Chhaya mat chhuna: Hindi Class 10 Chapter 7 Important Questions answer for the exam preparation. All important questions are solved. Leave your comment if you have any questins.
छाया मत छूना: Chhaya mat chhuna
छाया मत छूनामन,
होगा दुख दूना।
जीवन में हैं सुरंग सुधियां सुहावनी
छवियों की चित्र – गंध फैली मनभावनी;
तन – सुगंध शेष रही, बीत गई यामिनी,
कुंतल के फूलों की याद बनी चांदनी।
भूली – सी एक छूअन बनता हर जीवित क्षण-
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दूना।
यश है या न वैभव है, मान है न सरमाया:
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण – बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन –
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दुना।
दुविधा – हत साहस है, दिखता है पंथ नहीं,
देह सुखी हो पर मन के दुख का अंत नहीं।
दुख है न चांद खिला शरद – रात आने पर,
क्या हुआ जो खिला फूल रस – बसंत जाने पर?
जो न मिला फूल उसे कर तू भविष्य वरण,
छाया मत छूना
मन, होगा दुख दुना।
(A) कवि और कविता का नाम लिखिए।
Ans:- कवि – गिरिजाकुमार माथुर , कविता – छाया मत छूना।
(B) कवि ने छाया को छूने से क्यों मना किया है ? स्पष्ट करें।
Ans:- कवि ने छाया को छूने से इसलिए मना किया है, क्योंकि पुरानी मीठी यादों में जीने से हमारे अभाव फिर – से हरे हो जाते हैं। हमें पुराने लोग , पुराने क्षण वापस तो नहीं मिलते हैं, पर हां वे एक हुक – सी अवश्य छोड़ जाते हैं। पुरानी यादों से हमें अपना वर्तमान और अधिक खाली – खाली सा प्रतीत होने लगता है।
(C) चांदनी को देखकर कवि को किसकी याद आती है और क्यों? वर्णन करें।
Ans:- चांदनी को देखकर कवि को अपनी प्रेयसी की याद आती है। कवि अपने प्रियसी के केशो में फूल गूंथा करते थे। यही सब कवि को अपने प्रेम के सुहाने दिनों की याद आ जाती है।
(D) ‘सुरंग सुधियां’ से क्या तात्पर्य है?
Ans:- ‘सुरंग सुधिया’ का तात्पर्य है – रंग – बिरंगी यादें अर्थात प्रेम, सद्भाव और आनंद देने वाले पुराने क्षणों की यादें।
(E)कवि अपने जीवन में किस-किस से वंचित रहें?
Ans:- कवि अपने जीवन में यश, वैभव, मान-सम्मान, धन – दौलत आदि सभी से वंचित रहें। कवि इन चीजों को पाने के लिए जितना दौडे उतना ही कवि भ्रमित हुए।
(F) ‘हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा ‘ का भाव स्पष्ट करें।
Ans:-‘हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा’ का आशय है- हर ‘चांदनी रात’ अर्थात सुख के बाद ‘कृष्णा रात’ अर्थात दुख अवश्य आता है। सुख – दुख जीवन के अनिवार्य अंग है।
(G) कवि की मान: स्थिति में रहता है?
Ans:– कवि मन में साहस रखते हुए भी दुविधाग्रस्त स्थिति में रहते हैं। कवि हर समय असमंजस की दशा में रहता है।
(H) कवि ने शरद ऋतु और वसंत ऋतु का उदाहरण देकर क्या कहना चाहा है? स्पष्ट करें।
Ans:- शरद ऋतु की पूर्णिमा को पूरा चंद्र खिलता है और वसंत ऋतु में फूलों की बाहर आ जाती है। यदि ये सब काम सही समय पर न हो तो इनका बाद में होना व्यर्थ ही रहता है। समय पर ही बात या चीज की शोभा होती है। यौवन काल में प्रिय का सामीप्य चाहिए था, वह तब न मिला तो बाद में उसकी कोई भी उपयोगिता नहीं रह जाती है।
(I) कवि को पंथ क्यों नहीं दिखाई देता?
Ans:- कवि को पंथ इसलिए नहीं दिखाई देता क्योंकि मन में दुविधाएं रहती है। मन यह निर्णय ही नहीं ले पाता है कि क्या सही है और क्या गलत है। इसीलिए कवि किसी एक में नहीं चल पाते हैं।
अभ्यास : class 10 Hindi Kshitij NCERT notes
Q.1.कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात क्यों कही है?
Ans:- कवि ने कठिन यथार्थ के पूजन की बात इसलिए कही है, क्योंकि व्यक्ति चाहे या न चाहे लेकिन फिर भी उन्हें यथार्थ का सामना करना होगा। व्यक्ति अपने जीवन में वास्तविकता से दूर नहीं भाग सकता इसीलिए कवि ने इस कविता के माध्यम से कठिन यथार्थ से रू – ब – रू होने की बात कही है।
Q.2.भाव स्पष्ट कीजिए।
प्रभुता का शरण – बिंब केवल मृगतृष्णा है,हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
Ans:- प्रस्तुत पंक्ति में बड़प्पन का अहसास, महान होने का सुख भी एक छलावा है। व्यक्ति बड़ा आदमी होकर भी मन से प्रसन्न हो, यह आवश्यक नहीं। जीवन में हर सुख के साथ एक दुख भी जुड़ा रहता है। जिस प्रकार हर चांदनी रात के बाद एक अमावस्या की काली रात भी छिपी रहती है। पूर्णिमा के पश्चात अमावस भी आती है, ठीक उसी प्रकार सुख के बाद दुख भी आता है।
Q.3.छाया’ शब्द यहां किस संदर्भ में प्रयुक्त हुआ है? कवि ने उसे छूने के लिए मना क्यों किया है?
Ans:- प्रस्तुत कविता में ‘छाया’ शब्द भ्रम या दुविधा की स्थिति के लिए प्रयुक्त हुआ है। यहां ‘छाया’ का एक और शब्द का प्रयोग स्मृतियों के लिए भी किया गया है। कवि ने इसे छूने से इसलिए मना किया है, क्योंकि भ्रम में सुखद स्मृतियों के अहसास करने से उसकी प्राप्ति नहीं हो सकती है। इसके पीछे भागना अपने दुख को बढ़ाना है। अतः अतीत की स्मृतियों की छाया के सहारे जीवन जिया नहीं जा सकता। इसलिए वर्तमान में जीना होगा।
Q.4.कविता में विशेषण के प्रयोग से शब्दों के अर्थ में विशेष प्रभाव पड़ता है, जैसे कठिन यथार्थ। कविता में आए ऐसे अन्य उदाहरण छांटकर लिखिए और यह भी लिखिए कि इससे शब्दों के अर्थ में क्या विशिष्टता पैदा हुई?
Ans:-प्रस्तुत कविता में कवि ने कठिन यथार्थ जैसे अनेक विशेषणो का प्रयोग किया है जैसे – चित्र – गंध, सुरंग सुधियां, तन – सुगंध, शरण – बिंब, मृगतृष्णा , दुविधा – हत, एक रात कृष्णा, शरद – रात, रस – बसंत। इन विशेषणो के प्रयोग से भाषा में विशिष्टता उत्पन्न हुई है।
Q.5.’मृगतृष्णा’ किसे कहते हैं, कविता में इसका प्रयोग किस अर्थ में हुआ है?
Ans:- ‘मृगतृष्णा’ से अभिप्राय हिरण की चाह से है। रेगिस्तान की धूप में जब सूरज की किरणे चमकती है तो वहां हिरण को जल होने का भ्रम पैदा हो जाता है। अतः हिरण प्यास से व्याकुल उसे पाने के लिए दौड़ता है, लेकिन वहां पहुंचने पर हिरण पानी न पाकर केवल रेत ही पाता है। इस कारण हिरण की प्यास शांत नहीं होता। हिरण को वहां से दूर की रेत फिर जल जैसा प्रतीत होता है। इस प्रकार हिरण हमेशा भ्रमित होता रहता है। इस कविता में मृगतृष्णा वहां है जहां हम कामनाओं, वासनाओ और लालसाओ के पीछे भागते हैं, पर अतृप्ति के सिवाय हाथ कुछ नहीं लगता। व्यक्ति इस भटकाव में उलझकर रह जाता है। इसमें वास्तविकता कुछ नहीं होता केवल छलावा होता है।
Q.6.’ बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले ‘ यह भाव कविता की किस पंक्ति में झलकता है?
Ans:- ‘बीती ताहि बिसार दे आगे की सुधि ले’ का अर्थ कविता की पंक्ति में व्यक्त हुआ है- जो न मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण।
Q.8.कविता में व्यक्त दुख के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
Ans:-कविता में व्यक्त दुख का कारण निम्नलिखित हैं-
- हम अतीत की सुखद स्मृतियों से पीछा नहीं छोड़ा पाते हैं। उसे याद करके हमारा दुख और भी बढ़ जाता है।
- हम सदैव दुविधाग्रस्त मन: स्थिति में रहते हैं।
- यथार्थ से मुंह मोड़ते हैं और कल्पना में जीते हैं।
- हम सुख की मृगतृष्णा में उलझकर सदैव भटकते रहते हैं। अतः हमारे दुखों को यह और दुगुना बढ़ा देते हैं।