वेदों से आप क्या समझते है? इसके कितने प्रकार है? Indian History Culture and Diversity Semester 4 SEC Paper.
वेदों से आप क्या समझते है? इसके कितने प्रकार है?
वेद भारतीय धर्म के प्राचीनतम और प्रमुख धर्मग्रंथ हैं। वेदों को हिंदू धर्म के मूल शास्त्र माना जाता है। इनमें विभिन्न विषयों पर ज्ञान, दर्शन, कर्मकांड, उपासना, धार्मिक अनुष्ठान और शिक्षा के लिए विधियाँ दी गई हैं।
वेदों को चार प्रमुख भागों में विभाजित किया गया है:
- ऋग्वेद (Rigveda): ऋग्वेद सबसे प्राचीन वेद है और इसमें मण्डलों में रचित सूक्तियों का संग्रह है। इसमें देवताओं की प्रशंसा, प्राकृतिक विज्ञान, जीवन के विभिन्न पहलुओं के संबंध में ज्ञान और राजनीति के विषयों पर मन्त्र सम्मिलित हैं।
- यजुर्वेद (Yajurveda): यजुर्वेद में मंत्रों के साथ-साथ उनके कर्मकांडी विधियों का वर्णन होता है, जो पूजा-अर्चना और यज्ञों से संबंधित होते हैं। यह वेद मन्त्रों को उच्चारण के दौरान उपयोगी होने वाले आचार्यों के लिए मान्य है।
- सामवेद (Samaveda): सामवेद गायन के लिए संबंधित है और ऋग्वेद के मंत्रों के स्वर-मिश्रण को इसमें संगठित किया गया है। इसके मंत्र गायन के लिए उपयोगी होते हैं, जिससे वेदी यज्ञों में उच्चारण के समय उन्हें सुन्दरता का अनुभव होता है।
- अथर्ववेद (Atharvaveda): अथर्ववेद में भगवान् भूत-पिशाच और चिकित्सा से संबंधित मंत्र सम्मिलित होते हैं। यह वेद भूत-प्रेत विज्ञान, तंत्र, चिकित्सा और धार्मिक अनुष्ठान से संबंधित मंत्रों का संग्रह है।
वेदों को चारों वेदों में विभाजित करके इसे चतुर्वेदी वेदी या चतुर्वेद भी कहते हैं। इन वेदों में भाष्य, ब्राह्मण, आरण्यक और उपनिषद जैसे अन्य लेख भी हैं, जो भारतीय दर्शन और धर्म के विकास में महत्वपूर्ण रूप से योगदान देते हैं। वेदों का अध्ययन धार्मिक उद्दीपना, ज्ञान, उपास्य देवताओं के प्रति भक्ति और सद्गुरु के आचार्यता के माध्यम से मानव जीवन के उद्दीश्य की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।