अमरीकी वर्चस्व (samkalin vishwa mein ameriki varchasva): पिछले अध्याय में हमने पड़ा की 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ ही शीतयुद्ध का अंत हो गया। इस अध्याय में हम जानेगे अमेरिकी वर्चस्व के बारे में। अमेरिका एक मात्र महाशक्ति के रूप में उभरी और अपने वर्चस्व से पुरे विश्व को प्रभवित किया।
अमरीकी वर्चस्व: महत्वपूर्ण तथ्य
👉1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद अमेरिकी वर्चस्व की शुरुआत हुयी। विश्व की एक मात्र महाशक्ति अमेरिका बन चुकी थी।
👉इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने कुवैत पर कब्ज़ा कर लिया था जिसे मुक्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ इराक के विरुद्ध सैन्य बल प्रयोग की अनुमति दी। इस अनुमति को अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने नई विश्व व्यवस्था की संज्ञा दी।
👉वर्चस्व (Hegemony) का शब्द का अर्थ है सभी क्षेत्रों जैसे सैन्य, आर्थिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्रों में अंतराष्ट्रीय स्तर पर शक्ति का केंद्र होना।
👉अमेरिकी राष्ट्रपति बिल कलिंगटन लगातार दो कार्यकालों (जनवरी 1993 से जनवरी 2001) तक राष्ट्रपति पद पर रहे तथा अमेरिका के घरेलु रूप से अधिक मजबूत किया और अंतराष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र को बढ़ावा, जलवायु परिवर्तन तथा विश्व व्यपार जैसे नरम मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया।
👉ऑप्रेशन डेजर्ट स्टॉर्म: 1990 में इराक ने कुवैत पर अवैध कब्ज़ा कर लिया। इसे मुक्त करने के लिए U.N.O. ने इराक पर सैन्य कारवाही करने का आदेश दिया। 1991 में 34 देशों की सेना ने मिल के इराक पर हमला किया और कुवैत को मुक्त किया। 34 देशों के सम्मिलित सेना का नेतृत्व अमेरिका कर रहा था। इसके तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश था। इस युद्ध को प्रथम खाड़ी युद्ध, कम्प्यूटर युद्ध और वीडियो गेम वॉर के नाम से भी जाना जाता है।
👉ऑप्रेशन इनफाइनाइट रिच: नैरोबी (केन्या ) तथा दारे सलाम (तंजानिया ) में अमेरिकी दूतावासों में आतंकी हमले बमबारी हुयी थी जिसके विरोध में 1998 में अमेरिका तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के नेतृत्व में या ऑप्रेशन चलाया गया। इसमें सूडान तथा अफगानिस्तान में अलकायदा के ठिकानों पर क्रूज मिसाइलों से हमला किया गया।
👉ऑप्रेशन एन्ड्यूरिंग फ्रीडम: अमेरिका में हुए 9/11 हमले का संका अमेरिका को अफगानिस्तान के तालिबान पर हुआ। इस हमले के जवाब में अमेरिका ने 2001 में तालिबान पर हमला किया और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया।
samkalin vishwa mein ameriki varchasva | Class 12 Political Science Chapter 3
👉ऑप्रेशन इराकी फ्रीडम: 2003 में अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुमति के बिना ही इराक पर हमला कर दिया। इस के बाद सद्दाम हुसैन का अंत हो गया साथ ही बहुत से आम नागरिक भी मरे गए। पूरा विश्व ने इस बात की आलोचना की थी। इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश थे। ऑप्रेशन इराकी फ्रीडम को सैन्य और राजनीतिक धरातल पर असफल माना गया क्योंकि इसमें 3000 अमेरिकी सैनिक, बड़ी संख्या में इराकी सैनिक तथा 50000 निर्दोष नागरिक मरे गए थे।
विश्व की सभी देशों की तुलना में अमेरिका की सैन्य खर्च और सैन्य प्रौद्योगिकी की गुणवत्ता में सबसे अधिक है। इसलिए किसी देश की इससे बराबरी कर पाना संभव नहीं है।
अमेरिका की ढाँचागत ताकत जिसमे समुद्री व्यापर मार्ग (SLOC’s) और इंटरनेट अदि शामिल है इसके अलावा MBA की डिग्री और अमेरिकी मुद्रा डॉलर का प्रभाव इसके आर्थिक वर्चस्व को बढ़ा देता है।
ब्रिटैनवुड प्रणाली की संस्थाएँ अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक पर भी अमेरिका का वर्चस्व है।
जींस, मैक्डॉनल्स अदि अमेरिका के सांस्कृतिक वर्चस्व के उदहारण है जिसमे विचारधारा, खान-पान, रहन-सहन, रीतीरिवाज और भाषा के धरातल पर अमेरिका का वर्चस्व कायम हो रहा है। इसके अंतर्गत जोर जबरदस्ती से नहीं बल्कि रजामंदी से बात मनाई जाती है।
👉9/11 आतंकी हमला: 11 सितम्बर 2001 को अलकायदा के 19 आतंकियों ने अमेरिका के चार व्यवसायिक विमानों को कब्जे में ले लिया। दो विमानों को न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर टकरा गया। इसे घटना में लगभग 3000 लोग मारे गए। इसे 9/11 के नाम से जाना जाता है।
👉अमेरिकी वर्चस्व के रास्ते तीन मुख्या अवरोध: (1) अमेरिका की संस्थागत बनावट, जिसमें सरकार के तीन अंगों व्यवस्थापिका, कार्य पालिका और न्यायपालिका एक दूसरे के ऊपर नियंत्रण रखते हुआ स्वतंत्रता पूर्वक कार्य करते है। (2) अमरीकी समाज की प्रकृति उन्मुक्त है। यह अमेरिका के विदेशी सैन्य अभ्यानों पर अंकुश रखने में बड़ी भूमिका निभाती है। (3) नाटो, इन देशों में बाजार मूलक अर्थव्यवस्था चलाती है। नाटो में सम्मिलित देश अमेरिका के वर्चस्व पर अंकुश लगा सकते है।
👉वर्चस्व से निपटने के उपाय: (1) बैंडवेगन नीति- इसका अर्थ हे वर्चस्वजनित अवसरों का लाभ उठाते हुए विकास करना। (2) अपने को छिपा लेने की नीति ताकि वर्चस्व वाले देश की नजर न पड़े। (3) राज्येत्तर संस्थाए जैसी स्वयंसेवी संगठन, कलाकार और बुद्धिजीवी मिलकर अमेरिका वर्चस्व का प्रतिकार करे।
👉भारत अमेरिका संबंध: शीतयुद्ध की समाप्ति के बाद भारत द्वारा उदारीकरण और वैश्वीकरण की निति अपनाने के कारण दोनों के संबंध महत्वपूर्ण हो गए है। भारत अब अमेरिका की विदेश नीति में महत्वपूर्ण स्थान रखता है इसके प्रमुख लक्षण परिलक्षित हो रहे है – (1) अमेरिका आज भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। (2) अमेरिका के प्रत्येक राष्ट्रध्यक्ष का भारत से संबंध मजबूत करने के लिए भारत की यात्राएं करते है। (3) अमेरिका में बसे अनिवसी भारतियों खासकर सिलिकॉन वैली में दबदबा है। (4) बराक ओमबा की 2015 की भारत यात्रा के दौरान रक्षा सौदों से संबंधित समझौता का नवीनीकरण किया गया तथा कई क्षेत्रों में भारत को ऋण प्रदान करने की घोसना की गयी। (5) वर्तमान अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की आउटसोर्सिंग संबंधी नीति से भारत की व्यापारिक हित होने की संभावना है। (6) वर्तमान में दोनों देशों के प्रमुख ने एक दूसरे के देशों की यात्रा के लिए आमंत्रित किया है, जो दोनों देशों के मध्य सौहार्दपूर्ण संबंध बनाने की दिशा में सार्थक कदम सभीत होगा।
एक अंक वाले प्रशोत्तर
- कुवैत को किस देश के अवैध चंगुल से मुक्त कराया गया ?- इराक।
- परमाणु अप्रसार संधि पर किस देश ने हस्ताक्षर नहीं किया?- भारत।
- किस देश ने 2003 में संयुक्त राष्ट्र की उपेक्षा कर के इराक पर आक्रमण किया?- अमरीका।
- नाटो की स्थापना किस वर्ष की गयी थी?- 1949 में।
- अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमला किस वर्ष हुआ था? 11 सितम्बर,2001 में।
- अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के किन दो शहरों में परमाणु बम गिराया था?- नागासाकी और हिरोशिमा
- किस देश ने खुले द्वार की निति अपनायी थी? चीन।
- विश्व को इंटरनेट की सुविधा किस देश की देन है? – अमेरिका।
- कुवैत पर किस राज्य ने अवैध कब्ज़ा कर लिया था?- इराक।
- ऑप्रेशन एंडयूरिंग फ्रीडम किस देश ने चलाया था? – अमेरिका (USA)
- 9/11 क्या है ? – अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला।
- अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमला किस वर्ष हुआ था? 11 सितम्बर,2001 में।
- प्रथम खाड़ी युद्ध किस वर्ष हुए थी ?- 1991
- ऑप्रेशन इराकी फ्रीडम किस वर्ष चलायी गयी थी ?- 2003
अमरीकी वर्चस्व महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न- वर्चस्व का क्या अर्थ है?
उतर- वर्चस्व का सीधा अर्थ हे दादागिरी। इसका संबंध शक्ति से होता है। जब कोई देश अपने आर्थिक, राजनीतिक तथा संस्कृति के माध्यम से विश्व के देशो को प्रत्येक्ष या अप्रत्येक्ष रूप से प्रभावित करता है तो इसे उस देश का वर्चस्व माना जाता है। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद पूरा विश्व अमरीकी आर्थिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक प्रभाव में आ गए। इसे अमरीकी वर्चस्व कहा जाता है।
प्रश्न- अमरीकी वर्चस्व की सैन्य शक्ति के रूप में व्याख्या कीजिये।
उत्तर- सैन्य शक्ति के मामले में आज अमेरिका का विश्व में कोई बराबरी नहीं कर सकता। अगर विश्व के कई ताकतवर देश एक साथ मिल जाये तो भी अमेरिकी सैन्य शक्ति की बराबरी नहीं कर सकता। अमेरिका के सैन्य शक्ति में वर्चस्व स्थापित होने के प्रमुख कारन निम्लिखित है :
(क) आज अमेरिका मात्र एक महाशक्ति है। उसके पास विशाल थल सेना, जल सेना व वायु सेना है।
(ख) अमेरिका के पास हर प्रकार के परमाणु व परम्परागत हथियार मौजूद है।
(ग) अमरीकी सेना आधुनिक तकनीक से लेस है।
(घ) विश्व के सभी देशों पर उसका वर्चस्व स्थापित हो गया है।
(ड़) अफगानिस्तान व इराक पर आक्रमण करके वहाँ अपने विरोधियोँ का शासन मिटा देना इसी अद्वितीय सैन्य शक्ति के कारन हुआ।
प्रश्न- 9/11 क्या है?
उतर- 11 सितम्बर 2001 को अरब देशों के 19 आतंकवादियों ने अमेरिका के चार व्यावसायिक विमानों को अपने कब्जे में ले लिया। वे इन विमानों को अमेरिका के महत्वपूर्ण इमारतों की ओर ले गए। दो विमान न्यूयार्क स्थिक वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के उत्तरी और दक्षिणी टॉवर से टकराया। तीसरा विमान वर्जिनिया में स्थित अमरीकी रक्षा विभाग का मुख्यालय पेंटागन से टकराया। चौथा विमान को अमरीकी कोंग्रेश की मुख्या ईमारत से टकराना था लेकिन वह पेंसिल्वेनिया के एक खेत में जा गिरा। इस हमले में लगभग 3000 व्यक्ति मारे गए। मरने वाले व्यक्ति सिर्फ अमेरिका के नहीं थे बल्कि विश्व के कई देशो के लोग थे। इस घटना ने अमेरिका के साथ-साथ पुरे विश्व को हिला दिया। इस आतंकी हमले को नाइन इलेवन कहा जाता है। अमेरिका में महीने को तारीख से पहले लिखने का चलन है।
प्रश्न- प्रथम खाड़ी युद्ध क्या थी? या, ‘ऑप्रेशन डेजर्ट स्टॉर्म’ क्या थी?
उतर- 1990 के अगस्त में इराक ने कुवैत पर हमला किया और बहुत तेजी से उस पर कब्ज़ा जमा लिया। संयुक्त राष्ट्र संघ इसे बात-चित से सुलझाने की कोसिस की लेकिन जब बात-चित से हल नहीं निकला तो संयुक्त राष्ट्र संघ ने कुवैत को मुक्त करने के लिए बल-प्रयोग की अनुमति दे दी। अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इसे ‘नयी विश्व व्यवस्था’ की संज्ञा देते हुए 34 देशों साथ मिले कर 66000 मिलीजुली सेनाओं के साथ इराक पर हमला कर दिया। नाम का इसमें 34 देशों की सेना थी, 75 प्रतिशत सिर्फ अमरीकी सेना इस युद्ध में शामिल थे। इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन ने एलान किया था की यह ‘सौ जंगों की एक जंग’ साबित होगी लेकिन इराकी सेना जल्द ही हार मान ली। इस युद्ध को ‘प्रथम खाड़ी युद्ध 1991’ के नाम से जाना जाता है। कुछ आलोचकों ने इसे‘ऑप्रेशन डेजर्ट स्टॉर्म’की संज्ञा दी। इसमें अमेरिका ने स्मार्ट बमों का प्रयोग किया था इस करना कुछ आलोचकों ने इसे ‘कंप्यूटर युद्ध’ की संज्ञा दी। पुरे युद्ध को दूरदर्शन पर लाइव दिखाया जा रहा था इसलिए इसे ‘विडिओ गेम वॉर’ के नाम से भी जाना जाता है।
प्रश्न- ऑप्रेशन इनफाइनाइट रीच क्या है?
उतर- अलकायदा ने नैरोबी और दारे-सलाम में अमरीकी दूतावास में बमबारी की थी। इसके जवाब में 1998 में अमरीकी राष्ट्रपति क्लिंगटन ने ‘ऑप्रेशन इनफाइनाइट रीच’ चलाया। इस अभ्यान के अंतर्गत अमेरिका ने सूडान और अफगानिस्तान के अलकायदा के ठिकानों पर क्रूज मिसाइल से हमले किये। अमेरिका ने इस हमले के लिए न ही संयुक्त राष्ट्र संघ की अनुमति ली और न ही अंतर्राष्ट्रीय कानून की परवाह की। इस हमले के दौरान अमेरिका ने कुछ आम नागरिकों के ठिकानों पर भी निशाना साधा था जबकि इनका आतंकवादों से कोई लेना-देना नहीं था।
प्रश्न- ‘ऑप्रेशन एंडयूरिंग फ्रीडम’ क्या है?
उतर- 9/11 के हमले ने पुरे अमेरिका को हिला दिया था। इसे अमेरिका में हुए अब तक का सबसे बड़ा हमला माना जाता है। इस आतंकी हमले के जवाब में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने ‘ऑप्रेशन एंडयूरिंग फ्रीडम’ चलाया था। यह अभियान उन सभी के खिलाफ चलाया जिन पर 9/11 का शक था। इस अभियान में मुख्या निशाना अल-कायदा और अफगानिस्तान के तालिबान शासन को बनाया गया। तालिबान के शासन के पाँव जल्द ही उखड़ गए लेकिन तालिबान और अल-कायदा के अवशेस अब भी सक्रिय है।
प्रश्न- ‘ऑप्रेशन इराकी फ्रीडम’ क्या थी?
उतर- 19 मार्च 2003 में अमेरिका ने ‘ऑप्रेशन इराकी फ्रीडम’ के नाम से इराक पर सैन्य हमला कर दिया। इस हमले में अमेरिका के साथ 40 से भी अधिक देश शामिल थे। इस गुट को ‘कॉलिशन ऑफ़ विलिंग’ कहा गया। इस हमले की अनुमति संयुक्त राष्ट्र ने नहीं दी थी। अमेरिका ने इस हमले को सही साबित करने के लिए इराक पर यह इल्जाम लगाया की यहाँ ‘विपंस ऑफ़ मास डेस्ट्रक्शन’ जैसे हथियारों का निर्माण किया जा रहा था। इसे रोकने के लिए यह हमला की गयी थी। लेकिन हमले के बाद इसका कोई प्रमाण नहीं मिला। अमेरिका की यह एक साजिश थी। अमेरिका ने अपने वर्चस्व को दिखने के लिए यह हमला किया था। कहने को इसमें 40 से अधिक देशों की सेना थी लेकिन इसमें सिर्फ अमरीकी सेना 70 प्रतिशत थी। इस हमले के मुख्य मकसद इराक के तेल-भंडार पर अमेरिका अपना नियंत्रण चाहता था तथा सद्दाम हुसैन के सरकार को गिरा कर अपना मनपसंद सरकार कायम करना चाहता था। अमेरिका के 3000 सैनिक इस युद्ध में मारे गए और इससे कई अधिक सैनिक इराक के सैनिक मारे गए। इस हमले में 50000 आम नागरिक भी मरे गए थे। इस हमले के बाद वैश्विक स्तर पर अमेरिका की कड़ी आलोचना हुयी।
प्रश्न 1991 में अमेरिका ने इराक पर आक्रमण क्यों किया?
उत्तर- 1991 में अमेरिका के इराक पर आक्रमण करने के मुख्य कारन निम्नलिखित है:
(क) अमेरिका कुवैत के तेल भंडारों पर अपना नियंत्रण चाहता था, लेकिन इराक ने 1990 में कुवैत पर कब्ज़ा जमा लिया था इसलिए कुवैत को मुक्त कराने के लिए अमेरिका ने इराक पर आक्रमण किया।
(ख) दूसरी सबसे बड़ी वज़ह यह थी की अमेरिका विश्व को यह दिखाना चाहता थी की सैन्य शक्ति में कोई देश भी अमेरिका से नहीं जीत सकता है। अर्थात, वह अपने वर्चस्व का परिचय देना चाहती था और इराक पर अपना मनपसंद सरकार चाहता था।
(ग) अमरीका का इराक पर संदेह था की वह रासायनिक और सामूहिक जनसंघारक हथियारों का निर्माण कर रहा है जिससे भविष्य में आम नागरिकों के जीवन को खतरा है।
(घ) अमेरिका का ये भी मानना था की अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठन को सद्दाम हुसैन की सरकार बढ़ावा दे रही है।
(ड़) U.N.O ने इस मसाले को बात-चित से सुलझाने की कोशिस की थी लेकिन इराक ने U.N.O की आदेश को मानने से इंकार कर दिया। इराक के इंकार करने पर U.N.O ने आक्रमण का आदेश दे दिए।
उपरोक्त सभी कारणों से अमेरिका इराक पर आक्रमण किया।
प्रश्न- अमेरिका के साथ भारत के संबंधों पर एक लेख लिखें?
उत्तर- शीतयुद्ध के दौरान भारत अमेरिका के विरुद्ध खड़ा था। अमेरिका सोवियत गुट के विरुद्ध पक्षिमी गुट का नेतृत्व कर रहा था जबकि भारत इन दोनों गुटों के विरुद्ध गुटनिर्पेक्षता की निति अपनाया। गुटनिर्पेक्षा की नीति अपनाने के बावजूत भारत का लगाव सोवियत संघ के साथ था। इस कारन अमेरिका भारत को अपना विपक्षी भी मानता था। 1990 के दशक से भारत और अमेरिका के संबंध में बहुत परिवर्तन आया। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के पश्चात भारत अंतराष्ट्रीय माहौल में अकेला पड़ गया। इस अविधि में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण करने तथा उसे वैश्विक अर्थव्यवस्था से जोड़ने का फैसला लिया। इस नीति और हाल के सालों में प्रभावशाली आर्थिक वृद्धि दर के कारन भारत अब अमेरिका के लिए आकर्षक आर्थिक सहयोगी बन गया है। 1990 के दशक से भारत का अमेरिका के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग संबंध स्थापित हुए है। अमेरिका तथा भारत के संबंध निम्नलिखित है :-
(1) दोनों देशों की मित्रता प्रगाढ़ हो सके, इसके लिए अमेरिकी राष्ट्रपति भारत तथा भारत के प्रधान मंत्री अमेरिका की यात्रा समय- समय पर करते रहते है। इन यात्राओं के परिणाम स्वरूप दोनों देशों के बिच कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समझौते हुए है। जिनमे रक्षा, ऊर्जा और तकनिकी के क्षेत्र भी शामिल है।
(2) रक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बिच 3 मिलियन अमेरिकी डॉलर की व्यापर की सहमति बानी है। जिसमे जिसमे अमेरिका भारत को 24 रोमिओ हेलीकॉप्टर और 6 अपाचे हेलीकॉप्टर निर्यात करेगा। इसके साथ ही नयी तकनिकी से लेस ड्रोन देने को त्यार है।
(3) दोनों देशों मानव तस्करी, आतंकवाद, साइबर अपराध और ड्रग्स तस्करी जैसे मुद्दों से एक साथ निपटने की सहमति जताई है।
(4) हाल ही में अमेरिका ने भारत को प्राकृतिक गैस की पूर्ति में सहमति जताई है।
(5) स्वास्थ्य के क्षेत्र में दोनों देशे आपसी सहयोग को बढ़ावा दे रहे हे।
(6) भारत का संयुक्त राज्य संघ के सुरक्षा परिषद् में स्थायी सदस्यता की मांग पर सहमति जताई है। वर्तमान मान समय में अमेरिका और भारत के संबध बहुत मजबूत हो रही है और भविष्य में भारत को अमेरिका से बहुमुखी फायदे होने की संभावना है।
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