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विषय सूची:-
- मुगल साम्राज्य और परवर्ती मुगलों के लिए संकट की स्थिति
- नए राज्यों का गठन
- पुराने मुगल प्रांत
- राजपूतों की वतन जागीरी
- आजादी हासिल करना
- अन्य जानकारियाँ
- NCERT अभ्यास प्रश्न तथा उत्तर
मुगल साम्राज्य और परवर्ती मुगलों के लिए संकट की स्थिति
- 17 वी शताब्दी के अंतिम वर्षों में मुगल साम्राज्य के समक्ष तरह-तरह के संकट उत्पन्न होने लगे थे।
- मुगल बादशाह औरंगजेब ने दक्कन में 1669 से लंबी लड़ाई लड़ते हुए साम्राज्य के सैन्य और वित्तीय संसाधनों को बहुत अधिक खर्च कर दिया था।
- औरंगजेब के उत्तराधिकारी यों के शासनकाल में साम्राज्य के प्रशासन की कार्य कुशलता समाप्त होने लगी और मनसबदारओ के शक्तिशाली वर्गों को वश में रखना केंद्रीय सत्ता के लिए कठिन हो गया था।
- उत्तरी तथा पश्चिमी भारत के अनेक हिस्सों में हुए जमींदारों और किसानों के विद्रोह और कृषक आंदोलनों ने समस्याएं उत्पन्न की। यह विद्रोह बढ़ते हुए करो के भार के विरुद्ध किए गए थे और कभी-कभी यह विद्रोह शक्तिशाली सरदारों के द्वारा अपनी स्थिति को सुदृढ़ बनाने की कोशिश की थी।
- 1739 मैं दिल्ली पर ईरान के शासक नादिरशाह ने आक्रमण किया और संपूर्ण नगर को लूट कर बड़ी भारी मात्रा में धन दौलत ले गया। नादिरशाह के आक्रमण के बाद अफगान शासक अहमदशाह अब्दाली के आक्रमणों का ताँता लगा रहा।
- उसने 1748 से 1761 के बीच पांच बार उत्तरी भारत पर आक्रमण किया और लूटपाट मचाई।
- अभिजात वर्ग दो गुटों में बंटे हुए थे ईरानी और तूरानी।
नए राज्यों का गठन : Class 7 history Chapter 9
- 18 शताब्दी के दौरान मुगल साम्राज्य धीरे-धीरे कई स्वतंत्र क्षेत्रीय राज्यों में बिखर गया। इन राज्यों को 3 परस्परव्यापी समूहों में बांटा जा सकता है:- अवध, बंगाल व हैदराबाद जैसे वे राज्य जो पहले मुगल प्रांत थे। इन राज्यों के शासक बहुत शक्तिशाली थे और काफी हद तक स्वतंत्र थे। उन्होंने मुगल बादशाह से औपचारिक तौर पर अपने संबंध नहीं तोड़े।
- दूसरी श्रेणी में, ऐसे राज्य जो मुगलों के पुराने शासनकाल में वतन जागीरो के रूप में काफी स्वतंत्र थे। इनमें कई राजपूत प्रदेश भी शामिल थे।
- तीसरी श्रेणी में मराठों, सिक्खों तथा जाटों के राज्य आते हैं। यह विभिन्न आकार के थे और उन्होंने कड़े और लंबे सशस्त्र संघर्ष के बाद मुगलों से स्वतंत्रता छिन कर ली थी।
पुराने मुगल प्रांत : Class 7 history Chapter 9
- पुराने मुगल प्रांत : हैदराबाद (संस्थापक-आसफजाह), अवध (संस्थापक- सआदत खान), बंगाल (संस्थापक-मुशीद कुली खान)
हैदराबाद
- हैदराबाद राज्य के स्थापना निजाम उल आसफजाह द्वारा की गई थी।
- उसे सबसे पहले अवध की सूबेदारी सौंपी गई थी और बाद में दक्कन का कार्यभार दे दिया गया था।
- आसफ जाह अपने लिए कुशल सैनिकों तथा प्रशासकों को उत्तरी भारत से लाया और वे दक्षिण मे नए अवसर पाकर प्रसन्न थे।
- उसने मनसबदार नियुक्त किया और इन्हें जागीर प्रदान की।
- हालांकि वह मुगल सम्राट का सेवक था फिर भी वह काफी आजादी से शासन चलाता था।
- हैदराबाद राज्य पश्चिम की ओर मराठों के विरुद्ध और पठारी क्षेत्र के स्वतंत्र तेलुगु सेनानायकों के साथ युद्ध करने में सदा संलग्न रहता था।
- आसफजाह कोरोंमंडल तट पर स्थित वस्त्र उत्पादक धन संपन्न क्षेत्र पर अपना नियंत्रण प्राप्त करना चाहता था पर उसकी इस कामना पर उस क्षेत्र में ब्रिटिश शक्ति की उपस्थिति के कारण रोक लग गई।
अवध
- बुरहान उल मुल्क सआदत खान को 1722 में अवध का सूबेदार नियुक्त किया गया था।
- मुगल साम्राज्य का विघटन होने पर जो राज्य बने उनमें यह राज्य सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्यों में से एक था।
- अवध एक शक्तिशाली तथा समृद्धि शाली प्रदेश था जो गंगा नदी के उपजाऊ मैदान मैं फैला हुआ था और उत्तरी तथा बंगाल के बीच व्यापार का मुख्य मार्ग उसी में से होकर गुजरता था।
- बुरहान उल मुल्क ने अवध की सूबेदारी, दीवानी और फौजदारी एक साथ अपने हाथ में ले ली और सूबे के राजनीतिक, वित्तीय तथा सैनिक मामलों का एकमात्र कर्ताधर्ता बन गया।
- बुरहान उल मुल्क में अवध क्षेत्र में मुगल प्रभाव को कम करने की कोशिशों के चलते मुगलों द्वारा नियुक्त अधिकारियों की संख्या में कटौती कर दी।
- उसने धोखाधड़ी को रोकने के लिए जागीर अधिकारियों के खातों व लेखों की जांच की गई और नवाब के दरबार द्वारा नियुक्त अधिकारियों द्वारा सभी जिलों के राजस्व का फिर से निर्धारण किया गया।
- बुरहान उल मुल्क में अनेक राजपूत जमींदारों और रूहेलखंड के अफ़गानों की उपजाऊ कृषि भूमियों को अपने राज्य में मिला लिया।
बंगाल
- बंगाल राज्य का संस्थापक मुर्शीद कुली खां को माना जाता है।
- यद्यपि मुर्शिद कुली खां औपचारिक रूप से बंगाल का सूबेदार कभी नहीं बना उसने केवल सूबेदार के पद से जुड़ी हुई शक्तियां अपने हाथों में ली थी।
- हैदराबाद और अवध के शासकों की तरह उसने भी राज्य के राजस्व प्रशासन पर अपना नियंत्रण जमाया।
- बंगाल में मुगल प्रभाव को कम करने के लिए उसने बंगाल के राजस्व का बड़े पैमाने पर पुनः निर्धारित करने का आदेश दिया।
राजपूतों की वतन जागीरी
- अंबर और जोधपुर राजपूत राजघराने मुगल व्यवस्था में विशिष्टता के साथ सेवारत रहे थे, बदले में उन्हें अपने वतन जागीरो पर पर्याप्त स्वायत्तता मिली हुई थी। धीरे-धीरे इन शासकों ने अपने आसपास के इलाकों पर अपने नियंत्रण का विस्तार करना चाहा।
- जोधपुर के राजा अजीत सिंह ने की मुगल दरबार की गुटीय राजनीति में अपने पैर फंसा लिया।
- जोधपुर के राजा अजीत सिंह को गुजरात की सुबेदारी और अंबर के राजा जयसिंह को मालवा की सुबेदारी मिली थी।
- जोधपुर राजघराने ने नागौर को जीत लिया और अपने राज्य में मिला लिया।
- अंबर ने भी बूंदी के बड़े-बड़े हिस्सों पर अपना कब्जा कर लिया।
- सवाई राजा जयसिंह ने जयपुर में अपनी नई राजधानी स्थापित की और उसे 1722 में आगरा की सुबेदारी दे दी गई।
आजादी हासिल करना : Class 7 history Chapter 9
सिक्ख
- 17 वीं शताब्दी में एक राजनीतिक समुदाय के रूप में गठित हो गया था।
- गुरु गोविंद सिंह ने ने 1699 खालसा पंथ की स्थापना से पूर्व और उसके पश्चात राजपूत तथा मुगल शासकों के खिलाफ कई लड़ाइयां लड़ी।
- 1708 में गुरु गोविंद सिंह की मृत्यु के बाद बंदा बहादुर के नेतृत्व में खालसा में मुगल सत्ता के खिलाफ विद्रोह किए। उन्होंने बाबा गुरु नानक और गुरु गोविंद सिंह के नामों वाले सिक्के गढाकर अपने शासन को सार्वभौम बताया।
- सतलुज और यमुना नदियों के बीच के क्षेत्र में उन्होंने अपने प्रशासन के स्थापना की 1715 में बंदा बहादुर को बंदी बना लिया गया और उसे 1716 में मार दिया गया था जपो और जब तू और मिलो की संयुक्त सेनाएं दल खालसा दल आती थी।
मराठा
- मराठा राज्य एक शक्तिशाली क्षेत्रीय राज्य था जो मुगल शासन का लगातार विरोध करके उत्पन्न हुआ था।
- शिवाजी ने शक्तिशाली योद्धा परिवारों की सहायता से एक अस्थाई राज्य की स्थापना की।
- शिवाजी ने प्रायद्वीप में मुगलों को चुनौती देने के लिए सैन्य बल का प्रयोग किया।
- शिवाजी की मृत्यु के पश्चात, मराठा राज्य में प्रभावी शक्ति, चितपावन ब्राह्मणों के एक परिवार के हाथ में रही, शिवाजी के उत्तराधिकारीयों के शासनकाल में पेशवा के रूप में अपनी सेवाएं देते रहे।
- पुणे मराठा राज्य की राजधानी बन गया।
- 1720 से 1761 के बीच मराठा साम्राज्य का काफी विस्तार हुआ।
- 1730 के दशक तक मराठा नरेश को समस्त दक्कन प्रायद्वीप के अधिपति के रूप में मान्यता मिल गई।
- 1737 में दिल्ली पर धावा बोलने के बाद मराठा प्रभुत्व की सीमाएं तेजी से बढ़ी।
- मराठों के सैन्य अभियान के कारण अन्य शासक भी उनके खिलाफ हो गए परिणामस्वरूप मराठों को 1761 में पानीपत की तीसरी लड़ाई में अन्य शासकों से कोई सहायता नहीं मिली।
जाट
- अन्य राज्यों की तरह जाटों ने 17वीं और 18वीं शताब्दी में अपना सत्ता सुदृढ़ किया।
- अपने नेता चूड़ामन के नेतृत्व में जाटों ने दिल्ली के पश्चिम में स्थित क्षेत्रों पर अपना नियंत्रण कर लिया।
- जाट समृद्ध कृषक थे और उनके प्रभुत्व क्षेत्र में पानीपत तथा बल्लभगढ़ जैसे शहर महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गए सूरजमल के राज में भरतपुर शक्तिशाली राज्य के रूप में उभरा।
- 1739 में जब नादिरशाह ने दिल्ली पर हमला बोलकर उसे लूटा तो दिल्ली के कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने भरतपुर में शरण ली। नादिर शाह के पुत्र जवाहर शाह के पास 20000 सैनिक थे।
अन्य जानकारियां
- अंबेर के शासक सवाई जयसिंह ने दिल्ली, जयपुर, उज्जैन, मथुरा और वाराणसी में पांच खगोलीय वेधशाला का निर्माण किया। जंतर-मंतर के नाम से विख्यात इन वैद्य शालाओं में खगोलीय पिंडों के अध्ययन हेतु कई उपकरण है।
- चौथ:- जमींदारों द्वारा वसूले जाने वाले भू राजस्व का 25% ढक्कन में इनको मराठा वसूलते थे।
- सरदेशमुखी:- दक्कन में मुख्य राजस्व संग्रह करता को दिए जाने वाले भू राजस्व का 910% हिस्सा।
1. निम्नलिखित में मेल बैठायें:-
सूबेदार | एक राजस्व कृषक |
फौजदार | उच्च अभिजात |
इजारादार | प्रांतीय सूबेदार |
मिस्ल | मराठा कृषक योद्धा |
चौथ | एक मुगल सैन्य कमांडर |
कुनबी | सिक्ख योद्धाओ का समूह |
उमरा | मराठों द्वारा लगाया गया कर |
उत्तर-
सूबेदार | प्रांतीय सूबेदार |
फौजदार | एक मुगल सैन्य कमांडर |
इजारादार | एक राजस्व कृषक |
मिस्ल | सिक्ख योद्धाओ का समूह |
चौथ | मराठों द्वारा लगाया गया कर |
कुनबी | मराठा कृषक योद्धा |
उमरा | उच्च अभिजात |
2. रिक्त स्थान की पूर्ति करें:-
(क) औरंगजेब ने _________ में एक लंबी लड़ाई लड़ी।
(ख) उमरा और जागीरदार मुगल __________ के शक्तिशाली अंग थे।
(ग) आसफजह ने हैदराबाद राज्य की स्थापना __________ में की।
(घ) अवध राज्य का संस्थापक ____________ था।
उत्तर- (क) दक्कन
(ख) साम्राज्य
(ग) 18 वीं शताब्दी
(घ) सआदत खान
3. बताएं सही या गलत:-
(क) नादिरशाह ने बंगाल पर आक्रमण किया।
(ख) सवाई राजा जयसिंह इंदौर का शासक था।
(ग) गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे।
(घ) पुणे 18वीं शताब्दी में मराठों की राजधानी बना।
उत्तर- (क) गलत
(ख) गलत
(ग) सही
(घ) सही
4. सआदत खान के पास कौन कौन से पद थे?
उत्तर- सआदत खान के पद:-
- सूबेदारी,
- फ़ौजदारी
- दीवानी।
5. अवध और बंगाल के नवाब ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश क्यों की?
उत्तर- अवध और बंगाल के नवाब ने जागीरदारी प्रथा को हटाने की कोशिश की क्यों की:-
- बुरहान–उल–मुल्क ने अवध क्षेत्र में मुग़ल प्रभाव को कम करने के लिए मुग़ल द्वारा नियुक्त अधिकारियों की संख्या में कटौती की।
- जागीरों के आकार में भी कटौती की।
- कृषि भूमियों को अपने राज्यों में मिला लिया।
- नवाब के दरबार द्वारा नियुक्त अधिकारियों द्वारा सभी जिलों के राजस्व का फिर से निर्धारण किया क्योंकि अवध का नवाब इन राजस्व को अपने अधीन लाना चाहता था।
6. 18वीं शताब्दी में सिक्खों को किस प्रकार संगठित किया गया?
उत्तर- 18वीं शताब्दी में सिक्खों को निम्न प्रकार से संगठित किया गया:-
- अठारहवीं शताब्दी में कई योग्य नेताओं के नेतृत्व में सिक्खों ने अपने आप को पहले जत्थों में और बाद मिस्लों में संगठित किया।
- उन दिनों दल खालसा बैसाखी और दीवाली के त्यौहारों पर अमृतसर में मिलते थे। इस बैठक में सिक्खों के लिए सामूहिक निर्णय लिए जाते थे जिन्हें गुरमत्ता (गुरु के प्रस्ताव) कहा जाता था। सिक्खों ने राखी व्यवस्था स्थापित की जिसके अंतर्गत किसानों से उपज का 20 प्रतिशत कर के रूप में लिया जाता था। खालसा ने सन 1765 में अपना सिक्का गढ़ कर अपने स्वतंत्र राज्य की घोषणा की।
- एक मिसल के नेता महाराजा रणजीत सिंह ने विभिन्न मिसलों को एकत्रित करके 1799 में विशाल सिक्ख साम्राज्य की स्थापना की और सिक्खों को संगठित किया।
7. मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार क्यों करना चाहते थे?
उत्तर- मराठा शासक दक्कन के पार विस्तार करना चाहते थे क्योंकी:-
- मराठा राज्य एक अन्य शक्तिशाली राज्य था जो मुग़ल शासन का लगातार विरोध करके उत्पन्न हुआ था।
- आगे चलकर वे अपने शासन को दक्कन के पार विस्तार करना चाह्ते थे क्योकि वे अपनी सेनाएँ समृद्ध बनाने के लिए सबके सामने खड़ा करने के लिए संसाधन जुटाना चाहते थे।
- उत्तरी मैदानी भागों के उपजाऊ क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए। वे अधिक से अधिक क्षेत्रों से सरदेशमुखी कर वसूलना चाहते थे और एक बड़े श्रेत्र पर अपना शासन स्थापित करना चाह्ते थे।
8. आसफजाह ने अपनी स्थिति को मजबूत बनाने के लिए क्या-क्या नीतियां अपनाई?
उत्तर-
- कुशल सैनिकों तथा प्रशासकों को उत्तरी भारत से लाया था।
- आसफजाह वहां आकर मनसबदार नियुक्त किए और उनको जागिरे प्रदान की।
- वह दिल्ली से ना कोई आदेश लेता ना किसी काम में हस्तक्षेप करता।