स्तूप को परिभाषित करें? Indian History Culture and Diversity Semester 4 SEC Paper.
स्तूप को परिभाषित करें?
स्तूप एक प्राचीन भारतीय स्मारक और धार्मिक स्थल है। स्तूप एक गोलाकार संरचना होती है जो धार्मिक संदेशों को संग्रह करने और दर्शकों को आध्यात्मिक अनुभूति के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से निर्मित की जाती है।
स्तूप की संरचना
स्तूप के सामान्य अनुभाग शिखर (या छत्र), अंतःस्थल, अन्तर्मध, पथिक-पथिका के लिए प्रवेश के लिए एक द्वार, और प्रासादिकीय अंगन शामिल होते हैं। स्तूप में धार्मिक संदेशों, धर्मशास्त्रीय लेखनों, संग्रहीत धार्मिक साहित्य, विभिन्न देवताओं और बौद्ध बोधिसत्त्वों की मूर्तियों को स्थान दिया जाता है।
इन स्तूपों का निर्माण पत्थर, चिकनी मिट्टी, तथा सींगी या पत्थर के शिखरों से सुसज्जित होता है। स्तूप के शिखर के ऊपर छत्र लगाकर उसे आकर्षक बनाया जाता है, जो धार्मिक सूचना को संकेत करता है।
स्तूप बौद्ध धर्म के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है। इन्हें बौद्ध धर्म के अनुयायियों और शिष्य गणों के लिए परिक्रमा करने या ध्यान करने का स्थान माना जाता है। स्तूप के चारों दिशाओं में चार प्रमुख द्वार होते हैं, जिन्हें चतुर्दिक द्वार भी कहा जाता है।
निर्माण उद्देश्य
यहां भगवान बुद्ध के प्रमुख अनुयायियों द्वारा उनके प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रदर्शन होता है। स्तूप अक्सर बौद्ध विहारों और स्तुपागारों में देखा जा सकता है जो बौद्ध समुदाय के धार्मिक एवं आध्यात्मिक अभिवृद्धि के लिए महत्वपूर्ण स्थान होते हैं।
इन स्तूपों में चारों ओर संग्रहीत बौद्ध विहारों के साथ-साथ धर्मिक संस्कृति और बौद्ध शिक्षा के अनुसारित स्थल भी होते हैं। यहां शिक्षादायक बौद्ध सूत्रों का पाठ और ध्यान-भावना का अभ्यास किया जाता है। स्तूप में आनंद की अनुभूति के लिए ध्यान और धार्मिक विचारधारा में सुधार के लिए सतत प्रयास किया जाता है।
इन स्तूपों को अपने संदर्भ में धार्मिकता और आध्यात्मिकता का प्रतीक माना जाता है। यहां शांति और समृद्धि के संदेश के साथ-साथ सभी मनुष्यों के एकता और समानता के प्रतीक के रूप में भी इन्हें सम्मानित किया जाता है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए स्तूप धार्मिक समाधान का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, जो उन्हें सार्वभौमिक शांति और सुख-शांति की खोज में सहायक होता है।