उपन्यास, समाज और इतिहास | Upanyas Samaj aur Itihas | Class 10 Chapter 8

Upanyas Samaj aur Itihas: उपन्यास, समाज और इतिहास: कक्षा 10 सम्पूर्ण प्रश्न उत्तर। झारखण्ड अधिविध परिषद् राँची द्वारा संचालित पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार किया गया सम्पूर्ण नोट्स। यहाँ उपलब्ध सभी प्रश्न वार्षिक परीक्षा के लिए अति महत्वपूर्ण है। सभी अध्यायों का हल देखने के लिए मेनू में जा के विकल्प का चयन करें।

उपन्यास, समाज और इतिहास अति लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1. उपन्यास किसे कहते हैं?
Ans: उपन्यास साहित्य का वह भाग है जिसमें कहानी के साथ कुछ बातों के विषय में प्राणी सोचने पर मजबूर हो जाता है इसका आधुनिक सोचे के ढर्रे से काफी निकट का संबंध है।

Q.2. महाश्वेता देवी किस लिए प्रसिद्ध है?
Ans: महाश्वेता देवी अपने उपन्यासों और लघु कहानियों में भारतीय आदिवासी जीवन और संस्कृति को प्रदर्शित करती है।

Q.3. मुल्क राज आनंद कौन आर के नारायण की प्रसिद्ध रचनाओं के नाम लिखिए?
Ans: मुल्क राज आनंद की रचना ‘अनटचेबल’ तथा आर के नारायण की रचना ‘स्वामी एंड फ्रेंड्स’ है।

Q.4. उपन्यास शीघ्र ही क्यों लोकप्रिय हो गया?
Ans:उपन्यास में विभिन पाठक वर्ग को अपनी अपनी रूचि के अनुसार मसाला मिल गया। ज्यों- ज्यों पाठक कहानी में घुसते चले गए उनका काल्पनिक किरदारों से रिश्ता बनता चला गया उन्हें उपन्यास में अपने जीवन की झलक नजर आने लगी इसलिए यह शीघ्र ही लोकप्रिय होता चला गया।

Q.5. भारत में आधुनिक उपन्यास का विकास कब हुआ? इसके विकास में किन कारकों का हाथ रहा?
Ans: भारत में आधुनिक उपन्यास का विकास 19वीं शताब्दी में हुआ इसके विकास में अनेक कारकों का योगदान रहा। जैसे- भारतीय भाषाओं, छपाई, पाठक वर्ग का विशाल होना तथा पश्चिमी उपन्यासों से भारतीयों का परिचय होना।

Upanyas Samaj aur Itihas लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1. 1740 के बाद गरीब लोग भी उपन्यास पढ़ने लगे। व्याख्या करें
Ans: 1740 ईस्वी के बाद हुए तकनीकी विकास के कारण उपन्यासों की लागत में कमी हुई जिसके परिणाम स्वरूप गरीब लोग भी उपन्यास खरीद कर पढ़ने लगे। उपन्यास मनोरंजन के प्रमुख साधन में से एक था उपन्यासों में गरीब मजदूर वर्ग की परिस्थितियों का प्रभावपूर्ण ढंग से वर्णन किया गया जिसके कारण भी गरीबों की रूचि उपन्यासों की और बड़ी उपन्यासों में वर्णित दुनिया विश्वसनीय और दिलचस्प थी उपन्यास पढ़ते हुए गरीब पाठक किसी और दुनिया में चला जाता था तथा किताब के पात्र की नजर से दुनिया को देखने लगता था।

Q.2. औपनिवेशिक भारत के उपन्यासकार एक राजनीतिक उद्देश्य के लिए लिख रहे थे। व्याख्या करें
Ans: भारत में आधुनिक उपन्यास का विकास 19वीं सदी में पश्चिमी उपन्यास से भारतीयों के परिचय के बाद हुआ। भारतीय भाषा, छपाई और पाठक वर्ग के विकास से इसमें काफी मदद मिली। 19वीं शताब्दी के अग्रणी उपन्यासकारों ने किसी ना किसी उद्देश्य को लेकर उपन्यास लिखा था। उपनिवेशवादी शासकों को उस समय की भारतीय संस्कृति हीन नजर आते थे। अतः उपन्यासकारो ने देश और लोगों में राष्ट्रीयता की भावना को जागृत किया। उपन्यासकारों ने अतित के गौरव गाथा के माध्यम से लोगों में राष्ट्रवादी भावना का संचार करने का प्रयास किया। उनका उद्देश्य अंग्रेजी राज को उखाड़ फेंकना तथा स्वतंत्र भारत की स्थापना करना था इसके लिए उन्होंने उपन्यास के माध्यम से लोगों को एकता के सूत्र में बांधने का प्रयास किया।

Q.3. मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास सेवासदन की पटकथा क्या है इस उपन्यास का क्या महत्व है?
Ans: इस उपन्यास में महिलाओं की दुरावस्था का बड़ा मार्मिक चित्रण किया गया है और इसके साथ बाल विवाह और दहेज प्रथा के सामाजिक मसले उठाए गए हैं। बहुत से आलोचकों का ऐसा मानना है कि इस उपन्यास में हिंदी उपन्यासों को मनोरंजन और देश के वायरस से उठाकर आम लोगों की जिंदगी और सामाजिक सरोकारों से जोड़ दिया है।

Q.4. उपन्यास के कुछ महत्वपूर्ण विशेषताएं लिखें
Ans: उपन्यास जनसाधारण या आम लोगों की भाषा का प्रयोग करता है। उपन्यास में ऐसे चरित्र और ऐसी परिस्थितियों का विवरण होता है जिनसे पाठकगन एकदम जुड़ से जाते हैं और उपन्यास में अपने ही कहानी की अभीयक्ति को देखते हैं। उपन्यास देश के विभिन्न भाषाओं और समुदायों में निकटता बनाकर एक राष्ट्र की साझी दुनिया को रचता है।

Upanyas Samaj aur Itihas दीर्घ उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1. मुंशी प्रेमचंद का हिंदी साहित्य में क्या स्थान है?
Ans: मुंशी प्रेमचंद हिंदी और उर्दू साहित्य के एक महान लेखक है उन्होंने कोई 300 के लगभग कहानियां एक दर्जन के लगभग उपन्यास और नाटक भी लिखें उपन्यास के क्षेत्र में उनका कोई सानी नहीं था उनके कुछ प्रसिद्ध उपन्यासों में गोदान रंगभूमि निर्मला सेवा सदन और मजदूर आदि के नाम विशेष उल्लेखनीय है। अपने उपन्यासों में उन्होंने जिन व्यक्तियों का चित्रण किया है वह इतने करीब लगते हैं मानो कि वह हमारे आसपास घूम रहे हैं। उनके नायक और नायिकाएं समाज के सभी वर्गों से संबंधित हैं उनके अपने गुण और अवगुण हैं उनकी अपनी अपनी आदतें हैं, विचार हैं, खुशियां और गमियां हैं। उनके नायकों से आप प्यार करने लगेंगे और खलनायक उसे उतनी ही घृणा।आप कहीं पर नवाबजादे से मिलते हैं, कहीं जमींदारों से तो कभी किसानों से, कभी पंडितों से तो कहीं मौलवियों से संक्षेप में हम यह कह सकते हैं कि उन्होंने समाज के किसी भी वर्ग या किसी भी व्यवसायी को नहीं छोड़ा, जिसका चित्रण उन्होंने ना किया हो।
उनके रंगभूमि के उपन्यास का नायक एक गरीब आदमी है जो निचली जाति से संबंध रखता है। उसे संघर्ष करते हुए दिखाया गया जबकि उसके खेत को जबरदस्ती उससे छीना जा रहा था ताकि वहां तंबाकू की एक फैक्ट्री लगाई जा सके उसके मार्ग में अनेक कठिनाइयां आती है परंतु वह रंगभूमि में एक सिपाही की तरह लगता है और अंत में विजय उसी की होती है। वास्तव में हार्डी की भांति मुंशी प्रेमचंद भी इस उपन्यास में औद्योगिक क्रांति के कुछ तार्किक पहलुओ को दिखाने का प्रयत्न करते हैं।
अपने एक अन्य उपन्यास गोदान में मुंशी प्रेमचंद एक किसान जोड़े सॉरी और उसकी पत्नी धनिया को दिखाते हैं जो सभी प्रकार के शोषण का डटकर सामना करते हैं चाहे वे जमींदार थे, सूदखोर थे, धार्मिक पुजारी थे या फिर साम्राज्यवादी अधिकारी। अंत में विजय इस किसान जोड़े की ही होती है और वह अंत तक अपना सम्मान बनाए रखने में सफल रहते हैं।

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