Prakritik Sansadhano ka Prabandhan: प्रकितिक हमें प्रचुर संसाधन उपलब्ध कराती है। इनमें से कुछ संसाधन असीमित और कुछ असीमित है। हमें दोनों का ही सम्मान करना चाहिए। इस अध्याय में प्राकृतिक संसाधनों और इन्हें संरक्षित करने करने के उपायों से सम्बंधित प्रश्नों को हल करेंगे।
Prakritik Sansadhano ka Prabandhan: 1 अंक स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. कोलीफार्म जीवाणु मुख्यत: कहां पाये जाते हैं?
Ans: जानवरों और मनुष्य की आंतों में।
Q.2. जल में कोलीफॉर्म जीवाणुओ की उपस्थिति क्या दर्शाती है?
Ans: जल में इसकी उपस्थिति, इस रोग जन्य सूक्ष्म जीवाणु द्वारा जल का संदूषित होना दर्शाता है।
Q.3. टिहरी बांध का निर्माण किस नदी पर किया गया है?
Ans: गंगा नदी पर।
Q.4. गंगा नदी की कुल लंबाई कितनी है?
Ans:2500 km.
Q.5. गंगा नदी के जल के प्रदूषण को दूर करने के लिए गंगा कार्य परियोजना कब प्रारंभ की गयी थी?
Ans: सन् 1985 ई० में
Q.6. पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में लोकप्रिय तीन ‘R’ कौन से हैं?
Ans: पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में लोकप्रिय तीन ‘R’ है-
(i) Reduce ( कम उपयोग),
(ii) Recycle (पुनः चक्रण), (iii) Reuse (पुनः उपयोग)।
Q.7. अमृतादेवी विश्नोई पुरस्कार किसलिए दिया जाता है?
Ans: जीव – संरक्षण के क्षेत्र में उत्कृष्ट सेवा के लिए।
Q.8.विश्नोई लोग किस वृक्ष के संरक्षण के लिए प्रसिद्ध है?
Ans: खेजरी।
Q.9. विश्नोई लोग मुख्यत: किस राज्य के निवासी हैं?
Ans: राजस्थान।
Q.10. खेजराली गांव भारत में कहां है?
Ans: राजस्थान में जोधपुर के निकट।
Q.11. ‘चिपको आंदोलन’ कब प्रारंभ किया गया था?
Ans:1970 के प्रारंभिक दशक में।
Q.12. ‘चिपको आंदोलन’ का संबंध गढ़वाल के किस गांव से है?
Ans: रेनी।
Q.13. झारखंड तथा राजस्थान राज्यों में प्रचलित जल – संरक्षण की एक – एक पारंपरिक विधि का नाम लिखें।
Ans: झारखंड में- तालाब,
राजस्थान में – खदिन।
Q.14. हिमाचल प्रदेश की प्रचलित पारंपारिक जल – संरक्षण संरचना क्या है?
Ans: कुल्ह।
Q.15. किसी स्थान की जैव – विविधता का एक आधार क्या है?
Ans: स्पीशीज की संख्या।
Q.16. “जैव – विविधता के विशिष्ट स्थल” कौन से हैं?
Ans: वन।
Q.17. वह दूरदर्शी वन – अधिकारी कौन था जिसमें 1972 में पश्चिम बंगाल में जन-भागीदारी द्वारा वन – प्रबंधन को प्रारंभ किया था?
Ans: ए० के० बनर्जी।
Q.18. जन भागीदारी द्वारा वन प्रबंधन का कार्य पश्चिम बंगाल में किस वर्ष प्रारंभ हुआ था?
Ans: सन् 1972 ई० में।
Q.19. वन प्रबंधन में जन- भागीदारी का एक उदाहरण दें।
Ans: पश्चिम बंगाल में 1983 में लागू वन प्रबंधन।
Q.20. ऊर्जा के किन्हीं दो गैर- पारंपरिक स्रोतों के नाम लिखें।
Ans: सूर्य का प्रकाश और पवन।
Prakritik Sansadhano ka Prabandhan: 1 अंक स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. प्राकृतिक संसाधन क्या हैं? उदाहरण दें।
Ans: वे प्राकृतिक साधन जिनका उपयोग मनुष्य अपने भोजन और विकास के लिए करता है, प्राकृतिक संसाधन कहलाते है। वायु, जल, मिट्टी, खनिज, ऊर्जा, ईंधन के स्रोत जैसे कोयाल, पेट्रोलियम इत्यादि हमारे प्राकृतिक संसाधन है।
Q.2. गंगा का प्रदूषण के क्या कारण है?
Ans: (i) औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले प्रदूषण रसायनो का गंगा के जल में मिलना।
(ii) नगरीय कचरों का गंगा के जल में मिलना।
(iii) गंगा के जल में शवों तथा अस्थियों का विसर्जन ।
Q.3. खनन का हमारे पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता हैं?
Ans: खनन से प्रदूषण होता है क्योंकि धातु के निष्कर्षण के साथ – साथ बड़ी मात्रा में धातुमल भी निकलता है। जिससे पर्यावरण को क्षति पहुंचता है।
Q.4. मिट्टी की उर्वराशक्ति के घटने के तीन कारण लिखें।
Ans: (i) जल, वायु अथवा अन्य कारणों से होने वाला मिट्टी का अपरदन या कटाव।
(ii) एकल कृषि एवं जल की कमी।
(iii) संश्लेषित उर्वरकों का प्रयोग।
Q.5. प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के लिए तीन उपाय लिखें।
Ans: प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन के तीन उपाय-
(i) प्राकृतिक संसाधनों का कम और मितव्ययितापूर्ण उपयोग।
(ii) प्राकृतिक संसाधनों का पुन: चक्रण।
(iii) प्राकृतिक संसाधनों का पुन: उपयोग।
Q.6. संसाधनों के प्रबंधन की किन्ही दो आवश्यकताओं का उल्लेख करें।
Ans:(i) प्राकृतिक संसाधन आने वाली पीढ़ियों की अमानतो की तरह है। उनकी समाप्त या बर्बादी होने से बचना महत्वपूर्ण है।
(ii) संसाधनों के उपयोग के दौरान बनने वाले अपशिष्ट पदार्थों का समुचित निपटान आवश्यक है।
Q.7. वन जैव विविधताओं के विशिष्ट स्थल है। कैसे?
Ans: “वन जैव विविधाता के विशिष्ट स्थल” है क्योंकि वन में एक बड़ी संख्या में विभिन्न वनस्पति और जीव प्रजातियां पाई जाती है। परंतु जीवो के विभिन्न स्वरूप (जीवाणु, कवक, फर्न, पुष्पी, पादप, सूत्रकृमि, कीट, पक्षी, सरीसृप आदि) भी वनों में मौजूद है। महाराष्ट्र और केरल के पश्चिमि घाट जैव विविधता के आकर्षक केंद्र रहैं हैं।
Q.8. राष्ट्रीय उद्यान क्या है? इसके दो कार्य लिखें।
Ans: वन्य जीवों के संरक्षण, संवर्धन और विकास के दृष्टिगत उन्हें उन्नत तथा संरक्षित वास- स्थान उपलब्ध कराने के समग्र उद्देश्य को राष्ट्रीय उद्यान कहते हैं।
कार्य –
(i)सुरक्षा और पुनवार्स प्रदान करना।
(ii) वन्य जीव संरक्षण को बढ़ावा देना।
Q.9. जल संग्रहण क्या है?
Ans: वर्षा जल संग्रहण भूमिगत जल की क्षमता को बढ़ाने की तकनीक है। इसमें वर्षा के जल को रोकने और इकट्ठा करने के लिए विशेष दांचों जैसे – कुएं, गड्ढे, बांध आदि का निर्माण किया जाता है। इसके द्वारा न केवल जल का संग्रहण होता है, अपितु जल को भूमिगत होने के लिए अनुकूल परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं।
Q.10.मृदा संरक्षण के तीन उपाय लिखें।
Ans: मृदा संरक्षण के उपाय –
(i) भूमि – कटाव को रोकने के लिए वानो की कटाई पर रोक, अतिचारण पर रोक एवं भूमि को परती न छोड़ना जैसे उपाय किये जाने चाहिए।
(ii) भूमि में प्राकृतिक खादो का प्रयोग करना चाहिए तथा फसल- चक्र, बहूफसली कृषि, मिश्रित कृषि एवं मिश्रित फार्म व्यवस्था को लागू करना चाहिए।
(iii) पहाड़ी क्षेत्रों में कंटूर सिंचाई एवं कंटूर खेती को बढ़ावा देना चाहिए तथा ढलानो पर गुल्ली बनाकर उतरते हुए जल के वेग को कम करना चाहिए।
Prakritik Sansadhano ka Prabandhan: 1 अंक स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. प्राकृतिक संसाठन के संदर्भ में तीन ‘R’ क्या आया?
Ans: प्राकृतिक संसाधन के संदर्भ में तीन R ये है-
1. Reduce ( कम उपयोग) 2.Recycle (पुनः चक्रण ) 3.Reuse ( पुनः उपयोग)
- कम उपयोग- इसका अर्थ है कि आपको प्लास्टिक, कागज, कांच, धातु की वस्तुओ का उपयोग करना चाहिए। आप बिजली के पंखे तथा बल्ब का स्विच बंद करके बिजली बचा सकते है। आपको आहार व्यर्थ नही करना चाहिए।
- पुनः चक्रण- इसका अर्थ है की आपको प्लास्टिक, कागज, कांच, धातु की वस्तुएं तथा इसे ही पदार्थों का पुनः चक्रण करके उपयोगी वस्तुएं बनानी चाहिए। जब तक अति आवश्यक न हो इनका नया उत्पादन/ संश्लेषण विवेकपूर्ण नहीं है। इनके पुनः चक्रण योग्य वस्तुएं दूसरे कचरे के साथ भराव क्षेत्र में न फेंक दी जाएं।
- पुनः उपयोग- यह पुनः चक्रण से भी अच्छा तरीका है क्योंकि पुनः चक्रण में कुछ ऊर्जा व्यय होती है। पुनः उपयोग के तरीके में आप किसी वस्तु का बार बार उपयोग में ला सकते है। विभिन्न खाद्य पदार्थों के साथ आई प्लास्टिक की बोतले, डिब्बे इत्यादि का उपयोग रसोईघर में वस्तुओ को रखने के लिए किया जा सकता है।
Q.1.दावेदार(स्टेकहोल्डर) किसे कहते हैं ? प्राकृतिक संसाधनों के वास्तविक दावेदार कोन है?
Ans: प्राकृतिक संसाधनों पर स्थानीय निवासियों का हक होता है। उन्हें उन संसाधनों का दावेदार कहते हैं।
प्राकृतिक संसाधनों के दावेदार-
(a) वन के अंदर एवं इसके निकट रहने वाले लोग अपनी जीविका के लिए वन पर निर्भर रहते हैं। अत: उन वनोत्पादो के वास्तविक दावेदार उन्हें ही होना चाहिए।
(b) सरकार का वन विभाग जिनके पास वनों का स्वामित्व है तथा वे वनों से प्राप्त संसाधनों का नियंत्रण करते हैं। कानूनी संशोधनों से स्थानीय निवासियों को वानोत्पादन पर उनका अधिकार मिल गया।
(C) उद्योगपति जो तेंदू पत्ती का उपयोग बीड़ी बनाने से लेकर कागज मिल तक विभिन्न वन उत्पादों का उपयोग करते हैं। परंतु वे वनों के किसी क्षेत्र विशेष पर उनका अधिकार नहीं होता है।
(d) प्रकृति प्रेमी एवं पर्यावरण संरक्षक नागरिक भी अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर सकते हैं।
Q.2. चिपको आंदोलन क्या था?
Ans: चिपको आंदोलन स्थानीय लोगों को वनों से अलग करने की नीति का ही परिणाम था। इस आंदोलन की शुरुआत 1970 के प्रारंभिक दशक में गढ़वाल के ‘रैनी’ नामक गांव में एक घटना से हुई थी। स्थानीय लोगों एवं ठेकेदार जिन्हें गांव के समीप के वृक्षों को काटने का अधिकार दे दिया गया था, के बीच एक विवाद चल रहा था। एक निश्चित दिन ठेकेदार के आदमी वृक्ष काटने के लिए आए जबकि वहां के निवासी पुरुष वहां नहीं थे। इस बात से निडर वहां की महिलाएं फौरन वहां पहुंच गए तथा उन्होंने पेड़ों को अपनी बाहों में भर कर ठेकेदार के आदमियों को वृक्षों को काटने से रोका। जिससे विचलित होकर ठेकेदार को अपना काम बंद करना पड़ा।
Q.3. बड़े बांध क्या है? बड़े बांधों के विरोध में मुख्यत: किन समस्याओं (कारण) की चर्चा विशेष रूप से होती है?
Ans: नदियों पर बनाए गए विशाल एवं ऊंचे बांध जो जल को रोककर सिंचाई तंत्र विकसित करने तथा विद्युत उत्पादन के लिए बनाए गए हो, बड़े बांध कहलाते हैं।
बड़े बांधों के निर्माण का स्थानीय लोगों तथा पर्यावरण – प्रेमियों द्वारा विरोध किया जा रहा है क्योंकि इससे तरह – तरह की समस्याएं उत्पन्न हो रही है-
(i) सामाजिक समस्याएं – उस स्थान पर बसने वाली विशाल मानव आबादी का विस्थापन और उनके पुनर्वास की समस्या।
(ii) आर्थिक समस्याएं – जनता के संपत्ति के अधिकार से वंचित होना, संसाधन आधारित रोजी – रोजगार का बंद हो जाना। (iii)पर्यावरणीय समस्याएं- व्यापक वन – विनाश होता है एवं जैव विविधता की क्षति होती है।