आर्थिक महामंदी [1929] के कारन एवं प्रभाव [600 words] BA History Sem 4 BBMKU Notes.

1929 का आर्थिक महामंदी, जिसे अमेरिकी इतिहास में “ग्रेट डिप्रेशन” भी कहा जाता है, एक विश्वव्यापी आर्थिक मंदी थी जो 1929 से 1939 तक चली। यह आर्थिक मंदी काफी भयानक और भारी नुकसान के साथ जुड़ी थी और इसके कारण लाखों लोगों को बेरोजगार होना पड़ा और गरीबी और बेरोजगारी के स्तर में बड़ी वृद्धि हुई।

मूल कारणों में से एक था 1920 के उच्च स्तरों पर उधार लेने की व्यवस्था, जिससे धन बढ़ते चले गए और अचानक 1929 में एक ध्वजाहारा आया। इसके साथ ही, विभिन्न अन्य कारण भी थे जैसे विदेशी व्यापार, वित्तीय समस्याएं, बैंक विपणन, और अन्य अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों में सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन।

इस मंदी के कारण, लोगों का बिजनेस टूट गया, बड़े और छोटे कंपनियों के संकट आये, बड़ी बैंक और वित्तीय संस्थाएं दिवालिया हो गईं और लाखों लोगों को नौकरी खोनी पड़ी। लोगों के घरों और परिवारों को बड़ी मुश्किलें झेलनी पड़ी, और इससे लोगों के जीवन पर लंबे समय तक असर पड़ा।

इस महामंदी के बाद, अमेरिकी सरकार ने कई आर्थिक नीतियों को लागू किया, जिससे अर्थव्यवस्था में सुधार हुआ और इस मंदी से बाहर निकलने में मदद मिली। यह मंदी अमेरिका को अपने अर्थव्यवस्था के इतिहास में सबसे भयानक मंदियों में से एक बना दिया, और इसके प्रभाव से विश्वभर में कई देश भी प्रभावित हुए।

आर्थिक महामंदी के कारन

1929 का आर्थिक महामंदी के कारण कई हैं जो इसे विश्वव्यापी और भयानक बनाते हैं:

  1. धन की बहुतायत: 1920 के दशक में धन की बहुतायत थी और लोग उधार लेने में अधिक रुचि दिखाते थे। धन की यह बढ़ती मांग और उधार लेने की व्यवस्था बाद में ध्वजाहारा के रूप में परिणामित हुई।
  2. विदेशी व्यापार: बड़े युद्धों के बाद, विदेशी व्यापार में वृद्धि हुई और विदेशी देशों के साथ व्यापार बढ़ा। परंतु 1929 में ध्वजाहारा होने से विदेशी व्यापार धीरे-धीरे रुक गया और अधिकतर देश बंदरगाह शुत कर दीं।
  3. वित्तीय समस्याएं: बैंक और वित्तीय संस्थाएं अनियंत्रित रूप से उधार देने लगीं थीं, जिससे उनकी स्थिति खराब हो गई और वे दिवालिया हो गईं।
  4. बैंक विपणन: बैंक ने बाजार में शेयरों की विक्रयी शुरू कर दी थी, जिससे शेयरों की कीमत अचानक बढ़ने लगी। परंतु अचानक इसका उल्लंघन होने से शेयरों की कीमत नीचे आ गई और बड़े नुकसान हो गए।
  5. अन्य अर्थव्यवस्था के क्षेत्र: कई अन्य कारण भी थे जो महामंदी के कारण थे, जैसे कि बढ़ती बेरोजगारी, उद्योगों में संकट, और अर्थव्यवस्था में तानाशाही।
  6. भविष्यवाणियों का असुरक्षित बाजार: आर्थिक महामंदी के पूर्व, बाजार में भविष्यवाणियों की वृद्धि होने लगी थी। लोग उनके प्रति आस्था बढ़ा रहे थे और भविष्यवाणियों के अनुसार निवेश करने लगे। परंतु जब आर्थिक मंदी आई, तो इन भविष्यवाणियों का विश्वास उड़ गया और लोगों के निवेशों में बड़ी हानि हुई।
  7. नियंत्रणहीन उद्योग: आर्थिक महामंदी के समय उद्योगों का नियंत्रण नहीं था और वे अधिकतर वित्तीय समस्यों से प्रभावित हो गए। उद्योगों की अनियंत्रित वृद्धि के कारण भविष्य में उनमें दुर्बलता आई और कई उद्योग बंद हो गए।
  8. अनुशासनहीन वित्तीय नीतियाँ: आर्थिक महामंदी के समय, कुछ देशों की वित्तीय नीतियाँ अनुशासनहीन थीं और सार्वजनिक खरीदारी बंद हो गई। वित्तीय नीतियों की इस अनुशासनहीनता के कारण बड़े बैंक और वित्तीय संस्थाएं दिवालिया हो गईं।
  9. बढ़ती बेरोजगारी: आर्थिक महामंदी के समय, बेरोजगारी अधिकतर लोगों को देखा गया। उद्योगों और कंपनियों में रोजगार की कमी होने से लाखों लोगों को नौकरी नहीं मिली, जिससे उनका जीवन व्यथित हुआ।
  10. अधिकतर वित्तीय संस्थाएं के बंद होना: आर्थिक महामंदी के समय, अधिकतर वित्तीय संस्थाएं बंद हो गईं या दिवालिया हो गईं, जिससे लोगों के धन की ज़रूरतें पूरी नहीं हो पाईं और उन्हें संघर्ष करना पड़ा।

आर्थिक महामंदी के प्रभाव

1929 के आर्थिक महामंदी के प्रभाव विश्व अर्थव्यवस्था को असामान्य रूप से प्रभावित किया। इस महामंदी के प्रभाव से कई विषयों पर असर दिखा, जैसे:

  1. बेरोजगारी: आर्थिक महामंदी के कारण बेरोजगारी बढ़ी। व्यापार और उद्योगों में भारी कटौती के कारण लाखों लोग नौकरी खो दीं। युवा और बेरोजगारों को रोजगार पाने में काफी मुश्किलें हो गईं।
  2. वित्तीय नुकसान: बड़े और छोटे व्यापारी, निवेशक और सामान्य लोगों को वित्तीय नुकसान का सामना करना पड़ा। उनके धन को ध्वजाहारा के कारण नुकसान हुआ और कई लोगों को दिवालिया होना पड़ा।
  3. उद्योगों में संकट: आर्थिक मंदी के प्रभाव से उद्योगों में भी बड़ी समस्याएं आईं। उद्योगों को उत्पादन को कम करने और कर्मियों को कटौती करने की आवश्यकता पड़ी और कई उद्योग बंद हो गए।
  4. विदेशी व्यापार की कमी: आर्थिक मंदी के कारण विदेशी व्यापार कम हो गया। विदेशी देशों के साथ व्यापार कम होने से वित्तीय समस्याएं बढ़ गईं और विश्व अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई।
  5. सामाजिक परिवर्तन: आर्थिक महामंदी के प्रभाव से समाज में भी परिवर्तन हुआ। लोगों के जीवन में दुख-दर्द और आर्थिक संकट आए। व्यक्तियों की मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ा।
  6. संघर्ष: आर्थिक महामंदी के प्रभाव से लोग अपने हक के लिए संघर्ष करने लगे। विभिन्न क्षेत्रों में हड़तालें, आंदोलन और आर्थिक मांगें बढ़ी और सरकारों के प्रति आंदोलन हुए।
  7. संघर्षों से नई नीतियाँ: आर्थिक मंदी के समय, सरकारें नई नीतियाँ बनाईं और आर्थिक सुधार के प्रयास किए। वित्तीय बजट, बैंक सुधार, और रोजगार योजनाएं शुरू की गईं ताकि लोगों को सहायता मिल सके।

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