Jiw Janan Kaise Karte Hain: जीव जनन कैसे करते है अध्याय 8 के सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर पढ़ें। 10वीं विद्यार्थियों के लिए सटीक ओर सुलभ नोट्स। झारखण्ड पाठशाला में कक्षा 10 विज्ञान के सभी अध्यायों के समाधान उपलब्ध है।
जीव जनन कैसे करते है: 1 अंक स्तरी प्रश्न तथा उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
1.जनन की मूल घटना क्या है?
उत्तर- डी० एन० ए० की प्रतिकृति बनना।
2.डी ० एन ० ए ० कहां पाया जाता है?
उत्तर – कोशिका के केन्द्रक में।
3.डी ० एन ० ए ० का क्या कार्य है?
उत्तर – डी ० एन ० ए ० प्रोटीन बनाने के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं।
4.एक ऐसे जीवधारी का नाम लिखें जिसमें द्विविभाजन की क्रिया द्वारा अलैंगिक जनन होता है।
उत्तर- अमीबा।
5.यीस्ट कोशिका किस विधि द्वारा अलैंगिक जनन करती है?
उत्तर -मुकुलन।
6.स्पाईरोगाइरा में प्रजनन किस विधि से होता है?
उत्तर -खंडन विधि।
7.अमीबा में प्रजनन किस विधि से होता है?
उत्तर -द्विखंडन।
8.हाइड्रा में प्रजनन किस विधि से होता है?
उत्तर -मुकुलन।
9.द्विविखंडन विधि से प्रजनन करने वाले एक जीव का नाम लिखें।
उत्तर -अमीबा।
10.बहुविखंडन द्वारा प्रजनन करने वाले एक जीव का नाम लिखें।
उत्तर -प्लाज्मोडीयम(मलेरिया परजीवी)।
11.मुकुल से नये जीव का विकसित होना मुकुलन कहलाता है। ऐसे दो जंतुओ के नाम लिखें जो मुकुलन द्वारा नये जीवों को उत्पन्न करते है।
उत्तर – (i) हाइड्रा, (ii) यीस्ट।
12.ऐसी एक शैवाल का नाम लिखे जिसमें प्रजनन खंडन विधि से होता है?
उत्तर – स्पाइरोगायरा।
13.ऐसे जीव को क्या कहते हैं जिसके शरीर में दोनों प्रकार के प्रजनन अंग होते हैं?
उत्तर- द्विलिंगी या हरमाफ्रोडाइट।
14.एकल जीव प्लाज्मोडियम में किस विधि द्वारा जनन होता है?
उत्तर -बहुखंडन।
15.दो ऐसे जंतुओं के नाम लिखें जिनमें पुनरुदभवन द्वारा भी नये जंतु का उद्भव होता है।
उत्तर- (i) प्लैनेरिया,
(ii) हाइड्रा।
16.एक ऐसे जीवधारी का नाम लिखें जिसमें बीजाणुजनन की क्रिया द्वारा अलैंगिक जनन होता है।
उत्तर-म्यूकर।
17. एक ऐसे पौधे का नाम लिखें जिसमें जड़ द्वारा कायिक प्रवर्धन होता है?
उत्तर -सागौन।
18.एक ऐसे पौधे का नाम लिखें जिसमें पत्ती द्वारा वर्धी प्रजनन होता है।
उत्तर -ब्रायोफिमल।
19.उस प्रक्रिया का नाम बताएं जिसके द्वारा जीव नए जीवों को जन्म देते हैं?
उत्तर – प्रजनन।
20.जनन की किस विधि द्वारा समान गुणों वाले जीवों की विशाल आबादी को कायम रखा जा सकता है?
उत्तर -कायिक प्रवर्धन।
जीव जनन कैसे करते है: लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. जनन क्या है?
Ans:किसी जीव द्वारा अपने जैसी संतान उत्पन्न करने की प्रक्रिया को जनन कहते हैं।
Q.2. डी० एन० ए० प्रतिकृति का प्रजनन में क्या महत्व है?
Ans: (i)डी० एन० ए० प्रतिकृति बनने से विभिन्नताएं उत्पन्न होती है। विभिन्नताओं से जैव – विकास होता है।
(ii) डी० एन० ए० प्रतिकृति बनने से कोशिका विभाजन होता है जो प्रजनन के लिए अनिवार्य है।
Q.3. प्लैनेरिया में पुनरुदभवन का वर्णन करें।
Ans: प्लैनेरिया एक अपरजीवी चपटा कृमि है जो नम भूमि, तालाब तथा नदी के जल में पाया जाता है। यह सीलिया की गति से चलता है। कुछ प्लैनेरिया में पुनरुदभवन अनुदैध्र्य तथा अनुप्रस्थ दोनों विधियों द्वारा होता है।
Q.4. कुछ पौधों को उगाने के लिए कायिक प्रवर्धन का उपयोग क्यों किया जाता है?
Ans: कुछ पौधों में कायिक प्रवर्धन विधि का प्रयोग जनन क्रिया हेतु निम्न कारणों से उपयोगी है-
(i) क्योंकि ऐसे पौधों में शरीर के वर्धी भागों के माध्यम से नए पौधे उत्पन्न करने की क्षमताएं होती है।
(ii) कायिक प्रवर्धन द्वारा विकसित किए गए पौधों में फूल और फल शीघ्र आते हैं।
(iii) कायिक प्रवर्धन द्वारा उगाए गए पौधों में सभी पैत्रिक क्षमताएं पाई जाती है।
Q.5. परागण क्या है? परागण के प्रकारों का उल्लेख करें।
Ans: परागकणो का परागकोष से वर्तिकाग्र तक के स्थानांतरण को परागण कहते हैं। परागकोष से परागकण झड़कर या तो उसी पुष्प या किसी अन्य पुष्प तक पहुंचते है। परागकणों का स्थानांतरण बहुत से माध्यमों जैसे- वायु, जल, कीट तथा अन्य कारकों से होता है –
(i) स्वपरागण और (ii) परपरागण।
(i) स्वपरागण- किसी पुष्प के परागकोष के उसी पुष्प के अथवा उस पौधे के अन्य पुष्प के वर्तिकाग्र तक, परागकणों का स्थानांतरण स्वपरागण कहलाता है।
(ii) परपरागण- एक पुष्प के परागकोष से उसी जाति के दूसरे पौधों के पुष्प के वर्तिकाग्र तक परागकणों का स्थानांतरण परपरागण कहलाता है।
Q.6. अंकुरण क्या है?
Ans: बीच में भावी पौधा अथवा भ्रूण होता है, जो उपयुक्त परिस्थितियों में नवोदभीद में विकसित हो जाता है। इस प्रक्रम को अंकुरण कहते हैं।
Q.7. मानव में वृषण के क्या कार्य हैं?
Ans: नर में प्राथमिक जनन अंग अंडाकार आकृति का वृषण होता है नर जनन हॉर्मोन एक जोड़ी वृषण उदर गुहा के बाहर छोटे अंडानुमा मांसल सरंचना मैं रहते हैं जिसे वृषण कोष कहते हैं। वृषण में शुक्राणु तथा टेस्टोस्टेरान की उत्पत्ति होती है। वृषण कोष शुक्राणु बनने के लिए उचित ताप प्रदान करता है।
Q.8. एक-कौशिक एवं बहूकोशिक जीवों की जनन पद्धति में क्या अंतर है?
Ans: एक कोशिका जीवों में प्राय: अलैंगिक जनन ही होता है तथा एक अकेला जीव संपति उत्पान्न कर सकता है। बहूकोशिक जीवों में लैंगिक जनन भी होता है जिसके लिए नर और मादा दोनों जीवों की आवश्यकता होती है। इस प्रकार के जनन में डी० एन० ए० की प्रतिकृति का निर्माण होता है तथा इससे विभिन्नताएं उत्पन्न होती है जो विकास में सहायक है। एक कोशिक जीवों की जनन पद्धति से विभिन्नताओं के उत्पन्न होने की संभावना कम होती है।
Q.9.परागण व निषेचन क्रिया एक दूसरे से किस प्रकार भिन्न है?
Ans:रागण व निषेचन क्रिया में भिन्नता:
परागण | निषेचन |
वह किया जिसमें परागकण स्त्रीकेसर के वर्तिकाग्र तक पहुंचते हैं परागन कहलाते हैं। | वह किया जिसमें नर युग्मक और मादा युग्मक मिलकर युग्मनज बनाते हैं, निषेचन कहलाते हैं। |
यह जनन क्रिया का प्रथम चरण है | वह जनन किया का दूसरा चरण है। |
परागन क्रिया दो प्रकार की होती हैं: स्वपरागण, पर परागण। | निषेचन क्रिया भी दो प्रकार की होती है: बाह्य निषेचन तथा आंतरिक निषेचन। |
Q.10. रजोदर्शन तथा रजोनिवृत्ति में अंतर बताएं।
Ans: रजोदर्शन तथा रजोनिवृत्ति में अंतर
रजोदर्शन | रजोनिवृत्ति |
रजोधर्म के प्रारंभिक रजोदर्शन कहते हैं। | रजोधर्म की समाप्ति को रजोनिवृत्ति कहते हैं। |
यह 12 वर्ष की आयु में प्रारंभ होती हैं। | यह 50 वर्ष की आयु में समाप्त होती है। |
जीव जनन कैसे करते है: दीर्घ उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. जीवो में विभिन्नता स्पीशीज के लिए तो लाभदायक है परंतु व्यष्टि के लिए आवश्यक नहीं है, क्यों?
Ans: विभिन्नताएं प्राय:जीवो की विपरीत पर्यावरण परिस्थितियों में भी जीवित रहने में सहायक होती है। पर्यावरण में होने वाले अचानक और खतरनाक परिवर्तन किसी पूरी आबादी को ही मिटा सकते हैं। परंतु ऐसी परिस्थिति में भी वे जीव जिंदा बच जाते हैं जो अपनी पीढ़ी के अन्य जीवों से कुछ भिन्न होते हैं। ये बचे हुए जीव प्रजनन द्वारा पुनः अपनी संख्या बढ़ा लेते हैं और उनकी स्पीशीज या जाती बच जाती है। इस प्रकार विभिन्नताएं स्पीशीज के कायम रहने और उनके अनुरक्षण के लिए लाभदायक होती है। जहां व्यष्टि या एक जीव का प्रश्न है, उसके लिए विभिन्नता आवश्यक नहीं है क्योंकि अकेला जीव तभी सफलतापूर्वक जीवित रह सकता है जब वह अपने परिवेश से पूर्णत: अनुकूलीत हो। अकेले व्यष्टि के लिए अपनी पीढ़ी के अन्य जीवों से भिन्न होना लाभदायक नहीं भी हो सकता है।
Q.2. एकल जीवो में जनन की किन्ही दो विधियों का वर्णन करें।
Ans: एकल जीवो में जनन की विधियां-
(i) विखंडन या द्वीखंडन – किसी कोशिका के पूर्णत: विकसित होने पर उसका केंद्रक विभाजित हो जाता है। विभाजित केंद्रक के दोनों अर्द्ध भाग कोशिका द्रव्य के आधे -आधे भाग को लेके अलग हो जाते है। इस प्रकार दो अनुजात कोशिकाएं बन जाती है और विकसित होकर दो नये-नये जीव बनाती है। इस विधि को विखंडन कहते हैं। एक मातृ कोशिका विभाजित होकर दो सामान अनुजात कोशिकाओं को जन्म देती है तब इस प्रकार के एकल जनन को विखंडन या द्विखंडन कहते हैं। अमीबा तथा पैरामिशियम में इस प्रकार का जनन पाया जाता हैं।
(ii) खंडन – इस प्रकार के जनन में जीवों का शरीर यांत्रीक कारणों से दो या दो से अधिक टुकड़ों में खंडित हो जाता हैं तथा प्रत्येक खंड अपने खोए हुए भागों का विकास कर पूर्ण विकसित नए जीव में परिवर्तित हो जाता हैं और सामान्य जीवनयापन करता है। स्पाईरोगाइरा तथा हाइड्रा में इस प्रकार का जनन पाया जाता है।
Q.3. पोधों में लैंगिक जनन की क्रिया – विधि का वर्णन करें।
Ans: पौधों में जनन अंग पुष्प के भीतर पाए जाते हैं। नर जनन अंग को पुंकेशर कहते हैं ।मादा जनन अंग को स्त्रीकेशर कहते हैं। जब परागकण विकसित हो जाते हैं तब परागकोश के फटने से वे बिखर जाते हैं। वे हवा, जल, कीट आदि के माध्यम से जायांग के बर्तिकाग्र पर पहुंच जाते हैं। परागण की क्रिया पूरी होने पर परागकण बर्तिकाग्र के लसदार पदार्थ को सोखकर अंकुरित होने लगते हैं। इससे परागनली बनती है और वर्तिकाग्र में घुसती हुई अंडाशय तक पहुंच जाती है। अंडाशय में घुसते ही नरयुग्मक मादा युग्मकों से संयुक्त हो जाते हैं। नर और मादा युग्मकों का संलयन होना निषेचन कहलाता है। निषेचन के फलस्वरूप युग्मनज बनता है। इस प्रकार पौधों में लैंगिक जनन होता है।
Q.4. गर्भनिरोधन की विभिन्न विधियां कौन-कौन सी हैं?
Ans: गर्भनिरोधन की लिए बहुत- सी विधियों का विकास किया गया है जो निम्न है-
(i) अवरोधिका विधियां – इन विधियों में कंडोम, मध्यपट और गर्भाशय ग्रीवा आच्छद का उपयोग किया जाता है। ये मैथुन के दौरान मादा जननांग में शुक्राणुओं के प्रवेश को रोकती है।
(ii) रासायनिक विधियां -इस प्रकार की विधि में स्त्री दो प्रकार- मुखीय ये गोलियां तथा योनि गोलियां प्रयोग करती है।
ये गोलियां मुख्यत: हार्मोन्स से बनी होती है जो अंडाणु को डिंबवाहिनी नलिका में उत्सर्जन से रोकती है।
(iii) शल्य विधियां – इस विधि में पुरुष तथा स्त्री की डिंबवाहिनी नली के छोटे से भाग को शल्यक्रिया द्वारा काट या बांध दिया जाता है। इसे नर नसबंदी तथा स्त्री में स्त्री नसबंदी कहते हैं।