: यदि निगम अथवा संयुक्त पूँजी कम्पनियाँ अधिक धन सुरक्षित कोष
में रखने का निर्णय लेती हैं अर्थात् अंशधारियों को कम राशि लाभांश के रूप में वितरित करती
हैं तो लोगों को कम आय प्राप्त होगी और उपभोग कम होगा।
(viii) भविष्य में आय: परिवर्तन की सम्भावना-यदि भविष्य में लोगों को आय में बढ़ोतरी की उम्मीद होती है तो वर्तमान उपभोग प्रवृत्ति बढ़ जाती है तथा इसके विपरीत यदि भविष्य में लोगों को आय में कमी की उम्मीद होती है तो वर्तमान उपभोग प्रवृत्ति कम हो जाती है।

इन्हें भी देखें:

इन सभी प्रश्नों को वार्षिक परीक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। यदि आपको हमरी लेख से कोई फायदा मिला हो तो प्रोत्साहन के लिए अधिक से अधिक विद्यार्थियों के साथ साझा करें। नियमित रूप से जानकारी की सूचना प्राप्त करने के लिए झारखण्ड पाठशाला के notification को ज्वाइन करें।
सहयोगी,
अमित कुमार सिंह