समकालीन विश्व में सुरक्षा Samkalin Vishva me Suraksha Class 12 Political Science Chapter 7

Samkalin Vishva me Suraksha

Samkalin Vishva me Suraksha: Important Points

* सुरक्षा का अर्थ है मानव जीवन में व्याप्त खतरों को दूर करना ताकि मनुष्य शांतिपूर्ण जीवन यापन कर सकें।

* सुरक्षा की विभिन्न धारणाओं को दो भाग में रखा गया है – पारम्परिक व् अपारम्परिक।

* पारम्परिक अवधारणा के दो भाग है – बाहरी व् आतंरिक।

* बाहरी सुरक्षा की पारम्परिक अवधारणा के अंतर्गत खतरें का स्रोत कोई दूसरा मुल्क होता है जो सैन्य हमले की धमकी देकर सम्प्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे किसी देश के केंद्रीय मूल्यों के लिए खतरा पैदा करता है। सुरक्षा नीति का संबंध युद्ध की आशंका को रोकने में होता है, जिसे अपरोध कहा जाता है। देश की शक्ति संतुलन अपने पक्ष में रखने के लिए सैन्य शक्ति के साथ आर्थिक व प्रौद्योगिकी तगत बढ़ाने में लगे रहते है।

* सुरक्षा के पारम्परिक तरीके है – निशस्त्रीकरण, अस्त्र नियंत्रण तथा विश्वाश की बहाली।

* पारम्परिक सुरक्षा की आतंरिक अवधारणा के अंतर्गत देश के अंदर आतंरिक शांति और कानून व्यवस्था आती है। ऐसिया एवं अफ्रीका के नव स्वतंत्र देशों के सामने आंतरिक सैन्य संघर्ष, अलगाववादी आंदोलन और गृहयुद्ध की समस्याएँ रही है।

* सुरक्षा की अपारम्परिक धरना के अंतर्गत मानवीय अतित्व पर चोट करने वाले व्यापक खतरों और आशंकाओं को शामिल किया जाता है जैसे – अकाल, महामारी, वैश्विक तापवृद्धि व् आतंकवाद आदि।

* सुरक्षा के अपारम्परिक धरना के दो पक्ष है- मानवता की सुरक्षा व् विश्व सुरक्षा।

* सुरक्षा के अपारम्परिक धरना के अंतर्गत विश्व की सुरक्षा के समक्ष प्रमुख खतरे है- (1) आतंकवाद (2) मानव अधिकार (3) वैश्विक निर्धनता (4) शरणार्थियों की समस्या (5) बीमारियाँ जैसे- एड्स, बर्ड फ्लू , एवं सार्स आदि ।

* सहयोग मूलक सुरक्षा की अवधारणा अपारम्परिक खतरों से निपटने के लिए सैन्य संघर्ष के बजाय अंतराष्ट्रीय सहयोग से रणनीतियाँ त्यार करने पर बल दिया जाता है। यद्धपि अंतिम उपाय के रूप में बल बल प्रयोग किया जा सकता है।

* सहयोग मूलक सुरक्षा में विभिन्न देशों के अतरिक्त अंतराष्ट्रीय संगठन ( संयुक्त राष्ट्र संघ, विश्व बैंक आदि ), स्वयंसेवी संगठन ( रेडक्रॉस, एमनेस्टी इंटरनेशनल आदि ) व्यवसाहिक संगठन व प्रशिद्ध हस्तियाँ ( जैसे नेल्सन मंडेला, मदर टेरेसा आदि ) शामिल हो सकती है।

* भारत की सुरक्षा रणनीति के चार घातक हैं – (1) अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करना (2) अंतराष्ट्रीय संस्थाओं को मजबूत करना। (3) देश की आंतरिक सुरक्षा समस्याओं को निपटने की तयारी। (4) अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करना।

अति लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1. सुरक्षा की दृष्टि से संयुक्त राष्ट्र संघ की क्या स्थिति है?
Ans: किसी देश के भीतर हिंसा के खतरों से निपटने के लिए एक जानी – पहचानी व्यवस्था होती है- इसे सरकार कहते हैं। लेकिन, विश्व – राजनीति में ऐसी कोई केंद्रीय सत्ता नहीं जो सबके ऊपर हो। यह सोचने का लालच हो सकता है कि संयुक्त राष्ट्रसंघ ऐसी सत्ता है अथवा ऐसा बन सकता है। बहरहाल, फिलहाल अपनी बनावट के अनुरूप संयुक्त राष्ट्रसंघ अपने सदस्य देशों का दास है और इसके सदस्य देश जितनी सत्ता इसको सौंपते और स्वीकारते हैं उतनी ही सत्ता इसे हासिल होती है। अतः विश्व राजनीति में हर देश को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठानी होती है।

Q.2. किन्हीं पांच मानव अधिकारों के नाम लिखिए।
Ans: मानव अधिकारों के घोषणा – पत्र में 20 मानव अधिकारों की सूची सम्मिलित है जिसमें से कुछ महत्वपूर्ण अधिकार निम्नलिखित हैं –
(i) जीवन की सुरक्षा व स्वतंत्रता का अधिकार।
(ii) दासता व बंधुआ मजदूरी से स्वतंत्रता का अधिकार।
(iii) स्वतंत्र न्यायपालिका से न्याय प्राप्त करने की स्वतंत्रता का अधिकार।
(iv) विचार करने व पारिवारिक जीवन का अधिकार।
(v) कहीं भी आने-जाने व घूमने – फिरने की स्वतंत्रता का अधिकार।

Q.3. मानव अधिकारों से आप क्या समझते हैं? संयुक्त राष्ट्र ने मानव अधिकारों के घोषणा – पत्र को कब स्वीकृति दी?
Ans: मानव अधिकार उन अधिकारों को कहते हैं जो कि प्रत्येक मनुष्य को मानव होने के नाते अवश्य ही मिलने चाहिए।
संयुक्त राष्ट्र ने मानव अधिकारों की घोषणा – पत्र को 10 दिसंबर, 1948 ई. को स्वीकृति दी और प्रत्येक देश की सरकार से यह आशा की कि वह अपने नागरिकों को यह अधिकार प्रदान करेगी।

Q.4. वैश्विक तापवृद्धि विश्व में किस प्रकार खतरा उत्पन्न करता है?
Ans: वैश्विक ताप वृद्धि (global warming) विश्व के अनेक भागों में भौगोलिक खतरों को उत्पन्न करता है।
उदाहरण – वैश्विक तापवृद्धि से अगर समुंद्रतल 1.5 – 2.0 मीटर ऊंचा उठता है तो बांग्लादेश का 20% हिस्सा डूब जाएगा; कमोबेश पूरा मालदीव सागर में समा जाएगा और थाईलैंड की 50 फ़ीसदी आबादी को खतरा पहुंचेगा।

Q.5. ‘परमाणु युद्ध और उसके प्रभाव’ का संक्षिप्त विवरण लिखें।
Ans:(i) परमाणु अस्त्र न केवल युद्ध में लड़ने वाले देशों का बल्कि मानव मात्र का विनाश कर सकते हैं।
(ii) यदि सभी देशों की शक्ति इकट्ठे कर दें, जिनके पास परमाणु बम है, तो वह शक्ति इतना होगी कि सारे विश्व को कई बार नष्ट किया जा सकता है।
(iii) वैज्ञानिकों का विचार है कि यदि परमाणु बम का प्रयोग किया गया तो बम गिरने से रेडियोधर्मिता के बादल इतनी तेजी से उठेगै कि सुदूर स्थानों में रहने वाले करोड़ों लोग भी मारे जा सकते हैं।
(iv) यदि विश्व में परमाणु युद्ध हुआ, तो मानव जाति नष्ट हो जाएगी।

Q.6. राष्ट्रीय हितों के बदलने पर गठबंधन भी बदल जाते हैं। व्याख्या करें।
Ans:(i) संयुक्त राज्य अमेरिका ने 1980 के दशक में सोवियत संघ के विरुद्ध इस्लामी उग्रवादियों को समर्थन दिया।
(ii) परंतु ओसामा बिन लादेन के नेतृत्व में अलकायदा नामक समूह के आतंकवादियों ने जब 11 सितंबर, 2001 के दिन उस पर आक्रमण किया तो उसने उग्रवादियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

Q.7. सुरक्षा के पारंपरिक धारणा को स्पष्ट कीजिए।
Ans:(i) सुरक्षा की पारंपरिक अवधारणा में सैन्य खतरे को किसी देश के लिए सबसे अधिक खतरनाक माना जाता है।
(ii) इस खतरे का स्रोत कोई अन्य मूल्य होता है जो सैन्य आक्रमण की धमकी देकर संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता जैसे किसी देश के केंद्रीय मूल्य को खतरा करता है।

Q.8. शांति संतुलन का क्या महत्व है?
Ans:(i) प्रत्येक देश के आसपास कोई – ना – कोई शक्तिशाली देश होता है और उससे उसे हमले की आशंका बनी रहती है। इसलिए प्रत्येक सरकार दूसरे देश से अपने शक्ति संतुलन को लेकर बहुत संवेदनशील होती है।
(ii) प्रत्येक देश शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने के जोरदार प्रयास करती है ताकि उसकी स्थिति मजबूत बनी रहे।

Q.9. विश्व राजनीति में संयुक्त राष्ट्रसंघ एक केंद्रीय सत्ता है परंतु वह नियंत्रण करने में असफल है। वर्णन करें।
Ans: यह सही है कि विश्व राजनीति में संयुक्त राष्ट्रसंघ ऐसी सत्ता है अथवा ऐसी बन सकती है। परंतु बनावट के अनुरूप संयुक्त राष्ट्रसंघ अपने सदस्य देशों का दास है और इसके सदय देश जितनी सत्ता इसको सौंपते हैं और मानते हैं उतनी ही सत्ता उसे हासिल होती है। अतः विश्व राजनीति में प्रत्येक देश को अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद उठानी होती हैं।

Q.10. किस प्रकार के हथियारों के निर्माण को प्रतिबंध कर दिया गया है?
Ans: कुछ विशेष प्रकार के हथियारों के निर्माण को संधियों द्वारा प्रतिबंधित कर दिया गया है जो निम्नलिखित हैं-
(i) 1972 की जैविक हथियार संधि (Biological Weapon Convention)
(ii) 1992 कि रासायनिक हथियार संधि (Chemical Weapons Convention)।

Q.11. नवस्वतंत्र देशों के सामने सुरक्षा की चुनौती थी?
Ans:(i) इन देशों के आंतरिक भागो में अलगाववादी आंदोलन चल रहे थे ऐसे में देश के बंटवारे का भाय था।
(ii) इन देशों को यह भी डर था कि कोई अन्य देश इन अलगावादी आंदोलनो को हवा न दे। क्योंकि फिर पड़ोसी देश के साथ तनाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
इस प्रकार पड़ोसी देशों से युद्ध और आंतरिक संघर्ष नवस्वतंत्र देशों के सामने सुरक्षा की सबसे बड़ी चुनौती थी।

Q.12. एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि (ABM) क्या है?
Ans:(i) यह संधि 1972 में हुई थी। इसके अंतर्गत अमेरिका और सोवियत संघ को बैलेस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में प्रयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
(ii) संधि में दोनों देशों को सीमित संख्या में ऐसी रक्षा प्रणाली तैनात करने की अनुमति थी लेकिन इस संधि में दोनों देशों को ऐसी रक्षा प्रणाली के व्यापक उत्पादन पर रोक लगा दी।

Q .13. विश्व सुरक्षा की धारणा की उत्पत्ति कैसे हुई?
Ans:(i) विश्वव्यापी खतरे जैसे वैश्विक तापवृद्धि(Global warming) अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद, एड्स और बर्ड फ्लू जैसी महामारियो के मद्देनजर 1990 के दशक में विश्व धारणा की उत्पत्ति हुई।
(ii) कोई भी देश इन समस्याओं का समाधान अकेले नहीं कर सकता। इन स्थितियों का दूसरे देशों पर प्रभाव पड़ सकता है।

Q.14. नागरिक सुरक्षा और राज्य की सुरक्षा में क्या संबंध है?
Ans:(i) नागरिक सुरक्षा को राज्य सुरक्षा से श्रेष्ठ माना जाता है।
(ii) मानवता की सुरक्षा और राज्य की सुरक्षा एक – दूसरे के पूरक होने चाहिए और अक्सर होते भी हैं।
(ii) सुरक्षित राज्य में नागरिक भी सुरक्षित हो, जरूरी नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि विदेशियों से लोग अधिक अपनी सरकारों से मारे गये हैं।

Q.15. आंतरिक रूप से विस्थापित जन कौन लोग होते हैं?
Ans:(i) ये लोग ऐसे होते हैं जो अपना घर-बार छोड़ चुके हैं परंतु राष्ट्रीय सीमा के भीतर ही हैं ऐसे लोगों को ही ‘आंतरिक रूप से विस्थापित जान’ कहा जाता है।
(ii) उदाहरण -1990 के दशक के प्रारंभिक वर्षों में हिंसा से बचने के लिए कश्मीर घाटी छोड़ने वाले कश्मीरी पंडित ‘आंतरिक रूप से विस्थापित जान’ के उदाहरण है।

लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1. शक्ति संतुलन के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
Ans: शक्ति संतुलन का महत्व –
(i) सुरक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण तत्व शक्ति संतुलन है। इसके अंतर्गत किसी देश को अपनी शक्ति का विरोधी ताकतवर देश के बराबर करना होता है और शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में करना होता है।
(ii) यदि कोई देश ऐसा नहीं करता है कि ताकतवर देश उसके ऊपर आक्रमण कर सकता है और उसको विनाश की ओर ले जा सकता है।
(iii) शक्ति संतुलन के प्रति सभी सरकारें संवेदनशील होती है। कोई भी सरकार दूसरे देशों से शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में बैठाने के लिए जीतोड़ कोशिश करती है।
(iv) पड़ोसी, शत्रु या जिन देशों के साथ अतीत में लड़ाई हो चुकी हो, उसके साथ शक्ति संतुलन को अपने पक्ष में करने पर विशेष जोर दिया जाता है।
(v) शक्ति संतुलन बनाये रखने के लिए गठबंधन स्थापित करना जरूरी होता है। पूर्व सोवियत संघ और अमेरिका के गठबंधन के कारण विश्व में शक्ति संतुलन कायम था।

Q.2. परंपरागत सुरक्षा नीति के तत्वों का वर्णन करे।
Ans परंपरागत सुरक्षा नीति के तत्व –
(i) आत्मसमर्पण -परंपरागत सुरक्षा नीति का प्रथम तत्व आत्मसमर्पण है। इसमें विराधी पक्ष की बात बिना युद्ध किए मान लेना अथवा युद्ध से होने वाले नाश को बढ़ा – चढ़ाकर संकेत देना ताकि दूसरा पक्ष डर जाए और आक्रमण न करें। युद्ध होने पर उसे पराजित करना।
(ii) शक्ति संतुलन -परंपरागत सुरक्षा नीति का दूसरा तत्व शक्ति संतुलन है। इसके अंतर्गत किसी को अपनी शक्ति को विरोधी ताकतवर देश के बराबर करनी होती है और शक्ति संतुलन का पलड़ा अपने पक्ष में करना होता है।
(iii) सैन्य शक्ति में वृद्धि -शक्ति संतुलन के लिए किसी देश को अपनी सैन्य शक्ति बढ़ानी होती है। इसका आधार आर्थिक और प्रौद्योगिकी ताकत है।
(iv) गठबंधन निर्माण -प्रारंभिक सुरक्षा नीति का चौथा गठबंधन है। इसके अंदर कई देश होते हैं जो सैन्य हमले को रोकने अथवा उससे रक्षा करने के लिए एक साथ कदम उठाते हैं।

Q.3. किसी देश के लिए आंतरिक सुरक्षा क्यों जरूरी है?
Ans: किसी देश के लिए आंतरिक सुरक्षा की आवश्यकता –
(i) प्रत्येक देश के लिए आंतरिक शक्ति और कानूनी व्यवस्था अति आवश्यक है। आंतरिक शांति के अभाव में बाहरी आक्रमणों का सामना नहीं किया जा सकता।
(ii) द्वितीय विश्वयुद्ध के पश्चात इस पर जोर नहीं दिया गया। वस्तुत: इसका कारण यह था कि ताकतवर देशों में लगभग आंतरिक शासन स्थापित था।
(iii) 1945 के पश्चात संयुक्त राज्य अमेरिका और सोवियत संघ अपनी सीमा के अंदर एकीकृत और शांति संपन्न है।
(iv) अधिकांश यूरोपीय देशों विशेष रूप से पश्चिमी देशों के सामने अपनी सीमा के भीतर बसे समुदायों अथवा वर्गों से कोई गंभीर खतरा नहीं था। इसलिए इन देशों ने सीमा पार के खतरों पर ध्यान दिया।
(v) कुछ यूरोपीय देशों को अपने उपनिवेशो से जनता से हिंसा का भय था क्योंकि अब ये लोग आजादी चाहते थे।

Q.4. निशस्त्रीकरण शब्द को स्पष्ट कीजिए।
Ans: निशस्त्रीकरण का अर्थ है कि मानवता का संहार करने वाले अस्त्र – शस्त्रों का निर्माण बंद हो व आणविक शास्त्रों पर प्रतिबंध लगे। विश्व के अनेक देशों ने अणुबम तथा हाइड्रोजन बम बना लिए हैं और कुछ बनाने की तैयारी कर रहे हैं। इसे अंतरराष्ट्रीय शांति को दिन- प्रतिदिन खतरा बढ़ रहा है। एक देश द्वारा बनाए गए संहारक शस्त्रों का उत्तर दूसरा देश अधिक विनाशक शास्त्रों का निर्माण करके देता है। भारत प्रारंभ से ही निशस्त्रीकरण के पक्ष में रहा है। इस दृष्टि से संसार में होने वाले किसी भी सम्मेलन का भारत ने स्वागत किया है। 1961 ई. में भारत ने अणुबम न बनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्रसंघ की साधारण सभा में रखा था। जेनेवा में होने वाले निशस्त्रीकरण सम्मेलन में भारत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंत में हम यह कह सकते हैं कि निशस्त्रीकरण में ही विश्व का कल्याण निहित है।

Q.5. सुरक्षा के पारंपरिक तरीके कौन-कौन से हैं?
Ans: सुरक्षा के पारंपरिक तरीके-
(i) किसी देश को युद्ध उचित कारणों या आत्मरक्षा अथवा दूसरों को जनसंहार से बचाने के लिए करना चाहिए।
(ii) युद्ध में युद्ध साधनों का सीमित इस्तेमाल करना चाहिए।
(iii) आक्रमण सेना को चाहिए कि वह युद्ध न करने वाले शत्रु, निहत्थे व्यक्ति अथवा आत्मसमर्पण करने वाले शत्रु पर आक्रमण न करें।
(iv) सेना को उतने ही बल का प्रयोग करना चाहिए जितना एक सीमा तक आवश्यक हो और उसे एक सीमा तक ही हिंसा का सहारा लेना चाहिए।)बल प्रयोग तभी करना चाहिए जब अन्य सभी उपाय असफल हो गये हो।

Q.6. आतंकवाद सुरक्षा के लिए परंपरागत खतरे की श्रेणी में आता है या अपरंपरागत खतरे की श्रेणी में?
Ans: (i)आतंकवाद अपरंपरागत श्रेणी में आता है। आतंकवाद का आशय राजनीतिक खून – खराब से है जो जान – बूझकर और बिना किसी मुरोव्वत के नागरिकों को अपना निशाना बनाता है। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद एक से ज्यादा देशों में व्याप्त है और उसके निशाने पर कई देशों के नागरिक है।
(ii)कोई राजनीतिक संदर्भ या स्थिति नापसंद हो तो आतंकवादी समूह उसे बाल – प्रयोग अथवा बाल – प्रयोग की धमकी देकर बदलना चाहते हैं। जनमानस को आतंकित करने के लिए नागरिकों को निशाना बनाया जाता है और आतंकवाद नागरिकों के इस असंतोष का इस्तेमाल राष्ट्रीय सरकारों अथवा संघर्षों में शामिल अन्य पक्ष के खिलाफ करता है।
(iii) आतंकवाद के जन – परिचित उदाहरण है विमान अपहरण अथवा भीड़ भरी जगहो जैसे रेलगाड़ी, होटल, बाजार या ऐसी ही अन्य जगहों पर बम लगाना। सन 2001 के 11 सितंबर को आतंकवादियों ने अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला बोला। इस घटना के बाद से दूसरे मुल्क और वहां की सरकारे आतंकवाद पर ज्यादा ध्यान देने लगी है। बहरहाल, आतंकवाद कोई नयी परिघटना नहीं है। गुजरे वक्त में आतंकवाद की अधिकांश घटनाएं मध्यपूर्व, यूरोप, लातिनी अमेरिका और दक्षिण एशिया में हुई।

Q.7. परमाणु अप्रसार संधि (NPT) का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
Ans: परमाणु अप्रसार संधि –
(i)परमाणु अप्रसार संधि एक प्रकार की अस्त्र नियंत्रण संधि है जो 1968 में हुई थी।
(ii) इसके अंतर्गत परमाणु हथियारों के उपार्जन को नियमों और कानूनों के दायरे में खड़ा कर दिया।
(iii) जिन देशों ने 1967 से पूर्व परमाणु हथियार बना लिए थे या उनका परीक्षण करा लिया था उन्हें इस संधि के अंतर्गत इन हथियारों को रखने की अनुमति दे दी गई।
(iv) जो देश 1967 तक ऐसा नहीं कर पाये थे उन्हें ऐसे हथियारों को हासिल करने के अधिकार से वंचित किया गया।
(v) परमाणु अप्रसार संधि ने परमाणु हथियारों को समाप्त तो नहीं किया लेकिन इन्हें हासिल कर सकने वाले देशों की संख्या अवश्य काम कर दी।

Q.8. आतंकवाद से आपका क्या तात्पर्य है? उदाहरण दीजिए।
Ans: आतंकवाद का अर्थ एवं उदाहरण –
(i)आतंकवाद का आशय राजनीतिक हिंसा से है जिसमें निर्दयता से जनता की हत्या की जाती है। आतंकवाद से आज विश्व के कई देश ग्रस्त हैं।
(ii) कोई राजनीतिक संदर्भ या स्थिति नापसंद हो तो आतंकवादी समूह उसे बल प्रयोग की धमकी देकर बदलना चाहते हैं।
(iii) जनमत को आतंकित करने के लिए नागरिकों को निशाना बनाया जाता है।
(iv) आतंकवाद में नागरिकों के असंतोष का इस्तेमाल किया जाता है और राष्ट्रीय सरकारो अथवा संघर्षों में शामिल अन्य पक्ष के खिलाफ कार्रवाई की जाती है।
(v) आतंकवाद का प्रसिद्ध उदाहरण – विमान अपहरण, भीड़ भरी जगहों यथा – रेलगाड़ी, होटल, बाजार आदि पर बम से हमला किया जाता है।

Q.9. वैश्विक निर्धनता का वर्णन कीजिए।
Ans: वैश्विक निर्धनता –
(i)यह बड़े आश्चर्य की बात है कि गरीब देशों में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। विद्वानों का अनुमान है कि अगले 50 वर्षों में विश्व के सबसे गरीब देशों में आबादी 3 गुना बढ़ेगी जबकि इसी अवधि में अनेक धनी देशों की आबादी घटेगी।
(ii) प्रति व्यक्ति उच्च आय और जनसंख्या की कम वृद्धि के कारण धनी देश अथवा सामाजिक समूहों को और धनी बनने में मदद मिलती है जबकि प्रति व्यक्ति निम्न आय और जनसंख्या की तीव्र वृद्धि एक साथ मिलकर गरीब देशों और सामाजिक समूहो की ओर गरीब बनाते हैं।
(iii) दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों में असमानता बड़े पैमाने पर बढ़ी है। सहारा मरुस्थल विश्व का सबसे गरीब इलाका है। उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में इतनी असमानता नहीं है।
(iv) इसी असमानता के दक्षिणी गोलार्द्ध के लोग बेहतर जीवन संबंध और आर्थिक अवसरों की तलाश में उत्तरी गोलार्द्ध के देशों में प्रवास कर रहे हैं।

Q.10. एच.आई.वी. एड्स के दुष्प्रभाव का वर्णन कीजिए।
Ans: एच.आई.वी. एड्स का दुष्प्रभाव –
(i)एच.आई.वी. एड्स, बर्ड फ्लू और सार्स जैसी महामारिया अप्रवास, व्यवसाय, पर्यटन और सैन्य अभियानों के द्वारा बड़ी तेजी से विभिन्न देशों में फैली है।
(ii) इन बीमारियों के फैलाव को रोकने में किसी एक देश की सफलता अथवा असफलता का प्रभाव दूसरे देशों में होने वाले संक्रमण पर पड़ता है।
(iii) एक अनुमान के अनुसार विश्व में 4 करोड़ लोग एच.आई.वी. एड्स से प्रभावित हो चुके थे। इसमें 2/3 आबादी अफ्रीका में रहती है जबकि शेष 50% दक्षिण एशिया में है।
(iv) उत्तरी अमेरिका तथा अन्य औद्योगिक देशों में उपचार की नई विधियां खोजी गई है जिससे एच.आई.वी. एड्स से होने वाली मृत्यु दर कम हुई है परंतु अफ्रिका में ऐसा उपचार संभव नहीं हो सका है। अफ्रीका को अधिक गरीब बनाने में एच.आई.वी. ऐड्स प्रमुख घटक रहा है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1.सुरक्षा के पारंपरिक तरीके कौन-कौन से हैं? वर्णन करें।
Ans: सुरक्षा के पारंपरिक तरीके निम्नलिखित हैं:

निशस्त्रीकरण: निशस्त्रीकरण की मांग होती है कि सभी राज्य चाहे उनका आकार, ताकत और प्रभाव कुछ भी हो, कुछ खास किस्म के हथियारों से बाज आए। उदाहरण के लिए 1972 की जैविक हथियार संधि, बायोलॉजिकल वेपंस कन्वेंशन तथा 1992 की रासायनिक हथियार संधि में ऐसे हथियारों को बनाना और रखना प्रतिबंधित कर दिया है। पहली संधि पर 100 से ज्यादा देशों ने हस्ताक्षर किए हैं और इनमें से 14 को छोड़कर शेष ने दूसरी संधि पर भी हस्ताक्षर किए इन दोनों संधि पर दस्तखत करने वालों ने सभी महाशक्तियां शामिल है लेकिन महा शक्तियां अमेरिका तथा सोवियत संहार के अस्त्र यानी परमाण्विक हथियार का विकल्प नहीं छोड़ना चाहते इसलिए दोनों ने नियंत्रण का सहारा लिया।

अस्त्र नियंत्रण: नियंत्रण के अंतर्गत हथियारों को विकसित करने अथवा हासिल करने के संबंध में कुछ कायदे कानून का पालन करना पड़ता है सन 1972 की एंटी बैलेस्टिक मिसाइल संधि अमेरिका और सोवियत संघ को बैलिस्टिक मिसाइलों को रक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल करने से रोका ऐसे प्रक्षेपास्त्र ओर से हमले की शुरुआत की जा सकती थी संधि में दोनों देशों को सीमित संख्या में ऐसी रक्षा प्रणाली तैनात करने की अनुमति थी लेकिन इस संधि में ने दोनों देशों को ऐसे रक्षा प्रणाली के व्यापक उत्पादन से रोक दिया।

विश्वास की बहाली: सुरक्षा का पारंपरिक धारणा से यह बात भी माने गई है कि विश्वास बहाली के उपायों से देशों के बीच हिंसाचार कम किया जा सकता है विश्वास बहाली की प्रक्रिया में सैन्य टकराव और प्रतिद्वंदिता वाले देश सूचनाओं तथा विचारों के नियमित आदान-प्रदान का फैसला करते हैं 2 देश एक दूसरे को अपने फौजी मकसद तथा एक हद तक अपने सैन्य योजनाओं के बारे में बताते हैं ऐसा करके भेज देश अपने प्रतिद्वंदी की इस बात का आश्वासन देते हैं कि उनकी तरफ से और तक हमले की योजना नहीं बनाई जा रही है।

Q.2.सुरक्षा के खतरो के नए स्रोतों का वर्णन करें।
Ans:सुरक्षा के नए खतरे निम्नलिखित हैं:

आतंकवाद: आज मानव को आतंकवाद से सुरक्षा की सबसे अधिक आवश्यकता है और आतंकवाद दुनिया के किसी एक भाग्य शेत्र में ही सीमित नहीं है बल्कि समस्त संसार में फैला हुआ है आज अमेरिका के नागरिक इससे परेशान हैं इंग्लैंड के नागरिक से परेशान हैं आतंकवाद का अर्थ है अपने राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए गोली बब्बू मान आदि का प्रयोग करके बेगुनाह लोगों बच्चों तथा महिलाओं की मौत के घाट उतारना संपत्ति को नष्ट करना सार्वजनिक उपयोग की वस्तुओं तथा सेवाओं को नष्ट करना जैसे रेलवे बस आदि को नष्ट करना।

विश्वव्यापी निर्धनता: मानवता को गरीबी और कुपोषण से भी बहुत बड़ा खतरा है गरीबी और कुपोषण के कारण व्यक्ति अपने जीवन का विकास करना तो दूर की बात अपना अस्तित्व बनाए रखने में भी कठिनाई अनुभव करते हैं अनुमान है कि संसार की कुल जनसंख्या का तीन चौथाई भाग सबसे गरीब देशों में रहता है। कुल जनसंख्या का लगभग 50% भाग पूरे देश को भारत चीन पाकिस्तान बांग्लादेश नाइजीरिया तथा इंडोनेशिया में रहता है इनमें कोई भी देश विकसित देश की सूची में नहीं आता स्पष्ट है कि विश्व की अधिकतर जनसंख्या गरीबी और गरीबी के कारण कुपोषण बीमारी निम्न स्तरीय जीवन कृषि और उद्योगों की बुरी दशा आदमी का शिकार है।

असमानता: आज मानवता की सुरक्षा में असमानता को भी एक बड़ा खतरा माना जाता है असमानता की दृष्टि से संसार दो भागों में बांटा गया है संसार का उत्तरी भाग जो अमीर हैं और दक्षिणी भाग जो गरीब है इन दोनों भागों में असमानता की खाई बड़ी चौड़ी है गरीबी के कारण इन देशों के नागरिक अपने जीवन का विकास अच्छी प्रकार से नहीं कर पाते बेरोजगारी के कारण दक्षिण के लोग रोजगार के अच्छे अवसर तथा अच्छे जीवन स्तर की प्राप्ति हेतु विकसित देशों में अर्थात उत्तरी भाग के देशों में जाते हैं वहां उसके साथ असमानता का बर्ताव नहीं होता सभी अमीर देशों ने प्रवासियों के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए बड़े कड़े नियम लागू किए हैं।

Q.3.भारत की सुरक्षा नीति का वर्णन करें।
Ans:सभी देश के अपने आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के लिए, सुरक्षा के नए खतरे को दूर करने के लिए अपने नीति बनाते हैं और उन उपायों का निश्चय करते हैं जिनके अनुसार सुरक्षा व्यवस्था की जाती है इसे सुरक्षा की रणनीति कहा जाता है भारत की सुरक्षा की रणनीति की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

सुरक्षा सलाहकार: भारत सरकार ने एक सुरक्षा सलाहकार की नियुक्ति की भारत की सुरक्षा संबंधी मामलों पर विचार करते समय समय पर सुरक्षा को होने वाले खतरों उनके समाधान के उपायों के बारे में सरकार की सलाह देता रहता है किसी ऐसे व्यक्ति को इस पद पर नियुक्त किया जाता है जो सुरक्षा संबंधी मामलों का विशेषज्ञ हो यह पद संवैधानिक पद नहीं है और ना ही स्थाई रूप से नियुक्ति की जाती है क्योंकि हर सरकार का सुरक्षा पर दृष्टिकोण नहीं होता और समय परिवर्तन अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के संबंध में बदलती रहती है सरकार बनने से प्रकार बदल जाता है।

सैन्य शक्ति तथा सैनिक क्षमता को मजबूत करना: भारत में बाहरी आक्रमणों तथा युद्धों से बचाव के लिए अपनी सैन्य शक्ति और उसकी क्षमता को मजबूत बनाने की नीति आरंभ से ही अपनाई है। भारत को 2 कारणों से यह नीति अपनानी पड़ी। प्रथम, जब भारत स्वतंत्र हुआ तो देश के अंदरूनी हालात अच्छे नहीं थे हिंदू मुस्लिम उपद्रव जोरों पर थे भारत और पाकिस्तान के बीच जनसंख्या की अदला बदली में रक्तपात हुआ था आंतरिक सुरक्षा मजबूत नहीं थी इसके साथ ही भारत को स्वतंत्रता मिलते ही पाकिस्तान से युद्ध करना पड़ा जब पाकिस्तान ने कश्मीर पर आक्रमण करके उसकी एक बड़े भाग पर अपना कब्जा कर लिया। आज भी उस में से बहुत सभा पाकिस्तान के कब्जे में है और इसे पाक अधिकृत कश्मीर कहा जाता है। इसके बाद भी भारत के पाकिस्तान के साथ दो और युद्ध करने पड़े इसके बाद भी आज तक पाकिस्तान भारत पर हमले करता रहता है।

अंतरराष्ट्रीय संगठनों संस्थाओं तथा अंतरराष्ट्रीय कानूनों को मजबूत बनाना: भारत ने अपनी सुरक्षा के रणनीति में यह भी अपनाया की अंतरराष्ट्रीय संगठनों संसारत अंतरराष्ट्रीय कानूनों तथा नियमों को मजबूत बनाने में योगदान करें क्योंकि इनके मजबूती से देशों की बारिश रक्षा मजबूत होती है भारत में उपनिवेशीकरण का समर्थन किया सभी राष्ट्र की राष्ट्रीय स्वतंत्रता को उनका जन्म सिद्ध अधिकार माना है निशस्त्रीकरण का समर्थन किया है और साम्राज्यवाद का विरोध किया है यदि संयुक्त राष्ट्र संघ मजबूत होता है तो किसी देश को पड़ोसी देश पर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं हो सकती।

Q.4.तीसरी दुनिया के देशों द्वारा समानता की मांग की विवेचना करें।
Ans:संसार में आर्थिक असमानता भी अपनी चरम सीमा पर है। अधिकतर विकासशील और विकसित और पिछड़े हुए देश गरीबी और अभाव का जीवन जीते हैं जबकि कुछ विकसित देशों के पास धन का बाहुल्य है और इतनी अधिक साधन है कि विधान को लुटा दे सकते हैं संसार में आर्थिक संसाधनों की त्रुटिपूर्ण वितरण है। तीसरी दुनिया के देशों में स्वतंत्रता के साथ राष्ट्रीय चेतना में उत्पन्न हुई गुटनिरपेक्ष आंदोलन ने तीसरी दुनिया स्वतंत्र तथा नवनिर्मित राज्य को अपनी ओर आकर्षित किया और उन्होंने भी महसूस किया कि किसी एक अमीर तथा संपन्न गुट में मिलने से अच्छा है गुटनिरपेक्ष जाकर स्वतंत्रता तथा स्वाभिमानी के साथ रहना वहां की जनता ने अपने लिए भी स्वतंत्रता तथा अधिकारों की मांग की और अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भी अपनी समानता की सिद्धांत को बनाए रखने के लिए आवाज उठाई यह भी विचार और जोर पकड़ने लगा कि विकासशील देशों की सहायता करना अमीर देशों का कर्तव्य है और यह एक सहायता उन्हें बीच के रूप में नहीं देनी चाहिए। अब तो विकासशील देश संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी समानता के सिद्धांत को लागू करने की बात करने लगे और कई देशों ने सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य ने बीजों के अधिकार को भी समाप्त किए जाने की मांग की है विकासशील देशों ने नई अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की जो मांग की है वह भी समानता की मांग पर आधारित है अमीर और गरीब संसार के दो भाग्य और संसार का भविष्य अतः दोनों हर प्रकार की समानता का होना और दोनों का आपस में समानता के आधार पर व्यवहार करना आवश्यक है विश्व में पहली असमानता समस्त मानव जाति के लिए उचित नहीं है।

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