ईश्वर से अनुराग Class 7 History Chapter 8 NCERT Notes in Hindi

Class 7 History Chapter 8: Iswar Se Anurag History Class 7 NCERT Solutions in Hindi. Class 7 History Exam notes in Jharkhand Pathshala. Read Very Important questions and answers. Jharkhand Academic Council Ranchi.

विषय सूची:-

  • परमेश्वर का विचार
  • दक्षिण भारत में भक्ति का एक नया प्रचार- नयनार और अलववार
  • दर्शन और भक्ति
  • बसवन्ना का वीरशैवाद
  • महाराष्ट्र के संत
  • नाथपंथी, सिद्ध और योगी
  • इस्लाम और सूफी मत
  • उत्तर भारत में धार्मिक बदलाव
  • कबीर- नजदीक से एक नजर
  • बाबा गुरु नानक- नजदीक से एक नजर

परमेश्वर का विचार: Class 7 History Chapter 8

  • आठवीं सदी से ही भक्ति तथा सूफी आंदोलनों का उद्भव होने लगा था।
  • आठवीं शताब्दी में लोगों की मान्यता थी कि सभी जीवधारी अच्छे तथा बुरे कर्म करते हुए जीवन मरण और पुनर्जीवन के अनंत चक्र से गुजरते हैं।
  • इन विचारों से बेचैन होकर लोगों ने बुद्ध और जैनो के उद्देश्यों की ओर ध्यान दिया। इन उपदेशों के अनुसार व्यक्तिगत प्रयासों से सामाजिक अंतरों को दूर किया जा सकता है और पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • विशेष धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से शिव विष्णु तथा दुर्गा को परम देवी देवता के रूप में पूजा जाने लगा।
  • स्थानीय मिथको, किस्से- कहानियां पौराणिक कथाओं का अंग बन गया।
  • भक्ति की विचारधारा इतनी अधिक लोकप्रिय हो गई कि बुद्धू और जैन मतावलंबीयो उन्हें भी इस विश्वासों को अपना लिया।

दक्षिण भारत में भक्ति का एक नया प्रचार- नयनार और अलवार

  • सातवीं से नौवीं शताब्दीयों के बीच कुछ नए धार्मिक आंदोलनों का उदय हुआ। इन आंदोलनों का नेतृत्व नयनार अर्थात शैव संत और अलवर अर्थात वैष्णव संतो ने किया।
  • अलवार और नयनार संत बोध तथा जैनों के कटु आलोचक थे तथा शिव और विष्णु के प्रति सच्चे प्रेम को मुक्ति का मार्ग बताते थे।
  • नयनार और अलवर घुमक्कड़ संत थे वह जिस किसी स्थान या गांव में जाते थे वहां के स्थानीय देवी-देवताओं की प्रशंसा में सुंदर कविताएं रच कर उन्हें संगीतबद्ध कर दिया करते थे।
  • दसवीं से बारहवीं सदियों के बीच चोल और पांड्यन राजाओं ने धार्मिक स्थलों पर विशाल मंदिर बनवा दिए थे जहां पर संत कवियों ने यात्रा की थी।
  • अल्वारो तथा नयनारों की धार्मिक जीवनी भी रची गई।

दर्शन और भक्ति

  • भारत के सर्वाधिक प्रभावशाली दार्शनिकों में से एक शंकर जिनका जन्म आठवीं शताब्दी में केरल में हुआ था, वह अद्वैतवाद के समर्थक थे।
  • उनके अनुसार जीवात्मा और परमात्मा दोनों एक ही है, उन्होंने यह शिक्षा दी कि ब्रह्मा जो एकमात्र या परम सत्य है, वह निर्गुण और निराकार हैं।
  • उन्होंने संसार का परित्याग करने अर्थात संयास लेने का सुझाव दिया क्योंकि संसार एक मिथ्य या माया है और ब्रह्मा के सही प्रकृति को समझने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए ज्ञान को मार्ग को अपनाने का उपदेश दिया।
  • रामानुज विष्णु भक्त अलवर संतोष में से एक बहुत प्रभाव सत्संग से उनका जन्म 11वीं शताब्दी में तमिलनाडु में हुआ था रामानुज ने विशिष्टता द्विवेदी के सिद्धांत को प्रतिपादित किया जिसके अनुसार आत्मा परमात्मा से जुड़ने के बाद भी अपने अलग सत्ता बनाए रखती हैं।
  • उनके मोक्ष प्राप्त करने का उपाय विष्णु के प्रति अनन्य भक्ति भाव रखना है।

बसवन्ना का वीरशैवाद Class 7 History Chapter 8

  • वीरशैव आंदोलन 12 वीं शताब्दी के मध्य में कर्नाटक में प्रारंभ हुआ।
  • वीरशैव ने सभी व्यक्तियों की समानता के पक्ष में और जाति तथा नारी के प्रति व्यवहार के बारे में ब्राह्मणवादी विचारधारा के विरुद्ध अपने प्रबल तर्क प्रस्तुत किए।
  • इसके अलावा वे सभी प्रकार के कर्मकांड और मूर्ति पूजा के विरोधी थे।

महाराष्ट्र के संत

  • त13 वीं सदी से 17 वी शताब्दी तक महाराष्ट्र में अनेकानेक संत कवि हुए जिनके सरल मराठी भाषा में लिखे गए गीत आज भी जन मन को प्रेरित करते हैं।
  • उन संतों में सबसे महत्वपूर्ण थे- ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ और तुकाराम आदि।
  • इन संत कवियों ने सभी प्रकार के कर्मकांड और पवित्रता के ढोंगों और जन्म पर आधारित सामाजिक अंतरों का विरोध किया।
  • उन्होंने सन्यास को ठुकरा कर इस अवधारणा पर बल दिया कि अन्य व्यक्ति की तरह रोजी-रोटी कमाते हुए परिवार के साथ रहने और विनम्रता पूर्वक जरूरतमंद साथी व्यक्तियों की सेवा करते हुए जीवन बिताने को अधिक पसंद किया।
  • उनके अनुसार असली भक्ति दूसरों के दुखों को बांट लेना है। इससे एक नए मानवतावादी विचार का उद्भव हुआ।

नाथपंथी, सिद्ध और योगी

  • नाथपंथी, सिद्धाचर और योगी जन वह धार्मिक समूह है जिन्होंने साधारण तर्क- वितर्क का सहारा लेकर रूढ़िवादी धर्म के कर्मकांड और अन्य बनावट की पहलुओं तथा समाज व्यवस्था की आलोचना की थी।
  • उन्होंने संसार का परित्याग करने का समर्थन किया।
  • उनके विचारों से निराकार परम सत्य का चिंतन मनन और उसके साथ एक हो जाने की अनुमति ही मोक्ष का मार्ग है।
  • इसके लिए उन्होंने योगासन प्राणायाम और चिंतन मनन जैसी क्रियाओं के माध्यम से मन एवं शरीर को कठोर प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया।

इस्लाम और सूफी मत Class 7 History Chapter 8

  • सूफी मुसलमान रहस्यवादी थे, वे धर्म के बाहरी आडंबरओं को अस्वीकार करते हुए ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति तथा सभी मनुष्यों के प्रति दया भाव रखने पर बल देते थे।
  • सूफी संतों ने मूर्ति- पूजा को अस्वीकार कर दिया और उपासना पद्धतियों को सामूहिक प्रार्थना नमाज का रूप देकर उन्हें काफी सरल बना दिया।
  • मुस्लिम विद्वानों ने शरीयत नाम से एक धार्मिक कानून बनाया। सूफी लोगों ने मुस्लिम धार्मिक विद्वानों द्वारा निर्धारित विशुद्ध कर्मकांड और आचार संहिता को बहुत कुछ अस्वीकार कर दिया।
  • संत कवियों की तरह सूफी लोग भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए काव्य रचना किया करते थे।
  • प्रमुख सूफी संत- निजामुद्दीन औलिया, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी, बाबा फरीद आदि।
  • सूफी संत अपने खानकाहो में विशेष बैठकों का आयोजन करवाते थे, जहां अभिजात से लेकर आम लोग तक सभी शामिल होते थे।
  • सूफी संत आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा करते थे, लोग यह समझते थे कि सूफी ओलियाओ के पास चमत्कारिक शक्तियां होती है जिनसे आम लोगों को बीमारीयों और तकलीफ़ो से छुटकारा मिल सकता है।
  • सूफी संत की दरगाह तीर्थस्थल बन जाता था।

उत्तर भारत में धार्मिक बदलाव

  • 13 वीं शताब्दी के बाद उत्तर भारत में भक्ति आंदोलन के एक नई लहर आई। इस युग में इस्लाम, ब्राह्मणवादी, हिंदू धर्म, सूफ़ीमत, भक्ति की विभिन्न धाराओं ने नाथपंथियो, सिद्धों तथा योगियों ने परस्पर एक दूसरे को प्रभावित किया।
  • कबीर और बाबर गुरु नानक जैसे कुछ संतो ने सभी आडंबर पूर्ण रूढ़िवादी धर्मों को अस्वीकार कर दिया।
  • तुलसीदास और सूरदास जैसे कुछ अन्य संतों ने उसे समय विद्यामान विश्वाशो तथा पद्धतियों को स्वीकार करते हुए उन्हें सबकी पहुंच में लाने का प्रयत्न किया।
  • तुलसीदास ने ईश्वर को राम के रूप में धारण किया।
  • सूरदास श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे उनकी रचनाएं सूरसागर, सुरसारावली और साहित्य लहरी में संग्रहित है।
  • असम के संकरदेव, जो इन्हीं के समकालीन थे, उन्होंने विष्णु की भक्ति पर बल दिया और असमिया भाषा में कविताएं तथा नाटक लिखी उन्होंने ही ‘नामघर’ स्थापित करने की पद्धति चलाई ।
  • मीराबाई रविदास की अनुयाई बन गई। मीराबाई ने कृष्ण के प्रति समर्पित थी उनके गीतों ने उच्च जातियों के लिए तथा नियमों को खुली चुनौती दी तथा यह गीत राजस्थान तथा गुजरात के जनसाधारण में बहुत लोकप्रिय हुए।

कबीर- नजदीक से एक नजर

  • कबीर दास 15- 16 वीं सदी में पैदा हुए थे।
  • वे प्रभावशाली संत थे उनका पालन पोषण बनारस में या उसके आसपास के एक मुसलमान जुलाहा जुलाहा परिवार में हुआ था।
  • कबीर के कुछ भजन ‘गुरु ग्रंथ साहब’, ;पंचवानी’; और ‘बीजक’ में संग्रहित हैं।
  • उनके उपदेशों में ब्राह्मणवादी हिंदू धर्म और इस्लाम दोनों की बाह्य आडंबरपूर्ण पूजा के सभी रूपों का मजाक उड़ाया गया।
  • कबीर निराकार परमेश्वर में विश्वास रखते थे उन्होंने यह उपदेश दिया कि भक्ति के माध्यम से ही मोक्ष प्राप्ति हो सकती है।
  • हिंदू तथा मुसलमान दोनों लोग उनके अनुयाई बने।

बाबा गुरु नानक- नजदीक से एक नजर

  • बाबा गुरु नानक का जन्म तलवंडी नामक स्थान में हुआ था।
  • बाबा गुरु नानक ने उपासना और धार्मिक कार्यों के लिए जो जगह नियुक्त की थी उसे ‘धर्मशाल’ कहा जाता था. जिसे आज गुरुद्वारा के नाम से जाना जाता है।
  • 1539 में उनकी मृत्यु के पूर्व बाबा गुरु नानक ने एक अनुयाई को अपना उत्तराधिकारी चुना था इनका नाम लहणा था लेकिन यह गुरु अंगद के नाम से जाने गए।
  • अपने उपदेश के सार को व्यक्त करने के लिए उन्होंने 3 शब्दों का प्रयोग किया- नाम, दान और स्नान। नाम से उनका तात्पर्य सही उपासना से था, दान का तात्पर्य दूसरों का भला करना और स्नान का तात्पर्य आचार विचार की पवित्रता से था।
  • आज उनके उपदेशों को नाम जपना कैसे करना और वंदना के रूप में याद किया जाता है।

1. निम्नलिखित में मेल बैठाएं:-

बुद्ध नामघर
शंकरदेव विष्णु की पूजा
निजामुद्दीन औलियासामाजिक अंतरों पर सवाल उठाए
नयनारसूफी संत
अलवरशिव की पूजा
बुद्ध सामाजिक अंतरों पर सवाल उठाए
शंकरदेव नामघर
निजामुद्दीन औलियासूफी संत
नयनारशिव की पूजा
अलवरविष्णु की पूजा

2. रिक्त स्थान की पूर्ति करें:-

(क) शंकर _______ के समर्थक थे।
Ans:-अद्वैत
(ख) रामानुज ____________ के द्वारा प्रभावित हुए थे।
Ans:-अलवर संत
(ग) ______, _______और _______ विरशैव मत के समर्थक थे।
Ans:-बसवन्ना, उलम्मा प्रभु अक्कामहादेवी
(घ) महाराष्ट्र में भक्ति परंपरा एक महत्वपूर्ण केंद्र थी।
Ans:-पंढरपुर

3. नाथपंथीयों, सिद्धो और योगियों के विश्वासों और आचार व्यवहारओं का वर्णन करें।
Ans:-नाथपंथियों, सिद्धू और योगियों के विश्वासों और आचार व्यवहारओं का वर्णन

  • पारंपरिक क्षेत्रीय और सामाजिक व्यवस्था के अनुष्ठान और अन्य पहलुओं की आलोचना की
  • उन्होंने अपने विचारों को प्रस्तुत करने के लिए सरल और तार्किक तर्कों का उपयोग किया
  • उन्होंने संसार के त्याग का समर्थन किया उनके विचार से निराकार परम सत्य सुन तन मन और उनके साथ एक हो जाने की अनुभूति ही मोक्ष का मार्ग है।

4. कबीर द्वारा अभिव्यक्त प्रमुख विचार क्या-क्या थे? उन्होंने इन विचारों को कैसे अभिव्यक्त किया?
Ans:-कबीर द्वारा अभिव्यक्त किए गए प्रमुख विचार निम्नलिखित है:-

  • कबीर निराकार परम ईश्वर में विश्वास रखते थे
  • उन्होंने यह उपदेश दिया था कि भक्ति के माध्यम से ही मोक्ष की प्राप्ति हो सकती हैं
  • उनके उपदेश प्रमुख धार्मिक परंपराओं और पूर्ण तथा प्रचंड कृतित्व स्वीकृति पर आधारित थे
  • उनके उपदेशों में ब्राह्मणवादी हिंदू धर्म और इस्लाम दोनों ही बाह्य आडंबर पूर्ण पूजा के सभी रूपों का मजाक उड़ाया है
  • उन्होंने पुरोहित वर्ग और जाति व्यवस्था के पूर्व करण का भी उपहास किया।

5. सूफियों के प्रमुख आचार- व्यवहार क्या थे?
Ans:-सूफियो के प्रमुख आचार व्यवहार निम्नलिखित थे:-

  • वे धर्म के बाहरी आडंबरओं को अस्वीकार करते हुए ईश्वर के प्रति प्रेम और भक्ति पर बल देते थे
  • मनुष्य के प्रति दया भाव रखने पर बल देते थे
  • उन्होंने मूर्ति पूजा को अस्वीकार कर दिया और सामूहिक प्रार्थना में पूजा के सरल रीति-रिवाजों को समाप्त कर दिया उन्होंने इस्लाम मैं एक ईश्वर बाद यानी एक अल्लाह के प्रति पूर्ण समर्थन समर्थन का प्रचार किया।

6. आपके विचार से बहुत से गुरुओं ने उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वाशो तथा प्रथाओं को अस्वीकार क्यों किया?
Ans:-कई गुरुओं मैं उस समय प्रचलित धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं को अस्वीकार कर दिया था क्योंकि-

  • यह धार्मिक विश्वासों तथा प्रथाओं ने समाज में मतभेद पैदा किए
  • गुरुओं ने ऊंची जाति के लोगों का समर्थन किया और नीची जाति के लोगों को प्रेरित किया गया
  • यह विचार की सभी मनुष्य सामान्य नहीं है समाज में प्रचलित थे और उन्हें समाप्त कर दिया जाना चाहिए वे इसी पर की समानता में विश्वास करते थे और समाज की बुराइयों को तोड़ना चाहते थे।

7. बाबा गुरु नानक की प्रमुख शिक्षाएं क्या थी?
Ans:-बाबा गुरु नानक की शिक्षाएं निम्नलिखित है-

  • उन्होंने एक ईश्वर की पूजा पर महत्व पर जोर दिया
  • उन्होंने कहा कि मुक्ति पाने के लिए जाती लेंगे आप प्रसांगिक है
  • मुक्ति का उनका विचार सामाजिक प्रतिबद्धता की एक मजबूत भावना के साथ सक्रिय जीवन की खोज पर था अपने उस उपदेश के सारे को व्यक्त करने के लिए उन्होंने 3 शब्दों का प्रयोग किया- नाम. दान और स्नान
  • इस प्रकार गुरुनानक में समानता के विचार को बढ़ावा दिया उन्होंने सही विश्वास और पूजा इमानदार जीवन और दूसरों की मदद करने के महत्व को निर्देशित किया।

8. जाति के प्रति वीरशैव अथवा महाराष्ट्र के संतों का दृष्टिकोण कैसा था? चर्चा करें।
Ans:-जाति के प्रति वीरशैवों का दृष्टिकोण-

  • उन्होंने मंदिर के पूजन पर प्रतिक्रिया दी
  • वीर विश्वास ने सभी मनुष्यों की समानता के लिए दृढ़ता से तर्क दिए
  • उन्होंने जाति और महिलाओं के इलाज के बारे में ब्राह्मण वादी विचारों को खारिज कर दिया।

9. आपके विचार से जनसाधारण ने मीरा की याद को क्यों सुरक्षित रखा?
Ans:-जनसाधारण ने मीरा की याद को निम्नलिखित कारणों से सुरक्षित रखा-

  • वह एक रानी थी और कृष्णा की भक्त थी
  • उन्होंने असंख्य भजनों की रचना करते हुए यहां अपने प्रिय स्वामी के प्रति श्रद्धा व्यक्त किया कि उन्होंने अपने पति द्वारा भेजा गया जहर भी पीया लेकिन वह मरी नहीं
  • उन्हें प्रभु द्वारा बचाए जाने के रूप में लोकप्रिय बनाया
  • उनके गीतों ने उच्च जातियों के मानदंडों को खुले तौर पर चुनौती दी और राजस्थान और गुजरात के जनता के साथ लोकप्रिय हो गए।