Hamara Paryavaran: कक्षा 10 के विज्ञान अध्याय 15 के सभी महतापूर्ण प्रश्न उत्तर को पढ़े। झारखण्ड पाठशाला विज्ञान कक्षा 10 के सभी अध्यायों के समाधान उपलब्ध करा रही है। इस अध्याय में Hamara Paryavaran का अध्ययन करेंगे जो की परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
Hamara Paryavaran: 1 स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. विश्व पर्यावरण दिवस कब मनाया जाता है?
Ans:5 जून।
Q.2. पर्यावरण के मुख्य कारक कौन-कौन से हैं?
Ans:(i) जैविक कारक, (ii) अजैविक कारक।
Q.3. जैविक कारकों के दो उदाहरण दें।
Ans:(i) पौधे, (ii) जंतु।
Q.4. किन्ही दो अजैविक कारकों के नाम लिखें।
Ans:(i) प्रकाश, (ii) मृदा।
Q.5. ऐसे कुछ पदार्थों के नाम लिखे जो पर्यावरण को प्रदूषित करते हैं।
Ans: सब्जी व फलों के छिलके, दूध के पैकेट, पोलीथीन, कागज तथा दवाइयों के रैपर।
Q.6. ऐसे पदार्थों को क्या कहते हैं जो जैविक प्रक्रम द्वारा अपघटित हो जाते हैं?
Ans: जैव निम्नीकरणीय।
Q.7. किसी मानव – निर्मित पारितंत्र का नाम लिखें।
Ans: खेत, बगीचा।
Q.8. पारितंत्र के उदाहरण दें।
Ans: वन, तालाब, समुद्र आदि।
Q.9. ऐसे दो पदार्थों के नाम लिखे जिनका अपघटन नहीं होता।
Ans:(i) कोयला, (ii)प्लास्टिक।
Q.10. कौन – से जीव उत्पादक कहलाते हैं?
Ans: हरे पौधे।
Q.11. जीवो की एसी श्रेणी को जो एक – दूसरे से भोजन ग्रहण करते हैं क्या कहते हैं?
Ans: खाद्य श्रृंखला।
Q.12. खाद्य श्रृंखला के चरणों को क्या कहते हैं?
Ans: पोषी स्तर।
Q.13. एक खाद्य श्रृंखला का उदाहरण दें।
Ans: घास – हिरन – शेर।
Q.14. प्रथम पोषी स्तर को क्या कहते हैं?
Ans: उत्पादक।
Q.15. नीलहरित शैवाल किस पोषी स्तर से संबंधित है?
Ans: उत्पादक।
Q.16. एक सर्वाहारी जीव का नाम लिखें।
Ans: कुत्ता।
Q.17. बगीचा तथा खेती किस प्रकार के पारितंत्र है?
Ans: मानव – निर्मित।
Q.18. क्लोरोफ्ल्यूरोकार्बन (CFC) का उपयोग मुख्यतः किसलिए किया जाता है?
Ans: रिफ्रीजरेशन और अग्निशमन।
Q.19. ओजोन परत के अवक्षय करने वाले यौगिकों का समूह क्या है?
Ans: क्लोरोफ्लोरो कार्बन के यौगिक।
Q.20. ओजोन का सूत्र क्या है?
Ans: O3
Hamara Paryavaran: 3 स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. पर्यावरण क्या है?
Ans: चारों तरफ पाये जाने वाले जीव – जंतु, पेड़ – पोधे, निर्जीव पदार्थ तथा वस्तुएं और प्राकृतिक परिस्थितियां जैसे सूर्य का प्रकाश और जलवायु आदि को सम्मिलित रूप से पर्यावरण कहते हैं।
Q.2. ऐसे दो तरीके सुझाएं जिनमें जैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
Ans:(i) जैव निम्नीकरणीय पदार्थ अघटित होते समय दुर्गंध एवं हानिकारक गैसे मुक्त करते हैं जिससे सामुदायिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
(ii) जैव निम्नीकरणीय पदार्थों के साथ बीमारियों के सूक्ष्मजीव पलते हैं जो बीमारियां फैलाते हैं तथा अन्य स्रोतों को भी संदूषित और संक्रमित करते है।
Q.3. ऐसे दो तरीके बताएं जिनमें अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ पर्यावरण को प्रभावित करते हैं।
Ans: (i)अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ अपने अनिम्नीकरणीय स्वभाव के कारण निष्पादन की समस्या उत्पन्न करते हैं तथा परीदृश्य को गंदा करते हैं।
(ii) इन पदार्थों से प्राय: अत्यंत हानिकारक गैसीय प्रदूषक निकालते हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत खतरनाक होते हैं।
Q.4. पारितंत्र में अपमार्जको की क्या भूमिका है?
Ans: अपमार्जक पर्यावरण में पदार्थों के चक्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यदि अपमार्जक ना हो, तो पृथ्वी की सतह पर अपशिष्टो का ढेर लग जाएगा, सभी जैव – भू – रासायन चक्र बाधित होने लगेंगे तथा पर्यावरण का प्राकृतिक संतुलन स्थायी रूप से समाप्त हो जाएगा।
Q.5. पारितंत्र में ऊर्जा का प्रवाह अचक्रीय होता है, कैसे?
Ans: सूर्य के विकिरण ऊर्जा प्रकाश संश्लेषण के समय रासायनिक बंधन ऊर्जा के रूप में भोजन में संचित हो जाती है। यह ऊर्जा आहार – श्रृंखला के माध्यम से सर्वोच्च उपभोक्ता तक पहुंचाती है। सर्वोच्च उपभोक्ता की मृत्यु और अपघटन के समय यह ऊर्जा मुक्त होकर वातावरण में चली जाती है। इस प्रकार पारितंत्र में ऊर्जा का प्रवाह अचक्रीय होता है।
Q.6. जैव – भू – रसायन चक्र क्या है? कोई दो उपयुक्त उदाहरण दें।
Ans: भूमि पर पाये जाने वाले रसायन जो अवशोषित होकर पौधों में पहुंचते हैं उनसे तरह-तरह के यौगिकों का संश्लेषण होता है उन्हें जैव रसायन कहते हैं। ये रसायन आहार श्रृंखला के माध्यम से चक्रीय पथ में भ्रमण करते हैं और जीवधारी की मृत्यु के पश्चात जैव- अपघटन के प्रक्रम द्वारा पुनः भूमि में पहुंच जाते हैं। इसे जैव – भू- रसायन चक्र कहते हैं।
उदाहरण – जल चक्र, नाइट्रोजन चक्र।
Q.7.आहार श्रृंखला की परिभाषा दे। आहार श्रृंखला के अध्ययन के दो लाभ बताएं।
Ans: जब कोई जीव अपने जीवन के लिए दूसरे जीव को खाकर जीवित रहता है, तब उनका ऐसा संबंध आहार श्रृंखला कहलाता है। आहार श्रृंखला में होने वाले प्रत्येक चरण को पोषी स्तर या उपभोक्ता स्तर कहते हैं।
आहार ( खाद्या ) श्रृंखला के अध्ययन से लाभ-
(i)इससे परिस्थितिक संतुलन बना रहता है।
(ii) एक पोषी स्तर की दूसरे पर निर्भरता का अध्ययन।
Q.8. ओजोन अवक्षय क्या है? ओजोन अवक्षय के हानिकारक प्रभाव क्या होते हैं?
Ans: ओजोन अवक्षय -जब वायुमंडल में क्लोरोफ्ल्यूरो कार्बनो की सांद्रता बढ़ती है तब वे ओजोन से अभिक्रिया करते हैं। इससे ओजोन पट्टी पतली होने लगती है। इस घटना क्रम को ओजोन अवक्षय कहते हैं।
ओजोन अवक्षय के हानिकारक प्रभाव –
(i) ग्रीन हाउस प्रभाव,
(ii) जलवायु में परिवर्तन,
(iii) त्वचा कैंसर,
(iv) मोतियाबिंद।
Q.9. पराबैंगनी किरणों के जीवधारियों पर पड़ने वाले किन्ही दो हानिकारक प्रभावों का उल्लेख करें।
Ans:(i) आंखों में मोतियाबिंद का होना।
(ii) त्वचा का कैंसर।
Q.10. जैविक आवर्धन क्या है? क्या पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर जैविक आवर्धन का प्रभाव भी भिन्न-भिन्न होगा।
Ans: जैव अनिम्नीकरणीय रासायनिक पदार्थ (जैसे कीटनाशक) आहार श्रृंखला के माध्यम से पौधों द्वारा अवशोषित हो जाने के बाद उपभोक्ता के शरीरो के वसीय ऊत्तको में संचित होते रहते हैं। चूंकि मनुष्य सर्वोच्च उपभोक्ता है, अतः ये रसायन मनुष्य के शरीर में अंतिम रूप से पहूंचते हैं और संचित हो जाते हैं। वहां मनुष्य के वसीय ऊत्तको में इन पदार्थों का सांद्रण बढ़ता रहता है। इसे जैव आवर्धन कहते हैं।
हां, पारितंत्र के विभिन्न स्तरों पर यह आवर्धन भिन्न-भिन्न होगा तथा सर्वोच्च स्तर पर जैव आवर्धन सर्वाधिक होगा।
Hamara Paryavaran: 5 स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1.किसी आहार – श्रृंखला में ऊर्जा की हानि कैसे होती है?
Ans: प्रत्येक पोषी स्तर पर केवल 10% ऊर्जा का उपयोग होता है और 90% ऊर्जा बेकार चली जाती है। ऊर्जा के इस प्रवाह को संक्षेप में इस प्रकार व्यक्त किया जा सकता है-
(i) पृथ्वी पर सूर्य से लगभग 1000 J विकिरण ऊर्जा जीवमंडल में आती है। इसमें से केवल 10 J ऊर्जा को पौधे प्रकाश – संश्लेषण में प्रयोग कर पाते हैं। शेष 990 J ऊर्जा वातावरण में गायब हो जाती है। यह 10J ऊर्जा रासायनिक ऊर्जा के रूप में स्टार्च और शर्कराओ में संचित रहती है।
(ii) पौधों द्वारा संचित की गई ऊर्जा आहार – श्रृंखला के माध्यम से प्राथमिक उपभोक्ता के शरीर में पहुंचाती है। यह उपभोक्ता अपनी उपापचय की क्रियाओं में कुछ ऊर्जा का प्रयोग करते हैं।
(iii) प्राथमिक उपभोक्ताओं के शरीर की शेष ऊर्जा द्वितीय उपभोक्ताओं (मांसाहारियों) के शरीर में पहुंचती है। वे भी इस ऊर्जा का कुछ भाग अपनी उपापचय की क्रियाओं में खर्च करते हैं। इस प्रकार सभी जीवधारी ऊर्जा का कुछ भाग खर्च करते हैं। सभी जीवधारियों के शरीर में ऊष्मा के रूप में ऊर्जा का वायुमंडल में विमोचन होता है जिसे सामुदायिक ऊष्मा कहा जाता है।
(iv) जीव – जंतुओं की मृत्यु के बाद उनके शरीरों के जलने या अपघटित होने से ऊर्जा मुक्त होकर वातावरण में चली जाती है। इस प्रकार कुल मिलाकर 10% ऊर्जा का उपयोग होता है और 90% ऊर्जा बेकार चली जाती है।
Q.2. ओजोन क्या है तथा यह किसी पारितंत्र को किस प्रकार प्रभावित करती है?
Ans: ओजोन ऑक्सीजन का एक समस्थानिक है। इसका एक अणु ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बना होता है। इसका अणुसूत्र o3 है।
सूर्य की पराबैंगनी किरणों के प्रभाव से ऑक्सीजन अपने परमाणुओं में टूट जाती है तथा प्रत्येक परमाणु ऑक्सीजन से संयुक्त होकर ओजोन का अणु बनाता है।
O2 पराबैंगनी > O + O
(परमाणुवीय ऑक्सीजन)
O + O2 > O3
(ओजोन)
ओजोन सूर्य से पृथ्वी तक आने वाले घातक पराबैगनी विकिरणों को सोख लेती है तथा उन्हें पृथ्वी तक नहीं पहुंचने देती है। इस प्रकार यह पृथ्वी के पारितंत्रों के लिए सुरक्षा छतरी का कार्य करती है। पराबैंगनी विकिरण जीवन के लिए अत्यंत हानिकारक होता है। इससे त्वचा कैंसर, मोतियाबिंद आदि भयानक बीमारियां होती है। यह पौधों की पत्तियों को क्षतिग्रस्त कर देता है।
Q.3. ओजोन परत की क्षती हमारे लिए चिंता का विषय क्यों है? इस क्षति को सीमित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
Ans: ओजोन परत की क्षती हमारे लिए अत्यंत चिंता का विषय है क्योंकि यदि क्षती अधिक होती है तो अधिक से अधिक पराबैगनी विकिरणे पृथ्वी पर आएंगी जो हमारे लिए निम्न प्रकार से हानिकारक प्रभाव डालती है-
(i) इनका प्रभाव त्वचा पर पड़ता है जिससे त्वचा के कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।
(ii) पौधों में वृद्धि दर कम हो जाती है।
(iii) ये सूक्ष्म जीवों तथा अपघटकों को मारती है इससे पारितंत्र में अंसतुलन उत्पन्न हो जाता है।
(iv) ये पौधों में पिगमेंटों को नष्ट करती है।
ओजोन परत की क्षती को कम करने के उपाय-
(i) एरोसोल तथा क्लोरोफ्लोरो कार्बन यौगिक का कम से कम उपयोग करना।
(ii) सुपर सोनिक विमानों का कम से कम उपयोग करना।
(iii) संसार में नाभिकीय विस्फोटो पर नियंत्रण करना।
Q.4. पीड़कनाशी रसायनों का अत्यधिक प्रयोग किस प्रकार जैव आवर्धन की समस्या को उत्पन्न कर रहा है?
Ans: पीड़कनाशी रसायनों के अत्यधिक प्रयोग से खेतों की मिट्टी विषाक्त हो जाती है। ये रसायन वर्षा काल में अथवा सिंचाई के दौरान बहकर जल स्रोतों में चले जाते हैं। मिट्टी से इन पदार्थों का पौधों द्वारा जल एवं खनिजों के साथ-साथ अवशोषण हो जाता है तथा जलाशयों से ये रसायन जलीय पौधों एवं जंतुओं में प्रवेश कर जाते हैं और आहार श्रृंखला में सम्मिलित हो जाते हैं।
क्योंकि किसी भी आहार श्रृंखला में मनुष्य शीर्षस्थ हैं, अत: हमारे शरीर में ये रासायनिक पदार्थ सर्वाधिक मात्रा में संचित हो जाते हैं। इससे जैव – आवर्धन की समस्या उत्पन्न हो जाती है। DDT तथा अन्य पीड़कनाशी रसायनों के जैव आवर्धित होने के कारण मानव के वृक्क, मस्तिष्क एवं परिसंचरण तंत्र में अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न होते हैं।