रामगढ़ कांग्रेस 1940 का वर्णन। Gamgarh Congress 1940 BA History Semester 4

रामगढ़ कांग्रेस का 53वां अधिवेशन 18 से 20 मार्च 1940 को रामगढ़, बिहार (अब झारखंड) में आयोजित किया गया था। इस अधिवेशन की अध्यक्षता मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने की थी। इस अधिवेशन में भारत छोड़ो आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई थी।

इस अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का प्रस्ताव रखा था, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया था। इस प्रस्ताव में कहा गया था कि भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करनी चाहिए और इसके लिए सभी भारतीयों को एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए।

रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था. इस अधिवेशन के बाद भारत छोड़ो आंदोलन ने जोर पकड़ा और अंततः भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।

1940 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने मुख्य नेतृत्व में महात्मा गांधी के द्वारा भारत की स्वतंत्रता के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय किया था, जिसे क्रिप्स मिशन (Cripps Mission) के नाम से जाना जाता है। इस निर्णय के समय, रामगढ़ कांग्रेस के सदस्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने का संकल्प लिया और स्वतंत्रता के लिए नेतृत्व और संघर्ष करने का एक बड़ा समर्थन किया।

भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन के तहत, रामगढ़ कांग्रेस ने स्वतंत्रता संग्राम में उच्च स्तर पर सहयोग और समर्थन प्रदान किया। यह संगठन ने अनेक रैलियों, सत्याग्रहों, और प्रदर्शनों का आयोजन किया और गांधीवादी आंदोलन के मूल मूल्यों का समर्थन किया।

इस समय के बाद, रामगढ़ कांग्रेस के सदस्य भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के साथ मिलकर देश की आजादी के लिए लड़ने में सक्रिय रूप से योगदान दिया। इस संगठन के सदस्य नेताओं ने गांधीवादी अभियानों में शीर्ष स्थान लिया और अंग्रेजी शासन के खिलाफ साहसी संघर्ष किया।

रामगढ़ कांग्रेस 1940 में सामिल प्रमुख नेता

रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन में शामिल कुछ प्रमुख नेता थे:

  • मौलाना अबुल कलाम आज़ाद
  • सुभाष चंद्र बोस
  • जवाहरलाल नेहरू
  • सरदार वल्लभभाई पटेल
  • महात्मा गांधी
  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद

रामगढ़ कांग्रेस 1940 के विभिन्न घटनाएँ

  • 18 मार्च 1940 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का 53वां अधिवेशन रामगढ़, बिहार (अब झारखंड) में शुरू हुआ।
  • अधिवेशन की अध्यक्षता मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने की थी।
  • अधिवेशन में सुभाष चंद्र बोस ने ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का प्रस्ताव रखा, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया था।
  • इस प्रस्ताव में कहा गया था कि भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त करनी चाहिए और इसके लिए सभी भारतीयों को एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए।
  • रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
  • इस अधिवेशन के बाद भारत छोड़ो आंदोलन ने जोर पकड़ा और अंततः भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई।
  • महात्मा गांधी ने इस अधिवेशन में अहिंसा के सिद्धांतों पर जोर दिया।
  • जवाहरलाल नेहरू ने इस अधिवेशन में कहा कि भारत को एक लोकतांत्रिक देश बनना चाहिए।
  • सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस अधिवेशन में कहा कि भारत को एक एकजुट देश बनना चाहिए।
  • डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने इस अधिवेशन में कहा कि भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश बनना चाहिए।

उद्देश्य

रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन के कुछ प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार थे:

  • भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता दिलाना।
  • भारत को एक लोकतांत्रिक देश बनाना।
  • भारत को एक एकजुट देश बनाना।
  • भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश बनाना।

रामगढ़ कांग्रेस 1940 का उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में सक्रिय रूप से भाग लेकर देश की आजादी के लिए संघर्ष करना था। यह संगठन रामगढ़ जिले में स्थापित हुआ था और उस समय के राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के संगठन का हिस्सा था। इस संगठन के सदस्य नेताओं ने गांधीवादी अभियानों में शीर्ष स्थान लिया और अंग्रेजी शासन के खिलाफ साहसी संघर्ष किया था। इससे उनका मुख्य उद्देश्य भारतीय स्वतंत्रता के लिए लड़ने में सक्रिय रूप से योगदान देना था और गांधीवादी आंदोलनों के मूल मूल्यों का समर्थन करना था।

प्रभाव

रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन के कुछ प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:

  • भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत।
  • भारत को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता दिलाने में मदद।
  • भारत को एक लोकतांत्रिक देश बनाने में मदद।
  • भारत को एक एकजुट देश बनाने में मदद।
  • भारत को एक धर्मनिरपेक्ष देश बनाने में मदद।

रामगढ़ कांग्रेस 1940 का प्रभाव भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन में बहुत महत्वपूर्ण था। इस समय के दौरान, रामगढ़ कांग्रेस के सदस्य भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लेकर देश की आजादी के लिए संघर्ष करते थे। इस संगठन ने अपने क्षेत्र में गांधीवादी आंदोलनों को समर्थन दिया और अंग्रेजी शासन के खिलाफ लोगों को जागरूक किया।

रामगढ़ कांग्रेस के सदस्यों ने नौकरशाही, अंग्रेज़ी वसूली और ब्रिटिश शासन के खिलाफ सत्याग्रह के माध्यम से विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। इसके प्रभाव से लोगों में राष्ट्रीय एकता बढ़ी और उनके राष्ट्रीय भावनाओं का स्थायी स्थान बना। रामगढ़ कांग्रेस के सदस्यों ने राजनीतिक एवं सामाजिक जगत में अपनी भूमिका से व्यापक प्रभाव डाला और लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय होने के लिए प्रेरित किया।

यह संगठन रामगढ़ के लोगों को स्वाधीनता के लिए संघर्ष करने के लिए उत्साहित करता था और उन्हें अंग्रेज़ी शासन के खिलाफ समर्थन करने के लिए उत्साहित करता था। इस संगठन के सदस्य नेताओं ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अपने योगदान के लिए सराहा गया और उनका प्रभाव राष्ट्रीय स्वतंत्रता के प्रति लोगों की भावनाओं को प्रभावित करता रहा।

रामगढ़ कांग्रेस 1940 MCQs

Q1. रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन का वर्ष क्या था?

(a) 1940
(b) 1941
(c) 1942
(d) 1943

(a) 1940

Q2. रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन की अध्यक्षता किसने की थी?

(a) महात्मा गांधी
(b) जवाहरलाल नेहरू
(c) सुभाष चंद्र बोस
(d) मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

(d) मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

Q2. रामगढ़ कांग्रेस 1940 कॉंग्रेस का कौन-सा अधिवेशन था?

(a) 28वाँ
(b) 37वाँ
(c) 41वाँ
(d) 53वाँ

53वाँ