Vijayanagar Class 12: एक साम्राज्य की राजधानी विजयनगर लगभग 14वीं से 16वीं सदी तक। इस अध्याय में विजयनगर की राजनीति और महानतम सम्राटों के विषय में पढेंगे। विजयनगर की स्थापना किसने और क्यों की आदि प्रश्नों का हल देखेंगे।
Vijayanagar Class 12: महत्वूर्ण तथ्य
* विजयनगर अथवा ‘ विजय का शहर ‘ साम्राज्य की स्थापना 14 वीं शताब्दी में की गयी थी?
* यह कृष्णा तुंगभद्रा दोआब क्षेत्र में स्थित है। इसके प्रमुख शासक कृष्णा देव राय थे। इनका शासन काल 1509 से 1529 तक थी।
* हम्पी के भग्नावेश 1800 ई में अभियंता तथा पुराविद कर्नल कॉलिन मैकेंजी के द्वारा प्रकाशित किया गया था।
* मैकेंजी, जो ईस्ट इंडिया मैं कार्यरत थे, ने इस स्थान का पहला सर्वेस्क्षण मानचित्र तैयार किया था।
* विजयनगर साम्राज्य की स्थापना दो भाईयों – हरिहर और बुक्का द्वारा 1336 में गयी थी।
* विजयनगर साम्राज्य के शासक अपने आप को ‘ राय ‘ कहते थे।
* विजयनगर मसलों, वस्त्रों तथा रत्नों के बाजारों के लिए प्रशिद्ध था।
* व्यापर से प्राप्त राजस्व राज्य की समृद्धि में महत्वपूर्ण योगदान देता था।
* विजयनगर पर संगम, सुलुव, तुलुव व् अराविदु वंशों ने शासन किया।
* विजयनगर के सर्वाधिक प्रसिद्ध राजा कृष्णा देव राय ‘ तुलुव वंश से सम्बंधित थे। इनके शासन की चारित्रिक विशेषता विस्तार और सुदृढ़ीकरण था। इन्होंने शासनकाल के विषय में आमुक्तमाल्यद नमक तेलगू भाषा में एक कृति लिखी।
* विजयनगर शहर को विशाल किलेबंदी की गयी थी। अब्दुल रज्जाक के अनुसार इसे 7 दीवारों से घेरा गया था। इनसे शहर, कृषि क्षेत्र तथा जंगलों को भी घेरा गया था।
* कुएँ, बरसात के पानी वाले जलाशय तथा मानव निर्मित जलाशय आदि सामान्य नगर निवासियों के लिए पानी के स्रोत का कार्य करते थे।
* विजयनगर साम्राज्य में दो प्रभावशाली मंच थे – ‘ सभा मंडप ‘ और ‘ महानवमी डिब्बा ‘।
* राजकीय केन्द्रो में सबसे सुन्दर भवनों में एक ‘ लोटस महल ‘ है।
* ‘ नायक ‘ सेना प्रमुख को कहा जाता था। उनके पास सशस्त्र समर्थक सैनिक होते थे।
* ‘ अमर नायक ‘ सेना के सैनिक कमांडर थे ।
* विजयनगर के दो प्रमुख मंदिर विरुपाक्ष मंदिर एवं विट्ठल मंदिर है।
* ‘ हाजरा राम मंदिर ‘ विजयनगर के राजकीय केंद्र में स्थित है।
* दक्षिण के मंदिरों के ऊँचें द्वारों को ‘ गोपुरम ‘ कहा जाता है।
* ‘महानवमी डिब्बा’ एक विशालकाय मंच है जो लगभग 11000 वर्ग फिट के आधार से 40 फिट की ऊंचाई तक जाता है।
* शहरी केंद्र के सडकों पर सामान्य लोगों के आवासों के काम साक्ष मिले है। पुरातत्वादिदों को कुछ स्थानों पर परिष्कृत चीनी मिटटी मिली है। उनका सुझाव है की यहाँ पर अमीर व्यापारी रहतें होंगे।
* पुर्तगाली यात्री बारबोसा के अनुसार सामान्य लोगों के आवास छप्पर के है पर फिर भी सुदृढ़ है, व्यवसाय के आधार पर कई खुलें स्थानों वाली लम्बी गलियों में व्यवस्थित है।
* जल सम्पदा:- तुंगभद्रा नदी उत्तर पश्चिम दिशा को बहती है। विजयनगर को भौगोलिक स्थिति के विषय में सबसे चौकाने वाला तथ्य इस नदी द्वारा निर्मित प्राकृतिक कुंड है।
अति लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. विजयनगर राज्य की स्थापना किस नदी के किनारे की गई?
Ans: तुंगभद्रा नदी के किनारे की गई।
Q.2. कृष्णदेव राय विजयनगर साम्राज्य की गद्दी पर कब आसीन हुए?
Ans: कृष्णदेव राय 1509 में विजयनगर साम्राज्य की गद्दी पर आसीन हुआ।
Q.3. विजयनगर राज्य का निर्माण किस आधार पर हुआ था?
Ans: विजयनगर राज्य का निर्माण धार्मिक भावनाओं के आधार पर हुआ था, इसलिए उसके प्रशासन का आधार भी धार्मिक था।
Q.4. संगम वंश ने विजयनगर पर कितने वर्षों तक राज्य किया?
Ans: संगम वंश ने 1340 से 1390 ई० तक राज किया।
Q.5. विजयनगर राज्य की आय के मुख्य साधन बताएं।
Ans: विजयनगर राज्य की आय का प्रमुख साधन भूमिकर था। इसके अतिरिक्त संपत्ति कर, बिक्री कर, व्यवसाय कर, सैन्य कर, विवाह कर आदि से भी राज्य को काफी आय प्राप्त होती थी।
Q.6. मध्य युग में पश्चिमी देशों में किन-किन पूर्वी व्यापारिक वस्तुओं की खपत थी?
Ans: रोमनकाल से ही पश्चिमी देशों में विभिन्न पूर्वी व्यापारिक वस्तुओं की मांग थी। जैसे चीन के रेशम, भारत व दक्षिण पूर्वी एशिया के मसाले व जड़ी बूटियां।
Q.7. विजयनगर साम्राज्य की स्थापना कब और किसने की थी?
Ans: विजयनगर साम्राज्य की स्थापना दो भाइयों हरिहर और बुक्का द्वारा 1336 ई० में की गई थी।
Q.8. कर्नाटक साम्राज्य किसे कहा जाता था?
Ans: जहां इतिहासकार विजयनगर साम्राज्य शब्द का प्रयोग करते थे, वहीं समकालीन लोगों ने उसे कर्नाटक साम्राज्य की संज्ञा दी।
Q. 9. राक्षसी – तांगड़ी युद्ध जिसे तालिकोटा युद्ध के नाम से जाना जाता था, किसके बीच लड़ा गया था? इसमें विजयश्री किसने की?
Ans: राक्षसी – तांगडी का युद्ध विजयनगर की सेना और बीजापुर अहमदनगर तथा गोलकुंडा की संयुक्त सेनाओं के बीच लड़ा गया था। इस युद्ध में संयुक्त सेना विजयी रही थी।
Q.10. कमलपुर जलाशय क्यों प्रसिद्ध था?
Ans: यह तत्कालीन समय का सर्वाधिक महत्वपूर्ण हौज था। इसके पानी से केवल आस – पास के खेतों को सींचा जाता था बल्कि एक नहर के माध्यम से राजकिय केंद्र तक भी ले जाया जाता था।
Q.11. विजयनगर में किन वस्तुओं के आयात पर बल दिया जाता था?
Ans: घोड़ों और हाथियों हाथियों के अलावा रत्न, चंदन, मोती आदि के आयात पर बल दिया जाता था। विजयनगर घोड़ों के व्यापार के लिए प्रसिद्ध था।
Q.12. उपमहाद्वीप में बंदूकों का प्रयोग सर्वप्रथम किसने किया?
Ans: पुर्तगालियों ने भारतीय उपमहाद्वीप में बंदूकों के प्रयोग का आरंभ किया। इसके बल पर वे भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण शक्ति बनकर उभरने में सफल रहे।
Q.13. कृष्णदेव राय ने किन शक्तियों को पराजित किया था?
Ans: कृष्णदेव राय ने बहमनियों से रायचूर दोआब हासिल किया। उड़ीसा के शासकों का दमन किया और बीजापुर के सुल्तान को पराजित किया।
Q.14. पम्पादेवी कौन थी?
Ans: पम्पादेवी स्थानीय मातृदेवी थी। उसने राज्य के संरक्षक देवता एवं शिव के एक रूप विरुपाक्ष से विवाह के लिए तय किया था।
Q.15. विजयनगर में मंदिर क्यों महत्वपूर्ण थे?
Ans: इस काल में मंदिर महत्वपूर्ण धार्मिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा आर्थिक केंद्रों के रूप में विकसित हुए। शासकों की दृष्टि में मंदिरों का निर्माण सत्ता, शक्ति और समृद्धि के प्रतीक थे।
लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. कृषि क्षेत्रों को किलेबंद भू – भाग में क्यों समाहित किया जाता था?
Ans: अक्सर मध्यकालीन घेराबंदियों का मुख्य उद्देश्य प्रतिपक्ष को खाद्य सामग्री से वंचित कर समर्पण के लिए बाध्य करना होता था। ये घेराबंदियां कई महीनों और यहां तक कि वर्षों तक चल सकती थी। आम तौर पर शासक ऐसी परिस्थितियों से निपटने के लिए किलेबंद क्षेत्रों के भीतर ही विशाल अन्नागारों निर्माण करवाते थे। विजयनगर के शासकों ने पूरे कृष्ण भू – भाग को बचाने के लिए अधिक महंगे तथा व्यापक नीति को अपनाया।
Q.2. विजयनगर साम्राज्य के व्यापार का वर्णन कीजिए।
Ans: विजयनगर साम्राज्य का व्यापार निम्नलिखित हैं –
(i) विजयनगर के शासकों को युद्ध में विजय प्राप्त करने के लिए अरब तथा मध्य एशिया के घोडों की आवश्यकता थी। इसलिए उन्होंने इन देशों से घोडों का आयात किया।
(ii) व्यापारियों के स्थानीय समूह यथा कुदिरई, चेट्टी या घोडों के व्यापारी भी इसमें रुचि लेते थे।
(iii) 1498 ई० में पुर्तगाली भी इसमें कूद पड़े जो उपमहाद्वीप के पश्चिमी तट पर बस गये थे। अपनी बेहतर समाजिक तकनीक, बंदूकों के प्रयोग से वे राजनीति में महत्वपूर्ण हो गए राजनीति में महत्वपूर्ण हो गये।
(iv)विजयनगर मसालों, वस्त्रों तथा रत्नों के अपने बाजारों के लिए प्रसिद्ध था। यहां की जनता महंगी वस्तुओं का आयात करती थी। व्यापार से राज्य के राजस्व में वृद्धि हुई।
Q.3. विजयनगर की कला और साहित्य का वर्णन कीजिए।
Ans: विजयनगर की कला तथा साहित्य-विजयनगर राज्य साहित्य तथा कला की दृष्टि से अपने समकालीन राज्य से कहीं आगे था। विजयनगर राज्य के नरेशों के समय में संस्कृत, तेलुगु, तमिल तथा कन्नड भाषाओं का साहित्य समृद्ध हुआ। सायण तथा भाई माधव विधारण्य ने वेदी की टिकाएं लिखी। कृष्णदेव राय स्वयं उच्च कोटि का विद्वान था और उसने अनेक साहित्यकारों तथा कलाकारों में अपने दरबार में संरक्षण प्रदान किया था। यह कला साहित्यक प्रगति का उत्कर्ष काल था। संगीत, नृत्य – कला, नाटक, व्याकरण, दर्शन, वस्तुकला तथा धर्म आदि सभी विषयों पर उच्च कोटि का साहित्य रच गया।
विजयनगर साम्राज्य में वस्तुकला को बहुत प्रोत्साहन मिला। विजयनगर साम्राज्य के राजाओं ने अनेक सुंदर मंदिर का निर्माण कराया। उनमें विट्ठल स्वामी का मंदिर तथा कृष्णदेव राय के समय में बना हजार स्तंभों वाला मंदिर हिंदू स्थापत्य कला के ज्वलंत उदाहरण है।
Q.4. विजयनगर राज्य की स्थापना कैसे हुई?
Ans: विजयनगर राज्य की स्थापना – विजयनगर राज्य की स्थापना यादव वंशी संगम के दो पुत्र – हरिहर और बुक्काराय ने की, जो वारंगल के राजा प्रताप रूद्रदेव के यहां नौकरी करते थे। उस समय उत्तरी भारत पर मोहम्मद तुगलक राज्य करता था। जब मुसलमानों ने दक्षिणी भारत को जीत लिया तो इन दोनों भाइयों को बंदी बनाकर दिल्ली लाया गया। मुसलमानों ने अत्याचारों के कारण दक्षिणी भारत में अशांति फैली गई थी। अतः सुल्तान मुहम्मद तुगलक ने स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए हरिहर और बुक्काराय को रायचूर दोआब का सामंत बनाकर भेजा। उसके गुरु माधव विधारण्य ने उन्हें हिंदू जनता की रक्षा के लिए स्वतंत्र राज्य स्थापित करने की प्रेरणा दी। उन्होंने अपने गुरु के नाम पर तुंगभद्रा नदी के किनारे 1336 ई० में विद्यानगर अथवा विजयनगर की नींव रखी जो बाद में एक विशाल साम्राज्य बन गया। सीवेल के अनुसार, “यह एक ऐसी महत्वपूर्ण घटना थी जिसने दक्षिण भारत के इतिहास को बदल दिया।” यह राज्य मुसलमानों के अत्याचारों से पीड़ित हिंदुओं के लिए एक शरणस्थलीय बन गया।
Q.5. विरुपाक्ष मंदिर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
Ans: विरुपाक्ष मंदिर – (i) विरुपाक्ष विजयनगर साम्राज्य के संरक्षक देवता माने जाते थे। यह मंदिर एक प्रसिद्ध मंदिर था जिसका निर्माण कई शताब्दियों में हुआ।
(ii) कुछ इतिहासकारों का कहना है कि सबसे प्राचीन मंदिर 9 – 10 सदियों का था। विजयनगर साम्राज्य की स्थापना के पश्चात इसका विस्तार किया गया।
(iii) मुख्य मंदिर के सामने मंडप है जिसका निर्माण यहां के प्रसिद्ध सम्राट कृष्णदेव राय ने करवाया था। मंडप को उत्कीर्ण स्तंभों से सजाया गया था।
(iv) पूर्व में एक विशाल गोपुरम था। इसके निर्माण का श्रेय भी कृष्णदेव राय को जाता है।
(v)मंदिर के सभागारो का प्रयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता था। कुछ में देवताओं की मूर्तियां, संगीत, नृत्य और नाटकों के विशेष कार्यक्रमों को देखने के लिए रखी जाती थी। अन्य सभागारो का प्रयोग देवी – देवताओं के विवाह के अवसर पर आनंद मनाने और कुछ अन्य का प्रयोग देवी – देवताओं को झूला झुलाने के लिए होता था।
Q.6. ‘राजकीय केंद्र’ पर एक संक्षिप्त विवरण दें।
Ans:राजकीय केंद्र बस्ती के दक्षिण – पश्चिमी भाग में स्थित था। हालांकि इसे राज्यकीय केंद्र की संज्ञा दी गई है, पर इसमें 60 से भी अधिक मंदिर सम्मिलित थे। स्पष्टत: मंदिरों और संप्रदायों को प्रश्रय देना शासकों के लिए महत्वपूर्ण था जो इन देव – स्थलों में प्रतिष्ठित देवी – देवताओं से संबंध के माध्यम से अपनी सत्ता को स्थापित करने तथा वैधता प्रदान करने का प्रयास कर रहे थे। लगभग तीस संरचनाओं की पहचान महलों के रूप में की गई है। ये अपेक्षाकृत बड़ी संरचनाएं हैं जो अनुष्ठानिक कार्यों से सम्बद्ध नहीं होती।
इन संरचनाओं और मंदिरों के बीच एक अंतर यह था की मंदिर पूरी तरह से राजगिरी से निर्मित थे, जबकि धर्मोत्तर भवनों की अधिरचना विकारी वस्तुओं से बनाई गई थी ।
Q.7. विट्ठल मंदिर क्यों प्रसिद्ध है?
Ans: यहां के प्रमुख देवता विट्ठल थे जो सामान्यत: महाराष्ट्र में पूजे जाने वाले विष्णु के एक रूप है। इस देवता की पूजा को कर्नाटक में आरंभ करना उन माध्यमों का घोतक है जिनसे एक साम्राज्यिक संस्कृति के निर्माण के लिए विजयनगर के शासकों ने अलग-अलग परंपराओं को आत्मसात किया। अन्य मंदिरों की तरह ही उस मंदिर में भी कई सभागार तथा रूप के आकार का एक अनूठा मंदिर भी है।
Q.8. तुंगभद्रा नदी के तटीय पहाड़ियों का क्या धार्मिक महत्व है?
Ans:स्थानीय मान्यताओं के अनुसार ये पहाड़ियां रामायण में उल्लिखित बाली और सुग्रीव के वानर राज्य की रक्षा करती थी। अन्य मान्यताओं के अनुसार स्थानीय मातृदेवी पम्पादेवी ने इन पहाड़ियों में विरुपाक्ष जो राज्य के संरक्षक देवता तथा शिव का एक रूप माने जाते हैं, से विवाह के लिए तप किया था। आज तक यह विवाह विरुपाक्ष मंदिर में हर वर्ष धूमधाम से आयोजित किया जाता है। इन पहाड़ियों में विजयनगर साम्राज्य के पूर्वकालीन जैन मंदिर भी मिले हैं। दूसरे शब्दों में यह क्षेत्र कई धार्मिक मान्यताओं से सम्बद्ध था।
Q.9. हम्पी की खोज के संबंध में एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
Ans: हंपी के भग्नावशेष 1800 ई० में एक अभियंता तथा पूराविद कर्नल कॉलिन मैकेंजी द्वारा प्रकाश में लाए गए थे। मैकेंजी, जो ईस्ट इंडिया कंपनी में कार्यरत थे, ने इस स्थान का पहला सर्वेक्षण मानचित्र तैयार किया। उनके द्वारा हासिल शुरुआती जानकारियों विरुपाक्ष मंदिर तथा पम्पादेवी के पूजास्थल के पुरोहितों की स्मृतियों पर आधारित थी। कालांतर में 1856 ई० से छाया – चित्रकारों ने यहां के भवनों के चित्र संकलित करने आरंभ किए जिससे शोधकर्ता उनका अध्ययन कर पाए। 1836 से ही अभिलेखकर्ताओं ने यहां और हम्पी के अन्य मंदिरों से कई दर्जन अभिलेखों को इकट्ठा करना आरंभ कर दिया। इस शहर तथा साम्राज्य के इतिहास के पुननिर्माण के प्रयास में इतिहासकारों ने इन स्रोतों का विदेशी यात्रियों के वृतांतो तथा तेलुगू, कन्नड़, तमिल और संस्कृत में लिखे गए साहित्य से मिलान किया।
Q.10. विजयनगर साम्राज्य का पतन किस प्रकार हुआ?
Ans: कृष्णदेव की मृत्यु के पश्चात 1529 में राज्यकीय ढांचे में तनाव उत्पन्न होने लगा। उसके उत्तराधिकारीयों को विद्रोही नायको या सेनापतियों से चुनौती का सामना करना पड़ा। 1842 तक केंद्र पर नियंत्रण एक अन्य राज्यकीय वांश, अराविदु के हाथों में चला गया, जो 17 वी शताब्दी के अंत तक सत्ता पर काबिज रहे। पहले की तरह इस काल में भी विजयनगर शासकों और साथ ही दक्कन सल्तनतो के शासकों की सामरिक महत्वाकांक्षाओ के चलते समीकरण बदलते रहें। अंतत: यह स्थिति विजयनगर के विरुद्ध दक्कन सल्तनतो के बीच मैत्री समझौते के रूप में राक्षसी- तांगडी (जिसे तालीकोटि के नाम से भी जाना जाता है) के युग में उतरी जहां उसे बीजापुर, अहमदनगर तथा गोलकुंडा की संयुक्त सेनाओं द्वारा करारी शिकस्त मिली। विजयी सेनाओं ने विजयनगर शहर पर धावा बोलकर उसे लूटा। कुछ ही वर्षो के भीतर यह शहर पुरी तरह से उजड़ गया। अब साम्राज्य का केंद्र पूर्व की ओर स्थानांतरित हो गया जहां अराविदु, राजवंश ने पेनुकोण्डा से और बाद में चंद्रगिरि (तिरुपति के समीप) से शासन किया।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. विजयनगर की प्रशासनिक व्यवस्था में अमर नायक की भूमिका का उल्लेख करे।
Ans: साम्राज्य में शक्ति का प्रयोग करने वालों में सेना प्रमुख होते थे जो सामान्य: किलो पर नियंत्रण रखते थे और जिनके पास सशस्त्र समर्थक होते थे। ये प्रमुख आमतौर पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक भ्रमणशील रहते थे और कई बार बसने के लिए उपजाऊ भूमि की तलाश में किसान भी उनका साथ देते थे। इन प्रमुखों को नायक कहते थे और ये आमतौर पर तेलुगु या कन्नड़ भाषा बोलते थे। कई नायकों ने विजयनगर शासन की प्रभुसत्ता के आगे समर्पण किया था, पर ये अक्सर विद्रोह कर देते थे और इन्हें सेनिक कार्रवाई के माध्यम से ही वश में किया जाता था। अमर नायक प्रणाली विजयनगर साम्राज्य की एक प्रमुख राजनीतिक खोज थी। ऐसा प्रतीत होता है कि इस प्रणाली के कई तत्व दिल्ली सल्तनत की इक्ता प्रणाली से लिए गए थे।
अमर नायक सैनिक कमांडर थे जिन्हें राज्य द्वारा प्रशासन के लिए राज्य – क्षेत्र दिये जाते थे। वे किसानों, शिल्पकर्मियों तथा व्यापारियों से भू – राजस्व तथा अन्य कर वसूल करते थे। वे राजश्व का कुछ भाग व्यक्तिगत उपयोग तथा घोड़ों और हाथियों के निर्धारित दल के रख – रखाव के लिए अपने पास रख लेते थे। ये दल विजयनगर शासकों को एक प्रभावी सैनिक शक्ति प्रदान करने में सहायक होते थे जिसकी मदद से उन्होंने पूरे दक्षिणी प्रायद्वीप को अपने नियंत्रण में किया। राजस्व का कुछ भाग मंदिरों तथा सिंचाई के साधनों के रख – रखाव के लिए खर्च किया जाता था।
अमर नायक राजा को वर्ष में एक बार भेट भेजा करते थे और अपनी स्वामित्व प्रकट करने के लिए राज्यकीय दरबार में उपहारों के साथ स्वयं उपस्थित हुआ करते थे। राजा कभी-कभी उन्हें एक – दूसरे से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित कर उन पर अपना नियंत्रण दर्शाता था पर 17वीं शताब्दी में इनमें से कई नायकों ने अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिए। इस कारण केंद्रीय ढांचे का विघटन तेजी से होने लगा।
Q.2. विजयनगर साम्राज्य के शहरी केंद्र का पुरातात्विक साक्ष्य हमें किस प्रकार का विवरण देता है?
Ans: शहरी केंद्र की ओर जाने वाली सड़क के किनारे स्थित सामान्य लोगों के आवासों के अपेक्षाकृत कम कम पुरातात्विक साक्ष्य उपलब्ध है। पुरातत्वविदो ने कुछ स्थानों, जिसमें शहरी केंद्र का उत्तर – पूर्वी कोना भी शामिल है, मैं परिष्कृत चीनी मिट्टी पायी है और उनका यह सुझाव है कि हो सकता है इन स्थानों में अमीर व्यापारी रहते हो। यह मुस्लिम रिहायशी मुहल्ला भी था। यहां स्थित मकबरों तथा मस्जिदों के विशिष्ट कार्य है, फिर भी उनका स्थापत्य हम्पी में मिले मंदिरों के मंडपो के स्थापत्य से मिलता-जुलता है।
सामान्य लोगों के आवासों, जो अब अस्तित्व में नहीं है, 16वी शताब्दी का पुर्तगाली यात्री बारबोसा कुछ इस प्रकार वर्णन करता है – ” लोगों के अन्य आवास छप्पर के हैं, पर फिर भी सुदृढ है और व्यवसाय के आधार पर कई खुले स्थानों वाली लंबी गलियों में व्यवस्थित है।”
क्षेत्र सर्वेक्षण इंगित करते हैं कि इस पूरे क्षेत्र में बहुत – से पूजा स्थल और छोटे मंदिर थे जो विविध प्रकार के संप्रदायों, जो संभवत: विभिन्न संप्रदायों द्वारा संरक्षित थे , के प्रचलन की ओर संकेत करते हैं। सर्वेक्षणों से यह भी इंगित होता है कि कुएं, बरसात के पानी वाले जलाशय और साथ ही मंदिरों के जलाशय संभवत: नगर निवासियों के लिए पानी के स्रोत का कार्य करते थे।
Q.3. कृष्णदेव राय के शासन की महत्वपूर्ण विशेषताओं को लिखें।
Ans: कृष्णदेव राय तुलुव वंश का शासक था और उसका शासनकाल 1509 – 29 था। इसे विजयनगर साम्राज्य का सर्वाधिक प्रसिद्ध राजा माना जाता है। कृष्णदेव राय के शासन की चारित्रिक विशेषता विस्तार और दृढ़ीकरण था उसने तुंगभद्रा और कृष्णा नदियों के बीच का क्षेत्र जो रायचूर दोआब के नाम से जाना जाता है, को हासिल किया। इस क्षेत्र का आर्थिक एवं सामरिक महत्व था। उसने उड़ीसा के शहरों का दमन किया और बीजापुर के सुल्तान को पराजित कर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। कृष्णदेव राय के शासनकाल में अतुलनीय शांति और समृद्धि थी। हजार राम मंदिर जैसे कुप्प बेहतरीन मंदिरों के निर्माण तथा कई महत्वपूर्ण दक्षिण भारतीय मंदिरों में अन्य गोपुरमो के निर्माण का श्रेय कृष्णदेव को ही जाता है। उसने अपनी मां के नाम पर मंगलपुरम नामक नगर की स्थापना की। उसने तेलुगु भाषा में अमुक्तमल्लद नामक प्रसिद्ध पुस्तक लिखी जो शासनकाल से संबंधित है।
Q.4. विजयनगर की सामाजिक और आर्थिक दशा का वर्णन कीजिए।
Ans: विजयनगर की सामाजिक दशा – विजयनगर का समाज एक सुसंगठित था। समाज में स्त्रियों का बड़ा सम्मान होता था। वे राज्य के राजनीतिक सामाजिक एवं आर्थिक जीवन में सक्रिय भाग लेती थी। उन्हें आक्रामक तथा रक्षात्मक युद्ध का प्रशिक्ष दिया जाता था। वे कुश्ती, संगीत, नृत्य, कला तथा ललित कलाओं की विधियों में भी दक्ष थी। स्त्री अंगरक्षक भी राज्य की सेवा में थे। राज्य में अनेक स्त्रियां विदुषी थी। उनमें से कुछ तो अच्छी कवयित्री तथा नाटककार भी थी। किंतु बाल – विवाह, धनी व्यक्तियों में बहु – विवाह, दहेज – प्रथा और सती – प्रथा जैसी कुरीतियां समाज में व्याप्त थी। समाज में ब्राह्मणों को बड़ा सम्मान था। वे धनी थे। उन्हें राज्य में नि:शुल्क भूमिया प्राप्त थी; वे राज्य के उच्च पदों पर नियुक्ति थे । वे मांस नहीं खाते थे। शेष जातियों के लोग मांसाहारी थे। यज्ञों मैं पशु – बलि दी जाती थी, किंतु गौ – मांस का पूर्णत: निषेध था।
जाति – प्रथा का खंडन करते हुए पो० नीलकंठ ने लिखा है – “गांवों और कस्बों में प्रत्येक जाति के लोग अलग-अलग मुहल्लो में निवास करते थे। वे अपने विशेष रीति – रिवाजों का पालन करते थे। छोटी जातियों को विशेष परिश्रम करना पड़ता था। उनकी दशा दासो जैसी थी और वे गांव से दूर झोपड़ियों में रहते थे। इसके विपरीत राज – परिवार के लोगों का जीवन बड़ा सुखी था। उन्हें अच्छा भोजन तथा कपड़ा और रहने के लिए भव्य भवन मिलता था।
विजयनगर की आर्थिक दशा – आर्थिक दृष्टि से विजयनगर एक संपन्न राज्य था। कृषि और व्यापार उन्नत थे। यहां आंतरिक एवं ब्राह्म दोनों व्यापार होते थे। व्यापार स्थल तथा जल दोनों मार्गो से होता था। अंतरराष्ट्रीय व्यापार मुख्यतः चीन बर्मा, अरब, फारस तथा पुर्तगाल आदि देशों के साथ होता था। इन लोगों को कपड़ा, चावल, लोहा, शोर तथा मसाले आदि का निर्यात किया जाता था। यहां से उत्तम नस्ल के घोड़े, हाथी, तांबा, मूंगा रेशम आदि मंगवाए जाते थे। यहां अनेक उत्तम बंदरगाह थे। इन कारणों से विजयनगर समृद्धिशील हो गया था।
पुर्तगाली यात्री डामिंगोस पईज ने विजयनगर के आर्थिक समृद्धि का वर्णन करते हुए लिखा है कि राजा के पास भारी कोष, अनेक सैनिक तथा हाथी है। इस नगर में प्रत्येक राष्ट्र और जाति के लोग मिलेंगे क्योंकि यहां व्यापार अधिक होता है और हीरे आदि बहुमूल्य पत्थर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। संसार में यह सबसे अधिक संपन्न नगर है और यहां चावल, गेहूं आदि खाद्यान्न के भंडार भरे हैं। ईरानी यात्री अब्दुल रज्जाक विजयनगर की प्रशंसा में लिखते हैं – “देश इतना अच्छा बसा हुआ है कि संक्षेप में उसका चित्र प्रस्तुत करना असंभव है।….. उच्च निम्न देश के सभी निवासी यहां तक बाजार के कारीगर सभी कानों, बहुओं, कलाइयों तथा अंगुलियों में जवाहरात तक सोने के आभूषण पहने हुए है।
Q.5. तालीकोट के युद्ध (1565 ई० )का वर्णन करें।
Ans: तालीकोट का युद्ध (1565 ई०) – यह युद्ध दक्षिण के दो शक्तियों के मध्य ( विजयनगर तथा बहमनी ) साम्राज्य के मलवे पर उदित पांच राज्यों के संघ के मध्य सन् 1565 ई० में हुआ था।
कारण – दक्षिण के सुल्तानों ने विजयनगर के विरुद्ध एक संयुक्त मोर्चा बना लिया। बीजापुर, अहमदनगर, गोलकुंडा तथा बीदर की सेनाएं इस मोर्चे में शामिल हो गई। इस मोर्चे के सदस्यों ने आपस में वैवाहिक संबंध स्थापित कर लिए। अब वे विजयनगर पर आक्रमण करने का बहाना तलाश करने के लिए अपने पुराने किलो तथा प्रदेशों की मांग करने लगे। विजयनगर के सामने एक विकट संकट उत्पन्न हो गया। उसने उनकी मांगों को ठुकरा दिया। फलत: एक मोर्चे में बद्ध सभी मुस्लिम राज्यों ने मिलकर जनवरी, 1565 को विजय के विरुद्ध युद्ध आरंभ कर दिया।
घटनाएं – 23 जनवरी, 1565 ई० को टालीकोट के युद्धक्षेत्र में मुस्लिम मोर्चे की सेनाओं ने विजयनगर पर एक भयंकर आक्रमण किया। इस युद्ध में विजयनगर को करारी हार का सामना करना पड़ा। प्रधानमंत्री रामराय ने वीरतापूर्वक युद्ध किया किंतु वह पकड़ा गया और अहमदनगर के सुल्तान ने स्वयं अपने हाथों से उसका वध कर दिया। विजेताओं को घोड़ों एवं गुलामों के अलावा जवाहरात, तंबू, हथियार तथा नकदी के रूप में अपार धन लूट में मिला। इसके पश्चात विजय सैनिक विजयनगर शहर में पहुंचे और अत्यंत निर्दयतापूर्वक उन्होंने उसका विनाश किया। सेवेल के अनुसार, “संसार के इतिहास में कभी भी इतने वैभवशाली नगर का इस प्रकार सहसा सर्वनाश नहीं किया गया जैसा कि विजयनगर का।”
परिणाम – यद्यपि तालकोट के युद्ध ने विजयनगर साम्राज्य को पंगु बनाकर रख दिया, किंतु वह उसके अस्तित्व को नहीं मिटा सका। विजय के उपरांत उपरोक्त चारों सुल्तानों में आपसी ईर्ष्या की ज्वाला पुनः प्रज्वलित हो गई। इसके फलस्वरूप वे विजयनगर का अंत करने के लिए एकजुट होकर कार्य न कर सके। उनकी ईर्ष्या के कारण विजयनगर अपनी खोई हुई भूमि तथा शक्ति को पुन: प्राप्त करने में समर्थ हो सका।
Vijaynagar Class 12 MCQ Questions
Class 12 History Chapter 7 Question Answers
Join our YouTube Channel: Click Here
Download Previous Year solved Paper: Click Here
जल्द ही इस पाठ प्रश्न – उत्तर उपलब्ध कराएं जायेंगे ……………