Class 7 History Chapter 5: शासक और इमारतें इतिहास कक्षा 7 notes और प्रश्न-उत्तर। झारखण्ड पाठशाला के साथ करें परीक्षा की तैयारी। परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण प्रश्न के साथ परीक्षा संबंधी समाचार और नये जानकारियाँ भी पढ़ सकते है।
Class 7 History Chapter 5 : महत्वपूर्ण स्मरणीय तथ्य
- कुत्बउद्दीन ऐबक ने लगभग 1199 में कुत्बमीनार की निर्माण की।
- कन्दरिया महादेव मंदिर का निर्माण चंदेल राजवंश के राजा धंगदेव द्वारा 999 में किया गया था।
- राजराजेश्वर मंदिर का निर्माण राजा राजदेव ने अपने देवता राजेश्वरम की उपासना हेतु किया था।
- मंदिर और मस्जिदों का निर्माण बहुत सुंदर तरीके से किया जाता था क्योंकि वे उपासना के स्थल होते थे। वे अपने संरक्षक की शक्ति, धन – वैभव तथा भक्ति भाव का भी प्रदर्शन करते थे।
- हौज-ए-सुलतानी: यह एक जलाशय थी जिसका निर्माण इलतूतमिश ने करवाया था।
- अनुप्रस्थ टोडा निर्माण: यह वास्तुकला की एक शैली है 7वीं व 10 वीं सदी के मध्य वास्तुकार ने छत, दरवाजे तथा खिड़कियां दो ऊर्ध्वाधर खंभों के भार के आर पार एक अनुप्रस्थ टोडा निर्माण कहते है।
- चापाकार: जब दरवाजे और खिड़कियों की ऊपर की अधिरचना का भार मेहराबों पर डाल दिया जाता है तो वास्तुकला का यह रूप चापाकार कहलाता है।
- चारबाग: चार समान हिस्सों में बंटे होने के कारण यह बाग चारबाग कहलाते थे। यह बाग दीवारों से घिरी होती थी तथा कृत्रिम नहरों द्वारा चार भागों में विभाजित आयताकार अहाते में स्थित था।
- नदी तट का बाग: चरबाग की योजना के अंदर ही अन्य तरह के बाग भी थे जिन्हे इतिहासकार नदी तट बाग कहते है।
- किबला: नमाज के दौरान मुसलमानों के सामाने की दिशा किबला कहलाती है।
फिर से याद करें: Class 7 History Chapter 5
1. वास्तुकला का ‘अनुप्रस्थ टोडा निर्माण’ सिद्धांत ‘चापाकार’ सिद्धांत से किस प्रकार भिन्न है?
Ans: जब छत दरवाजे तथा खिड़कियां दो ऊर्ध्वाधर खंभों के आर पार एक अनुप्रस्थ शहतीर रखकर बनाया जाता था तो उसे अनुप्रस्थ टोडा निर्माण शैली कहा जाता है।
जबकि जब दरवाजे तथा खिड़कियों की ऊपर की अधिरचना का भार मेहराबों पर डाल दिया जाता था तो वास्तुकला की इस शैली को चापाकार कहा जाता था।
2. ‘शिखर’ से आपका क्या तात्पर्य है?
Ans: शिखर से हमारा अभिप्राय मंदिर के शीर्ष से है। इसी शीर्ष के नीचे गर्भागृह होता है।
3. ‘पितरा दुरा’ क्या है?
Ans: उत्कीर्णित संगमरमार अथवा बलुआ पत्थर पर रंगीन, ठोस पत्थर को दबाकर बनाए गए सुंदर तथा अलंकृत नमूने।
4. एक मुगल चारबाग की क्या खास विशेषताएं है?
Ans: एक मुगल चरबाग की सबसे प्रमुख विशेषता इसके चार समान हिस्सों में बंटे होना है। चार समान हिस्सों में बंटे होने के कारण ही इसे चार बाग कहा जाता है। यह बाग् दीवारों से घिरी होती थी तथा कृत्रिम नहरों द्वारा इसे चार भागों में विभाजित किया गया था।
आइए समझे: Shasak aur imartein
5. किसी मंदिर से एक राजा की महत्ता की सूचना कैसे मिलती है?
Ans: मंदिर से भी राज्य की महत्ता का पता चलता है इसलिए राज्य अक्सर मंदिरों का निर्माण अच्छे तरीके से करवाते थ क्योंकि मंदिर भी मंदिर के संरक्षक अथवा निर्माणकर्ता के शक्ति, भक्ति, धान- वैभव आदि का परिचायक होता था।
सभी विशाल मंदिरों का निर्माण राजाओ ने करवट था। राजराजेश्वर मंदिर ( दक्षिण भारत में स्थित) का निर्माण राजा राजदेव ने अपने देवता राजराजेश्वरम की उपासना के लिए करवाया था। मंदिर का नाम तथा राजा एवं देवता का नाम एक दूसरे से मिलता जुलता है, राजा भी स्वयं को देवता मानते थे।
6.दिल्ली में शाहजहां के दीवान-ए-खास में एक अभिलेख में कहा गया है अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यही है यही है यही है यह धारणा कैसे बनी?
Ans: शाहजहां के सभा भवन विशेष रूप से मस्जिद से मिलते जुलते बनाए जाते थे। उसका सिंहासन जिस मंच पर रखा गया था उसे किबला कहा जाता था क्योंकि जिस समय दरबार चलता था उस समय प्रत्येक व्यक्ति शासक की ओर मुंह करके बैठता था इन वास्तुकलात्मक अभिलक्षण का इस ओर ईशारा करना था कि राजा पृथ्वी पर ईश्वर का प्रतिनिधि है। इस प्रकार यह धारणा बनी कि अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो वह यही है मतलब की शाहजहां के दीवान-ए-खास में।
7.मुगल दरबार से इस बात का कैसे संकेत मिलता था की बादशाहत से धनी, निर्धन, शक्तिशाली, कमजोर सभी को न्याय मिलेगा?
Ans:बादशाह के सिंहासन के पीछे पितरा दुरा के जड़ाऊ काम की एक श्रृंखला बनाई गई थी जिसमें पौराणिक यूनानी देवता आरफीयस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया था। ऐसा माना जाता था कि आर्सियस का संगीत आक्रामक जानवरों को भी शांत कर सकता है और भी शांतिपूर्वक एक दूसरे के साथ रहने लगते हैं। शाहजहां के सार्वजनिक सभा भवन का निर्माण यह सूचित करता है कि न्याय करते समय राजा ऊंच और निम्न सभी प्रकार के लोगों के साथ समान व्यवहार करेगा और सद्भाव के साथ रहेंगे।
8. शाहजहानाबाद में नए मुगल शहर की योजना में यमुना नदी की क्या भूमिका थी?
Ans: शाहजहानाबाद में नए मुगल शहर की योजना में यमुना नदी की भूमिका निम्नलिखित थी:
1.यमुना नदी के तट पर स्थित होने के कारण उस शहर को पानी आसानी से उपलब्ध थी।
2. यमुना नदी के तटवर्ती भाग समतल थी।