विभाजन को समझना राजनीति, स्मृति, अनुभव | Vibhajan ko Samajhna Histiry class 12 Chapter 14

Vibhajan ko Samajhna: History Book 3 chapter 14: विभाजन को समझना राजनीति, स्मृति, अनुभव इस पाठ में हम भारत पाकिस्तान के विभाजन को समझेंगे तथा कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर भी पढ़ेंगे जो कक्षा 12 की वार्षिक परीक्षा की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है।

Vibhajan ko Samajhna: महत्वपूर्ण तथ्य

  • 1937-39: ब्रिटिश भारत के 11 में से 7 प्रांतों में कांग्रेस के मंत्रिमंडल सत्ता में आए।
  • 1940: लाहौर में मुस्लिम लीग मुस्लिम बहुल इलाकों के लिए कुछ हद तक स्वायत्तता की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश करती हैं।
  • 1946: ब्रिटिश कैबिनेट अपना तीन सदस्यीय मिशन दिल्ली बेज्जती है। मुस्लिम लीग पाकिस्तान के स्थापना के लिए “प्रत्यक्ष कार्यवाही” के पक्ष में फैसला लेती है।
  • 1947: कांग्रेस हाईकमान पंजाब को मुस्लिम बहुल और हिंदू, सिक्ख बहुल हिस्सों में बांटने के पक्ष में फैसला लेता है और बंगाल में भी इस सिद्धांत को अपनाने का आह्वान करता है।
  • होलोकष्ट: यह एक घटना है जो जर्मनी के नाजीवादी शासन में घटित हुई जिसमे लोगों का महाविनाश हुआ।
  • हिन्दू महासभा: इसकी स्थापना १९१५ में हुई इसका क्षेत्र उत्तर भारत है।
  • यूनियननिस्ट पार्टी: इसकी स्थापना १९२३ में हुई। यह पंजाब में हिंदू मुस्लिम और सिक्ख भू स्वामियों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली राजनीतिक पार्टी थी।
  • परिसंघ तथा महासंघ: यह स्वायत और संप्रभु राज्यों का संघ था इसमें केंद्रीय सरकार की शक्तियां सीमित होती है।
  • सांप्रदायिकता: यह संकीर्ण भावना है जो व्यक्तियों को अपने ही धर्म से प्रेम और अन्य धर्म अनुयायियों के प्रति द्वेष की भावना को उकसाती है।

Vibhajan ko Samajhna: 1 अंकीय प्रश्न-उत्तर

Q.1. सीधी कार्यवाही दिवस कब मनाई गई?
Ans: 16 अगस्त 1946
Q.2. संविधान सभा की पहली बेठक कब हुई?
Ans: 6 दिसंबर 1946
Q.3. भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 को ब्रिटिश संसद ने कब परित किया?
Ans: जुलाई, 1947
Q.4. गांधी जी ने हरीजन यात्रा कब शुरू की?
Ans: 1934
Q.5. नामक सत्याग्रह कब आरंभ हुई?
Ans: 12 मार्च 1930
Q.6. जलियावाला बाग हत्याकांड कब हुआ?
Ans: 13 अप्रैल 1919
Q.7. पाकिस्तान का नाम सबसे पहले किसने दिया?
Ans: चोंधरी रहमत अली
Q.8. गांधी इरविन समझोंता कब हुई?
Ans: 1931
Q.9. महात्मा गांधी ने काँग्रेस के किस वार्षिक अधिवेशन की अध्यक्षता की?
Ans: बेलगाम अधिवेशन, 1924
Q.10. मुस्लिम लीग की स्थापना कहा हुई?
Ans: ढाका

Vibhajan ko Samajhna: अति लघु उत्तरीय प्रश्न

Q.11. लखनऊ समझोंता क्या है?
Ans: यह समझोता दिसंबर, 1916 में काँग्रेस और मुस्लिम लीग के आपसी तालमेल को दर्शाता है। इस समझोते के अंतर्गत काँग्रेस ने पृथक चुनाव क्षेत्रों को स्वीकार किया। समझोते ने काँग्रेस के मध्यममार्गीयो, उग्रपंथियों और मुस्लिम लीग के लिए एक संयुक्त राजनीतिक मंच प्रदान किया।

Q.12. ब्रिटिश सरकार के अगस्त प्रस्ताव को कांग्रेस ने क्यों अस्वीकार किया?
Ans: अगस्त प्रस्ताव में भविष्य में भारत को ओपनिवेशिक राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव रखा गया था। कांग्रेस ने इसे अस्वीकार कर दिया था क्योंकि उनकी मांग पूर्ण स्वराज्य प्राप्त करने की थी।

Q.13. स्वदेशी आंदोलन के दूरगामी प्रभाव क्या पड़े?
Ans: इससे भारतीय उद्योगों को काफी हद तक बढ़ावा मिला स्वदेशी आंदोलन से राष्ट्रीय काव्य गद्य लेखन और पत्रकारिता का विकास हुआ ऐसे राष्ट्रीय शैक्षिक संस्थान खोले गए जहां साहित्य तकनीकी या शारीरिक शिक्षा प्रदान की जाती थी।

Q.14. कैबिनेट मिशन का क्या उद्देश्य था?
Ans: ब्रिटिश सरकार ने मार्च 1946 ईस्वी में कैबिनेट मिशन भारत भेजा था। कैबिनेट मिशन का उद्देश्य भारतीय नेताओं से सत्ता हस्तांतरण की शर्तों पर बातचीत करना था।

Q.15. मुस्लिम लीग की स्थापना कब हुई? इसकी मांग क्या थी?
Ans: मुस्लिम लीग की स्थापना 1906 ढाका में हुई थी। इसके बाद शीघ्र ही यह यू. पी. के विशेषकर अलीगढ़ के मुस्लिम वर्ग के प्रभाव में आ गई। 1940 के दशक में पार्टी भारतीय महाद्वीप के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों की स्वायत्तता या फिर पाकिस्तान की मांग करने लगे।

Vibhajan ko Samajhna: लघु उत्तरीय प्रश्न

Q.16. भारत के स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 के मुख्य प्रावधानों को लिखें।
Ans: भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम को जुलाई 1947 में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया, इस अधिनियम के मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:

  • अधिनियम में 15 अगस्त 1947 से भारत और पाकिस्तान नामक दो स्वतंत्र राज्यों के गठन का प्रावधान था।
  • पाकिस्तान में शामिल प्रदेशो अर्थात पश्चिम पंजाब उत्तरी- पश्चिमी सीमा प्रांत बलूचिस्तान सिंध और पूर्वी बंगाल को छोड़कर शेष भाग भारतीय अधिराज्य क्षेत्र होगा इसमें समूचे ब्रिटिश भारत शामिल होगा इन दोनों अधिराज्य की सीमाओं का निर्धारण सीमा आयोग द्वारा किया जाएगा।
  • प्रत्येक अधिराज्य के विधान मंडल को अपने अधिराज्य के लिए कानून बनाने का पूरा अधिकार होगा 15 अगस्त 1947 के बाद संसद द्वारा पारित कोई भी अधिनियम किसी भी अधिराज्य में वेध नहीं होगा।
  • 15 अगस्त 1947 से ब्रिटिश सरकार की ब्रिटिश भारत की सरकार के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं रहेगी और उसकी महामहिम सरकार तथा भारतीय रियासतों के शासकों या जनजातीय क्षेत्रों या किसी प्राधिकारी के बीच संपन्न हुई सभी संधियो और करार समाप्त हो जाएंगे।

Q.17. संविधान सभा का संक्षिप्त विवरण दें।
Ans: जुलाई और दिसंबर 1946 के मध्य संविधान सभा के चुनाव हुए और संविधान सभा की पहली बैठक 6 दिसंबर 1940 को डॉ राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में आयोजित हुई। कैबिनेट मिशन योजना को अस्वीकार करते हुए अपने संकल्प पर दृढ़ मुस्लिम लीग ने संविधान सभा में सम्मिलित होने से इंकार कर दिया तथा पाकिस्तान की अपनी मांग पर जोर देने लगी। लीग द्वारा संविधान सभा के लगातार बहिष्कार को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने अंततः यह निर्णय दिया कि संविधान सभा के निर्णय मुस्लिम बहुल प्रांतों पर लागू नहीं होंगे। इस निर्णय से लीग के हाथ और मजबूत हो गए और संविधान सभा के कार्य संचालन में बाधाएं उत्पन्न हुई।

Q.18. जिन्ना के 14 सूत्र क्या थे?
Ans: मुस्लिम लीग के नेता जिन्ना ने नेहरू रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल के लिए प्रावधान न होने के कारण अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद जिन्ना ने अपनई मांगों की एक सूची तैयार की जिसमे 14 सूत्र थे। इसमे मुसलमानों के लिये अपनी न्यूनतम मांगों को निरूपित किया था। इसकी प्रमुख मांगे निम्नलिखित है:

  • मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचक रखा जाए तथा उन्हे अन्य रियायाते भी दी जाए जैसे की केन्द्रीय मंत्रिमंडल तथा सभी प्रांतीय मंत्रिमंडलों में मुसलमानों का एक तिहाई प्रतिनिधित्व।
  • मुस्लिम बहुल इलाकों का पुनर्गठन और
  • राज्य की सभी सेवाओ में मुसलमानों के लिए सभी पदों का आरक्षण आदि। जिन्ना के १४ सूत्रों का सार काँग्रेस से लाभप्रद सौदा करना या नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार करना था।

Q.19. क्रीप्स मिशन भारत क्यों आया?
Ans: दूसरे विश्वयुद्ध में इंग्लैंड की स्थिति काफी खराब हो गई थी। इसलिए उसे भारतीयों की सहयोग की आवश्यकता थी, परंतु अंग्रेजों की गलत नीतियों के कारण भारतीय उससे नाराज थे और उसे किसी प्रकार का कोई सहयोग देने को तैयार नहीं थे। इस समस्या को सुलझाने के लिए ही ब्रिटिश सरकार ने सर क्रीप्स को 1942 में भारत भेजा। उसने भारतीय नेताओ के सामने अपनी योजना रखी। इसमे कहा गया की यदि भारतीय दूसरे महायुद्ध में अंग्रेजों का साथ दे तो उन्हें अधिराज्य दिया जाएगा। गांधी जी ने गांधी जी ने इस योजना के तुलना एक ऐसे चेक से की जिस पर बाद की तिथि पढ़ी हुई हो और जो ऐसे बैंक के नाम जो फेल होने वाला हो। इस योजना को भारतीय नेताओं ने स्वीकार नहीं किया और क्रिप्स महोदय को निराश होकर वापस लौटना पड़ा।

Q.20. कैबिनेट मिशन पर एक टिप्पणी लिखिए।
Ans: कैबिनेट मिशन मार्च 1940 में भारतीय नेताओं के साथ भारतीयों को सत्ता हस्तांतरण की शर्तों पर बातचीत करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने कैबिनेट मिशन भेजा। कैबिनेट मिशन में दो सीढ़ियों वाली संघीय योजना रखी जिससे आशा की जाती थी कि वह अधिकतम क्षेत्रीय स्वायत्तता के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता भी बनाए रखेगी। प्रांतों और देसी राज्यों का एक संघ बनाने की बात की गई जिसमें संघीय केंद्र का केवल प्रतिरक्षा विदेशी मामलों तथा संचार पर नियंत्रण रहेगा साथ ही प्रांत विशेष क्षेत्रीय यूनियन बना सकते थे जिनकी पारस्परिक सहमति से वे अपने कुछ अधिकार दे सकते थे।

Vibhajan ko Samajhna: दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

Q.21. मार्ले मिंटो सुधार या भारतीय परिषद अधिनियम, 1909 की मुख्य विशेषताएं क्या थी?
Ans: 1905 लॉर्ड कर्जन के बाद लॉर्ड मिंटो नए वायसराय बने और इसके कुछ समय बाद ही लंदन में जॉन मार्ले को भारत विषयक सचिव नियुक्त किया गया। भारत में बढ़ती हुई अशांति और उपद्रव को देखते हुए इन दोनों ने विधान परिषद में सुधार के लिए एक योजना तैयार करने का निश्चय किया। 1911 में ब्रिटिश संसद द्वारा पारित संवैधानिक सुधार जिन्हे औपचारिक रूप से भारतीय परिषद अधिनियम 1909 कहा गया, सामान्यता मार्ले मिंटो सुधार के नाम से प्रसिद्ध है। इस अधिनियम की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित थी:

  1. इसके द्वारा केंद्र तथा प्रांतीय विधान परिषदों में गैर सरकारी लोगों की सदस्यता में वृद्धि की गई।
  2. 1892 के भारतीय परिषद अधिनियम के द्वारा जिस प्रभावि सिद्धांत को क्रियान्वित किया गया था, उसका इस अधिनियम के द्वारा और अधिक विस्तार किया गया जिसके परिणामस्वरूप 1910 में अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित 100 से अधिक सदस्यों ने विधान परिषद में प्रवेश किया।
  3. प्रांतीय विधान परिषदों में गैर सरकारी सदस्यों का बहुमत था, लेकिन केंद्र में सरकार द्वारा नामजद सदस्य बहुमत में थे।
  4. अधिनियम में वायसराय की कार्यकारिणी प्रांतीय कार्यकारिणी के परिसद में एक भारतीय सदस्य की नयुक्ति का प्रावधान किया गया था।
  5. विधान परिषद की शक्तियों में सुधार किया गया। सदस्य प्रश्न पूछ सकते थे और बजट पर बहस कर सकते हैं, लेकिन उस पर मत नहीं दे सकते थे। वह विधायी प्रस्ताव पेश कर सकते थे, लेकिन कानून नहीं बना सकते थे।
  6. 1909 के अधिनियम का सबसे बड़ा दोष मुसलमानों के पृथक निर्वाचन मंडल प्रदान करना था। परिषद में मुसलमान सदस्य का निर्वाचक सामान्य निर्वाचन मंडल द्वारा नहीं बल्कि केवल मुसलमानों के लिए गठित पृथक निर्वाचन मंडल द्वारा किया जाता था। वस्तुत: इसका आशय यह था कि मुसलमान संप्रदाय को भारतीय राष्ट्र से पूर्णतया पृथक वर्ग के रूप में स्वीकार किया गया।

मार्ले मिंटो सुधारो से ना तो उदारवादी ही संतुष्ट हुए ना ही उग्रवादी। 1909 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचन मंडल की व्यवस्था का कड़ा विरोध किया गया।

Q.22. 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना के कारण बताइए।
Ans: मुस्लिम लीग की स्थापना- सन 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना के पीछे अनेक कारण थे। यह कारण रातों-रात नहीं बने और ना केवल उसके पीछे मुसलमानों का ही दिमाग था बल्कि इस में अंग्रेजों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके कारण मुस्लिम लीग की स्थापना हुई। मुस्लिम लीग की स्थापना के जिम्मेदार कारण निम्नलिखित थे:

  1. अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति- अंग्रेजों की राज करने की नीति फूट डालकर राज करने की नीति थी। उन्होंने हिंदू और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिकता को खूब उछाला। अंग्रेजों ने भारत में हिंदुओं को मुसलमानों का शासक बताया। 1905 में लॉर्ड कर्जन ने बंग-भंग करके सांप्रदायिकता को खूब फैलाया। उन्होंने नए प्रांत में मुसलमानों का बहुमत का दावा किया। अपने प्रभाव में लेने के लिए अंग्रेजों ने ढाका के नवाब समीमुल्ला खां को थपथपाया और मुस्लिम संप्रदाय के धार्मिक नेता आगा खान को हिंदुओं के विरुद्ध बोलने के लिए समर्थन दिया। अंत में इन दोनों मुस्लिम नेताओं ने 1906 में मुस्लिम लीग की स्थापना में अपने कर्तव्य का निर्वाह किया।
  2. शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन- मुस्लिम समाज में बहुत कम लोग शिक्षित थे। थोड़े से लोग जो अपने को शिक्षित मानते थे, वह भी धार्मिक स्थानों पर हावी थे जिनके अंदर धार्मिक विचारधारा थी। उनके विचार संकीर्ण थे। गरीबी ने मुसलमान को और भी धार्मिक नेताओं के चंगुल में फंसा रखा था।
  3. सैयद अहमद खान की भूमिका- हालांकि सैयद अहमद खान अपने को शिक्षित और बुद्धिवादी मानते थे परंतु उसने सांप्रदायिकता बढ़ाने में कोई कमी नहीं छोड़ी। उसने हिंदू और मुसलमानों को दो अलग-अलग राष्ट्र बताया जो कभी एक हो ही नहीं सकते। अतः सैयद अहमद खान ने अपने प्रभाव का दुरुपयोग करके मुसलमानों के अंदर हिंदुओं के विरुद्ध विश्व घोला जो आगे चलकर अलगाव के रूप में कांग्रेस से अलग मुस्लिम लीग नामक दल बना।
  4. पृथक निर्वाचन का अधिकार देकर- अंग्रेजों ने मुसलमान को सांप्रदायिकता के आधार पर पृथक निर्वाचन का अधिकार दे दिया। इससे मुसलमान अपने आप को हिंदुओं से अलग बनाने लगे।

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