बुनकर लोहा बनाने वाले और फैक्ट्री मालिक: इतिहास कक्षा 8: इस अध्याय में ब्रिटिश शासन के अंतर्गत भारतीय कारीगरी और उद्योगों की दशा के बारे में बताया गया है तथा कपड़ा और लोहा इस्पात उद्योग इन दो उद्योगों के बारे में विशेष जानकारी दी गई है।
महत्वपूर्ण स्मरणीय तथ्य
- मसालों की तलाश में जब पहली बार पुर्तगाली भारत आए तो उन्होंने दक्षिण पश्चिमी भारत में केरल के तट पर कालीकट में डेरा डाला था। यहां से वे मसालों के साथ-साथ सूती कपड़ा भी लेते गए। कालीकट से निकले शब्द को कैलिको कहने लगे बाद में हर तरह के सूती कपड़े को कैलिको ही कहा जाने लगा
- बंडाना शब्द का इस्तेमाल गले या सिर पर पहनने वाले चटक रंग के छापेदार गुलूबंद के लिए किया जाता है यह शब्द हिंदी के बांधना शब्द से निकला है।
- 18वी सदी की शुरुआत तक आते-आते भारतीय कपड़े की लोकप्रियता इंग्लैंड में बढ़ गई थी जिस कारण इंग्लैंड की ऊन व रेशम निर्माता भारतीय कपड़ों के आयात का विरोध करने लगे थे जिस कारण 1720 में ब्रिटिश सरकार ने इंग्लैंड में सफेद सूती कपड़े -छींट- के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाने के लिए एक कानून पारित किया जिसे कैलिको अधिनियम कहा जाता है।
- 1764 में जॉन के ने स्पिनिंग जेनी का आविष्कार किया जिससे परंपरागत तकलीयो की उत्पादकता काफी बढ़ गई।
- 1786 में रिचर्ड आर्कराइट ने वाष्प इंजन का आविष्कार किया जिसने सूती कपड़े की बुनाई को क्रांतिकारी रूप में बदल दिया।
- स्पिनिंग जेनी: एक ऐसी मशीन जिससे कि 1 कामगार एक साथ कई तकलियो पर काम कर सकता था। जब पहिया घूमता था तो सारी तकलियो घूमने लगती है।
- पश्चिमी तट पर मुख्य बुनाई केंद्र गुजरात में स्थित थे।
- बुनकर: बुनकर बुनाई के काम करने वाले समुदाय के कारीगर को कहा जाता है। ये पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी बुनाई की कला को आगे बढ़ाते हैं।
- भारत में पहली सूती कपड़ा मील 1854 में बंबई में स्थापित हुई।
- धौकनी: हवा फेंकने का यंत्र।
बुनकर, लोहा बनाने वाले और फैक्ट्री मालिक NCERT प्रश्न उत्तर
Q.1. यूरोप में किस तरह के कपड़ों की भारी मांग थी?
Ans: यूरोप में छापेदार भारतीय सूती कपड़े की भारी मांग थी इसका एक कारण भी था कि भारतीय छापेदार कपड़े बारीक तथा सस्ती हुआ करती थी जो देखने में सुंदर भी होती थी।
Q.2. जामदानी क्या है?
Ans: जामदानी बारीक मलमल को कहा जाता है जिसे करघे में सूती और सोने की धागों का इस्तेमाल करके सजावटी चिन्ह बुने जाते हैं। इनका रंग सजावटी तथा सफेद होता था।
Q.3. बंडाना क्या है?
Ans: बंडाना शब्द का इस्तेमाल गले या सिर पर पहनने वाले चटक रंग के छापेदार गुलूबंद के लिए किया जाता है। यह शब्द हिंदी के बांधना शब्द से निकला है।
Q.4. अगरिया कौन होते हैं?
Ans: अगरिया एक समुदाय होता था जिनका काम लोहा बनाने का होता था। अगरिया समुदाय लोहे गलाने की कला में निपुण थे।
Q.5. स्थान की पूर्ति करें
- अंग्रेजी के शिनटज शब्द हिंदी के __________शब्द से निकला है।
Ans- छींट - टीपू की तलवार_______ स्टील से बनी थी।
Ans- वुट्ज - भारत का कपड़ा निर्यात________ सदी में गिरने लगा।
Ans- 19वी
बुनकर, लोहा बनाने वाले और फैक्ट्री मालिक अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
Q.1. बुनकर से क्या अभिप्राय है?
Ans: बुनाई का काम करने वाले समुदाय के कारीगरों को बनकर कहा जाता है। बुनकर पीढ़ी दर पीढ़ी इसी हुनर को आगे बढ़ाते थे। बंगाल के तांती, उत्तर भारत के जुलाहे या मोमिन दक्षिण भारत के साले व कैकोलर तथा देवांग समुदाय बुनकारी के लिए प्रसिद्ध थे।
Q.2. प्रगलन किसे कहते हैं?
Ans: चट्टान या मिट्टी को बहुत ऊंचे तापमान पर गर्म करके धातु तैयार करने या धातु की बनी चीजों को पिघलाने की प्रक्रिया जिससे कोई नई चीज बनाई जा सके उसे ही प्रगलन कहा जाता है।
Q.3. भारतीय कपड़ा उद्योगों को 19 सदी आते आते तक किन समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था?
Ans: भारतीय कपड़ा कारखानों को 19वीं सदी आते आते निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था-
1) पहली समस्या यह थी कि भारतीय कपड़ा उद्योग को ब्रिटेन से आए हुए सस्ते कीमत की कपड़ों का मुकाबला करना पड़ता था। भारतीय कपड़ा मजदूरों के हाथों से बनाए जाते थे जिस कारण वे महंगे होते थे जबकि ब्रिटेन से आए हुए कपड़े मशीनों से बने होते थे जिस कारण उनकी कीमत कम होती थी।
2) ज्यादातर देशों में सरकार आयातित वस्तुओं पर सीमा शुल्क लगाकर अपने देश में औद्योगिकरण को बढ़ावा देती थी इससे मुकाबला खत्म हो जाती थी।
Q.4. टीपू सुल्तान की वुट्ज स्टील से बनी तलवार पर टिप्पणी करें।
Ans: टीपू सुल्तान की वुट्ज स्टील से बने विश्वविख्यात तलवार आज इंग्लैंड के संग्रहालयो की बहुमूल्य संपत्ति है। इस तलवार की धार इतनी सख्त और पैनी थी कि वह दुश्मन के लौहे कवच को भी आसानी से चीर सकती थी। इस तलवार में यह गुण कार्बन की अधिक मात्रा वाली वुट्ज नामक स्टील से पैदा हुई थी जो पूरे दक्षिण भारत में बनाया जाता था।