Sheet Yuddh ka Daur: शीतयुद्ध का दौर, यह कक्षा 12 की राजनीतिक विज्ञान से लिया गया है। इसमें सभी महत्वपूर्ण प्रश्न का समाधान दिया गया। ये सभ प्रश्न वार्षिक परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
- प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 तक चली थी।
- द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक चली थी।
- द्वितीय विश्व युद्ध में दुनियाँ के लगभक सभी देश सम्मिलित थे जो दो गुटों एक मित्र राष्ट्र और दूसरी धुरी राष्ट्र में बंटी थी। मित्र राष्ट्र में सोवियत संघ, फ्रांस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे प्रमुख देश थे। धुरी राष्ट्र में जर्मनी, जापान तथा इटली जैसे प्रमुख देश थे।
- द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र की विजय हुयी थी। इस युद्ध में अमेरिका ने जापान के दो शहरों नागासाकी और हिरोशिमा में 6 अगस्त और 9 अगस्त को परमाणु बम गिराया था। बमों का नाम लिटिल बॉय और फेट मेन था।
- द्वितीय विश्व युद्ध के समाप्ति के बाद दो महाशक्तियों सोवियत संघ और अमेरिका का उदय हुआ। सोवियत संघ साम्यवादी विचारधारा तथा अमेरिका पूँजीवादी विचारधारा का समर्थक था।
- दोनों देशों ने अपने प्रभुत्व तथा वर्चस्व को बढ़ाने के लिए छोटे- छोटे देशों के साथ संधिया की। सोवियत संघ ने वारसा पैक्ट की स्थापना 1955 में की थी। अमेरिका NATO 1949 में, SEATO 1954 में तथा CENTO की स्थापना 1955 में की थी।
- छोटे देश भी हथियार, सुरक्षा और आर्थिक मदद की दृष्टि से महाशक्तियों से जुड़े रहना चाहते थे।
- महाशक्तियों के छोटे देशों के साथ गठबंधन करने के कई कारन थे :- (1)महाशक्तियाँ छोटे देशों के प्राकृतिक संसाधन का लग उठाना चाहती थी।(2)महाशक्तियाँ छोटे देशों में अपना सैन्य ठिकाना स्थापित करना चाहती थी।(3)छोटे देश महाशक्तियों के सैन्य खर्च उठाने में मददगार साबित होते थे।(4)छोटे देश दुश्मन देशों की जासूसी करने में सहायक होते है।(5)इनके भू-क्षेत्र से महाशक्तियां सैना का संचालन करना चाहती है।
- शीतयुद्ध के दायरे :- (1)1948 में बर्लिन की नाके बंदी (2) 1950 में कोरिया संकट (3)1954 से 1975 तक वियतनाम में अमेरिकी हस्तक्षेप (4)1956 में हंगरी में सोवियत संघ का हस्तक्षेप (5) 1962 में क्यूबा मिशाईल संकट। ये सब शीतयुद्ध के दायरे है जब दोनों महाशक्तियों में प्रत्येक्ष रूप से युद्ध होने की संभावना थी।
- दो ध्रुवीय को चुनौती :- गुट निरपेक्ष आंदोलन ऐसिया और अफ्रीका के नव स्वतंत्र राष्ट्रों के समक्ष अपनी स्वतंत्रा एवं प्रभुसत्त को बनाये रखने का तीसरा विकल्प था – गुट निरपेक्ष आंदोलन में शामिल हो जाना।
- गुट निरपेक्ष आंदोलन का पहला सम्मलेन 1961 में यूगोस्लाविया की राजधानी बेलग्रेड में हुआ। इसकी नीव 1955 में एफ्रो एशियाई सम्मलेन में राखी गयी थी। एफ्रो एशियाई सम्मेलन को बांडुग सम्मेलन के नाम से भी जाना जाता है।
- गुट निरपेक्ष आंदोलन के संस्थापक नेता और देश है :- (1) पं जवाहर लाल नेहरू (भारत), (2) कर्नल नासिर(मिश्र), (3) डॉ. सुकर्णो (इंडोनेशिया), (4) मार्शल टीटो (यूगोस्लाविया), (5) वामे एनक्रूमा (घाना )।
- नव अंतर्राष्टीय आर्थिक व्यवस्था (N.I.E.O – NEW INTERNATIONAL ECONOMIC ORDER) 1972 में U.N.O के व्यापर एवं विकास आंदोलन (UNCTAD- UNITED NATIONS CONFERENCE ON TRADE AND DEVELOPMENT) में विकास के लिए एक नई व्यापर निति का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया ताकि धनि देशों द्वारा नव स्वतंत्र गरीब देशों का शोषण न हो सके। Towards a New Tread Policy For Development ( विकास के लिए नई व्यापारिक निति की ओर ) एक रिपोर्ट प्रस्तुत।
- भारत और शीतयुद्ध :- शीतयुद्ध के दौरान भारत ने नव स्वतंत्र राष्ट्रों का नेतृत्व किया तथा अपने राष्ट्र हितों को पूरा किया और दोनों महाशक्तियों के मतभेद को दूर करने का प्रयास किया।
- शास्त्र नियंत्रण संधियाँ :- (1) L.T.B.T- सिमित परमाणु परीक्षण संधि ( Limited Test Ban Tready)- 5 अगस्त 1963, (2) SALT- सामरिक अस्त्र परिसीमन वार्ता (Strategic Arms Limitation Talks) 26 मई 1972 और दूसरा 18 जून 1972 (3) START- सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि(Strategic Arms Reduction Tready) 31 जुलाई 1991 और दूसरा 3 जनवरी 1993 में हुयी थी।
- N.P.T – परमाणु प्रसार संधि (Non-Proliferation Treaty) 1 जुलाई 1968 में हुयी थी। इस संधि के अनुसार पांच परमाणु संपन्न देश है परमाणु परीक्षण कर सकते थे अन्य देश नहीं।
Sheet Yuddh ka Daur: बहुवैकल्पिक प्रश्न-उत्तर
1 शीतयुद्ध का आरंभ कब हुआ था?
(a) 1945 में ✓
(b) 1965 में
(c) 1980 में
(d) 1992 में
2 शीतयुद्ध का अंत कब हुआ?
(a) 1989 में
(b) 1990 में
(c) 1991 में ✓
(d) 2000 में
3 NATO का पूरा नाम क्या है?
(a) North Atlantic Treaty Organization ✓
(b) North Asian Treaty Organization
(c) North American Treaty Organization
(d) North Atlantic Team Organization
4 NATO का स्थापना किस कब हुयी थी?
(a) 1939 में
(b) 1945 में
(c) 1949 में ✓
(d) 1971 में
5 NATO का नेतृत्व कौन-सा देश करता है?
(a) चीन
(b) ब्रिटेन
(c) रूस
(d) संयुक्त राज्य अमेरिका ✓
6 सोवियत संघ के गुट का नाम क्या था?
(a) सीटो
(b) नाटो
(c) वारसा संधि ✓
(d) सैंटो
7 वारसा संधि की स्थापना कब हुयी थी?
(a) 1955 में ✓
(b) 1945 में
(c) 1959 में
(d) 1995 में
8 शीतयुद्ध के दौरान पूँजीवाद का अगुआई कौन-सा देश कर रहा था?
(a) संयुक्त राज्य अमेरिका ✓
(b) ब्रिटेन
(c) सोवियत संघ
(d) चीन
9 शीतयुद्ध के दौरान साम्यवाद का अगुआई कौन-सा देश कर रहा था?
(a) संयुक्त राज्य अमेरिका
(b) सोवियत संघ ✓
(c) फ़्रांस
(d) जर्मनी
10 किस देश ने जापान में परमाणु बम गिराया था?
(a) अमेरिका ✓
(b) रूस
(c) फ्रांश
(d) ब्रिटेन
11 हिरोशिमा में परमाणु बम कब गिराया गया था?
(a) 6 अगस्त 1945 में ✓
(b) 6 अगस्त 1946 में
(c) 10 अगस्त 1945 में
(d) 6 जनवरी 1945 में
12 नागासाकी में परमाणु बम कब गिराया गया था?
(a) 9 अगस्त 1945 में ✓
(b) 9 अगस्त 1946 में
(c) 6 अगस्त 1945 में
(d) 9 नवम्बर 1945 में
13 SEATO का पूरा नाम क्या है?
(a) Southeast Asia Team Organization
(b) Southeast Atlantic Treaty Organization
(c) South Asia Treaty Organization
(d) Southeast Asia Treaty Organization ✓
14 CENTO का पूरा नाम क्या है?
(a) Center East North Treaty Organization
(b) Central East North Treaty Organization
(c) Central Treaty Organization ✓
(d) None of these
15 बर्लिन की दीवार कब खड़ी की गयी थी?
(a) 1961 में ✓
(b) 1962 में
(c) 1949 में
(d) 1989 में
16 बर्लिन की दीवार कब गिराई गयी थी ?
(a) 1961 में
(b) 1989 में
(c) 1990 में
(d) 1992 में
17 सर्वप्रथम गुटनिरपेक्ष सम्मलेन कहाँ हुआ था?
(a) बेलग्रेड ✓
(b) जेनेवा
(c) नियोर्क
(d) ढँका
18 सर्वप्रथम गुटनिरपेक्ष सम्मलेन कब हुआ था?
(a) 1989 में
(b) 1962 में
(c) 1972 में
(d) 1961 में ✓
19 बर्लिन का दीवार किसकी प्रतिक है?
(a) शीतयुद्ध की ✓
(b) द्वितीय विश्व युद्ध की
(c) प्रथम विश्व युद्ध की
(d) ओद्ध्योगिक क्रांति की
20 अमेरिका ने जापान के किन दो शहरों में परमाणु बम गिराया था?
(a) सिंगपो और हिरोशिमा
(b) नागासाकी और ह्वुवांग
(c) हिरोशिमा और नागासाकी ✓
(d) इनमें से कोई नहीं
Sheet Yuddh ka Daur: महत्वपूर्ण प्रश्न-उत्तर
प्रश्न- दो-ध्रुवीय विश्व के आरम्भ से आप क्या समझते है?
उतर- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दो अलग विचारधारों वाले देश का उदय हुआ। पहला सोवियत संघ था जो की साम्यवाद विचारधारा का समर्थक था जबकि दूसरा पूँजीवाद का समर्थक संयुक्त राज्य अमेरिका था। दोनों दी देशों के बिच की राजनितिक संबंध अच्छी नहीं थी और समय के साथ-साथ दोनों के एक दूसरे के प्रति अविश्वास की खायी बढ़ती चली गयी। स्वयं को श्रेष्ठ बनाने के लिए दोनों ही देश अधिक से अधिक देशों के साथ गठबंधन करते चले गए। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव यूरोप में पड़ा। पूर्वी यूरोप के अधिकांश देश सोवियत खेमे में शामिल हो गया और पक्षिमी यूरोप के अधिकांश देश अमेरिकी खेमे में शामिल हो गया। इसी प्रकार पूरा विश्व पूर्वी तथा पक्षिमी गुट में बट गया था। इसे ही दो ध्रुवीय विश्व की शुरुआत अथवा दो ध्रुवीय व्यवस्था कहा गया।
प्रश्न- शीतयुद्ध का क्या अर्थ है?
उतर – शीतयुद्ध वह स्थिति है जिसमे दो देशों के बिच की राजनितिक स्थिति में दरार पड़ जाती है। दोनों ही देश एक दूसरे को मात देने में हर मुमकिन कोसिस करती है, लेकिन कोई रक्तरंजित युद्ध नहीं होता। 1945 से लेकर 1991 तक ऐसी स्थिति सोवियत संघ और अमेरिका के बिच बानी थी। लेकिन दोनों ही देश परमाणु सम्पन होने के कारन युद्ध से होने वाले क्षति को सहना नहीं चाहते थे। इस कारन प्रत्यक्ष रूप से दोने में युद्ध नहीं हुयी। यह तनाव भी 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद समाप्त हो गयी। बर्नार्ड बरूच ने इसे सीतयुद्ध की संज्ञा दी।
प्रश्न- सोवियत प्रणाली क्या है?
उत्तर- समाजवादी सोवियत गणराज्य रूस में हुयी 1917 की समाजवादी क्रांति के बाद अस्तित्व में आया। यह क्रांति पूँजीवादी अर्थव्यवस्था के विरोध में हुई थी और समाजवाद के आदर्शों और समतामूलक समाज की जरुरत से प्रेरित थी। क्रांति के पश्चात् समाजवादी सोवियत गणराज्य में निजी सम्पति की संस्था को समाप्त करने और समाज को समानता के सिद्धातं पर सचेत रूप से निर्मित करने के लिए जो विशिष्ट प्रणाली अपनायी थी उसे सोवियत प्रणाली कहा गया। सोवियत राजनतिक प्रणाली की धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी। इसमें किसी अन्य राजनितिक दल या विपक्ष के लिए जगह नहीं थी। अर्थव्यवस्था योजनाबद्ध और राज्य के नियंत्रण में थी।
प्रश्न- सोवियत प्रणाली की मुख्य विशेषता क्या थी ?
उत्तर- सोवियत प्रणाली की मुख्य विशेषता निम्नलिखित है:
(क) यह निजी सम्पति की संस्था को समाप्त करने तथा समता मूलक समाज की स्थापना से प्रेरित थी।
(ख) सोवियत राजनतिक प्रणाली की धुरी कम्युनिस्ट पार्टी थी।इसमें किसी अन्य राजनितिक दल या विपक्ष के लिए जगह नहीं थी।
(ग) अर्थव्यवस्था योजनाबद्ध और राज्य के नियंत्रण में थी।
(घ) इस प्रणाली के द्वारा सोवियत संध की सर्कार ने अपने सभी नागरिकों के लिए एक न्यूनतम जीवन स्तर सुनिश्चित करने का प्रयास किया।
प्रश्न- मार्शल योजना क्या है ?
उत्तर- मार्शल योजना 5 जून, 1947 को तत्कालीन अमेरिकी विदेश मंत्री मार्शल द्वारा घोषित एक योजना का नाम है। इस योजना का लक्ष्य अमेरिका द्वारा यूरोप के उन राज्यों को वित्तीय सहायता देना था जो इनके लिए त्यार थे। अमेरिकी वित्तीय सहायता से इन राष्ट्रों को अपना पुनर्निर्माण करना था। सोवियत संघ ने इस योजना को अमरीका का साम्राज्यवादी जाल कहकर उसकी आलोचना की। मार्शल योजना के कारन शीतयुद्ध में और अधिक तेजी आयी।
प्रश्न- नयी अंतराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था से आप क्या समझते है ?
उत्तर- वर्तमान विश्व में विभिन्न देशों के बिच भारी आर्थिक विषमताएँ है। एक तरफ आर्थिक दृष्टि से बहुत अधिक संपन्न देश है तो दूसरी ओर भूख, गरीबी और बीमारी से ग्रस्त विकासशील देश। समय-समय पर इस बात पर जोर दिया गया है की विश्व में ऐसी आर्थिक व्यवस्था स्थापित की जाए जिससे विश्व के विभिन्न देश आर्थिक रूप से संपन्न हो जाएँ। अर्थात एक ऐसी वैश्विक आर्थिक व्यवस्था जिसमें विकसित देशों के साथ विकासशील देशों को भी पर्याप्त विकास के साधन उपलब्ध हो। इसे ही नयी वैश्विक आर्थिक व्यवस्था का नाम दिया गया है।
प्रश्न- सोवियत संघ के विघटन के कोई चार कारन बताईये।
उतर- सोवियत संघ के पतन के कई करन थे जिनमे चार प्रमुख कारन निम्लिखित है-
(क) कम्युनिस्ट पार्टी- सोवियत संघ में कम्युनिस्ट पार्टी ने 70 सलों तक शासन किया। यह सरकार जनता के प्रति जवाबदेह नहीं रह गयी थी। जनता इस सर्कार से ऊब चुकी थी और नई सरकार चाहती थी। इस कारन लोग विरोध प्रदर्शन करने लगे और देश के अंदर अशांति फैली।
(ख) संसाधनों का दुरपयोग- सोवियत संघ के साधन संम्पन देश थी। लेकिन अधिकांश संसाधन का प्रयोग सैन्य हथियार बनाने में खर्च की गयी। इससे उपभोक्ता बस्तुओं में कमी आयी। मौजूदा उपभोक्ता वस्तुओं की कीमत तेजी से बढ़ी और देश में भुखमरी की स्तिथि छांयी।
(ग) मिखाइल गोर्बाचेव की सुधार निति- देख की अर्थव्यवस्ता की सुधर और तेजी से विकास के लिए मिखाइल गोर्बाचेव ने पेरेस्त्रोइका तथा ग्लासनोस्त जैसी नीतियाँ लायी लेकिंग इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ा और इसकी अर्थयवस्था और तहस-नहस हो गयी।
(घ) पूँजीवादी देशों की उन्नति- एक तरफ पूर्वी खेमे के लोग भूखे मरने पर मजबूर थे तो दूसरी और पक्षिमी खेमे के लोग सुखी संपन्न जीवन व्यतीत कर रहे थे। इस बाद की जानकारी पूर्वी खेमे के लोगों को थी। पूर्वी खेमे के कई देश खुद को सोवियत संघ से स्वतन्त्र घोसित कर लिया। इस प्रकार सोवियत संघ का विघटन हो गया।
प्रश्न- क्यूबा मिसाइल संकट क्या थी? (Sheet Yuddh ka Daur)
उतर- क्यूबा एक छोटा-सा द्वीपीय देश है जो अमेरिका के तट पर बसा हुआ है। क्यूबा अमेरिका का पड़ोसी होते हुए भी उसका जुड़ाव सोवियत संघ के साथ था। 1961 में सोवियत संघ के नेता निकिता ख्रुश्चेव को यह चिंता सता रही थी की कहीं अमेरिका साम्यवादी समर्थक देश क्यूबा पर हमला न कर दे और क्यूबा के नेता फिदेल कास्त्रो का तख़्ता न पलट दे। 1962 में सोवियत संघ के नेता क्यूबा को सैन्य अड्डा बनाने का निर्णय लिया तथा क्यूबा में अपने परमाणु मिसाइलें तैनात कर दी। अब सोवियत संघ पहले की तुलना में अमेरिका के पहले से दो गुना भू-भाग पर परमाणु हमला कर सकता था। इस बात की भनक अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी को लग गयी। उसे लगा सोवियत संघ युद्ध की तयारी कर रहा है। उसने अपने जंग्गी बेड़ो की सिमा को बढ़ाने का आदेश दिया और सोवियत संघ से क्यूबा आने वाली सैन्य पानी जहाजों को मध्य मार्ग में ही रोक दिया। पहली बार दोनों देशों की सैनाये आमने-सामने थी। अमेरिका ने सीधे तोर पे सोवियत संघ को धमकी दे डाली की क्यूबा से वे अपना परमाणु हथियार हटा ले नहीं तो उसे अमेरिका से युद्ध करना पड़ेगा। तृतीया विश्व युद्ध होने वाली थी पूरी दुनियाँ की नजर दोनों महाशक्तियों पर टिकी थी लेकिन दोनों ही परमाणु संपन्न देश होने के कारन आपसी बात-चित से युद्ध को टाला गया। दुनियाँ विश्व युद्ध से बच गई। इसी घटना को शीतयुद्ध के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न- महाशक्तियाँ छोटे-छोटे देशों के साथ गठबंधन क्यों रखती थी?
उतर- छोटे-छोटे देशों के साथ गठबंधन करने से महाशक्तियों को कई फाईदें होते थे-
(क) महत्वपूर्ण संसाधन- महाशक्तियाँ छोटे देशों के साथ गठबंधन कर के वहाँ पाए जाने वाले संसाधन जैसे तेल और खनिज अदि का लाभ ले सके तथा उसके आयात-निर्यात पर अपना एकाधिकार स्थापित कर सके।
(ख) आर्थिक मदद- महाशक्तियाँ गठबंधन में शामिल छोटे के बिकास में मदद करती थी। इस कारन महाशक्तियाँ युद्ध करती थी तो छोटे-छोटे देश इनके सैन्य खर्च को उठाने में मददगार साबित होते थे।
(ग) सैनिक ठिकाने- छोटे देशों के भू-क्षेत्र सैनिक ठिकाने बनाए के लिए उत्तम स्थल थी। यहाँ से दूसरे देशों की जासूसी करने में आसानी होती थी।
(घ) भू-क्षेत्र – छोटे देशों के भू-क्षेत्र महाशक्तियों के लिए बहुत उपयोगी होते थे। आवश्कता पड़ने पर यहाँ से सैन्य हथियारों का संचालन आसानी से किया जा सकता था।
(ङ) वर्चस्व- महासक्तियाँ अपने विचारधाराओं को विश्व में श्रेष्ठ बनाना चाहती थी। उन्हें लगता था की जिसके गठबंधन में जितने ज्यादा देश होंगे विश्व में उसीका वर्चस्व कायम होगा।
प्रश्न- शीतयुद्ध से हथियारों की होड़ और हथियारों पर नियंत्रण- ये दोनों ही प्रक्रियाएँ उत्पन्न हुयी? इन दोनों प्रक्रियाओं के क्या करना थे?
उतर- द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दो महाशक्तियों का उदय हुआ। एक अमेरिका और दूसरा सोवियत संघ। स्वयं को श्रेष्ट साबित करने के लिए दोनों में हथियारों की होड़ लगी। दोनों के राजनीतिक संबंध ठीक नहीं थे। हमेसा दोनों के बिच युद्ध का माहौल बना रहता था। दोनों ही एक दूसरे को संका के नजर से देखते थे। इनके युद्ध से तृतीया विश्व युद्ध छिड़ सकती थी, इस कारन पूरी दुनियां आतंक में माहौल में जीवन व्यतीत कर रही थी। महाशक्तियां खुद को अधिक ताकतवर बनाने के लिए पुराने सैन्य अड्डों का विस्तार, नए सैन्य अड्डों की खोज, नए शास्त्रों की खोज तथा द्रुतगामी नियोजन सेनाओं को तयारी में लग गए। इस प्रकार दोनों गुटों में हथियारों की होड़ निरंतर जारी रही। यही शीतयुद्ध का कारन बानी।
दोनों महाशक्तियाँ परमाणु संम्पन देश होने के कारन हमेसा युद्ध को टालने के कोसिस की। दोनों ही देश द्वितीय विश्व युद्ध के भयानक तबाही की मार झेल चुके थे। ऐसी तबाही अब दोनों ही नहीं चाहते थे। तृतीया विश्व युद्ध की संका को टालने के लिए हाथियों पर नियंत्रण की आवश्यकता को दोनों ही देशों ने महशुस की। अतः इस दिशा में दोनों देशों के बिच कई वार्ताएं हुयी। विभिन्न देशों ने कई संधियों पर हस्ताक्षर किये, जैसे- सिमित परमाणु परिक्षण संधि (LTBT), परमाणु प्रसार संधि (NPT), सामरिक अस्त्र परिसीमन वार्ता-1 (SLAT-1), सामरिक अस्त्र परिसीमन वार्ता-2 (SALT -2), सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि -1 (START -1) और सामरिक अस्त्र न्यूनीकरण संधि -2 (START -2)।
प्रश्न- गुट-निरपेक्षता से आप क्या समझते है? या, गुट-निरपेक्ष क्या है?
उतर- गुट-निरपेक्षता का शाब्दिक अर्थ है किसी भी गुट में शामिल न होना। शीतयुद्ध के दौरान दुनियाँ दो गुटों पूर्वी और पक्षिमी गुटों में बट चुकी थी। लेकिन कुछ नव स्वतंत्र देशों ने अपने विकास के साथ-साथ देश की स्वतंत्रता को बनाये रखने और स्वतंत्र विदेश निति अपनाने के लिए गुट- निरपेक्षता की निति को अपनाया। इनके लिए गुट-निरपेक्षता का व्यवाहरिक अर्थ यह था की अपन देश के विकास के लिए दोनों गुटों के साथ रहेंगे। गुट-निरपेक्षता दो ध्रुवीय विश्व के लिए एक चुनौती थी। इसमें सम्मलित देशों को तीसरी दुनियाँ कहा गया।
प्रश्न- निःशस्त्रीकरण का क्या अर्थ है? या, निःशस्त्रीकरण से आप क्या समझते है ?
उतर- निःशस्त्रीकरण का शाब्दिक अर्थ है सभी प्रकार के हथियारों के उत्पादन में रोक लगा देना। इसका व्यावहारिक अर्थ है जब दो या दो से अधिक देश मानव कल्याण के लिए तथा बड़े युद्धों को टालने के लिए घातक हथियारों के उत्पादन में रोक लगाना, उत्पादन सिमित रखना तथा उसके उपयोग का नियमन करना निःशस्त्रीकरण कहलाता है। जैसे द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका ने जापान के दो शहरों पर परमाणु बम का प्रयोग किया था जिसमे बहुत से आम नागरिक मरे गए। इसके बाद परमाणु बम जैसे हथियारों के उत्पादन, प्रयोग तथा प्रशिक्षण पर निःशस्त्रीकरण किया गया है।
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