कानूनों कि समझ विषय सामाजिक विज्ञान अध्याय 4

कानूनों कि समझ: इस अध्याय में हम कक्षा 8 की राजनीतिक विज्ञान की अध्याय 4 कानूनों की समझ के सभी महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर पढ़ेंगे। इस अध्याय में जानेंगे कि क्या कानून सभी पर लागू होते है? नए कानून किस तरह अस्तित्व में आते है? क्या कोई कानून अलोकप्रिय या विवादस्पद भी हो सकता है? आदि। यहाँ दिए गए सभी प्रश्न उत्तर कक्षा 8 कि वार्षिक परीक्षा की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है।

कानूनों कि समझ लघु उत्तरीय प्रश्न

Q.1. कानून के शासन से क्या अभिप्राय है?
Ans: कानून के शासन से मतलब है कि सभी कानून देश के सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है। कानून के ऊपर कोई व्यक्ति नही है। चाहे वह सरकारी अधिकारी या धन्नासेठ या फिर स्वयं राष्ट्रपति ही क्यों न हो। हमारा कानून धर्म, जाति और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नही करता है।

Q.2. 1870 का राजद्रोह एक्ट क्या है?
Ans: 1870 का राजद्रोह एक्ट अंग्रेजी शासन के मनमानेपन कि एक मिसाल है। इस कानून में राजद्रोह कि परिभाषा बहुत व्यापक थी। इसके मुताबिक अगर कोई भी व्यक्ति ब्रिटिश सरकार का विरोध या आलोचना करता था तो उसे बिना मुकदमा चलाए गिरफ्तार किया जा सकता था।

Q.3. 2005 का हिन्दू उत्तराधिकारी संशोधन कानून क्या है?
Ans: 2005 का हिन्दू उत्तराधिकारी संशोधन कानून के अनुसार बेटे, बेटियाँ एवं उनकी माँ तीनों को परिवार कि संपत्ति में बराबर का हिस्सा मिल सकता है।

Q.4. नए कानून किस तरह बनते है?
Ans: कानून बनाने में संसद कि एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह प्रक्रिया कई तरह से आगे बढ़ती है। आमतौर पर समाज के विभिन्न समूह ही किसी खास कानून के लिए आवाज उठाते है। यह संसद की जिम्मेदारी है कि वह लोगों के प्रति आ रही समस्याओ के प्रति संवेदनशील हो।
किसी भी कानून को बनाने में जनता कि भागीदारी महत्वपूर्ण होती है। जनता ही अपनी समस्याओ को सुलझाने के लिए नए कानून कि मांग करती है। फिर इस नए कानून की सिफ़ारिसों को राज्यसभा में पेश किया जाता है। इन सिफारिशों को लोकसभा में भी पेश किया जाता है। जब दोनों सदनों कि मंजूरी मिल जाती है तब उसे राष्ट्रपति के पास स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है। राष्ट्रपति कि स्वीकृति मिलने के बाद यह कानून बन जाती है।

Q.5. राजद्रोह से क्या तात्पर्य है?
Ans: जब सरकार को ऐसा लगता है की उसके खिलाफ प्रतिरोध पैदा हो रहा है या विद्रोह किया जा रहा है तो उसे राजद्रोह कहा जाता है। ऐसी स्थिति में सरकार को किसी कि गिरफ़्तारी के लिए ठोस सुबूत की जरूरत नहीं होती 1870 के राजद्रोह एक्ट अंतर्गत अंग्रेज सरकार राजद्रोह की बहुत वायापक परिभाषा का प्रयोग करती है लिहाजा वे इस कानून के तहत किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करके जेल में डाल सकते थे। राष्ट्रवादी नेता इस कानून को मनमाना मानते थे क्योंकि बहुत सारे लोगों को गिरफ़्तारी से पहले वजह भी नहीं बताई जाती थी। उन्हे बिना मुकदमा चलाए ही जेल में डाल दिया जाता था।

Q.6. इतिहासकार इस दावे को गलत ठहराते है कि भारत में कानून का शासन आँरेजों ने शुरू किया था। इसके कारणों में से दो कारण बताइए।
Ans: इतिहासकार इस दावे को गलत ठहराते है कि भारत में कानून का शासन आँरेजों ने शुरू किया था। इसके कारणों में से दो कारण निम्नलिखित है:
1. एक कारण तो यह था कि औपनिवेशिक कानून मनमानेपन पर आधारीत था।
2. दूसरी कारण यह थी कि ब्रिटिश भारत में कानूनी मामलों के विकास में भारतीय राष्ट्रवादियों ने एक अहम भूमिका निभाई थी।

Q.7. यदि संसद कोई अलोकप्रिय कानून पारित कर दे तों जनता उसका विरोध किस प्रकार कर सकती है?
Ans: यदि संसद कोई अलोकप्रिय कानून पारित कर दे तों जनता उसका विरोध में जन सभाएं कर सकते है, उसकी आलोचना कर सकते है, अखबारो में लिख सकते है, टीवी चेनलों में रिपोर्ट भेज सकते है। जब बहुत सारे लोग यह मानने लगते है कि गलत कानून पारित हो गया है तों संसद भी उस कानून पर दुबारा विचार करने पर मजबूर हो जाती है।

Q.8. ‘दमनकारी’ शब्द का अर्थ स्पष्ट करे।
Ans: स्वतंत्र और स्वाभाविक विकास या अभिव्यक्ति को रोकने के लिए सख्ती से नियंत्रण स्थापित करने को दमन कहते है। इस अध्याय में उन कानूनों को दमनकारी कहा गया है जो लोगों को बहुत निर्माम ढंग से नियंत्रित करते है और उन्हे सभा करने व अपनी बात कहने सहित मौलिक अधिकारों का इस्तेमाल करने से भी रोक देते है।

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