कृषि: Krishi Class 10 Geography Chapter 4 NCERT Notes in Hindi

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Class 10 Geography Chapter 4  Notes

अति लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर: Class 10 Geography Chapter 4

Q.1.भारत की किसी दो कृषि ऋतु के नाम लिखें.
Ans:खरीफ तथा रबी

Q.2.भारत की प्रमुख दो खाद्यान्न फसलों के नाम लिखें.
Ans:गेहूं तथा चावल

Q.3.भारत के प्रमुख तीन रबी फसलों के नाम बताएं।
Ans:गेहूं, जौ और चना

Q.4.भारत की तीन प्रमुख खरीफ फसलों के नाम लिखें।
Ans:चावल, कपास और मक्का

Q.5.भारत के प्रमुख रेशेदार फसलें कौन-कौन सी है?
Ans:जूट, सन तथा कपास आदि

Q.6.भारत का कौन सा राज्य सबसे अधिक गन्ना का उत्पादन करता है?
Ans:उत्तर प्रदेश

Q.7.हरित क्रांति का आरंभ किस राज्य में हुआ?
Ans:पंजाब

Q.8.कपास की काली मिट्टी का दूसरा नाम लिखें।
Ans:रेगड़ मिट्टी

Q.9.भारत के किस राज्य में कपास एक प्रमुख फसल है?
Ans:गुजरात

Q.10.भारत के 3 राज्यों के नाम लिखें जहां मसाला उत्पादन होता है?
Ans:केरल, कर्नाटक तथा तमिलनाडु

Q.11.भारत के किन्हीं 4 राज्यों के नाम लिखें जहां पर तंबाकू उत्पादन होता है?
Ans:कर्नाटक, उत्तर प्रदेश,आंध्र प्रदेश तथा गुजरात

Q.12.भारत में चावल पैदा करने वाले कौन-कौन से राज्य हैं?
Ans:पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, पंजाब तथा तमिलनाडु इत्यादि

Q.13.भारत में किस फसल की उपज संसार में सबसे अधिक होती है?
Ans:ज्वार, बाजरा तथा रागी

Q.14.दक्षिण भारत में कहवा मुख्यता किस राज्य में उगाया जाता है?
Ans:कर्नाटक, तमिलनाडु तथा केरल

Q.15.गहन कृषि किसे कहते हैं?
Ans:वैसे कृषि जिसमें अधिक उत्पादन के लिए प्रति इकाई भूमि पर पूंजी और श्रम का अधिक मात्रा में विनियोग किया जाता है, गहन कृषि कहलाती है।

लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर: Class 10 Geography Chapter 4

Q.16.आत्म निर्वाह कृषि से आप क्या समझते हैं?
Ans:निर्वाह कृषि से हमारा अभिप्राय उस कृषि से है जिससे कृषक अपने निर्वाह के लिए करता है अर्थात जब कोई किसान केवल अपने स्थानीय खपत हेतु ही फसल उगाया जाता है तो उसे निर्वाह कृषि कहते हैं सामान्यता खाद्यान फसले ही निर्वाह कृषि में उगाई जाती है इस कृषि में निर्यात का उद्देश्य निहित नहीं होता है।

Q.17.रोपण कृषि से क्या तात्पर्य है?
Ans:बड़े पैमाने पर की जाने वाली एक फसल कृषि जिसमें कारखानों के समान उत्पादन और पूंजी निवेश होता है उसे कृषि में कच्चे माल के संसाधन में तथा तैयार माल के विपणन में आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग होता है उसे रोपण कृषि कहते हैं रोपण कृषि के अंतर्गत आने वाली फसल है रबड़, चाय, कॉफी, गन्ना, कोको, केला, नारियल, मसाले आदि हैं।

Q.18.भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्व है?
Ans:भारतीय अर्थव्यवस्था में शुरुआत से ही बहुत ही महत्व रहा है। भारत की आधी आबादी से अधिक जनता कृषि पर आधारित है। भारत की लगभग 70% जनसंख्या कृषि कार्य में लगी हुई है। भारत के राष्ट्रीय आय एक तिहाई भाग कृषि से प्राप्त होता है। भारतीय कृषि के उत्पाद के निर्यात से भारत को काफी विदेश के मुद्रा प्राप्त होती है।

Q.19.भारत के तीन कृषि ऋतुओ का नाम लिखें तथा उन ऋतु में उपजाई जाने वाली फसलों को भी लिखें।
Ans:भारत की प्रमुख 3 कृषि ऋतु तथा उन ऋतु में उपजाई जाने वाली फसल:

  • रबी: गेहूं, जौ, मटर, चना और सरसों
  • खरीफ: चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, उड़द, कपास, जूट, मूंगफली, सोयाबीन आदि
  • जायद: तरबूज, खरबूज, खीरा, सब्जियां, चारे की फसल आदि।

Q.20.मोटे अनाज से क्या अभिप्राय है?
Ans:मोटे अनाज से तात्पर्य पहाड़ी, पथरीली तथा कम उपजाऊ भूमि में उगाई जाने वाली फसल से है। इनमें कुछ खाद्यान्न और कुछ चारे की फसल है होती है। मोटे अनाज के उदाहरण- ज्वार बाजरा रागी मकई आदि।

Q.21.सरकार द्वारा किसानों के हित में किए गए संस्थागत सुधार कार्यक्रमों की सूची बनाएं।
Ans:सरकार द्वारा किसानों के लिए कई सारे संस्थागत सुधार कार्यक्रम चलाए गए जैसे-

  • हरित क्रांति, ऑपरेशन फ़्लड आदि
  • छोटी जूतों की चकबंदी
  • रेडियो और दूरदर्शन द्वारा किसानों को नई तकनीकी सुविधाओं की जानकारी दिया गया
  • फसल बीमा ग्रामीण बैंक योजना तथा लघु स्तरीय सहकारी समितियों का गठन
  • फसलों के न्यूनतम निर्धारित मूल्यों की घोषणा करना आदि।

Q.22.भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण का प्रभाव लिखें।
Ans:भारतीय कृषि पर वैश्वीकरण का प्रभाव

  • भारत में निर्वाह कृषि के साथ-साथ व्यापारिक कृषि का तेजी से विकास हुआ है
  • आज भारतीय किसान उसी फसल के उत्पादन पर बल देता है जिससे उसे अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए आधुनिक कृषि यंत्र तथा नई तकनीकों का प्रयोग होने लगा है जिससे फसलों के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है
  • वैश्वीकरण से भारत के कई कृषि उत्पाद के निर्यात में वृद्धि हुई है उत्तम बीजों के प्रयोग से कृषि उत्पादन की गुणवत्ता बढ़ गई है अतः किसान को अपने उत्पादन का पहले से कहीं अधिक मूल्य प्राप्त होने लगा है।

Q.23.भारतीय कृषि की चार विशेषताएं लिखें।
Ans:भारतीय कृषि की चार विशेषताएं-

  • उत्पादन में खाद्य पदार्थों की अधिकता रहती है
  • खेती में पशु मुख्य भूमिका निभाते हैं
  • भारत में कृषि मानसूनी वर्षा पर निर्भर रहती है
  • यहां एक तिहाई जोत छोटे आकार के हैं।

Q.24.हरित क्रांति से क्या अभिप्राय है?
Ans:हरित क्रांति से अभिप्राय है फसलों के क्षेत्र में अत्यधिक वृद्धि होना लेकिन यह मुख्य रूप से खाद्यान्न फसलों के लिए उपयुक्त है इसकी मुख्य विशेषता यह है कि हरित क्रांति के कारण अन्य की पैदावार काफी बढ़ गई है भारत के लोगों के प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हुई है यहां के निर्वाह कृषि ने व्यापारिक कृषि का रूप धारण कर लिया है कृषि का मशीनीकरण हुआ है सिंचाई के साधनों में भी विकास हुआ है अधिक उपज देने वाले बीज का उपयोग होने लगा तथा उर्वरकों का प्रयोग बढ़ा दिया गया।

Q.25.नकदी फसल से क्या अभिप्राय है?
Ans:नगदी फसलें मुख्य रूप से आर्थिक लाभ कमाने के लिए उठ जाए जाते हैं किसान मुख्य रूप से नकदी फसलें जैसे- चाय. कहवा, गन्ना ,आलू, प्याज आदि पैदा करता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर: Class 10 Geography Chapter 4

Q.26.चाय तथा कहवा में अंतर स्पष्ट करें।
Ans:चाय तथा कहवा में अंतर

चाय कहवा
चाय विषुवतरेखीय पौधा नहीं हैचाय विषुवत रेखीय पौधा है
चाय की पत्तियां चुनने का समय अप्रैल से अक्टूबर तक चलता रहता हैकहवा की फसल दिसंबर- जनवरी में काट ली जाती है
इसके लिए ढालू व हल्की तथा उपजाऊ मिट्टी जिसमें पानी सूखने की सकती हो और पोटाश लोहा तथा जीवांश से युक्त हो सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हैंवनों को साफ करने से प्राप्त भूमि इसके लिए उपयुक्त रहती है इसके अलावा वह मठ तथा काली मिट्टी भी इसके उत्पादन के लिए उपयुक्त होती है

Q.27.रबी तथा खरीफ फसल के मुख्य अंतर को लिखें।
Ans:.रबी तथा खरीफ फसल के मुख्य अंतर

रबी खरीफ
यह फसल मौसम शीतकाल के आरंभ से शुरू होता है तथा ग्रीष्म काल के आगमन तक चलता हैयह फसल मौसम मानसून के आगमन से शुरू होता है तथा शीत ऋतु के प्रारंभ तक चलता है
इस मौसम का समय अक्टूबर-नवंबर से मार्च-अप्रैल तक रहता हैइस बार शाम का समय जून जुलाई से लेकर अक्टूबर नवंबर तक रहता है
इस ऋतु में गेहूं, जौ, चना, तिलहन। जैसे- अलसी, सरसों, आदि उत्पन्न किए जाते हैंइस मौसम में उत्पन्न होने वाली प्रमुख कृषि फसल है चावल, मक्का, ज्वार, बाजरा, कपास, मूंगफली, उड़द आदि है

Q.28.भारतीय कृषि के पिछड़ेपन के चार कारण बताएं।
Ans:भारतीय कृषि के पिछड़ेपन के चार कारण:

  • प्रकृति पर आधारित निर्भरता- भारतीय कृषि मुख्यतः मानसून पर निर्भर करती है भारी वर्षा होने से बाढ़ आ जाती है तथा कम वर्षा होने से अकाल पड़ जाता है
  • पुरानी तकनीकी तथा भूमि पर आर्थिक दबाव- हमारे किसान अभी भी पुराने उपकरणों का उपयोग करते हैं वह बहुत गरीब हैं तथा नए तकनीक अथवा उपकरण नहीं खरीद सकते दूसरा हमारे देश को 67% जनसंख्या प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कृषि पर निर्भर करती है
  • छोटी जोते- पीढ़ी दर पीढ़ी भूमि विभाजन के कारण खेतों का विखंडन हुआ तथा जोतों का आकार छोटा हुआ जिसका आर्थिक रूप से नुकसान हुआ
  • अपर्याप्त तथा बिक्री संबंधी सुविधाएं- व्यापारिक स्तर पर कृषि को बड़ी मात्रा में पूंजी की आवश्यकता होती है जो कि भारत में उपलब्ध नहीं है भंडारण की समस्या है बिक्री संबंधी समस्याएं भी है निजी व्यापारियों द्वारा किसानों का शोषण किया जाता है

Q.29.गन्ना की खेती के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियों का वर्णन करें।
Ans:गन्ने के उत्पादन के लिए उपयुक्त भौगोलिक परिस्थितियां

जलवायवीक दशाएं

  • तापमान- इसकी अच्छी उपज के लिए 25 डिग्री सेल्सियस से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान आदर्श माना जाता है
  • वर्षा- इसे 100 सेंटीमीटर से 150 से मी के बीच वर्षा जल की आवश्यकता होती है कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई द्वारा कृषि करना अनिवार्य होता है।

मृदा

  • इसके कृषि के लिए गहरी उपजाऊ चिकनी दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है दक्षिण भूभाग में काली लावा युक्त मिट्टी भी उसके उत्पादन के लिए अच्छी रहती है।

भारत में गन्ने का प्रमुख उत्पादक राज्य- महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा।
गन्ने के प्रमुख उत्पादक देश- भारत, ब्राजील, मेक्सिको, पाकिस्तान, चीन, इंडोनेशिया, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया

Q.30.आत्म निर्वाह कृषि की प्रमुख विशेषताएं लिखें।
Ans:आत्म निर्वाह कृषि की प्रमुख विशेषताएं

  • आत्म निर्वाह कृषि में भूमि का आकार काफी छोटा होता है
  • इस कृषि का ढंग परंपरागत होता है अर्थात हर तथा अन्य पुराने औजारों का इस्तेमाल किया जाता है
  • आत्म निर्वाह कृषि में संलग्न कृषक गरीब होते हैं
  • इस कृषि में आधुनिक उर्वरकों तथा कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है
  • इसमें सिंचाई के उन्नत व्यवस्था का अभाव होता है तथा किसान सिंचाई के लिए मानसून पर निर्भर होते हैं
  • आत्म निर्वाह निर्वाह कृषि में उत्पादकता का स्तर काफी नीचे होता है।

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