Jaiv Prakram Poshan: जैव प्रक्रम: पोषण अध्याय 6 के सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर पढ़ें। 10वीं विद्यार्थियों के लिए सटीक ओर सुलभ नोट्स। झारखण्ड पाठशाला में कक्षा 10 विज्ञान के सभी अध्यायों के समाधान उपलब्ध है।
Jaiv Prakram Poshan : 1 अंक स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
- कवकों में किस विधि द्वारा पोषण होता है?
उत्तर- परपोषण। - जीवाणुओं में किस प्रकार का पोषण पाया जाता है ?
उत्तर -परजीवी पोषण।
3 . स्वपोषी के दो उदाहरण दें।
उत्तर -(i) हरे पदक , (i) क्लोरो- बैक्टीरिया।
- विषमपोषी के दो उदाहरण दें।
उत्तर – (i) मानव , (ii) गाय। - वह प्रक्रिया बताएं जिसके द्वारा स्वपोषी अपने भोजन का निर्माण करते हैं?
उत्तर -प्रकाशसंशलेषण। - पौधों द्वारा प्रकाश – संशलेषण की क्रिया में सूर्य की विकिरण ऊर्जा का रूपांतरण किस रूप में होता है ?
उत्तर – रासायनिक ऊर्जा। - पती की सतह पर पाये जाने वाले सूक्ष्मछिद्र जो गैसीय विनि- मय मैं सहायक होते हैं क्या है ?
उत्तर – रंध्र - उन वर्णको के नाम लिखें जो सौर ऊर्जा को ग्रहण करते हैं ।
उत्तर – क्लोरोफिल (पर्णहरित)। - उस रंजक का नाम लिखें जो सौर ऊर्जा का शोषण कर सकता है ।
उत्तर -हरितलवक। - हरितलवक मैं कौन-सा रंजक पाया जाता है ?
उत्तर – पर्णहरित। - किसी एक प्राणीसमभौजी सूक्ष्म जंतु का नाम लिखें।
उत्तर – अमीबा। - ग्लूकोज के पाईरूवेट मैं बदलने का कार्य कोशिका के किस भाग में होता है?
उत्तर – कोशिका द्रव्य मे। - किसी एक पादप परजीवी का नाम लिखें।
उत्तर – अमरबेल। - किसी एक पादप मृतोपजीवी का नाम लिखें।
उत्तर – म्यूकर। - अमीबा के किस अंग में पाचन क्रिया होती है ?
उत्तर – खाद्यधानी। - किसी रोग कारक प्रजीव (प्रोटोजोआ) का नाम लिखें ।
उत्तर – एन्ट अमीबा। - किसी कीट भक्षी पादक का नाम लिखें।
उत्तर – ड्रोसेरा (घटपर्णी)। - एक ऐसे जंतु का नाम लिखें जो प्रकाश – संशलेषण क्रिया द्वारा अपना भोजन बनाता है?
उत्तर – यूग्लीना। - शरीर में पाये जाने वाले जैव उत्प्रेरक पदार्थों को क्या कहते हैं?
उत्तर – एंजाइम। - मनुष्य की लार ग्रंथियों मैं कौन-सा एंजाइम पाया जाता है?
उत्तर – टायलीन या लार एमाइलेज।
Jaiw Prakram: 2 or 3 अंक स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
1. जैव प्रक्रम क्या है?
उत्तर – जीवित शरीर में होने वाले वे सभी प्रक्रम जो जीवन के लिए अनिवार्य होते हैं जैव प्रक्रम कहलाते हैं। पोषण , शवसन , उत्सर्जन कथा वहन जैव प्रक्रम के उदाहरण है।
2. पोषण की परिभाषा दें।
उत्तर – पोषण एक ऐसी जैविक प्रक्रिया है जिसमें जीवधारी पोषको को अंतग्रहण करके उससे ऊर्जा और नया जीवद्रव्य प्राप्त करते हैं।
3. स्वयंपोषी एवं विषमपोषी किसे कहते हैं ?
उत्तर – (i) स्वयंपोषी – जब कोई जीव अपना भोजन स्वयं तैयार करते हैं , स्वयंपोषी कहलाते हैं।
(ii) विषमपोषी – जब कोई जीव अपने भोजन के लिए दूसरे जीवो पर निर्भर करते हैं , विषमपोषी कहलाते हैं।
4. स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक परिस्थितियां कौन- सी है और उसके उपोत्पाद क्या है?
उत्तर – स्वपोषी पोषण के लिए आवश्यक शर्तें है –
(i) जैव कोशिकाओं में क्लोरोफिल की उपस्थिति।
(ii) पादप कोशिकाओं या हरे हिस्सों में पानी की आपूर्ति का प्रबंध या तो जड़ों द्वारा या आसपास के वातावरण के द्वारा।
(iii) पर्याप्त सूर्य प्रकाश उपलब्ध हो, क्योंकि प्रकाश संशलेषण के लिए प्रकाश ऊर्जा आवश्यक है।
(iv) पर्याप्त CO2 , जो प्रकाश संशलेषण के दौरान शर्करा के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण अवयव
है।
स्वपोषी पोषण के उपोत्पाद- स्टार्च (शर्करा), जल तथा CO2.
5. प्रकाश संशलेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री पौधा कहां से प्राप्त करता है?
उत्तर – प्रकाश संशलेषण के लिए आवश्यक कच्ची सामग्री को पौधा अलग-अलग स्रोतों से प्राप्त करता है।
जैसे – (i) पर्णहरित – पत्ती के हरित लवक से।
(ii) कार्बन डाइऑक्साइड – वायुमंडल से।
(iii) जल इत्यादि – मृदा से।
6. प्रकाश संशलेषण के दौरान कौन-कौन सी घटनाएं होती है?
उत्तर – प्रकाश संशलेषण के दौरान निम्नांकित घटनाएं होती है-
(i) क्लोरोफिल द्वारा प्रकाश उर्जा का अवशोषण।
(ii) प्रकाश ऊर्जा का रासायनिक ऊर्जा में परिवर्तन तथा जल अणु का हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन में टूटना।
(iii) कार्बन डाइऑक्साइड का शर्करा मैं अपघटन।
7. हमारे आमाशय में अम्ल की भूमिका क्या है?
उत्तर -(i) आमाशय में पाए जाने वाले इजाइम भोजन का पाचन अम्लीय माध्यम में करते हैं। अमाशय में अम्ल भोजन को अम्लीय बनाता है ताकि जठर रस में पाए जाने वाले इजाइम उसे पचा सके।
(ii) यह भोजन में उपस्थित जीवाणुओं को नष्ट कर देता है।
8. पचे हुए भोजन को अवशोषित करने के लिए क्षुदात्र को कैसे अभीकल्पित किया गया है?
उत्तर- क्षुदात्र के आंतरिक भीती पर असंख्य रसाकुर पाए जाते हैं। इनमें रक्त वाहिकाओं एवं लिम्फ़ वाहिनी का जाल बिछा होता है। विसरण क्रिया द्वारा भोजन का प्रोटीन, ग्लूकोज, खनिज, विटामिन इत्यादि रक्त में सोख लिए जाते हैं। वसीय अम्लो एवं गिलसरोल का अवशोषण लिम्फ वाहिनी में होता है। उपयुक्त के अतिरिक्त क्षुद्रात्र की संकुचन और अनुशीथीलन की गति भी भोजन के अवशोषण में एक सीमा तक अवश्य सहायक होती है।
9. भोजन के पाचन मे लार की क्या भूमिका है?
उत्तर -मानव के मुख में तीन जोड़ी लाला ग्रंथियां होती है। इसमें उत्पन्न होने वाला रस लार कहलाता है। इस रस में पाया जाने वाला एंजाइम टायलिन कहलाता है। यह एंजाइम भोजन में उपस्थित कार्बोहाइड्रेट को मोल्टोज शर्करा में परिवर्तित करता है जो सरलता से आहार नाल के अन्य अन्य भागों में पाचीत होता है।
10. शाकाहारी जानवरों को अपेक्षाकृत छोटी छोटी-आत की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर – शाकाहारी जंतुओं के भोजन में सेलुलोज होता है क्योंकि वे अधिकतर घास खाते हैं। सेलुलोज के पाचन के लिए लंबी पाचन नली की आवश्यकता होती है। मांस का पाचन सेलुलोज की अपेक्षा शीघ्र होता है। यह कारण है कि मांसाहारी जानवरों (जैसे – शेर , चीता आदि) की छोटी – आत शाकाहरियो की छोटी -आंत से छोटी होती है।
Jaiv Prakram Poshan: 5 अंक स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. पोषण से आप क्या समझते हैं? विभिन्न प्रकार की पोषण विधियों का उदाहरण दें.
Ans: किसी जीवधार्री द्वारा पोषक पदार्थों के अंतर्ग्रहण और उपयोग से संबंधित जटिल प्रक्रम को पोषण कहते है।
(i) स्वपोषण: जब कोई जीव अपना भोजन स्वयं बनाता है तब पोषण की इस विधि को स्वपोषण कहते है। उदाहरण: पौधों की पोषण विधि।
(ii)परपोषण: जब कोई जीव अपने पोषण के लिए अन्य जीवों पर आश्रित रहता है टन पोषण की इस विधि को परजीवी पोषण कहते है। यह तीन प्रकार का होता है :
(a) परजीवी पोषण- जब कोई जीव किसी दूसरे जीव से अपना भोजन प्राप्त करता है तो उसे परजीवी पोषण कहते है। ऐसे जीवों को परजीवी कहते है। मच्छर तथा फीता कृमि परजीवीयो के उदारहरण है।
(b) प्राणी समपोषण- जब कोई जीव अपना भोजन ठोस टुकड़ों के रूप में ग्रहण करता है, उसे पचाता है तथा उसका अवशोषण करता है तब इस प्रकार के पोषण को प्राणी समपोषण कहते है। उदाहरण- अमीबा तथा मेंढक में परपोषण।
(c) मृतोंपरजीवी पोषण- जब कोई जीव अपना भोजन मृत तथा साड़ी गली वस्तुओ से प्राप्त करता है- कवकों में इसी प्रकार का पोषण होता है।
Q.2. रंध्र क्या है रंध्र के दो कार्य लिखें रंध्र का खुलना तथा बंद होना किस प्रकार नियंत्रित होता है?
Ans: पत्ती के निचली सतह पर पाई जाने वाली छिद्रों को रंध्र कहते है।
रंध्र के कार्य:
(i) पादपों में रंध्रों द्वारा गैसों का आदान प्रदान करता है।
(ii) वाष्पोत्सर्जन के दौरान, रंध्रों के द्वारा ही जल वाष्प बनकर उड़ता है।
रंध्र द्वार कोशिकाओ के बीच में होते है। रंध्रों का खुलना, जल के वाष्प बनकर उड़ने की गति तथा प्रकाश उपस्थिति के स्तर, इन दोनों घटकों पर निर्भर करता है। जैसे जैसे प्रकाश संश्लेषण की गति बढ़ती है, वैसे वैसे पत्ती में CO2 की सांद्रता कम होती जाती है तथा शर्करा बढ़ती चली जाती है। शर्करा के स्तर में अंतर, परासरण दबाव में अंतर उत्पन्न करता है। यह दबाव रंध्रों को खोलता है। इसी प्रकार, जब द्वार कोशिकाएं सिकुड़ती है, तब रंध्र बंद हो जाते है।
Q.3. पाचन तंत्र किसे कहते है? मनुष्य के पाचन तंत्र के विभिन्न भागों के नाम और उसके कार्य लिखें।
Ans: भोजन की क्रिया और अवशोषण से संबंधित अंगों के समूह को पाचन तंत्र कहते है।
मनुष्य के पाचन तंत्र के भाग और उनके कार्य इस प्रकार है-
(i) मुख: यह दांतों की सहायता से भोजन को महीन टुकड़ों में बदलता है और मुखहगुहा में बनने वाला लार कार्बोहाइड्रेट का पाचन करता है।
(ii) आमाशय: हाइड्रोक्लोरीक अम्ल और जठर रस का स्राव करना।
(iii) पक्वाशय : इसमे भोजन के प्रोटीन का पाचन होता है।
(iv) छोटी आंत: इसमे भोजन के बचे हुए शेष भागों तथा पचे भागों का पाचन तथा पचे हुए भोजन का अवशोषण होता है।
(v) बड़ी आंत: इसके द्वारा अनपचे भोजन के अतिरिक्त जल को सोखकर मल के रूप में उत्सर्जित कर दिया जाता है।
Q.4. मनुष्य में भोजन की पाचन क्रिया का वर्णन करें।
Ans: मनुष्य में भोजन का पाचन निम्नांकित चरणों में सम्पन्न होता है-
(i) मुख में पाचन- मुख में लार ग्रंथियों से निकलने वाले लार में टायलीन नामक कार्बोहाइड्रेट पाचक एंजाइम होता है जो कार्बोहाइड्रेट को माल्टोज में बदल देता है। इसके बाद भोजन आमाशय में पहुचता है।
(ii) आमाशय में भोजन का पाचन- आमाशय की आंतरिक भित्ति में पाई जाने वाली ग्रंथियों से हाईड्रोक्लोरीक अम्ल निकलता है जो a) माध्यम को अम्लीय बनाता है और b) बीमारी के जीवाणुओ को नष्ट कर देता है। आमाशय की जठर ग्रंथियों से निकालने वाले जठर रस में प्रोटीन में बदल देता है। बच्चों में दूध की केसीन को पचाने के लिए रेनिन नामक अतिरिक्त एन्जाइम भी इस में पाया जाता है। आमाशय के बाद भोजन पाक्वाशय में जाता है।
(iii) पक्वाशय में पाचन: यहाँ भोजन से दो प्रकार के पदार्थों का मेल होता है-
a) पित्त और b) अग्शयिक रस।
पित्त माध्यम को क्षारीय बनाता है, वसा का पायसीकरण करता है और बीमारियों के जीवाणुओ को नष्ट करता है। अग्शयिक रस में पाए जाने वाले पाचक रसो की क्रिया इस प्रकार होती है-
एमाइलेज + माल्टोज ______> ग्लूकोस
ट्रिप्सिन + पेप्टोन ______> पेप्टाइडेज
लाइपेज + पायसीकृतवसा _______> वसीय अम्ल + ग्लिसराल