सकारात्मक तथा आदर्शात्मक अर्थशास्त्र: सकारात्मक अर्थशास्त्र और आदर्शात्मक अर्थशास्त्र अर्थशास्त्र के दो प्रमुख दृष्टिकोण हैं। सकारात्मक अर्थशास्त्र का उद्देश्य आर्थिक घटनाओं का वर्णन और व्याख्या करना है, जबकि आदर्शात्मक अर्थशास्त्र का उद्देश्य आर्थिक प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देना है।
सकारात्मक अर्थशास्त्र
सकारात्मक अर्थशास्त्र एक वस्तुनिष्ठ दृष्टिकोण है जो आर्थिक घटनाओं का वर्णन और व्याख्या करता है। यह घटनाओं के कारण और प्रभाव संबंधों का अध्ययन करता है। सकारात्मक अर्थशास्त्र के कथन तथ्यात्मक होते हैं और सत्य या असत्य के रूप में सत्यापित किए जा सकते हैं।
उदाहरण के लिए, सकारात्मक अर्थशास्त्र यह अध्ययन कर सकता है कि करों में वृद्धि से उपभोग में कमी क्यों होती है। यह अध्ययन यह भी कर सकता है कि सरकारी व्यय में वृद्धि से आर्थिक विकास क्यों होता है।
आदर्शात्मक अर्थशास्त्र
आदर्शात्मक अर्थशास्त्र एक मूल्य-आधारित दृष्टिकोण है जो आर्थिक प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देता है। यह यह निर्धारित करने का प्रयास करता है कि क्या होना चाहिए। आदर्शात्मक अर्थशास्त्र के कथन मानक होते हैं और सत्य या असत्य के रूप में सत्यापित नहीं किए जा सकते हैं।
उदाहरण के लिए, आदर्शात्मक अर्थशास्त्र यह तर्क दे सकता है कि सरकार को सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा प्रदान करनी चाहिए। यह यह भी तर्क दे सकता है कि सरकार को आर्थिक असमानता को कम करने के लिए हस्तक्षेप करना चाहिए।
सकारात्मक और आदर्शात्मक अर्थशास्त्र के बीच अंतर
विशेषता | सकारात्मक अर्थशास्त्र | आदर्शात्मक अर्थशास्त्र |
---|---|---|
उद्देश्य | आर्थिक घटनाओं का वर्णन और व्याख्या करना | आर्थिक प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए सुझाव देना |
दृष्टिकोण | वस्तुनिष्ठ | मूल्य-आधारित |
कथन | तथ्यात्मक | मानक |
सत्यता | सत्य या असत्य के रूप में सत्यापित किया जा सकता है | सत्य या असत्य के रूप में सत्यापित नहीं किया जा सकता है |
सकारात्मक और आदर्शात्मक अर्थशास्त्र का महत्व
सकारात्मक और आदर्शात्मक अर्थशास्त्र दोनों अर्थशास्त्र के लिए महत्वपूर्ण हैं। सकारात्मक अर्थशास्त्र हमें आर्थिक घटनाओं को समझने में मदद करता है, जबकि आदर्शात्मक अर्थशास्त्र हमें आर्थिक प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए दिशा प्रदान करता है।
सकारात्मक अर्थशास्त्र हमें आर्थिक नीतियों के प्रभावों का आकलन करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, सकारात्मक अर्थशास्त्र का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है कि करों में वृद्धि से आर्थिक विकास पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
आदर्शात्मक अर्थशास्त्र हमें आर्थिक प्रणाली में सुधार के लिए नए विचारों को विकसित करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, आदर्शात्मक अर्थशास्त्र का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जा सकता है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा को कैसे बेहतर बनाया जाए।