Samvidhan Ka Nirman: संविधान का निर्माण एक नए युग की शुरुआत: इस पाठ में आप भारतीय संविधान के निर्माण के बारे में जानेंगे और साथ ही साथ कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर भी पढ़ेंगे जो कक्षा 12 की वार्षिक परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है।
कुछ महत्वपूर्ण स्मरणीय तथ्य: Samvidhan Ka Nirman
- 26 जुलाई 1945: ब्रिटेन में लेबर पार्टी सत्ता में आयी।
- 9 दिसंबर 1946: संविधान सभा के अधिवेशन शुरू हो जाते है।
- 11 अगस्त 1947: जिन्ना को पाकिस्तान की संविधान सभा का अध्ययक्ष निर्वाचित किया जाता है।
- दिसंबर, 1947: संविधान पर हस्ताक्षर।
- 9 दिसंबर 1947: संविधान सभा की पहली बेठक हुई।
- 26 नवंबर 1949: संविधान सभा की प्ररूप समिति द्वारा कार्य पूरा किया गया।
- 26 जनवरी 1950: भारतीय संविधान लागू हुआ।
- जब 26 नवंबर 1950 को संविधान सभा में संविधान परित किया गया तब उनके सदस्यों की संख्या 384 थी।
संविधान का निर्माण 1 अंक उत्तरीय प्रश्न : Samvidhan Ka Nirman
Q.1. भारतीय संविधान सभा का गठन केबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत किस वर्ष हुआ?
Ans: 1946
Q.2. संविधान सभा के अध्यक्ष थे ?
Ans: डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद
Q.3. देशी राज्यों को मिलकर एक संघ बनाने की बात कब कही गई?
Ans: 1935
Q.4. अखिल भारतीय देशी राज्य प्रजा परिसद की स्थापना कब हुई?
Ans: 1926
Q.5. देशी राज्य प्रजा परिसद का पहल अधिवेशन कब हुआ?
Ans: 1927
Q.6. हैदराबाद का भारत में विलय कब हुआ?
Ans: 1948
Q.7. भारत में मताधिकार के लिए न्यूनतम आयु सीमा है-
Ans: 18 वर्ष
Q.8. संविधान सभा का स्थायी अध्यक्ष कौन था?
Ans: डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद
Q.9. उदेश्य प्रस्ताव कब पेश किया गया?
Ans: 13 दिसंबर 1946
Q.10. संविधान सभा में हिन्दी का समर्थन किसने किया?
Ans: आर. वी. धुलेकर
संविधान का निर्माण अति लघु उत्तरीय प्रश्न:
Q.11. भारतीय संविधान का निर्माण कब हुआ?
Ans: भारत के संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया। 9 दिसंबर 1946 को संविधान सभा बुलाई गई। डॉक्टर सच्चिदानंद सिन्हा इसके अस्थाई अध्यक्ष थे। 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को स्थाई अध्यक्ष चुना गया। इस संविधान सभा के द्वारा 2 वर्ष 11 माह 18 दिन के अथक प्रयास द्वारा 26 नवंबर 1949 को संविधान संपूर्ण हुआ और ऐतिहासिक दिवस 26 जनवरी को लागू किया गया।
Q.12. भारतीय संविधान 26 जनवरी, 1950 को क्यों लागू किया गया?
Ans: भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को बन कर तैयार हो गया था परंतु इसे 2 महीने बाद 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इसका एक कारण था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कांग्रेस के 31 दिसंबर 1929 के लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग का प्रस्ताव पारित कराया था और 26 जनवरी 1930 के दिन सारे भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया गया था इसके बाद प्रतिवर्ष 26 जनवरी को इसी रूप में मनाया जाने लगा। इसी पवित्र दिवस की यादगार ताजा रखने के लिए संविधान सभा ने संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया।
Q.13. भारत के नागरिकों को प्राप्त 6 मूल अधिकारों के नाम लिखे।
Ans: भारत के नागरिकों को प्राप्त छह मौलिक अधिकार निम्नलिखित है:
- समता का अधिकार
- स्वतंत्रता का अधिकार
- शोषण के विरुद्ध अधिकार
- धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
- संस्कृति एवं शिक्षा संबंधित अधिकार
- संवैधानिक उपचारों का अधिकार
Q.14. ‘कानून के समक्ष समानता’ का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
Ans: कानून के समक्ष समानता का अर्थ यह है कि राज्य लोगों के बीच जाति, रंग, भाषा, नस्ल, क्षेत्र, लिंग, ने आदी किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं करेगा। राज्य व कानून की नजर में कानून तोड़ने वाला अपराधी है चाहे वह कोई भी हो। कानून सब को एक समान अवसर प्रदान करता है।
Q.15. भारत को धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाने के लिए भारतीय संविधान में क्या व्यवस्था है?
Ans: भारतीय संविधान में भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में भी “धर्मनिरपेक्ष” शब्द 42वें संविधान संशोधन द्वारा 1976 में जोड़ा गया है। राज्य का अपना कोई धर्म नहीं और ना ही राज्य नागरिकों को कोई धर्म अपनाने की प्रेरणा देता है। वह सभी धर्मों का आदर करता है तथा नागरिकों को अपनी इच्छा अनुसार धर्म अपनाने की प्रेरणा देता है।
संविधान का निर्माण लघु उत्तरीय प्रश्न: Samvidhan Ka Nirman
Q.16. संविधान सभा में “उद्देश्य प्रस्ताव” किसने प्रस्तुत किया? इसके मुख्य उपबन्धो का वर्णन कीजिए।
Ans: संविधान सभा के सामने 13 दिसंबर 1946 को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव प्रस्तुत किया। इस उद्देश्य प्रस्ताव में स्पष्ट किया गया कि संविधान सभा भारत के लिए एक ऐसा संविधान बनाने का दृढ़ निश्चय करती है जिसमें (क) भारत के सभी निवासियों को सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक न्याय प्राप्त हो, विचार, भाषण, अभिव्यक्ति और विश्वास की स्वतंत्रता हो, अवसर और कानून के समक्ष समानता हो और भाईचारा हो। (ख) अल्पसंख्यक वर्ग हो अनुसूचित जातियों और पिछड़ी जातियों की सुरक्षा की समुचित व्यवस्था हो।
22 जनवरी 1947 को संविधान सभा ने यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया। पंडित नेहरू के अनुसार उद्देश्य प्रस्ताव एक घोषणा है, एक दृढ़ निश्चय है, एक शपथ है, एकवचन है, और हम सबका एक आदर्श के लिए समर्पण है। उद्देश्य प्रस्ताव के इन आदर्शों को कुछ संशोधन करके संविधान की प्रस्तावना में स्वीकार किया गया है।
Q.17. भारत के नागरिकों को कौन-कौन से मूल कर्तव्य प्रदान किए गए हैं?
Ans: 1976 में पारित संविधान के 42वें संशोधन के अनुसार भारतीय नागरिकों के कुछ मूल कर्तव्य भी स्वीकृत कर लिए गए हैं। इसके अनुसार प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि-
- वह संविधान के अनुकूल काम करें तथा इसके आदेशो, संस्थाओं, राष्ट्रीय गान का मान करें।
- जिन आदर्शों ने हमारे स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया है. उनका पालन करें।
- भारत की प्रभुसत्ता एकता तथा अखंडता का समर्थन करें।
- आवश्यकता होने पर देश की रक्षा के लिए राष्ट्रीय सेवा करें।
- भारत के सभी वासियों के बीच मातृभाव तथा अनुरूपता को बढ़ाएं।
- हमारी मिश्रित संस्कृति की विरासत को समझें तथा उसकी रक्षा करें।
- प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा तथा सुधार करें।
- वैज्ञानिक प्रकृति, मानववाद, अन्वेषण तथा सुधार की भावना को विकसित करें।
- सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करें तथा हिंसा का त्याग दें।
- सभी व्यक्तिगत व सामूहिक क्षेत्रों में वरिष्ठता प्राप्त करने का प्रयत्न करें।
Q.18. देसी रियासतों का भारत संघ में विलय किस प्रकार हुआ?
Ans: भारत और पाकिस्तान के स्वतंत्र होने की घोषणा 3 जून 1947 को की गई। देसी राज्यों को अंग्रेजों की ओर से छूट दी गई थी कि वे भारत या पाकिस्तान किसी के भी साथ अपनी इच्छा से शामिल हो सकते हैं अथवा वे चाहे तो अपना स्वतंत्र अस्तित्व भी बनाए रख सकते हैं। रजवाड़ों की जनता के व्यापक आंदोलन के दबाव में और गृहमंत्री सरदार पटेल की सफल कूटनीति के कारण अधिकांश रजवाड़ों ने भारत में शामिल होने का फैसला किया। जूनागढ़ के नवाब, हैदराबाद के निजाम और जम्मू कश्मीर के महाराजा कुछ समय तक अगर मगर करते रहे। काठियावाड़ के समुद्र तट पर स्थित छोटी से रजवाड़े जूनागढ़ की जनता ने भारत में शामिल होने की घोषणा की मगर वहां के नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला किया अंततः भारतीय सेना ने राज्य पर कब्जा कर लिया और वहां एक जनमत संग्रह कराया गया जिसका परिणाम भारत में शामिल होने के पक्ष में निकला। हैदराबाद के निजाम ने स्वतंत्र राज्य घोषित करने की घोषणा की मगर वहां तेलंगाना क्षेत्र में हुए एक आंतरिक विद्रोह तथा वहां भारतीय सेनाओं के पहुंचने के बाद उसे भी एक में भारत में शामिल होना पड़ा कश्मीर के महाराजा ने भी भारत या पाकिस्तान में शामिल होने में देर की मगर वहां की जनता जिसका नेतृत्व नेशनल कांग्रेस कर रही थी, भारत में शामिल होना चाहती थी मगर कश्मीर पर पाकिस्तान के पठानों का अनियमित फौजी दस्तों के हमले के बाद उसे भी अक्टूबर में भारत में शामिल होना पड़ा।
Q.19. भारतीय संविधान एकात्मक विशेषताओं को लिखें।
Ans: यद्यपि संविधान का स्वरूप संघात्मक है, परंतु इसका झुकाव केंद्र की ओर है। केंद्रीय सरकार के पास राज्यों की अपेक्षा बहुत अधिक शक्तियां है। संविधान में संघ को मजबूत बनाने का प्रयास किया गया।
आपातकाल की स्थिति में संविधान में संघीय सरकार को विशेष अधिकार प्रदान किए हैं। भारत का राष्ट्रपति संपूर्ण देश का शासन अपने अधिकार में ले सकता है और विभिन्न राज्यों के स्वतंत्र अधिकारों को स्थगित कर सकते हैं। विश्व के किसी भी संविधान में सर्वोच्च का अधिकार नहीं दिया गया है इस संबंध में डॉक्टर अंबेडकर लिखते हैं- “यद्यपि भारत संघ में शामिल होना किसी समझौते का परिणाम नहीं था बल्कि किसी राज्य को इससे अपना संबंध विच्छेद करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। संघ यूनियन है, वह अनश्वर है। एकात्मक विशेषताओं के निम्न उदाहरण है:
1) शक्तियों का विभाजन केंद्र के पक्ष में है। 2) इकहरी नागरिकता 3) केंद्र द्वारा राज्यों के राज्यपालों को नियुक्त करना 4) राज्यों के केंद्रीय पर वित्तीय निर्भरता 5) केंद्र की संकटकालीन शक्तियां।
Q.20. पांडिचेरी और गोवा के मुख्य किस प्रकार हुई?
Ans: 1950 के दशक में पांडिचेरी फ्रांस और गोवा पुर्तगाल के उपनिवेश थे। भारत या प्रांत के बीच 1948 के एक समझौते के तहत यह तय हुआ कि भारत के प्रांतीय स्थानों में एक निर्वाचन द्वारा उनके भविष्य को निश्चित किया जाएगा इसी समझौते के तहत 1 नवंबर 1954 को पांडिचेरी, यानीन, माहे तथा कारिकाल 4 बस्तियों को भारत संघ को हस्तांतरित कर दिया गया और वे पांडिचेरी के संघीय बन गए।
विश्व न्यायालय तथा संयुक्त राष्ट्र ने आत्मनिर्णय कराने का निश्चय किया किंतु पुर्तगाल ने उनके प्रस्ताव का विरोध किया। 18 दिसंबर, 1961 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा सैन्य बल का प्रयोग पर गोवा. दमन और दीव को मुक्त करा लिया गया 19 दिसंबर को पुर्तगालियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। गोवा के भारत में विलय के साथ ही भारत से यूरोप के देशों का अंत हो गया गोवा को राज्य का दर्जा प्रदान किया गया।
संविधान का निर्माण दीर्घ उत्तरीय प्रश्न: Samvidhan Ka Nirman
Q.21. भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
Ans: भारतीय संविधान एक संविधान सभा द्वारा निर्मित हुआ। इस सभा के प्रधान भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद थे। संविधान सभा ने 7 सदस्यों की एक प्रारूप समिति संविधान निर्माण के लिए बनाई। इस समिति के अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर थे। यह संविधान 9 दिसंबर 1946 से 26 नवंबर 1949 तक बनकर तैयार हुआ। इस प्रकार 2 वर्ष 11 माह 18 दिन लगे। यह संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इस संविधान की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
- लिखित एवं विशालतम संविधान: भारत का संविधान विश्व के अधिकतर संविधान की तरह एक लिखित संविधान है। यह संसार भर में सबसे विशाल है। 26 जनवरी 1950 को भारत में संविधान लागू किया गया तब वह 22 भागों में विभाजित था 395 अनुच्छेद तथा 12 अनुसूची थे। संविधान निर्माताओं ने विश्व के विभिन्न संविधान का अध्ययन करके इसमें अच्छी अच्छी बातों को लिया। संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकार और कर्तव्य, नीति निर्देशक तत्व तथा केंद्र व राज्यों की व्यवस्थापिका. कार्यपालिका एवं न्यायपालिका के संगठन तथा कार्यों का भी विस्तृत रूप में वर्णन किया है।
- जनता का अपना संविधान: भारत के संविधान की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यह जनता का अपना संविधान है और इसे जनता ने स्वयं अपनी इच्छा से अपने ऊपर लागू किया है यद्यपि हमारे संविधान में आयरलैंड के संविधान की तरह कोई अनुच्छेद ऐसा नहीं है जिसमें यह स्पष्ट होता है कि भारतीय संविधान को जनता ने स्वयं बनाया है तथापि इस बात की पुष्टि संविधान की प्रस्तावना करती है- हम भारत के लोग भारत में एक संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य स्थापित करते हैं। अपने संविधान सभा में 26 नवंबर 1949 को इस संविधान को अपनाते हैं।
- धर्मनिरपेक्ष राज्य: भारत के संविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य है। 42 वें संविधान संशोधन द्वारा प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़कर स्पष्ट रूप से भारत को धर्मनिरपेक्ष राज्य घोषित किया गया है धर्मनिरपेक्ष राज्य का अर्थ है कि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है और राज्य की दृष्टि से सभी धर्म समान है नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त है और वे अपनी इच्छा अनुसार किसी भी धर्म को अपना सकते हैं। उनके अनुसार अपने इष्ट देव की पूजा करते हैं, अपने धर्म का प्रचार करते हैं। अनुच्छेद 25 से 28 तक में धार्मिक स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
- लचीला तथा कठोर: संविधान भारत का संविधान लचीला भी है और कठोर भी। यह ना तो इंग्लैंड के संविधान की भांति अत्यंत लचीला है और ना ही अमेरिका के संविधान की भांति कठोर है। संविधान की कुछ बातें तो ऐसी है जिनमें संशोधन करना बड़ा सरल है और संसद साधारण बहुमत से उसे बदल सकती है। संविधान के कुछ अनुच्छेदों में संशोधन करना बड़ा कठिन है।
Q.22. भारत में केंद्र और राज्यों के मध्य विधायी संबंधों की विवेचना कीजिए।
Ans: केंद्र और राज्य के मध्य व्यवस्थापिका संबंधों का तात्पर्य ऐसे संबंधों से है जो कानून बनाने की शक्ति से संबंधित हैं। भारतीय संविधान में केंद्र तथा राज्य में व्यवस्थापिका की शक्तियों का बंटवारा विषयों की तीन सूची बनाकर किया गया है यह सूचियां है- संघ सूची, राज्य सूची समवर्ती सूची। केंद्र व राज्य का कानून बनाने की शक्ति का विस्तृत वर्णन नीचे दिया गया है।
संघ सूची: संघ सूची में राष्ट्रीय महत्व के 97 विषयों का उल्लेख किया गया है। इन विषयों का संबंध संपूर्ण राष्ट्र से होता है इनमें प्रमुख विषय है- देश के सुरक्षा, विदेशी संबंध, युद्ध, रेल, वायुयान, समुद्री जहाज, डाकघर, टेलीफोन, प्रसारण, विदेशी व्यापार, नोट व मुद्रा, रिजर्व बैंक, जनगणना और आयकर इत्यादि। संघ सूची के विषयों पर कानून बनाने का अधिकार केवल संसद को ही प्राप्त हुआ है। राज्य के विधान मंडल संघ सूची पर किसी भी अवस्था में कानून बनाने का अधिकार नहीं रखते हैं।
राज्य सूची: राज्य सूची में ऐसे 66 विषय रखे गए हैं जो स्थानीय महत्व के होते हैं। जैसे कि कानून व व्यवस्था पुलिस, जेल, न्याय, सार्वजनिक स्वास्थ्य, शिक्षा, स्थानीय स्वशासन, कृषि, सिंचाई, राजस्व और औद्योगिक उन्नति आदि। इन 66 विषय पर सामान्य अवस्था में राज्यों के विधान मंडलों को ही कानून बनाने का अधिकार है लेकिन विशेष अवस्था या संकटकाल में इनमें से किसी विषय को या सभी विषयों को केंद्र सरकार को दिया जा सकता है।
समवर्ती सूची: समवर्ती सूची में 47 विषय हैं। यह ऐसे विषय हैं जो स्थानीय महत्व के होते हैं परंतु इन विषय पर सभी समान रूप से कानून बनाए जाएं तो एकात्माता की भावना बढ़ेगी और देश का कल्याण होगा इसी कारण इस सूची पर केंद्र व राज्य सरकार दोनों को ही कानून बनाने का अधिकार प्राप्त है। इस सूची के विषय में दंड प्रक्रिया, मजदूर हित, कारखाने, नजरबंदी, विवाह विच्छेद, आर्थिक योजना, सामाजिक योजना, मूल्य नियंत्रण, बिजली, समाचार पत्र, छापेखाने इत्यादि। इन विषयों पर कानून बनाने का अधिकार संघ व राज्य सरकार को प्राप्त है किंतु इस सूची के किसी भी विषय पर यदि टकरार की स्थिति उत्पन्न हो जाए तो केंद्र द्वारा बनाए गए कानून प्रभावित होता है।
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