धर्मनिरपेक्षता की समझ: इस अध्याय में आप धर्मनिरपेक्षता कि समझ पढ़ेंगे। इस आर्टिकलमें कक्षा आठवीं की सामाजिक विज्ञान की पाठ्यपुस्तक के दूसरे अध्याय धर्मनिरपेक्षता की समझ के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर दिए गए हैं।
धर्मनिरपेक्षता की समझ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
Q.1. धर्मनिरपेक्षता क्या है?
Ans: धर्म को राज्य से अलग रखने की अवधारणा को धर्मनिरपेक्षता कहा जाता है। दूसरे शब्दों में धर्मनिरपेक्षता को परिभाषित करते हुए हम कह सकते हैं कि धर्मनिरपेक्षता एक ऐसी अवधारणा है जिसमें सभी धर्मों को एक समान मान्यता दी जाती है। इस अवधारणा में किसी भी धर्म के साथ कोई भेदभाव नहीं किया जाता।
Q.2. राज्य और धर्म को अलग रखने की जरूरत क्यों है?
Ans: राज्य और धर्म को अलग रखने की आवश्यकता है क्योंकि अगर ऐसा नहीं किया गया तो किसी भी देश में किसी एक धर्म के बहुसंख्यक उस देश की दूसरे धर्म के अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव व जोर जबरदस्ती करना शुरू कर देंगे। यदि राज्य को धर्म पर नहीं रखा गया तो किसी एक धर्म के बहुसंख्यक लोग दूसरे धर्म के अल्पसंख्यक लोगों पर हावी हो जाएंगे और उनसे अपने मनमानापन कराएंगे।
Q.3. धर्मनिरपेक्षता की क्या मान्यता है?
Ans: किसी धर्मनिरपेक्ष देश या धर्मनिरपेक्षता की मान्यता निम्नलिखित है:
- कोई एक धार्मिक समुदाय किसी दूसरे धार्मिक समुदाय को ना दबाए
- कुछ लोग नहीं धर्म के अन्य सदस्यों को ना दबाए
- राज्य न तो किसी खास धर्म को थोपेगा और न ही लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता छिनेगा
Q.4. धार्मिक वर्चस्व को रोकने के लिए भारत कौन से नीति अपनाती है?
Ans: धार्मिक वर्चस्व को रोकने के लिए भारत मुख्यता दो नीतियों को अपनाती है जो निम्नलिखित है :
- धार्मिक वर्चस्व को रोकने के लिए भारतीय राज्य खुद को धर्म से दूर रखता है। भारतीय राज्य की बागडोर ना तो किसी एक धार्मिक समूह के हाथ में है और ना ही राज्य किसी एक धर्म को समर्थन देता है। भारत में कचहरी, थाने, सरकारी विद्यालय और दफ्तर जैसे सरकारी संस्थानों में किसी खास धर्म को प्रोत्साहन देने या उसका प्रदर्शन करने की अपेक्षा नहीं की जाती है।
- धार्मिक वर्चस्व को रोकने के लिए भारतीय धर्मनिरपेक्षता का दूसरा तरीका है अहस्तक्षेप की नीति। इसका मतलब है कि सभी धर्मों की भावनाओं का सम्मान करने और धार्मिक क्रियाकलापों में दखल ना देने के लिए राज्य कुछ खास धार्मिक समुदायों को कुछ विशेष छूट देता है।
Q.5. स्कूलों में दी जाने वाली धर्म के आधार पर छुट्टियों के नाम लिखें।
उत्तर: भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है जहां पर सभी धर्मों को एक समान दर्जा दिया गया है इसलिए भारत में विभिन्न धर्मों के लिए स्कूलों में विभिन्न त्योहारों पर छुट्टियां दी जाती है जिनमें से प्रमुख छुट्टियां निम्नलिखित है:
हिंदू धर्म – होली, दशहरा, दीपावली l
मुस्लिम धर्म – ईद-उल-अज़हा, ईद उल-फ़ित्र, मुहर्रम l
सिख धर्म – लोहड़ी, गुरु गोबिंद सिंह जयंती, गुरु पर्व l
ईसाई धर्म – क्रिसमस, गुड फ्राइडे l
Q.6. एक ही धर्म के भीतर अलग-अलग दृष्टिकोणों के कुछ उदाहरण दें?
उत्तर: भारत में विभिन्न प्रकार के धर्म है और प्रत्येक धर्म में भी अलग अलग दृष्टिकोण रखने वाले लोग रहते हैl कुछ प्रमुख उदहारण निम्नलिखित है:
(क) हिंदू धर्म में विभिन्न दृष्टिकोणों को मानने वाले विभिन्न प्रकार के लोग हैं। सनातन धर्म मूर्ति पूजा में आस्था रखते हैं जबकि इसके विपरीत आर्य समाज मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं रखते हैं। वैष्णव धर्म को मानने वाले विष्णु को श्रेष्ठ देवता तथा सेव धर्म को मानने वाले शिव को श्रेष्ठ मानते हैं।
(ख) इस्लाम धर्म में भी सिया और सुन्नी संप्रदाय में विभाजित है। इनके सामाजिक और धार्मिक आचरण एक दुसरे से भिन्न हैं।
(ग) सिक्ख धर्म में केशधारी, नामधारी और निहंग प्रमुख हैं।
(घ) ईसाई धर्म में भी कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट विचारधारा को मानने वाले अनुयायी हैं।
(ड़) जैन धर्म में श्वेतांबर और दिगंबर नामक दो संप्रदाय हैं। श्वेतांबर श्वेत वस्त्र का धारण करते हैं जबकि दिगंबर संप्रदाय के लोग बिना वस्त्र के रहते हैं।
धर्मनिरपेक्षता की समझ शब्द संकलन
1. व्याख्या की स्वतंत्रता:
सभी व्यक्तियों को अपने हिसाब से चीजों को समझने की छूट होती है इस अध्याय में व्याख्या की स्वतंत्रता का मतलब है कि हर एक व्यक्ति अपने धर्म की समझ और अर्थ खुद कर सकता है।
2. हस्तक्षेप:
इस अध्याय में हस्तक्षेप का मतलब है संविधान के सिद्धांतों के अनुसार अनुरूप किसी मामले को प्रभावित करने के लिए राज्य की ओर से होने वाले प्रयास।