जैव प्रक्रम वहन | Jaiv Prakram Vahan | Class 10 Science Chapter 6

Jaiv Prakram Vahan: जैव प्रक्रम: वहनअध्याय 6 के सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर पढ़ें। 10वीं विद्यार्थियों के लिए सटीक ओर सुलभ नोट्स। झारखण्ड पाठशाला में कक्षा 10 विज्ञान के सभी अध्यायों के समाधान उपलब्ध है।

Jaiv Prakram Vahan Class 10 Science Chapter 6
जैव प्रक्रम: वहन

Jaiv Prakram Vahan: 1 अंक स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

  1. पादप में जाइलम उत्तरदायी है-
    उत्तर -जल, खनिज एवं लवण का वहन।
  2. मानव में परिवहन के लिए उत्तरदायी तंत्र का नाम लिखें।
    उत्तर -परिसंचरण तंत्र।
  3. पौधों में जल का परिवहन किस ऊतक द्वारा होता है?
    उत्तर -जाइलम।
  4. जड के किस भाग द्वारा मिट्टी से जल का अवशोषण होता है?
    उत्तर -मूल रोम।
  5. जलीय पौधों में गैसों का आदान – प्रदान किस विधि से होता है?
    उत्तर- विसरण।
  6. बीजों को जल में भिगोने पर वे किस क्रिया के कारण फूल जाते है?
    उत्तर – अन्त:शोषण के कारण।
  7. पत्ती और वातावरण के बीच गैसों का आदान – प्रदान किस पादप – संरचना द्वारा होता है?
    उत्तर वातरंध्र।
  8. कोशिकाओं का निर्जलन किस क्रिया का उदाहरण है?
    उत्तर- बहि: परासरण।
  9. कोशिका बाह्य तरल का दूसरा नाम क्या है?
    उत्तर- लिम्फ।
  10. कट जाने पर कौन – सी कोशिकाएं रक्त का बहना रोक देती है?
    उत्तर – प्लेटलैट्स।
  11. प्लेटलेट्स अनुरक्षण का कार्य कैसे करते हैं?
    उत्तर -रक्त का थक्का बनाकर तथा रक्त के बहने का मार्ग अवरूद्ध करके।
  12. मनुष्य में दो तरल पदार्थों के नाम बताएं जो वहन में शामिल है।
    उत्तर -(i) रुधिर,
    (ii) लसीका।
  13. रुधिर का तरल हिस्सा क्या है?
    उत्तर -प्लाज्मा।
  14. मनुष्य के चार रुधिर वर्गों के नाम लिखे।
    उत्तर -A,B, AB और O रक्त समूह ।
  15. मानव शरीर में पायी जाने वाली सबसे बड़ी धमनी का नाम लिखें।
    उत्तर -महाधमनी।
  16. मानव के हृदय में कितना आलिंद और कितने निलय होते हैं ?
    उत्तर -दो आलिंद और दो निलय।
  17. एक तरल संयोजी ऊत्तक का नाम बताएं।
    उत्तर -रुधिर।
  18. मनुष्य के वहन तंत्र के दो प्रमुख हिस्सों के नाम लिखें।
    उत्तर -(i) हृदय,
    (ii) रुधिर वाहिकाएं।
  19. मनुष्य के हृदय के दो प्रमुख हिस्सो के नाम बताएं।
    उत्तर-(i) अलिंद,
    (ii) निलय।
  20. मनुष्य के हृदय में कितने कोष्ठक (चेम्बर) होते हैं?
    उत्तर -चार।

Jaiv Prakram Vahan: 2 or 3 अंक स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

1. वहन किसे कहते है?
उत्तर -पौधे के एक भाग से दूसरे भागो तकजल और खनिज लवणों का परिवहन, वहन कहलाता है।

2. रुधिर (राक्त) क्या है? इसके दो कार्य लिखें।
उत्तर – रक्त एक तरल संयोजी उत्तक है।
रक्त के कार्य – (i) शरीर में ऑक्सीजन का परिवहन,
(ii) पोषण तत्त्वो का शरीर में परिवहन।

3. रक्तदाब किसे कहते हैं? इसे किस यंत्र द्वारा मापा जाता हैं?
उत्तर -रुधिर वाहिकाओ की भित्ति के विरुद्ध जो दाब लगता है उसे रक्तदाब कहते हैं। रक्तदाब को स्फाईग्मो मैनोमीटर नामक यंत्र से नापा जाता हैं।

4. पौधों के लिए वाष्पोत्सर्जन का दो महत्वपूर्ण लिखें।
उत्तर -पौधों के लिए वाष्पोत्सर्जन का महत्व-
(i) जल के अवशोषण एवं जड़ से पत्तियों तक जल पहुंचाने में सहायक है।
(ii) खनिज लवणों के उपरिमुखी गति में सहायक है।

5. पदार्थों में स्थानांतरण की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर – पौधों में पदार्थों का परिवहन बहुत आवश्यक होता है। पौधे जड़ों और पत्तो के द्वारा भोजन तैयार करते हैं। पत्तो के द्वारा तैयार किया भोजन जड़ों की ओर तथा जड़ों के द्वारा तैयार भोजन पत्ते की ओर जाना आवश्यक है। परिवहन के द्वारा भोजन पौधों के सभी भागों के पास पहुंच जाता है।

6. स्तनधारी तथा पक्षियों में ऑक्सीजनित तथा वीऑक्सीजनित रुधिर को अलग करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर -ऑक्सीजनित एवं विऑक्सीजनित रुधिर को अलग करने से शरीर के अंगों को ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति होती है। स्तनधारियों एवं पंछियों में शरीर के ताप को समान बनाए रखने के लिए लगातार ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः इन प्राणियों में दोनों प्रकार के रुधिर को अलग करना आवश्यक होता है।

7. लसीका (लिम्फ) क्या है? इसका क्या कार्य है?
उत्तर -ऊतको के अंतकोर्शिकीय अवकाशो में पाया जाने वाला प्लाज्मा प्रोटीन तथा रक्त कोशिकाओं से बना रंगहीन तरल पदार्थ लसिका कहलाता है। यह कोशिका झिल्ली के छिद्रों से होकर बाहर निकले हुए प्लाजमा, प्रोटीन तथा रक्त कोशिकाओं के मिलने से बनता है।

8. मनुष्य में दोहरा परिसंचरण की व्याख्या करें।
उत्तर -मनुष्य में रक्त को हृदय से होकर दो बार गुजरना पड़ता है। इसे दोहरा परिसंचरण कहते हैं।
शिराओ द्वारा शरीर के विभिन्न भागों से अशुद्ध रक्त हृदय में लाया जाता है। ह्रदय उसे शुद्ध होने के लिए अलग मार्ग से फुफ्फुस में भेज देता है जहां कार्बन डाइऑक्साइड बाहर विसरित हो जाती है और ऑक्सीजन रक्त में आ जाती है। इस प्रकार ऑक्सीजनयुक्त रक्त पुनः ह्रदय में आता है जिसे शरीर के अंगों में पहुंचाने के लिए पंप कर दिया जाता है।

9. हृदय में चार चेम्बरो के होने से क्या लाभ है?
उत्तर- ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड दोनों का एक ही रक्त के माध्यम से परिवहन होता है। इसीलिए यह आवश्यक है कि ऑक्सीजन से समृद्ध रक्त को कार्बन डाइऑक्साइड से समृद्ध रक्त में मिलने से रोका जाए। कार्बन डाइऑक्साइड से समृद्ध रक्त को फेफड़ों की भित्तियों में जाना आवश्यक होता है ताकि उसकी कार्बन डाइऑक्साइड को अलग किया जा सके। इसके साथ ही ऑक्सीजन युक्त कार्बन डाइऑक्साइड विहिन रक्त को हृदय में रखना होता है ताकि उसको शरीर के अन्य अंगों में भेजा जा सके। इसीलिए मानव हृदय में चार चेम्बर होते हैं।

10 श्वसन किस प्रकार श्वांस लेने से भिन्न है?
उत्तर-

श्वास लेनाश्वसन
यह एक भौतिक प्रक्रिया है। यह एक रासायनिक प्रक्रिया है।
यह स्वसन तंत्र में होती है। यह कोशिका के माइटोकोन्ड्रिया में होती है।
कोई ऊर्जा मुक्त नहीं होती है। कोई ऊर्जा मुक्त होती है।

Jaiv Prakram Vahan: 3 or 4 अंक स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

1. वाष्पोत्सर्जन क्या है? पादप में इसका महत्व बताएं।
उत्तर- पादप में पत्तियों की सतह से तथा प्ररोह के अन्य हिस्सों से वातावरण में जल की जलवाष्प के रूप में हानी को वाष्पोत्सजन कहते है। पादपों में वाष्पोत्सर्जन का अत्यधिक महत्व है इसके प्रमुख लाभ निम्नांकित है:

  • शीतलन प्रभाव- वाष्पन तापमान को कम करता है। इसलिए वाष्पोत्सर्जन कड़ी धूप के दिनों में पादपों के लिए लाभप्रद है।
  • चूषण बल- वाष्पोत्सर्जन पादप के शिखर पर चूषण बल उत्पन्न करके रस के ऊपर चढ़ने में मदद करता है। पत्तियों में वाष्पन कोशिका रस को सांद्र करता है। तथा उनका परासरण दाब बढ़ाता है। यह जल को नीचे इस तरह की कोशिकाओ से क्रमबद्ध रूप में ऊपर की ओर खींचता है अतः अंत में मृदा से जल के प्रसरण द्वारा मदद अवशोषण में मदद करता है।
  • जल का वितरण- क्योंकि पत्तियां शाखाओं के शिखरों पर स्थापित होती है अतः पत्तियों की सतह से वाष्पोत्सर्जन जल को पत्तियों की ओर खींचता है और इस प्रकार पाठक शरीर के सभी हिस्सों में जल का वितरण करता है।
  • आधिक्य जल का निकालना: जरा निरंतर बहुत बड़ी मात्रा में जल का अवशोषण करती है वाष्पोत्सर्जन एक बहुत प्रभावी तरीका है जिसके द्वारा आदित्य जय निकाला जा सकता है।

2. रुधिर और लसीका में अंतर लिखें।
उत्तर- रुधिर लसीका में अंतर :

रुधिर लसीका
वह लाल रंग का होता है। यह रंगहीन या हल्के पीले रंग का होता है।
इसमे हिमोग्लोबिन होता है। इसमे हीमोग्लोबिन नहीं होता है।
इस में लाल रक्त कणिकाएं श्वेत रक्त कणिकाएं और रुधिर पट्टिकाएं होती है। इसमे कणिकाएं नहीं होती है।
यह हृदय से अंगों तक बहता है और वापस आता है। यह केवल एक दिशा में बहता है अर्थात ऊतकों की और।
इसमें श्वसन वर्णक, ऑक्सीजन, कार्बनडाइऑक्साइड और वर्ज्य पदार्थ होते हैं। यह शरीर की कोशिकाओ को नहलाता है।
इसमें सभी प्रकार के रक्त प्रोटीन पाए जाते हैं। इसमे फाइब्रिनोजन नहीं होता है।

3. जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में क्या अंतर है?
उत्तर- जाइलम तथा फ्लोएम में पदार्थों के वहन में अंतर:

जाइलम फ्लोएम
जाइलम जड़ से पत्तियों तथा अन्य भागों में जल तथा घुले लवण परिवहित करते है। फ्लोएम , भोजन पदार्थों को घुली अवस्था में पत्तियों से पादप के दूसरे हिस्सों तक परिवहित करता है।
जाइलम में पदार्थों का परिवहन वाहिकाओ तथा वाहिनियों द्वारा होता है, जो मृत उत्तक है। फ्लोएम में पदार्थों का परिवहन चालनी ट्यूबों द्वारा सहचर कोशिकाओ की मदद से होता है, जो जैव कोशिका है।
वाष्पोत्सर्जन पूल के कारण ऊपर की ओर जल तथा घुले लवणों का चढ़ना संभव हो पाता है। यह पत्ती की कोशिकाओ से जल अणुओ के वाष्पीकरण से उत्पन्न खिंचाव के कारण होता है। स्थानांतरण में, पदार्थ फ्लोएम ऊतक में ATP ऊर्जा का इस्तेमाल करते हुए होता है। यह परासरण दाब बढा देता है जो फ्लोएम से पदार्थों को ऊतकों की ओर भेजता है, जिनमे दाब कम होता है।
जल का परिवहन सरल भौतिक गति के अंतर्गत होता है। ऊर्जा खर्च नहीं होती है। अतः ATP की आवश्यकता नहीं है। फ्लोएम में स्थानांतरण एक सक्रिय क्रिया है तथा इसमे ऊर्जा की आवश्यता होती है। यह ऊर्जा ATP से प्राप्त होती है।

4. मानव में वहन तंत्र के घटक कौन -कौन से है?
उत्तर- मानव में वहन तंत्र के घटक तथा उसके कार्य निम्नलिखित है-

  • हृदय- रुधिर को एक पंप की तरह शरीर के विभिन्न भागों में भेजना, अशुद्ध रक्त को शुद्ध होने के लिए फेफड़ों और गुर्दों में भेजना तथा शुद्ध रुधिर को शरीर के विभिन्न भागों में भेजना।
  • धमनियाँ- शुद्ध या ऑक्सीजनीत रुधिर को हृदय से दूर शरीर के अंगों में भेजना।
  • शिराएं- अशुद्ध या विऑक्सीजनीत रक्त को हृदय तक लाना।
  • कोशिकाएं- रक्त को शरीर के संकीर्ण भागों तथा त्वचा में भेजना।
  • बिम्बाणु- रुधिर का थक्का बनने में सहायता करना तथा अनुरक्षण।

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