देसी जनता को सभ्य बनाना राष्ट्र को शिक्षित करना: नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित प्रश्न उत्तर। देशी जनता को सभ्य बनाना, या पाठ कक्षा 8 के इतिहास विषय की अध्याय 8 से ली गयी है। झारखण्ड पाठशाला, जो आपके मेहनत की कदर करता है। हमारा यही लक्ष्य है की मेहनत करने वाले बच्चो के लिए एक शिक्षा का मंच उपलब्ध करना।
देशी जनता को सभ्य बनाना: महत्वपूर्ण स्मरणीय तथ्य:
- विलियम जॉन्स ने एशियाटिक सोसाइटी ऑफ़ बंगाल की स्थापना किया था और साथ ही साथ एशियाटिक रिसर्च नामक शोध पत्रिका का भी प्रकाशन शुरू किया।
- 1781 में अरबी, फारसी तथा इस्लामिक कानूनों के अध्ययन को बढ़ावा देने के लिए कलकत्ता में मदरसा खोला गया।
- 1791 में बनारस में हिंदू कॉलेज की स्थापना की गई।
- जेम्स मिल और थॉमस मेकाले भारत में यूरोपीय शिक्षा को बढ़ावा देना चाहते थे।
- सन 1835 में अंग्रेजों का शिक्षा अधिनियम पारित किया गया।
- रवींद्रनाथ टैगोर ने 1901 में शांतिनिकेतन की स्थापना की थी।
देशी जनता को सभ्य बनाना NCERT प्रश्न उत्तर:
Q.1. निम्नलिखित के जोड़े बनाए:
विलियम जॉन्स | अंग्रेजी शिक्षा का प्रोत्साहन |
रवींद्रनाथ टैगोर | प्राचीन संस्कृति को सम्मान |
टॉमस मैकाले | गुरु |
महात्मा गांधी | प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा |
पाठशाला | अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध |
उत्तर-
विलियम जॉन्स | प्राचीन संस्कृति का सम्मान |
रवींद्रनाथ टैगोर | गुरु |
टॉमस मैकाले | अंग्रेजी शिक्षा को प्रोत्साहन |
महात्मा गांधी | अंग्रेजी शिक्षा के विरुद्ध |
पाठशाला | प्राकृतिक परिवेश में शिक्षा |
Q.2. निम्नलिखित में सही या गलत बताएं:
- जेम्स मिल प्राच्यवादियों के घोर आलोचक थे।
सही - 1854 के शिक्षा संबंधी डिस्पेच में इस बात पर जोर दिया गया था कि भारत में उच्च शिक्षा का माध्यम अंग्रेजी होना चाहिए।
सही - महात्मा गांधी मानते थे कि साक्षरता बढ़ाना ही शिक्षा का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
गलत - रवींद्रनाथ टैगोर को लगता था कि बच्चों पर सख्त अनुशासन होना चाहिए।
गलत
देशी जनता को सभ्य बनाना आईये विचार करें:
Q.3. विलियम जॉन्स को भारतीय इतिहास, दर्शन और कानून का अध्ययन क्यों जरूरी दिखाई देता था?
उत्तर- विलियम जॉन्स भारत के प्रति गहरा आदर भाव रखते थे। उनका मानना था कि भारतीय सभ्यता प्राचीन काल में अपने वैभव के शिखर पर थी परंतु बाद में उसका पतन होता चला गया। उनकी राय में भारत को समझने के लिए प्राचीन काल में लिखे गए यहां के पवित्र और कानूनी ग्रंथों को खोजना वह समझना बहुत जरूरी था। उनका मानना था कि हिंदुओं और मुस्लिमों के असली विचारों व कानूनों को इन्हीं रचनाओं के माध्यम से समझा जा सकता है और इन रचनाओं के पुनः अध्ययन से ही भारत भावी विकास का आधार पैदा कर सकता है।
Q.4. जेम्स मिल और थॉमस मैकाले ऐसा क्यों सोचते थे कि भारत में यूरोपीय शिक्षा अनिवार्य है?
उत्तर- जेम्स मिल और थॉमस मैकाले ऐसा सोचते थे कि भारत में यूरोपीय शिक्षा अनिवार्य है उनके अनुसार अंग्रेजों को देश की जनता को खुश करने और उसका दिल जीतने के लिए जनता की इच्छा के हिसाब से या उसकी भावनाओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा नहीं देनी चाहिए उनकी राय में शिक्षा के जरिए व्यवहारिक चीजों का ज्ञान दिया जाना चाहिए इसलिए भारतीयों को पूरी समाजों के काव्य और धार्मिक साहित्य की बजाय यह पढ़ाया जाना चाहिए कि पश्चिम में किस तरह की वैज्ञानिक और तकनीकी सफलताएं हासिल कर ली है। उनके अनुसार भारत से यूरोप की शिक्षा को बढ़ावा देने से यहां के लोग पश्चिमी विज्ञान और दर्शन के क्षेत्रों में हुए विकास से अवगत हो पाएंगे इस प्रकार उनका कहना था कि अंग्रेजी पढ़ाना लोगों को सभ्य बनाने, उनकी रूचियो, मूल्यों और संस्कृति को बदलने का रास्ता हो सकता है।
Q.5. महात्मा गांधी बच्चों को हस्तकलाएं क्यों सिखाना चाहते थे?
उत्तर- महात्मा गांधी बच्चों को हस्तकलाएं सिखाना चाहते थे क्योंकि गांधी जी का तर्क था कि शिक्षा से व्यक्ति का दिमाग और आत्मा विकसित होनी चाहिए इसके लिए तो लोगों को हाथ से काम करना पड़ता है, हुनर सीखने पड़ते हैं और यह जानना पड़ता है कि विभिन्न चीजें किस तरह काम करती है।इससे उनका मस्तिष्क और समझने की क्षमता दोनों विकसित होती है। गांधीजी के अनुसार शिक्षा का मतलब इस बात से है कि बालक और मनुष्य के देह, मस्तिष्क और भावना के बेस्ट तत्वों को सामने लाया जाए। महात्मा गांधी बच्चों को शिक्षित करते हुए सबसे पहले उन्हें कोई उपयोगी हस्तकौशल सीखाने का तथा उन्हें शुरू से ही कुछ रचने, पैदा करने के लिए तैयार करने का विचार रखते थे उनके अनुसार दिमाग और आत्मा का सर्वोच्च विकास इस तरह की शिक्षा में ही संभव है।
Q.6. महात्मा गांधी ऐसा क्यों सोचते थे कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों को गुलाम बना दिया है?
उत्तर- महात्मा गांधी का मानना था कि अंग्रेजी शिक्षा ने भारतीयों को गुलाम बना दिया है उनका कहना था कि अपने शिक्षा में भारतीयों के मस्तिष्क में हीनता का बोध पैदा कर दिया है इसके प्रभाव में आकर यहां के लोग पश्चिमी सभ्यता को श्रेष्ठतर मानने लगे हैं और अपनी संस्कृति के प्रति उनका गौरव भाव नष्ट हो गया। महात्मा गांधी की मान्यता थी कि शिक्षा केवल भारतीय भाषाओं में ही दी जानी चाहिए उनके मुताबिक अंग्रेजी में दी जा रही शिक्षा भारतीयों को अपाहिज बना देती है उनके अनुसार विदेसी भाषा बोलने वाले, स्थानीय संस्कृति से घृणा करने वाले अंग्रेजी शिक्षित भारतीय अपनीजनता से जुड़ने के तौर तरीके भूल चुके थे। महात्मा गांधी का कहना था कि पश्चिमी शिक्षा मौखिक ज्ञान की बजाय केवल पढ़ने और लिखने पर केंद्रित है गांधी का तर्क था कि शिक्षा से व्यक्ति का दिमाग और आत्मा विकसित होनी चाहिए। उनकी राय में केवल साक्षरता यानि पढ़ने और लिखने की क्षमता पर लेना की शिक्षा नहीं होती और यूरोपिय शिक्षा इसी पर आधारित थी।
दिशी जनता को सभ्य बनाना महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर:
Q.1. भाषाविद किसे कहते हैं?
उत्तर- भाषाविद ऐसे शख्स को कहा जाता है, जो कई भाषाओं की जानकारी रखता है।
Q.2. मदरसा किसे कहते हैं?
उत्तर- सीखने के स्थान को अरबी भाषा में मदरसा कहा जाता है यह किसी भी तरह का कोई स्कूल या कॉलेज या कोई और संस्थान हो सकता है।
Q.3. प्राच्यवादी किसे कहते हैं?
उत्तर- प्राच्यवादी वैसे लोगों को कहा जाता है जिसे एशिया की भाषा तथा वहां की संस्कृति का गहन ज्ञान हो।
Q.4. शांतिनिकेतन की स्थापना किसने किया था?
उत्तर- सन 1901 में रवींद्रनाथ टैगोर ने शांतिनिकेतन की स्थापना किया था क्योंकि रविंद्र नाथ टैगोर जब बच्चे थे तो उन्हें स्कूल का परिवेश पसंद नहीं था इसलिए वे चाहते थे कि बच्चों को ऐसा परिवेश मिले जहां पर वे खुश रहे, जहां वे मुक्त और रचनाशील हो, जहां पर अपने विचारों और आकांक्षाओं को समझ सके। वह अंग्रेजों द्वारा स्थापित की गई शिक्षा व्यवस्था के कड़े और बंधनकरी अनुशासन से मुक्त होना चाहिए।
कक्षा 8 अन्य पाठ भी पढ़े:
- जब जनता बगावत करती है 1857 और उसके बाद (jab janata vidroh karti hai 1857 aur uske baad)
- आदिवासी, दीकू और एक स्वर्ण युग की कल्पना(Aadiwasi, diku aur ek swarn yug ki kalpana)
- बुनकर लोहा बनाने वाले और फैक्ट्री मालिक।
- व्यापार से साम्राज्य तक अध्याय 2 इतिहास कक्षा 8
- गुरुत्वाकर्षण Class 9th Science Chapter-10 Ncert