Economics class 12 Model paper 2022 Set 5

Economics class 12: Jharkhand Academic Council Rachi Model Question paper class 12, 2022. These model papers have been made for practice purposes. The language of this paper is Hindi. Questions are taken from NCERT Book.

Economics class 12 Model paper

Subject: Economics

Time: 3 Hours

Full Marks: 50

Pass marks: 33

Microeconomics: व्यष्टि अर्थशास्त्र : 50 Marks

Group-A: Multitple Choice Type Questions: 1×5 = 5

Q.1. बजट की ढाल होती है?
a. ऋण आत्मक✓
b. धनात्मक
c. A और B दोनों
d. इनमें से कोई नहीं

Q.2. दीर्घकालीन उत्पादन फलन का नाम है?
a. पैमाने का प्रतिफल ✓
b. परिवर्तनशील अनुपात का नियम
c. A और B दोनों
d. इनमें से कोई नहीं

Q.3. निम्न में से किस वक्र का आकार उल्टा U आकार का होता है?
a. औसत उत्पाद वक्र
b. सीमांत उत्पाद वक्र✓
c. कुल उत्पाद वक्र
d. इनमें से कोई नहीं

Q.4. अर्थशास्त्र को किस वर्ष व्यष्टि और समष्टि अर्थशास्त्र में विभाजित किया गया?
a. 1933✓
b. 1934
c. 1935
d. 1936

Q.5. साम्य कीमत पर-
a. मांग तथा पूर्ति बराबर होती है✓
b. मांग पूर्ति से अधिक होती है
c. पूर्ति मांग से अधिक होती है
d. इनमें से कोई नहीं

Group-B: Short Answer Type 1 Questions: 3×5 = 15

Q.6. बजट सेट क्या है?
Ans: एक उपभोक्ता का बजट सेट वस्तुओं के उन सभी संयोग के समूह को बताता है जिन्हें एक उपभोक्ता अपनी दी गई आय एवं वस्तुओं की कीमत के साथ खरीद सकता है। दूसरे शब्दों में, कोई उपभोक्ता अपने आए थे जिन वस्तुओं के समूह को खरीद सकता है वह उसका बजट सेट कहलाता है।

Q.7. पूर्ति के नियम को लिखे।
Ans: अन्य बातों के समान रहने पर जब किसी वस्तु की कीमत बढ़ती है तब उस वस्तु की पूर्ति की मात्रा बढ़ती है तथा कीमत के घटने पर पूर्ति की मात्रा घटती है। उल्टी और कीमत के बीच सीधा संबंध होता है. दूसरे शब्दों में, अधिक कीमत पर अधिक पूर्ति तथा कम कीमत पर कम पूर्ति ही, पूर्ति का नियम है।

Q.8. एकदिस्ट अभिमान से आप क्या समझते हैं?
Ans: यदि बंडल (x1, X2) व (y1,y2) उपभोक्ता के लिए उपलब्ध है और यदि बंडल (x1,X2) में बंडल (y1,y2) की तुलना में कम से कम एक वस्तु की इकाई अधिक है और दूसरी वस्तु की इकाइयों में कमी नहीं आती है, तो उपभोक्ता बंडल ( Y1,y2) की तुलना में बंडल (Y1, ye) को अधिक पसंद करेगा। इसे ही एकदिष्ट अधिमान कहा जाता है।

Q.9. उदासीन वक्र की किन्ही विशेषताओं को लिखें?
Ans: उदासीन वक्र की बहुत सारी विशेषताएं होती हैं जिनमें से कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित है:-
1. उदासीन वक्र को अधिमान वक्र तथा तटस्थता वक्र और (इंग्लिश में इंडेफरेंस कर्व) भी कहा जाता है।
2. यह वक्र बाएं से दाएं नीचे की और गिरता हुआ होता है।
3. दो अन अधिमान वक्र एक दूसरे को कभी नहीं काटते हैं।
4. ऊंचा वाला आनअधिमान वक्र नीचे वाले अधिमान वक्र की तुलना में संतुष्टि के उच्च स्तर को प्रदर्शित करता है।

Q.10. मिश्रित अर्थव्यवस्था क्या है?
Ans: मिश्रित अर्थव्यवस्था वह अर्थव्यवस्था होती है जिसमें केंद्रीय योजनाबद्ध और बाजार अर्थव्यवस्था दोनों का सह अस्तित्व पाया जाता है। इसमें उत्पादन उपभोग तथा निवेश संबंधित निर्णय बाजारी शक्तियों के स्वतंत्र अंतक्रिया के आधार पर लिया जाता है लेकिंग कीमत निर्धारण में सरकार का हस्तक्षेप होता है।

Group-C: Short Answer Type 2 Questions: 4×3 = 12

Q.11. उपभोक्ता संतुलन क्या है?
Ans: उपभोक्ता संतुलन यह दिखाता है कि उपभोक्ता अपनी सीमित आय को दो या अधिक वस्तुओं की कितनी इकाइयां खरीद कर अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करेगा। सैमुअल्सन के अनुसार “एक उपभोक्ता उस समय संतुलन में होता है जब वह अपनी दि हुई आय तथा बाजार कीमतों से प्राप्त वस्तु को अधिकतम कर लेता है”। दुसरे सब्दों में, एक उपभोक्ता उस समय संतुलन की अवस्था में होता है जब वह अपने वह पद्धति को वर्तमान परिस्थितियों में सबसे अच्छा मानता है और वह अपने व्यवहार में तब तक परिवर्तन करना नहीं चाहता जब तक कि वर्तमान परिस्थितियों में ही परिवर्तन ना हो।

Q.12. उत्पादन संभावना वक्र क्या है?
Ans: किसी भी अर्थव्यवस्था के समक्ष साधन सीमित होते हैं तथा इसके वैकल्पिक प्रयोग असीमित। जब इन्हीं साधनों के कुशलतम प्रयोग द्वारा कोई अर्थव्यवस्था दो वस्तुओं x एवं y उत्पादन कर रहा हो तो x वस्तु की उत्पादन मात्रा में वृद्धि करने पर y वस्तु के उत्पादन मात्रा में कमी होती है एवं इसके विपरीत y वस्तु के उत्पादन मात्रा में वृद्धि करने पर x वस्तु के उत्पादन मात्रा में कमी आती है। इस प्रकार उत्पादन के अनेक संभावनाएं उत्पन्न होती है जिसे उत्पादन संभावना के नाम से जाना जाता है। जब इन्हीं संभावनाओं को रेखा चित्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तो उसे उत्पादन संभावना वक्र कहते हैं। दूसरे शब्दों में, उत्पादन संभावना को प्रदर्शित करने वाला वक्र उत्पादन संभावना वक्र के नाम से जाना जाता है।

Q.13. अवसर लागत क्या है?
Ans: किसी साधन की अवसर लागत से हमारा अभिप्राय उस त्यागे गए लागत से है जिसे किसी श्रेष्ठ अवसर के चुनाव के लिए त्याग किया गया था। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति को दिए गए साधनों के दो विकल्प हैं एक गेहूं का उत्पादन और दूसरा चावल। गेहूं के उत्पादन में उसे 2,00,000 और चावल के उत्पादन में एक 1,00,000 लाभ प्राप्त होगा। ऐसी अवस्था में उत्पादक गेहूं के उत्पादन का चयन करेगा क्योंकि गेहूं के उत्पादन में उसे अधिकार लाभ प्राप्त होगी। अतः चावल का मूल्य गेहूं के मूल्य का अवसर लागत है।

Group-D: Long Answer Type Questions: 6×3 = 18

Q.14. उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताओं को लिखें?
Ans: उत्पादन संभावना वक्र की बहुत सारी मान्यताएं होती है जिनमें से कुछ प्रमुख मान्यताएं निम्नलिखित हैं:-
1. उत्पादन के साधनों की सीमित इस एवं स्थिर मात्रा: उत्पादन संभावना वक्र इस मान्यता पर आधारित है कि उत्पादन के साधन सीमित एवं स्थिर हैं इसे घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता लेकिन साधनों को एक उत्पादन से दूसरे उत्पादन में स्थानतरित किया जा सकता है।
2. उपलब्ध संसाधनों का कुल एवं कुशल प्रयोग: अर्थव्यवस्था में उपलब्ध संसाधनों का पूर्ण एवं कुशल प्रयोग किया जा रहा है।
3. स्थिर तकनीक: उत्पादन में श्रेष्ठ तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है अर्थात उसने कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता।
4. दो वस्तुएं: अध्ययन के सरलता से यह मान लिया जाता है कि अर्थव्यवस्था में केवल 2 वस्तुओं का उत्पादन किया जा रहा है।

Q.15. उत्पत्ति का नियम अथवा परिवर्तनशील अनुपात का नियम क्या है?
Ans: यह एक अल्पकालीन अवधारणा है. अल्पकाल में जब एक फर्म उत्पत्ति के कुछ साधनों को स्थिर मानकर अन्य साधनों के मात्रा में परिवर्तन करती है। तब उत्पादन की मात्रा में जो परिवर्तन होता है उसे उत्पत्ति के नियम या परिवर्तनशील अनुपात का नियम के नाम से जाना जाता है। इस नियम की तीन अवस्थाएं होती हैं-
1. उत्पत्ति का वृद्धि- शुरुआत में परिवर्तनशील उत्पादन के साधनों में जैसे-जैसे वृद्धि की जाती है साधनों की कार्य क्षमता में वृद्धि होती है, आंतरिक एवं बाह्य बचते होती है, स्थिर साधनों का अनुकूल प्रयोग होता है तथा सीमांत उत्पादकता तथा औसत उत्पादकता दोनों बढ़ने लगते हैं।
2. उत्पत्ति का समता नियम: साधनों के समान प्रतिफल या उत्पत्ति का क्षमता नियम से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें परिवर्तनशील संसाधनों की अतिरिक्त इकाइयों का प्रयोग करने से उनके सीमांत उत्पादकता में वृद्धि नहीं होती। इस स्थिति में सीमांत उत्पादन स्थिर हो जाता है। इसके फलस्वरूप कुल उत्पादन में वृद्धि समान दर से होता है।
3. उत्पत्ति का ह्रास नियम: साधन के घटते प्रतिफल की दशा तब उत्पन्न होती है जब परिवर्तनशील संसाधन का सीमांत उत्पाद घटने लगता है परिणाम स्वरूप कुल उत्पादन बढ़ती है लेकिन घटते दर से।

Q.16. किसी वस्तु की मांग को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या करें।
Ans: किसी वस्तु की मांग को प्रभावित करने के बहुत सारे तत्व होते हैं जिनमें से कुछ प्रमुख तत्व निम्नलिखित हैं:
1. वस्तु की उपयोगिता: किसी वस्तु की उपयोगिता उस वस्तु की मांगों को प्रभावित करता है।अधिक उपयोगिता वाली वस्तु की मांग अधिक तथा कम उपयोगिता वाली वस्तु की मांग कम होती है।
2. वस्तु की कीमत: अधिक कीमत वाली वस्तु की मांग कम तथा कम कीमत वाली वस्तु की मांग अधिक होती है।
3. उपभोक्ता की आय: उपभोक्ता की आय अगर अधिक है तो वह वस्तु की मांग अधिक करेगा तथा अगर उपभोक्ता की आय कम है तो वह वस्तु की मांग कम करेगा।
4. उपभोक्ता की रुचि: जिस वस्तु में उपभोक्ता की रूचि अधिक होती है उपभोक्ता उस वस्तु की मांग अधिक करता है तथा जिस वस्तु में उपभोक्ता की रुचि कम होती है उपभोक्ता वस्तुओं की मांग कम करता है।
5. भविष्य में कीमत परिवर्तन की आशंका: भविष्य में अगर किसी वस्तु की कीमत बढ़ने की आशंका होती है तो वर्तमान में उस वस्तु की कीमत बढ़ जाती है तथा इसके विपरीत भविष्य में अगर किसी वस्तु की कीमत घटने की आशंका होती है तो वर्तमान में उस वस्तु की कीमत घट जाती है।

Macroeconomics: समष्टि अर्थशास्त्र: 50 Marks

Group-A: Multitple Choice Type Questions: 1×5 = 5

Q.17. विश्व की महानमंदि किस वर्ष हुई थी?
a. 1929✓
b. 1930
c. 1931
d. 1932

Q.18. सबसे तरल संपत्ति किसे माना जाता है?
a. भवन
b. खेत
c. मुद्रा✓
d. इनमें से कोई नहीं

Q.19. MPC+MPS=
a. 1✓
b. 2
c. 0
d. 22

Q.20. भारत में वित्तीय वर्ष की अवधि क्या है?
a. 1 अप्रैल से 31 मार्च✓
b. 2 अप्रैल से 30 मार्च
c. 1 जनवरी से 31 दिसंबर
d. इनमें से कोई नहीं

Q.21. भारत में मुद्रा निर्गमन का कार्य कौन करता है?
a. केंद्रीय बैंक✓
b. व्यापारिक बैंक
c. स्टेट बैंक
d. इनमें से कोई नहीं

Group-B: Short Answer Type 1 Questions: 3×5 = 15

Q.22. राष्ट्रीय आय को परिभाषित करें
Ans: एक वित्तीय वर्ष में किसी देश के अंदर उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं तथा सेवाओं की मौद्रिक मूल्य तथा विदेशों से प्राप्त शुद्ध संसाधन आय के योग को राष्ट्रीय आय कहा जाता है। दूसरे शब्दों में, सकल घरेलू उत्पाद में विदेशों से प्राप्त शुद्ध संसाधन है जोड़ने पर राष्ट्रीय आय प्राप्त हो जाता है।

Q.23. केंद्रीय बैंक को परिभाषित करें
Ans: केंद्रीय बैंक देश की सर्वोच्च बैंक होती है जो देश में मुद्रा एवं साख का विकास नियमन एवं नियंत्रण राष्ट्र के आर्थिक विकास और आर्थिक स्थिरता के उद्देश्य से करती हैं। भारत का केंद्रीय बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया है जिसकी स्थापना 1 अप्रैल 1935 को एक प्राइवेट संस्था के रूप में हुआ था परंतु बाद में 1 जनवरी 1949 में इसका राष्ट्रीयकरण किया गया।

Q.24. प्रत्यक्ष कर को परिभाषित
Ans: प्रत्यक्ष कर वह कर है जो जिस व्यक्ति पर लगाया जाता है उसका भुगतान व्यक्ति को करना पड़ता है। यह कर प्रगतिशील होते हैं और आय में वृद्धि के साथ-साथ इसे वृद्धि होती है। यह कर अनिवार्य होता है इससे बचा नहीं जा सकता है। जैसे- आयकर उसी व्यक्ति को चुकाना होता है जिस पर इसे लगाया गया हो।

Q.25. समग्र मांग या सामूहिक मांग किसे कहते हैं?
Ans: एक अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की संपूर्ण मांग को सामूहिक मांग कहा जाता है और यह अर्थव्यवस्था के कुल व्यय के रूप में व्यक्ति की जाती है। इस प्रकार एक अर्थव्यवस्था में वस्तुओं एवं सेवाओं पर किए गए कुल व्यय के संदर्भ में सामूहिक मांग की माप की जाती है। सामूहिक मांग = उपभोग व्यय + निवेश व्यय।

Q.26. निवेश एवं निवेश फलन क्या है?
Ans: निवेश से अभिप्राय उस खर्चे से हैं जिसके द्वारा पूंजीगत पदार्थ हो जैसे मशीन, औजार, निर्माण हेतु कच्चा माल, भवन आदि के भंडारों में वृद्धि की जाती है। निवेश दो प्रकार का होता है: 1. स्वायत्त निवेश- जो ऑटोमेटिक खर्च होता है. 2. प्रेरित निवेश- आय के बढ़ने पर व्यक्ति खुद निवेश को बढ़ाने के लिए प्रेरित होता है।

Group-C: Short Answer Type 2 Questions: 4×3 = 12

Q.27. पूर्ण रोजगार क्या है? व्याख्या करें
Ans: समष्टि अर्थशास्त्र में पूर्ण रोजगार साम्यता की वह स्थिति है जिसमें वस्तुओं और सेवाओं की कुल मांग उनकी पूर्ति के बराबर होती है। इस स्थिति में किसी दिए हुए वास्तविक मजदूरी स्तर पर श्रम की मांग श्रम की पूर्ति के बराबर होती है और सभी कार्य करने योग्य एवं इच्छुक व्यक्तियों को प्रचलित मजदूरी दर पर रोजगार मिल जाता है। दूसरे शब्दों में, पूर्ण रोजगार वह दशा है जिस में प्रचलित मजदूरी दर पर कार्य करने योग्य एवं इच्छुक व्यक्तियों को कार्य मिल जाता है।

Q.28. भुगतान संतुलन क्या है? इसके विभिन्न खातों के नाम लिखिए
Ans: भुगतान संतुलन का संबंध किसी देश का शेष विश्व के साथ हुए आर्थिक लेनदेन के रिकॉर्ड से है। प्रत्येक देश विश्व के अन्य देशों के साथ आर्थिक लेन-देन करता है इस लेनदेन के फल स्वरुप उसे अन्य देशों से प्राप्तियां होती है तथा उसे अन्य देशों को भुगतान भी करना पड़ता है भुगतान शेष इन्हें प्राप्ति एवं भुगतान ओं का विवरण पत्र होता है। इसके खाते निम्नलिखित है- 1. चालू खाता, 2. पूंजी खाता।

Q.29. राष्ट्रीय आय की गणना की आय विधि का वर्णन करें
Ans: राष्ट्रीय आय की गणना के आय विधि के अंतर्गत उत्पादन के विभिन्न साधनों द्वारा उत्पादन में उनकी सेवाओं के प्रतिफल स्वरूप अर्जित किए जाने वाले भुगतान या साधनों की आय का योग किया जाता है। इस योगफल को सकल घरेलू उत्पाद कहते हैं। इसमें विदेशों से प्राप्त शुद्ध संसाधन आय जुड़ने से राष्ट्रीय आय प्राप्त होता है। इस प्रकार-
राष्ट्रीय आय= लगान + मजदूरी + ब्याज + लाभांश + अतिरिक्त लाभ + निगम लाभ कर + सार्वजनिक क्षेत्र का अवशेष + मिश्रित आय

Group-D: Long Answer Type Questions: 6×3 = 18

Q.30. राष्ट्रीय आय की गणना की उत्पाद या मूल्यवृद्धि विधि का वर्णन करें
Ans: उत्पाद विधि या मूल्यवृद्धि विधि वह विधि है जो एक लेखा वर्ष में किसी देश की घरेलू सीमा के अंदर प्रत्येक उत्पादक उद्यमों द्वारा उत्पादन में किए गए योगदान की गणना करके राष्ट्रीय आय को मापती है। इसकी गणना के लिए तीन चरणों से होकर गुजारना पड़ता है जो निम्नलिखित है:-
पहला चरण: उत्पादक उद्यमों की पहचान एवं उसका वर्गीकरण करना. इसमें अर्थव्यवस्था के विभिन्न उत्पादक इकाइयों की पहचान कर उसे निम्न भागों में बांटा जाता है- प्राथमिक क्षेत्र, द्वितीयक क्षेत्र तथा तृतीय क्षेत्र।
दूसरा चरण:; शुद्ध उत्पाद मूल्य वृद्धि की गणना करना. उत्पादक इकाइयों की पहचान तथा वर्गीकरण करने के पश्चात दूसरे चरण में प्रत्येक उद्यम द्वारा किए गए शुद्ध उत्पाद मूल्य वृद्धि की गणना की जाती है जिसके लिए निम्नांकित अनुमान लगाए जाते हैं-1. उत्पादन का मूल्य- प्रत्येक उद्यम के उत्पादन मात्रा को बाजार में प्रचलित कीमत से गुणा करके उत्पादन का मूल्य ज्ञात होता है. 2. मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य- मध्यवर्ती उपभोग के मूल्य का आकलन उद्यम द्वारा उत्पादन सामग्री एकत्र करने के लिए अदा किए गए कीमतों से किया जाता है. 3. स्थाई पूंजी का उपयोग- स्थाई पूंजी जैसे- भूमि, मशीन, भवन का किराया आदि के खर्च का आकलन करके उद्यम स्थाई पूंजी के उपभोग मूल्य को ज्ञात करता है. इसके बाद शुद्ध मूल्य वृद्धि को ज्ञात करने के लिए उत्पादन मूल्य में से मध्यवर्ती उपभोग का मूल्य, स्थाई पूंजी का उपभोग तथा अप्रत्यक्ष कर को घटा दिया जाता है.
तीसरा चरण- तीसरे चरण में प्राथमिक, द्वितीय तथा तृतीय क्षेत्र की कुल शुद्ध मूल्यवृद्धि को जोड़ा जाता है जिससे हमें साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद प्राप्त होता है।

Q.31. केंद्रीय बैंक क्या है? इसके कौन-कौन से कार्य हैं?
Ans: किसी देश का केंद्रीय बैंक उस देश की सर्वोच्च संस्था होती है जो देश के मौद्रिक एवं बैंकिंग ढांचे के केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करती है। केंद्रीय बैंक देश का शिखर बैंक होता है जो मुद्रा बाजार का नेतृत्व करने के साथ-साथ देश के व्यापारिक बैंक पर नियंत्रण रखते हैं। केंद्रीय बैंक देश की मौद्रिक नीति का निर्माता एवं संचालक होता है और देश में स्थिरता एवं आर्थिक विकास बनाए रखने के लिए उत्तरदाई भी होता है। केंद्रीय बैंक के कार्य निम्नलिखित हैं:-
1. नोट निर्गमन का एकाधिकार: प्रत्येक देश में नोट छापने का एकाधिकार केवल केंद्रीय बैंक को ही प्राप्त होता है और केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किए गए नोट सारे देश में पर सीमित विधिक ग्रह के रूप में घोषित होते हैं।
2. सरकार के आर्थिक परामर्शदाता: केंद्रीय बैंक सरकार की आर्थिक नीतियों जैसे घाटे का वित्त, व्यापार नीति, विदेशी विनिमय आदि मैं परामर्शदाता का कार्य करता है।
3. सरकार का बैंकर: व्यापारिक और सामान्य व्यक्तियों की तरह सरकार को भी सेवाओं की आवश्यकता पड़ती है केंद्रीय बैंक सरकार के बैंक के रूप में कार्य करती है ठीक वैसे ही जैसे एक व्यापारिक बैंक अपने ग्राहक के लिए करता है।
4. सरकार के प्रतिनिधि के रूप में: केंद्रीय बैंक सरकार का वित्तीय प्रतिनिधि भी होता है। सरकार जिन देशों से आर्थिक लेनदेन के समझौते करती है वे सब केंद्रीय बैंक के माध्यम से किए जाते हैं। 5.बैंकों का बैंक: केंद्रीय बैंक देश के अन्य बैंकों के लिए बैंकर का कार्य करता है। केंद्रीय बैंक अन्य बैंकों के नकद कोष का कुछ भाग अपने पास जमा के रूप में रखता है ताकि ग्राहकों की मांग होने पर वह उनके धन की अदायगी कर सकें। केंद्रीय बैंक व्यापारिक बैंकों का नकद कोर्स अपने पास रखते हैं इसलिए केंद्रीय बैंक को नकद को शो का संरक्षक भी कहा जाता है।

Q.32. मुद्रा के कोई दो कार्य को विस्तार से समझाएं
Ans: मुद्रा के प्रमुख दो कार्य निम्नलिखित हैं:
1. विनिमय का माध्यम: – मुद्रा विनिमय का एक महत्वपूर्ण साधन है। वस्तु एवं सेवाओं का विनिमय प्रत्यक्ष रूप से वस्तुओं एवं सेवाओं में ना होकर मुद्रा के माध्यम से होता है। मुद्रा के कारण मनुष्य को अपना समय और शक्ति ऐसे दूसरे व्यक्ति की खोज करने में नष्ट नहीं होती जिसके पास उसके आवश्यकता के वस्तु हो और वह उन वस्तुओं के बदले उन वस्तुओं को स्वीकार करने को तैयार हो जो पहले व्यक्ति के पास है। अंततः मुद्रा ने विनिमय के कार्य को बहुत ही सहज एवं सरल बना दिया है।
2. मूल्य का मापक: मुद्रा का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य वस्तुओं तथा सेवाओं के मूल्यों को मापने का है। वस्तु विनिमय प्रणाली की एक बड़ी कठिनाई यह निर्णय करना भी था कि एक वस्तु की दी हुई मात्रा के बदले दूसरी वस्तु की कितनी मात्रा प्राप्त होनी चाहिए। मुद्रा ने सामान्य मूल्यमापन का कार्य करके समाज को इस सुविधा से मुक्त कर दिया है।
3. भावी भुगतान ओं का आधार: आधुनिक युग में संपूर्ण आर्थिक ढांचा सख पर आधारित है और इसमें विभिन्न कार्यों के लिए लेनदन की आवश्यकता पड़ती है। ऋण का लेन देन मुद्रा के माध्यम से है होता है। इसलिए इस कार्य के लिए मुद्रा का प्रयोग किया जाता हैै।
4. मूल्य का संचय: मुद्रा का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य मूल्य के संचय का आधार है। वस्तुतः मुद्रा मूल्य संचय का भी साधन है। वस्तु विनिमय प्रणाली में धन संचय करने में कठिनाई होती थी मुद्रा के आविष्कार ने इस कठिनाई को दूर कर दिया है।

इन्हें भी देखें:

इन सभी प्रश्नों को वार्षिक परीक्षा को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। यदि आपको हमरी लेख से कोई फायदा मिला हो तो प्रोत्साहन के लिए अधिक से अधिक विद्यार्थियों के साथ साझा करें। नियमित रूप से जानकारी की सूचना प्राप्त करने के लिए झारखण्ड पाठशाला के notification को ज्वाइन करें।