Niyojit vikas ki rajnit: नियोजित विकास की राजनीति स्वतंत्र भारत में राजनीति पुस्तक से ली गयी है। इसमें सभी महत्वपूर्ण प्रश्न का समाधान दिया गया है। सभी प्रश्न झारखण्ड अधिविध परिषद् राँची द्वारा संचालित पाठ्यक्रम पर आधारित है। Ek dal ke prabhutv ka daur chapter2 book2 ncert solutions.
Niyojit vikas ki rajnit: अति लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. आजादी के बाद आर्थिक विकास के प्रमुख दृष्टिकोण कौन-कौन से थे?
Ans: आजादी के बाद भारत के सामने आर्थिक विकास की बड़ी चुनौती थी जिसने अनेक प्रकार की आर्थिक समस्याएं थी जिन को दूर करने के लिए कई प्रकार की विधियां तथा मॉडल थे जिन्हें सब कुछ प्रमुख निम्न है:
1. समाजवादी सिद्धांत- समाजवादी चिंतक भारत की अर्थव्यवस्था का निर्माण समाजवादी सिद्धांतों पर करना चाहते थे जिससे समाज में व्याप्त असमानता अन्याय तथा शोषण को दूर किया जा सके।
2.उदारवादी पूंजीवादी- सिद्धांत उदारवादी चिंतक खुली तथा मार्केट अर्थव्यवस्था का निर्माण करना चाहते थे जिससे राज्य के कम से कम नियंत्रक व हस्तक्षेप से आर्थिक विकास किया जा सके।
Q.2.मिश्रित अर्थव्ययस्थ सिध्दांत से आप क्या क्या समझते है?
Ans: मिश्रित अर्थव्ययस्था वह अर्थव्ययवस्था होती है जिसमे आर्थिक गतिविधियों दोनों ही अर्थात निजी क्षेत्र तथा सार्वजनिक क्षेत्र में की जाती है निजी क्षेत्र में राज्य का हस्तक्षेप व नियंत्रण न्यूनतम होता है आर्थिक गतिविधियां खुली प्रतियोगिता के आधार पर की जाती हैं यह पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को जन्म देता है दूसरी और सार्वजनिक क्षेत्र वह क्षेत्र होता है जहां पर आर्थिक गतिविधियों में राज्य का अधिक से अधिक नियंत्रण व हस्तक्षेप होता है इसमें लोगों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर चीजों का उत्पादन किया जाता है भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया गया था 1990 तक भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का दबदबा रहा परंतु 1990 के बाद भारत में निजी क्षेत्र का महत्व बढ़ रहा है 2007 से 8 वर्ष में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ गई है।
Q.3. प्रथम पंचवर्षीय योजना का मुख्य क्षेत्र क्या था?
Ans: प्रथम पंचवर्षीय योजना का समय 1951 से लेकर 1956 का था जिसका निर्माण श्री K N राज ने किया था क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है इसलिए इस प्रथम योजना में प्राथमिकता के तौर पर कृषि को महत्व दिया गया कृषि की स्थिति बहुत खराब थी जमीन की सिंचाई के साधन उपर्युक्त नहीं थे प्रत्येक प्राकृतिक स्थल पर ही स्थिति चलती थी अधिकांश भाग जमीन का कोई उपयोग नहीं हो रहा था अधिकांश लोग ग्रामों में रहते थे जिनका संबंध जमीन व कृषि से था इसलिए प्रथम योजना में कृषि विकास को ज्यादा प्राथमिकता दी गई।
Q.4. भूमि सुधार से आप क्या समझते हैं?
Ans:भूमि सुधार से बताएं भूमि के स्वामित्व में परिवर्तन लाना है दूसरे शब्दों में भूमि सुधार में भूमि के स्वामित्व के प्रणाम विचरण को शामिल किया जाता है.
Q.5. चकबंदी से क्या लाभ है?
Ans: चकबंदी कृषकों को उन्नत किस्मे के आदनों का सहयोग करने में सहायता मिलती है। तथा वे कम से कम प्रयत्नों से उच्च उत्पादन करने में सफल होते हैं। इससे उत्पादन लागत में कमी भी आती है।
Q.6. हरित क्रांति के मुख्य उपलब्धियां लिखेँ।
Ans: हरित क्रांति भारत में उस समय हुआ जब भारत एक बड़े खाद्य संकट से गुजर रहा था हरित क्रांति की निम्न उपलब्धियां है:
- खाद्य पैदावार में वृद्धि
- कृषि में विज्ञान का प्रयोग
- कृषि में अधिक से अधिक जमीन को लाया गया
- किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारी गई
- कृषि का मशीनीकरण किया गया
- उन्नत बीज बनाने व रासायनिक खाद्य बनाने वाले कारखाने लगे।
Q.7. जमींदारी उन्मूलन से होने वाले दो लाभ लिखें।
Ans: 1. कृषक का शोषण होना बंद हो गया
2. कृषि उत्पाद में वृद्धि हुई
Q.8. चकबंदी से क्या अभिप्राय है?
Ans: चकबंदी से अभिप्राय ऐसी प्रक्रिया से है जिसके द्वारा एक भूस्वामी के इधर-उधर बिखरे हुए खेतों के बदले में लगभग उसी किस्म के उतने ही आकार के एक या दो खेत इकट्ठे दे दिया जाता है।
Q.9. कृषि में सुधार लाने के लिए क्या प्रयत्न किए गए?
Ans: असमानता को दूर करने के लिए भूमि सुधार किया गया तथा उत्पादन में वृद्धि लाने के लिए उन्नत बीजों का प्रयोग किया गया सिंचाई सुविधाओं का विस्तार किया गया कृषि में आधुनिक मशीनों तथा उपकरणों का प्रयोग किया गया।
Q.10. उड़ीसा में लोहा इस्पात उद्योग की स्थापना का वहां के आदिवासियों ने प्रतिरोध किया था?
Ans: लौह अयस्क के ज्यादातर भंडार उड़ीसा के सर्वाधिक अविकसित इलाकों में है खासकर इस राज्य के आदिवासी बहुल जिलों में। आदिवासियों को डर है कि अगर यहां उद्योग लग गए तो उन्हें अपने घर बाढ़ से विस्थापित होना पड़ेगा और आजीविका भी छिन जाएगी।
Q.11. जे. सी. कुमारप्पा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
Ans: जे. सी. कुमारप्पा का जन्म 1892 में हुआ। इनका असली नाम जे. सी. कार्नेलियस था। इन्होंने अर्थशास्त्र तथा चार्टर्ड अकाउंटेंट कि भी अमेरिका में शिक्षा प्राप्त की थी। वह महात्मा गांधी के अनुयाई थे। आजादी के बाद उन्होंने गांधीवादी आर्थिक नीतियों को लागू करने का प्रयास किया। एक योजना आयोग के सदस्य के रूप में उन्हें ख्याति मिली।
Q.12. योजना से आप क्या समझते हैं?
Ans: योजना से अभिप्राय किसी ने निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किए गए प्रयत्नों से हैं. नियोजन के अंतर्गत देश की वर्तमान स्थिति को देखते हुए लक्ष्य रखे जाते हैं जिसकी प्राप्ति के लिए देश में और देश के बाहर सभी साधन जुटाए जाते हैं उद्देश्य की प्राप्ति तथा साधनों के जुटाने के लिए संबंधित देश की आर्थिक सामाजिक स्थिति को देखते हुए विकास की यह रचना निर्धारित की जाती है.
Q.13. भारत में आजादी के बाद पहले दो दशकों में आर्थिक विकास की कौन सी नीति अपनाई गई और क्यों?
Ans: यद्यपि भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया गया लेकिन आर्थिक विकास के क्षेत्र में भारत में अधिक जोर सार्वजनिक क्षेत्र में रहा जिसके कारण अधिकांश आर्थिक गतिविधियां राज्य के नियंत्रण में की गई इसका सबसे बड़ा कारण यह था कि भारत में संविधान की भावना के अनुरूप भारतीय अर्थव्यवस्था को समाजवादी सिद्धांतों के आधार पर बनाना था ताकि वर्षों से चली आ रही गरीबी बेरोजगारी तथा सामाजिक व आर्थिक असमानता को दूर किया जा सके इस कारण इन दशकों में निजी क्षेत्र को सीमित भूमिका दी गई.
Q.14. द्वितीय पंचवर्षीय योजना की प्राथमिकता क्या थी?
Ans: द्वितीय पंचवर्षीय योजना का कार्यकाल 1956 से 1962 तक का था प्रथम पंचवर्षीय योजना के बाद यह महसूस किया गया कि बिना औद्योगिक विकास की रफ्तार को तेज किए बिना भारत के मोल समस्या जैसे गरीबी बेरोजगारी तथा क्षेत्रीय असंतुलन को दूर नहीं किया जा सकता अतः द्वितीय पंचवर्षीय योजना में औद्योगिक विकास को प्राथमिकता दी गई तथा आर्थिक विकास की गतिविधियों को तेज किया गया इस योजना में भारत की अर्थव्यवस्था में रचनात्मक व संगठनात्मक परिवर्तन किए गए.
Q.15. हरित क्रांति से आप क्या समझते हैं?
Ans: भारत में 1960 के दशक में अनाज तथा अन्य खाद्यान्न का गंभीर संकट था. खाद्यान्न के अभाव के कारण अमेरिका से पीएल 480 के तहत अनाज आयात करना पड़ा खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से कुछ एक अन्य राज्यों में जहां स्रोत उपलब्ध विज्ञान तथा तकनीक का प्रयोग उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग करके अनाज की पैदावार बढ़ाने का प्रयास किया गया इसमें रासायनिक खाद तथा दवाइयों का भी प्रयोग किया गया इस प्रकार से अनाज पैदावार में बढ़ोतरी को हरित क्रांति कहा गया.
Niyojit vikas ki rajnit: लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. मिश्रित अर्थव्यवस्था के प्रमुख विशेषताएं बताइए।
Ans: भारत में आजादी के बाद दो प्रकार की विचारधाराओं के आधार पर भारत के आर्थिक विकास के लिए प्रतियोगिता तथा बहस जारी था समाजवादी चिंतन के लोग अधिक गतिविधियां सार्वजनिक क्षेत्र में चाहते थे जबकि उदारवादी चिंतक पूंजीवादी के विस्तार के पक्षधर थे इस विवाद को समाप्त करने के लिए मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया गया। मिश्रित अर्थव्यवस्था के निम्न विशेषताएं हैं:
- आर्थिक गतिविधियां दोनों क्षेत्रों में चलाए जाने की व्यवस्था अर्थात निजी क्षेत्र तथा सार्वजनिक क्षेत्र में भी थी।
- निजी क्षेत्र की सरकार की नीतियों के नियमों के तहत ही काम करता है।
- दोनों ही क्षेत्रों को विकसित करने के अवसर
- राज्य की ही अंतिम जिम्मेदारी सामाजिक तथा आर्थिक विकास की होती है।
Q.2. जमीन सुधार से आप क्या समझते हैं इसका क्या महत्व था?
Ans: आजादी के बाद कृषि के क्षेत्र में पैदावार का सबसे बड़ा कारण यह था कि जमीन का ना तो सही प्रबंधन था और ना ही इसका समुचित प्रयोग किया जा रहा था जिसके नाम पर जमीन थी वह उस पर खेती नहीं करते थे तथा जो वास्तव में खेती करते थे उनके नाम पर जमीन नहीं होती थी इसका कारण यह था कि जमीन का उचित प्रयोग भी नहीं हो पाता था इन सभी को दूर करने के लिए भारत में आजादी के बाद जमीन सुधार कार्यक्रम चलाया गया जिसके तहत जमीन की चकबंदी की गई जमीनदारी प्रणाली को समाप्त किया गया जो अपने आप में एक बड़ा कदम था इसके अलावा जमीन पर सीलिंग लगाकर यह निश्चित किया गया कि एक नाम पर अधिक से अधिक कितनी जमीन हो सकती है इस प्रकार से कृषि के क्षेत्र से मैं संबंध बदले व जमीन की उपयोगिता दी चढ़ी।
Q.3. वामपंथी और दक्षिणपंथी के अर्थ स्पष्ट कीजिए।
Ans: वामपंथी:- प्रायः वामपंथ का उल्लेख करते हुए उन लोगों को दलों की ओर संकेत किया जाता है जो प्रायः साम्यवादी व समाजवादी, माओवादी लेनिन वादी, नक्सलवादी, प्रजा समाजवादी आदि दल स्वयं को इसी विचारधारा के पक्षधर तथा उस पर चलने के लिए कार्यक्रम तथा नीतियां बनाते हैं। प्रायः यह गरीब तथा पिछड़े सामाजिक समूह की तरफदारी करते हैं वह इन्हीं वर्गों को लाभ पहुंचाने वाली सरकारी नीतियों का समर्थन करते हैं।
दक्षिणपंथी:- इस विचारधारा से उन लोगों या दलों की ओर इंगित किया जाता है जो यह मानते हैं कि कोई प्रतिस्पर्धा और बाजार मुल्क अर्थव्यवस्था के द्वारा नहीं प्रगति हो सकती है अर्थात सरकार को अर्थव्यवस्था में गैर जरूरी हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए भूतपूर्व स्वतंत्र पार्टी भारतीय जनसंख्या वर्तमान भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को दक्षिण तंत्र की राजनीति पार्टियां कहा जाता है वर्तमान भारतीय जनता दल तथा ज्यादातर एनडीए सुधीर दल भी दक्षिणपंथी हैं।
Q.4. भारत ने योजना पद्धति को क्यों चुना?
Ans: देश की आर्थिक विकास की गति को तीव्र करने के लिए भारत ने योजना पद्धति को चुनाव आर्थिक विकास की गति को तीव्र करने का आर्थिक नियोजन के अतिरिक्त दूसरा विकल्प स्वतंत्र बाजार व्यवस्था है जिसके अंतर्गत उत्पादक सभी क्रियाएं लाभ की दृष्टि से करता है परंतु यह व्यवस्था भारत के लिए निम्नलिखित कारणों से अनुपयुक्त थी:
- भारत में आय में भारी असमानता पाई जाती है उत्पादन धनी व्यक्तियों के लिए किया जाता जाएगा क्योंकि उनके पास वस्तुएं खरीदने की शक्ति है।
- अधिकांश व्यक्ति निर्धन होने के कारण साख, पैसे उपयोग वस्तुओं पर खर्च कर देंगे और बचत नहीं होगी।
- निर्धन व्यक्तियों के लिए आवास, शिक्षा, चिकित्सा आदि की ओर ध्यान नहीं दिया जाएगा क्योंकि वह आर्थिक दृष्टि से लाभदायक नहीं है।
- इस बात की संभावना है कि दीर्घकालिक आर्थिक बातों को ध्यान ना दिया जाए और आधारभूत और भारी उद्योग आदि।
Q.5. हरित क्रांति के विषय में कौन-कौन सी आशंकाएं थी? क्या वे आशंकाएं सच निकली?
Ans: हरित क्रांति के विषय में दो भ्रांतियां थी:
- हरित क्रांति से अमीरों तथा गरीबों में विषमता बढ़ जाएगी क्योंकि बड़े जमींदारों ही इच्छित अनुदानओं का क्रय कर सकेंगे और उन्हें ही हरित क्रांति का लाभ मिलेगा और वे अधिक ध्वनि हो जाएंगे निर्धनों को हरित क्रांति से कुछ लाभ नहीं होगा।
- उन्नत बीज वाली फसलों पर जीव जंतु आक्रमण करेंगे।
यह दोनों भ्रांतियां सच नहीं हुई क्योंकि सरकार ने छोटे किसानों को निम्न ब्याज दर ऋणों की व्यवस्था की और रासायनिक खादों पर आर्थिक सहायता दी ताकि वह भी उन्नत बीज तथा रासायनिक खाद्य सहायता से सरलता से खरीद सके और उनका उपयोग कर सके जीव जंतुओं के आक्रमणों को भारत सरकार द्वारा स्थापित अनुसंधान संस्थान की सेवाओं द्वारा कम कर दिया गया।
Q.6. पंचवर्षीय योजनाओं के चार प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।
Ans: पंचवर्षीय योजनाओं के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
आर्थिक समृद्धि, आधुनिकीकरण, आत्मनिर्भरता तथा न्याय।
- आर्थिक समृद्धि से अभिप्राय निरंतर सकल घरेलू उत्पाद तथा प्रति एकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि है। लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने के लिए आर्थिक समृद्धि आवश्यक होता है। सकल घरेलू उत्पाद में मुख्यता 3 क्षेत्रों का योगदान होता है। किसी अर्थव्यवस्था में प्राथमिक क्षेत्र तथा अर्थव्यवस्था में द्वितीय तथा तृतीय क्षेत्र का आर्थिक विकास होने पर कृषि क्षेत्र का योगदान घटता जाता है और अन्य क्षेत्रों का योगदान बढ़ता जाता है।
- आधुनिकीकरण उत्पादन में नई तकनीकी का प्रयोग करना तथा सामाजिक दृष्टिकोण में परिवर्तन का आधुनिकीकरण कहलाता है।
- आत्मनिर्भरता से अभिप्राय उन वस्तुओं के आयात से बचना है जिन का उत्पादन देश के अंदर किया जा सकता है न्याय तथा समता न्याय से अभिप्राय है संपत्ति तथा आय की विषमता को कम करना और प्रत्येक के लिए आधारभूत सुविधाओं की व्यवस्था करना।
Q.7. द्वितीय पंचवर्षीय योजना का प्रमुख प्राथमिकता का क्षेत्र क्या था?
Ans: दूसरी पंचवर्षीय योजना का समय 1956 से 1961 तक का था इसके निर्माता पीसी महालनोविस थे इस योजना का प्राथमिक क्षेत्र औद्योगिक विकास का था पहली योजना का मूल मंत्र तंत्र द्वितीय पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य तेज गति से संरचनात्मक बदलाव करने की थी यद्यपि प्रथम पंचवर्षीय योजना में खाद्य की पूर्ति के लिए कृषि विकास को आवश्यक समझा गया था परंतु द्वितीय पंचवर्षीय योजना में गरीबी व बेरोजगारी को दूर करने के लिए औद्योगिक विकास को जरूरी समझ आ गया तथा इसे प्राथमिक स्थान दिया गया रोजगार को ही लोगों के जीवन स्तर को उठाने के लिए आवश्यक समझा गया औद्योगिकरण पर दिए गए इस बल ने भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास को एक नया आयाम दिया.
Q.8. नियोजित आर्थिक विकास की राजनीति से आप क्या समझते हैं ?
Ans: देश की आजादी के बाद विभिन्न सामाजिक – आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए व उपलब्ध स्रोतों का उचित प्रयोग करने के लिए एक निश्चित तकनीकी विधि की आवश्यकता थी जिस पर विचार करने व निर्णय लेने की प्रक्रिया विभिन्न स्तर पर प्रारंभ हुई। इसी को ही नियोजित आर्थिक विकास की राजनीति करते हैं। विभिन्न दृष्टिककोणो व विचारधाराओं के समर्थक अपने-अपने तकनीकों से इस बात का प्रयास कर रहे थे कि भारत की समस्याओं का हल उनकी विचारधाराओं के माध्यम से हो सकता है। विकास का कार्यक्रम जब प्रारंभ हुआ तो विभिन्न स्तर पर कई प्रकार के विवाद पैदा हो गये। नियोजको व स्थानीय लोगों में विवाद पैदा हुए। इस प्रकार विकास की प्रक्रिया का राजनीतिकरण हो गया।
Niyojit vikas ki rajnit: दीर्घ उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. हरित क्रांति तथा इसके राजनीतिक इतिहास विषय पर टिप्पणी लिखें।
Ans: हरित क्रांति: हरित क्रांति से अभिप्राय कृषि के उत्पादन तकनीकों को सुधारने तथा कृषि में तीव्र वृद्धि करने पर है। हरित क्रांति के मुख्य तत्व थे- रासायनिक खादों का प्रयोग, उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग, सिंचाई सुविधाओं में विस्तार, कृषि का मशीनीकरण आदि। हरित क्रांति के प्रयासों के फलस्वरूप कृषि क्षेत्र में बहुमुखी प्रगति हुई है। कृषि क्रांति से पूर्व देश की भारी मात्रा में खाद्यानों को आयात करना पड़ता था जबकि आज हमारा देश इस क्षेत्र में लगभग आत्मनिर्भर हो गया है। यद्यपि राष्ट्र को हरित क्रांति से लाभ हुआ परंतु प्रयोग की जाने वाली तकनीकी जोखिम से मुक्त नहीं थी। इसके बारे में संक्षेप में दो संशय थे- छोटे किसानों के बीच असमानता बढ़ जाएगी और उन्नत किस्म के बीजों पर जीव जंतु शीघ्र आक्रमण करते हैं परंतु यह दोनों संशय नहीं निकले।
हरित क्रांति के राजनैतिक त्याग- भुखमरी राज्य की स्थिति से भारत खाद्यान्न निर्माण करने वाले राज्य के रूप में परिवर्तित हो गया इस गतिविधि ने राष्ट्रों के सौहार्द से विशेषकर तीसरी दुनिया से काफी प्रशंसा प्राप्त की। हरित क्रांति उन तत्वों में से एक था जिसने श्रीमती इंदिरा गांधी तथा उनके दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भारत में एक शक्तिशाली राजनीतिक शक्ति बना डाला हरित क्रांति सभी हिस्सों और जरूरतमंद किसानों को फायदा नहीं पहुंचा सकी 1950 से 1980 के बीच भारत की अर्थव्यवस्था सालाना 3% की धीमी रफ्तार से आगे बढ़ी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में भ्रष्टाचार और कुशलता का जोर बड़ा नौकरशाही की सार्वजनिक क्षेत्र अथवा नौकरशाही के प्रति शुरू शुरू में लोगों में गहरा विश्वास था लेकिन बदले हुए माहौल में यह विश्वास टूट गया जनता का भरोसा टूटता देख नीति निर्माताओं ने 1980 के दशक के बाद से अर्थव्यवस्था में राज्य की भूमिका को कम कर दिया.
Q.2. दूसरी पंचवर्षीय योजना के आधार पर किए गए औद्योगिकरण में प्रारंभिक वर्षों में कौन-कौन सी समस्याएं सामने आई?
Ans: द्वितीय पंचवर्षीय योजना में गरीब तथा बेरोजगारी जैसी समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से औद्योगिक विकास पर जोर दिया गया जबकि पत्नी योजना कृषि विकास को प्राथमिकता मिले औद्योगिकरण की प्रक्रिया के प्रारंभिक चरणों में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि भारत प्रौद्योगिकी की दृष्टि से पिछड़ा हुआ था अतः विश्व बाजार से तकनीकी खरीदने के लिए अपने बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च करने पड़े क्योंकि इस योजना में कृषि को उचित प्राथमिकता नहीं मिल पाई अतः खाद्यान्न संकट बढ़ गया भारत में योजना कारों को उद्योग तथा कृषि के बीच संतुलन साधन में भारी कठिनाई आई इसके अलावा औद्योगिकरण की नीति के संबंध में भी योजना कारों व अन्य विशेषज्ञ में मतभेद था कुछ लोग कृषि से जुड़े उद्योगों के पक्ष में थे तथा अन्य भारत के विकास के लिए भारी उद्योगों की स्थापना के पक्ष में थे इसके अलावा औद्योगिकरण की नीति को लागू करने में भी स्थानीय लोगों के विरोध का भी सामना करना पड़ा अनेक सामाजिक संगठनों तथा वातावरण बचाओ अभियान से जुड़े लोगों ने भी औद्योगिकरण का विरोध किया.
Q.3. प्रथम पंचवर्षीय योजना का प्रमुख क्षेत्र क्या था?
Ans: प्रथम पंचवर्षीय योजना का समय 1951 से 1956 तक का था इस समय देश की आर्थिक दशा ठीक नहीं थी खाद्य के क्षेत्र में अत्यधिक अभाव था देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार खेती को ही माना जाता था देश का अधिकांश भाग ग्रामों में था जो की खेती पर निर्भर रहते थे अतः कृषि के विकास को ही प्रथम पंचवर्षीय योजना में प्राथमिकता मिली प्रथम पंचवर्षीय योजना के मुख्य निर्माताओं में केएन राज थे उनका मानना था कि प्रारंभिक दशकों में आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी रखनी चाहिए क्योंकि तेज रफ्तार से आर्थिक विकास को नुकसान होगा इस योजना से बांध निर्माण और सिंचाई के क्षेत्र में निवेश किया गया कृषि कोई भारत में विभाजन का सबसे अधिक खामियाजा उठाना पड़ा भाखड़ा नांगल जैसी विशाल परियोजनाओं के लिए बड़ी धनराशि निश्चित की गई थी इन सभी का उद्देश्य सिंचाई के साधन बनाकर कृषि के क्षेत्र में पदावल बनाना था क्योंकि अभी तक अनाज के पैदा व भजन संध्या में एक बड़ा अंतर था कृषि पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर करती थी अतः इस स्थिति में प्रथम पंचवर्षीय योजना में कृषि विकास पर प्राथमिकता देना आवश्यक था इस योजना में ही जमीन सुधार जैसे कार्यक्रम प्रारंभ किए गए थे तथा अधिक से अधिक जमीन को कृषि के लिए तैयार किया गया था.
Q.4. आजादी के बाद आर्थिक विकास के संबंध में कौन सी प्रमुख धारणा है वह विधियां थी?
Ans: जब देश आजाद हुआ तो कई प्रकार की सामाजिक व आर्थिक समस्याएं हमें ब्रिटिश साम्राज्यवाद तथा उपनिवेशवाद की विरासत से मिली जिनमें प्रमुख रूप से गरीबी बेरोजगारी क्षेत्रीय असंतुलन तथा अनपढ़ता आदि थी वास्तव में यह समस्याएं उस समय के नेतृत्व के सामने बड़ी चुनौतियां थी विभिन्न स्तरों पर इस पर लंबी बहस हुई कि इन सामाजिक तथा आर्थिक समस्याओं को हल करने के लिए विकास का कौन सा मॉडल अपनाया जाए उस समय दुनिया में प्रमुख रूप से दो मॉडल प्रचलित हैं एक तो समाजवादी मॉडल तथा दूसरा ऑप्शन उदारवादी पूंजीवादी मॉडल यद्यपि भारत में समाजवादी चिंतन का व्यापक प्रभाव था परंतु उदारवादी विचारधारा के आधार पर स्वतंत्र अर्थव्यवस्था के समर्थक मौजूद थे कांग्रेस में अनेक नेता यहां तक कि पंडित जवाहरलाल नेहरू जैसे भी समाजवादी सिद्धांतों से प्रभावित है कांग्रेस ने स्वयं गुवाहाटी अधिवेशन में समाजवादी सिद्धांतों को अपनाने का प्रस्ताव पारित किया संविधान के प्रस्तावना में भी बाद में समाजवाद जोड़ा गया तो संविधान में ही चौथे भाग में अर्थात राज्य के नीति निर्देशक तत्व के अध्याय में समाजवादी सिद्धांतों के आधार पर अर्थव्यवस्था को बनाने का निर्देश दिया गया लेकिन पूंजीवादी विचारकों की स्थिति मजबूत थी जिन्होंने अपना दबाव बनाया तथा भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया.
Q.5. विकास से आप क्या समझते हैं भारत में आर्थिक सामाजिक विकास से जुड़ी अवधारणाओं को समझाएं.
Ans: विकास शब्द का अर्थ अलग-अलग व्यक्तियों के लिए अलग-अलग हैं वास्तव में विकास शब्द का अर्थ उपलब्ध स्रोतों का सर्वोत्तम प्रयोग करके अर्थ अर्थ श्रोता को नियोजित वैज्ञानिक तथा विवेकपूर्ण आधार पर प्रयोग करके एक आधुनिक समाज का निर्माण करना है विकास शब्द का अर्थ मनुष्य के शारीरिक मानसिक व बौद्धिक विकास से है विकास शब्द का संबंध एक विवेक युक्त तथा आत्मनिर्भर समाज का गठन करना है विकास समाज के मूल रचना मूल्य तथा सोच में सकारात्मक परिवर्तन करता है विकास का संबंध परिवर्तन व आधुनिकीकरण से है भारत में सामाजिक आर्थिक विकास के लिए मुख्य रूप से दो प्रकार के मॉडल की वकालत की गई थी प्रथम समाजवादी चिंतन के आधार पर मॉडल व दूसरा उदारवादी पूंजीवादी मॉडल समाजवाद का प्रभाव उन दिनों पूरी दुनिया में था भारत में समाजवादी चिंतन के आधार पर समाज का विकास करने के लिए उपयुक्त परिस्थितियां थी कांग्रेस के अनेक नेता समाजवादी मॉडल के पक्षधर रहे प्रारंभ में भारत में कई दशकों तक समाजवादी सिद्धांतों के आधार पर सामाजिक व आर्थिक विकास किया गया परंतु कुछ लोग उदारवादी पूंजीवादी मॉडल के पक्षधर थे जो राज्य को कम से कम क्षेत्र देकर व्यक्ति को अधिक से अधिक स्वतंत्रता के पक्षधर रहे अंत में भारत में मिश्रित अर्थव्यवस्था के मॉडल को भारत के सामाजिक व आर्थिक विकास के लिए अपनाया गया.
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