Paryawaran aur prakritik sansadhan| political science class 12 chapter 8 NCERT Solution in Hindi

Paryawaran: राजनीतिक विज्ञान कक्षा 12 अध्याय 8 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर को पढ़ें। सभी प्रश्न परीक्षा उपयोगी है। झारखण्ड अधिविध परिषद् राँची के पाठ्यक्रम के अनुसार सभी प्रश्नों को तैयार किया गया है।

Paryawaran aur prakritik sansadhan
Paryawaran

Paryawaran अति लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1. विश्व में खाद्य उत्पादन की कमी के क्या कारण है?
Ans: विश्व में खाद्य उत्पादन की कमी के कारण;

  • विश्व के कृषि योग्य भूमि में कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही है जबकि मौजूदा उपजाऊ भूमि के एक बड़े हिस्से की उर्वरा शक्ति कम हो रही है
  • चरागाह समाप्त होने को है
  • मत्स्य भंडार घट रहा है
  • जलाशयों में प्रदूषण बढ़ रहा है आदि।

Q.2.विश्व में सबसे जल की क्या स्थिति है?
Ans:संयुक्त राष्ट्रीय संघ की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार विकासशील देशों की एक अरब 20 करोड़ जनता को स्वच्छ जल उपलब्ध नहीं होता। साफ-सफाई की सुविधा से 30 लाख से अधिक बच्चे वंचित हैं फलस्वरूप उनकी मौत हो रही है।

Q.3. ओजोन परत में छेद होना क्या है?
Ans:पृथ्वी के ऊपरी वायुमंडल में ओजोन गैस की मात्रा में लगातार कमी हो रही है इसे ओजोन परत में छेद होना चाहते हैं इससे पारिस्थितिकी तंत्र और मनुष्य के स्वास्थ्य पर एक वास्तविक खतरा मंडरा रहा है।

Q.4.पर्यावरण की समस्या के अध्ययन के लिए क्या किया गया है?
Ans:संयुक्त राष्ट्र संघ पर्यावरण कार्यक्रम सहित अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं पर सम्मेलन कराएं इस विषय पर अध्ययन को बढ़ावा देना शुरू किया गया इस प्रयास का उद्देश्य पर्यावरण की समस्याओं पर अधिक कार्यकाल और सुलझी हुई फर्क आदमियों की शुरुआत करना था।

Q.5. पृथ्वी सम्मेलन या रियो सम्मेलन क्या है?
Ans: 1993 में संयुक्त राष्ट्र संघ का पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर केंद्रित एक सम्मेलन ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में हुआ इसे पृथ्वी सम्मेलन कहा जाता है। वैश्विक राजनीति के क्षेत्र में पर्यावरण को लेकर बढ़ते सरकारों को इस आंदोलन सम्मेलन में एक ठोस रूप मिला।

Q.6. टिकाऊ विकास का तरीका क्या है?
Ans: 1993 के लिए सम्मेलन में यह सहमति बने की आर्थिक वृद्धि से पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहिए इसे टिकाऊ विकास का तरीका कहा गया परंतु समस्या यह थी कि टिकाऊ विकास का क्रियान्वयन किस प्रकार किया जाए क्योंकि इस सम्मेलन एजेंडा 21 का झुकाव पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने के बजाय आर्थिक वृद्धि की ओर था।

Q.7. मानवता की साझी विरासत से आप क्या समझते हैं?
Ans: विश्व के कुछ हिस्से और सोच किसी एक देश के संप्रभु शिक्षा अधिकारी से बाहर होते हैं इसलिए उनका प्रबंधन साझे तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा किया जाता है जिन्हें वैश्विक संप्रदाय या मानवता की साझी विरासत कहा जाता है इसके अंतर्गत पृथ्वी का वायुमंडल अंटार्कटिका समुद्री सतह और बाहरी अंतरिक्ष सम्मिलित है संपदा की सुरक्षा अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा की जाती है।

Q.8.वैश्विक संपदा की सुरक्षा के लिए कौन-कौन से समझाते हुए हैं?
Ans:अंटार्कटिका संधि 1959, मॉन्ट्रियल न्यायाचार अथवा प्रोटोकॉल 1987, अंटार्कटिका पर्यावरणीय न्यायाचार अथवा प्रोटोकॉल 1991

Q.9.ग्लोबल वार्मिंग के परिणाम बताएं।
Ans:ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ विश्व के तापमान में वृद्धि है यह कार्बन डाइऑक्साइड मीथेन और हाइड्रो फ्लोरो कार्बन आदि गैस से इसके कारण है विश्व का तापमान बढ़ने से धरती के जीवन के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है विभिन्न देश इस संबंध में वार्तालाप कर रहे हैं क्योटो प्रोटोकोल नामक समझौते में विभिन्न देशों की सहमति बन गई है।

Q.10.मूलवासी कौन लोग होते हैं?
Ans:किसी देश के मूल वास्ते रिप्लाई उन लोगों से है जो इस देश में एक लंबे समय से निवास कर रहे होते हैं मूलवासी आज भी उस देश की संस्थाओं के अनुरूप आचरण करने से ज्यादा अपनी परंपरा सांस्कृतिक विभाग अथवा अपने खास सामाजिक आर्थिक धरने पर जीवन यापन करना पसंद करते हैं।

Q.11. फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज के मौजूदा प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए भारत के क्या मांग है?
Ans:विकासशील देशों को न्यायाधीश उर्दू पढ़ना और अतिरिक्त वित्तीय संसाधन तथा पर्यावरण के संदर्भ में बेहतर साफ होने वाले प्रौद्योगिकी मुहैया कराने की दिशा में कोई सार्थक प्रगति नहीं हुई है भारत के महान है कि विकसित देश विकासशील देशों को वित्तीय संसाधन तथा अध्यक्ष पद जोगी की मुहैया कराने के लिए तुरंत उपाय करें ताकि विकासशील देश प्रेम व कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज की मौजूदा प्रतिबद्धताओं को पूरा कर सके।

Q.12. विश्व नेताओं ने भूमि पर्यावरण की चिंता क्यों की है? दो कारण बताएं।
Ans:दुनिया भर में कृषि योग्य भूमि में अनु कोई बढ़ोतरी नहीं हो रही है जबकि मौजूदा उपजाऊ जमीन के एक बड़े से की ओर बढ़ता कब हो रही है जरा गांवों के सारे खत्म होने को है तथा मदरसे भंडार घट रहा है जलाशयों की जगह से बड़ी तेजी से कम हुई है उसमें प्रदूषण बढ़ रहा है इससे खाद्य उत्पादन में कमी आ रही है।

Q.13.भारत के ग्रीन हाउस के उत्सर्जन दर्द का विवरण दीजिए।
Ans: 2000 तक भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 0.9 टन थ्व। अनुमान है कि 2030 तक यह मात्रा बढ़कर 16 टन प्रति व्यक्ति हो जाएगी भारत का यह उत्सर्जन दर विश्व के वर्तमान (2000) औसत 3.8 टन प्रति व्यक्ति से बहुत कम है इसलिए भारत क्योटो प्रोटोकॉल के नियमों को मानने के लिए बाध्य नहीं है।

Q.14. समुद्र तटीय क्षेत्रों का प्रदूषण किस प्रकार से मानव और पर्यावरण के लिए हानिकारक है?
Ans:पूरे विश्व में समुद्र तटीय क्षेत्रों का प्रदूषण भी बढ़ रहा है यद्यपि समुद्र का मध्यवर्ती भाग अभी अपेक्षाकृत पक्ष है लेकिन इसका तटवर्ती जल्द जर्मनी क्रियाकलापों से प्रदूषित हो रहा है पूरी दुनिया में समुद्र तटीय इलाकों में मनुष्य की सघन बसावट जारी है और इस प्रवृत्ति पर अंकुश न लगा समुद्री पर्यावरण की गुणवत्ता में भारी गिरावट आएगी।

Q.15.प्राकृतिक वनों से क्या लाभ है?
Ans:यह जलवायु को संतुलित करने में सहायता करते हैं इनसे जलचक्र भी संतुलित रहता है वनों में जैव विविधता का भंडार भरा पड़ा है इनसे इमारती लकड़ी और अन्य बहुमूल्य लकड़ियां मिलती है।

Paryawaran: लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1.”आवर कॉमन फ्यूचर” रिपोर्ट 1987 की मुख्य बातें क्या थी? वर्णन करें।
Ans:”आवर कॉमन फ्यूचर” 1987 की रिपोर्ट में बताया गया था कि आर्थिक विकास की मौजूदा तरीके स्थाई नहीं होंगे। विश्व के दक्षिणी देशों में औद्योगिक विकास की मांग अधिक तेज है और रिपोर्ट में इसी हवाले से चेतावनी दी गई थी रियो सम्मेलन में यह बात सामने आई थी विश्व के धनी और विकसित देशों तथा गरीब और विकासशील देशों का पर्यावरण के संबंध में अलग-अलग दृष्टिकोण है। दक्षिणी देश आर्थिक विकास और पर्यावरण प्रबंधन के आपसी रिश्ते को सुलझाने के लिए ज्यादा चिंतित थे।

Q.2.अंटार्कटिका पर किसका स्वामित्व है?
Ans:अंटार्कटिका विश्व का सबसे सुदूर महादेश है। इसका इलाका 14000000 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है प्रश्न उठता है कि इस पर किसका स्वामित्व है इस संबंध में दो दावे किए जाते हैं कुछ देश जैसे ब्रिटेन अर्जेंटीना चीनी नार्वे फ्रांस ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने अंदाज क्षेत्र पर अपने संप्रभु अधिकार का वैधानिक दावा किया है अन्य अधिकांश देशों ने इससे उल्टा रुख अपनाया की अंटार्कटिका प्रदेश विश्व की सारी संपदा है और या किसी विशेष अधिकार में शामिल नहीं है इस मतभेद के रहते हुए अंटार्कटिका के पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र सुरक्षा के नियम बनाए गए उन्होंने अपनाया गया अंटार्कटिका पृथ्वी के जैसे पर्यावरण सुरक्षा के विशेष क्षेत्रीय नियमों के अंतर्गत आते हैं।

Q.3.टिकाऊ विकास का वर्णन करें।
Ans: टिकाऊ विकास की अवधारणा को पर्यावरण वादियों नहीं प्रस्तुत किया है और उनका कहना है कि विकास वही उचित है जो स्वाबलंबी हो अर्थात जो आगे चलने वाली पीढ़ियों के लिए खतरनाक ना हो इसका यह अर्थ भी है कि मनुष्य को प्रकृति के निकट संबंधों को बनाए रखने वाला विकास। विश्व पर्यावरण तथा विकास आयोग टिकाऊ विकास के अर्थ के बारे में कहा है कि ‘ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी की आवश्यकताओं को इस ढंग से पूरा करें कि आगे आने वाले पीढ़ीओ की आवश्यकताओं के पूर्ति के लिए खतरा ना बने। अर्थात टिकाऊ विकास ऐसा विकास है जो अब तक हुए विकास को बनाए रखने तथा उस आधार को बनाए रखने में समर्थ हो जिस पर उसकी नींव टिकी है।

Q.4.क्योटो प्रोटोकॉल पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
Ans:क्योटो प्रोटोकॉल एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। इसके अंतर्गत औद्योगिक देशों के लिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं प्रोटोकॉल में यह माना गया है कि कार्बन डाइऑक्साइड मेथेन और हाइड्रो फ्लोरो कार्बन जैसे कुछ गैसों के कारण वैश्विक ताप वृद्धि होती है यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपिता पंडित जी की परिघटना में विश्व का तापमान बढ़ता है और पृथ्वी के जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है।

Q.5.विश्व राजनीति में मूल वासियों की क्या मांग है?
Ans: विश्व राजनीति में मूल वासियों की मांग किसी देश के मूल निवासी ऐसे लोग हैं जो से देश में लंबे समय से निवास कर रहे हैं और अपने सांस्कृतिक परंपरा में ही जीवित रहना चाहते हैं। बस उसे उनका अस्तित्व असुरक्षित हो गया है विश्व राजनीति में मूल वासियों की आवाज विश्व बिरादरी में बराबरी का दर्जा पाने के लिए उठी है। मध्य और दक्षिण अमेरिका अफ्रीका दक्षिण पूर्वी एशिया भारत ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के मूल वासियों की सरकारों से मांग है कि इन्हें मूलवासी कॉम के रूप में अपने अस्थाई अधिकार चाहते हैं। यह अपनी जमीन पर अधिकार रखना चाहते हैं वस्तुतः यह उनका आर्थिक संसाधन भी है इसका हानि तथा उनके जीवन को बहुत बड़ा खतरा है।

Q.6.भारत में पर्यावरण सुरक्षा के संदर्भ में कौन कौन से कदम उठाए हैं?
Ans: भारत द्वारा पर्यावरण सुरक्षा के संदर्भ में उठाए गए कदम निम्नलिखित है:

  • भारत में अपनी नेशनल ऑटो फ्यूडल पॉलिसी के अंतर्गत वाहनों के लिए स्वच्छ इंधन अनिवार्य कर दिया है।
  • 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पारित हुआ इसमें उर्जा के अधिक कारगर इस्तेमाल का प्रयास किया गया है।
  • 2003 के बिजली अधिनियम में पुनः नवीनीकरण ऊर्जा के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया है हाल में प्राकृतिक गैस के आया तो स्वच्छ कोयले के उपयोग पर आधारित प्रौद्योगिकी को अपनाने और योजना बना है।
  • भारत बायोडीजल से संबंधित एक राष्ट्रीय मिशन चलाने के लिए भी तत्पर है इसके अंतर्गत 2011-12 तक बायोडीजल तैयार होने लगा।

Q.7.पर्यावरण की दृष्टि से खनिज उद्योग की आलोचना की गई है। वर्णन करें।
Ans: पर्यावरण की दृष्टि से खनिज उद्योग की आलोचना के कारण –
(i) वैश्विक अर्थव्यवस्था में उदारीकरण की कारण दक्षिणी गोलार्द्ध के अनेक देशों की अर्थव्यवस्था बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए खुली चुकी है।
(ii) खनिज उद्योग के भीतर मौजूद संसाधनों को बाहर निकालता है।
(iii) खनिज उद्योग रसायनों का भरपूर उपयोग करता है।
(iv) यह भूमि और जलमार्गों को प्रदूषित करता है।
(v) खनिज उद्योग स्थानीय वनस्पतियों का विनाश करता है और इसके कारण जन – समुदाय को विस्थापित होना पड़ता है।
(vi) ऑस्ट्रेलियाई बहुराष्ट्रीय कंपनी ‘वेस्टर्न माइनिंग कारपोरेशन’ के खिलाफ कई संगठनों ने आंदोलन चलाया। इस कंपनी की स्वयं अपने देश में भी आलोचना हो रही है।

Q.8. भारत में मूलवासियों की क्या स्थिति है?
Ans: भारत में मूलवासियों की स्थिति –
(i) भारत में मूलवासियों के लिए अनुसूचित जनजाति या आदिवासी शब्द का प्रयोग किया जाता है जो कुल जनसंख्या का 80% है।
(ii) भारत के अधिकांश आदिवासी जीविका के लिए खेती पर निर्भर होते हैं। कुछ घुमंतू भी है। वे अपने आसपास संपूर्ण भूमि पर खेती करते आ रहे हैं।
(iii) संविधान में इनको राजनीतिक प्रतिनिधित्व प्राप्त है। इन्हें संवैधानिक सुरक्षा भी मिली हुई है।
(iv) देश के विकास का इनको ज्यादा लाभ नहीं मिल सकता है और इनकी स्थिति में विशेष सुधार नहीं हुआ है।
(v) विभिन्न परियोजनाओं के चलते इन्हें अपनी भूमि से हाथ धोना पड़ा और वे विस्थापित हुए हैं।

Q.9. पावन वन प्रांतर से आप क्या समझते हैं? इसका क्या महत्व है?
Ans:(i) प्राचीन भारत में प्राकृति को देवता के रूप में स्वीकार किया गया है और उसकी सुरक्षा की प्रथा थी। इस प्रथा के सुंदर उदाहरण पावन वन प्रांतर है।
(ii) कुछ वनों को काटा नहीं जाता था। इन स्थानों पर देवता अथवा किसी पुण्यात्मा को माना जाता है। इसे ही पावन – प्रांतर या देवस्थान कहा गया है। पावन – प्रांतर या देवस्थान कहा गया है।
(iii) इन पावन वन प्रांतरो का राष्ट्रीय विस्तार है। इसकी पुष्टि विभिन्न भाषाओं के शब्दों से होती है। इन देवस्थानो को राजस्थान में बानी केकड़ी और ओरान, झारखंड में जहेरा थाव और सरन, मेघालय में लिंगदोह, उत्तराखंड में धान या देवभूमि आदि नामों से जाना जाता है।
(iv) पर्यावरण संरक्षण से जुड़े साहित्य में देवस्थान के महत्व को स्वीकार किया गया है।
(v) कुछ अनुसंधानकर्ताओ की राय है कि देवस्थान की मान्यता से जैव विविधता, पारिस्थितिक संतुलन के साथ सांस्कृतिक विविधता में भी सहायता मिल सकती है।

Q.10. रियो घोषणापत्र की मुख्य घोषणाओं का वर्णन कीजिए।
Ans: रियो घोषणापत्र की मुख्य घोषणाएं –
(i) पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र की अखंडता और गुणवत्ता की बहाली, सुरक्षा और संरक्षण के लिए विभिन्न देश विश्व बंधुत्व की भावना से आपस में सहयोग करेंगे।
(ii) पर्यावरण के विश्वव्यापी अपक्षय में विभिन्न राज्यों का योगदान अलग-अलग है। ऐसे में विभिन्न राज्यों का साझा परंतु पृथक – पृथक उत्तरदायित्व होगा।
(iii) विकसित देशों के समाजों का वैश्विक पर्यावरण पर दबाव अधिक है और इन देशों के पास पर्याप्त प्रौद्योगिक एवं वित्तीय संसाधन है।
(iv) टिकाऊ विकास के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयास में विकसित देश अपनी विशेष जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं।

Paryawaran: दीर्घ उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1. विश्व की ‘साझी विरासत’ का क्या अर्थ है? इसका दोहन और प्रदूषण कैसे होता है?
Ans:(i) विश्व की साझी विरासत -साझी संपदा वह संसाधन है जिस पर किसी एक का नहीं बल्कि पूरे समुदाय का हक होता है। यह साझा चूल्हा, साझा चारागाह, साझा मैदान, साझा कुआ या नदी कुछ भी हो सकता है। इसी तरह विश्व के कुछ हिस्से और क्षेत्र किसी एक देश के संप्रभु क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं। इसीलिए उनका प्रबंधन साझे तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा किया जाता है। इन्हें ‘वैश्विक संपदा’ या ‘मानवता की साझी विरासत’ कहा जाता है। इसमें पृथ्वी की वायुमंडल, अंटाकर्टिका, समुद्र सतह और बाहरी अंतरिक्ष शामिल है।
(ii) दोहन और प्रदूषण –
(a) ‘वैश्विक संपदा’ की सुरक्षा के सवाल पर अंतराष्ट्रीय सहयोग कायम करना टेढ़ी खीर है। इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण समझौते जैसे अंटाकर्टिका संधि (1959), मांट्रियल न्यायाचार अथवा प्रोटोकॉल (1987) और अंटाकर्टिका पर्यावरणीय न्यायाचार अथवा प्रोटाकॉन (1991) हो चुके हैं। परिस्थितिकी से जुड़े हर मसले के साथ एक बड़ी समस्या यह जुड़ी है कि अपुष्ट वैज्ञानिक साथियों और समय – सीमा को लेकर मतभेद पैदा होते हैं। ऐसे में एक सर्व – सामान्य पर्यावरणीय एजेंडा पर सहमति कायम करना मुश्किल होता है।
(ii) इस अर्थ में 1980 के दशक के मध्य में अंटार्कटिक के ऊपर ओजोन परत में छेद की खोज एक आंख खोल देने वाली घटना है।
(iii) ठीक इसी तरह वैश्विक संपदा के रूप में बाहरी अंतरिक्ष के इतिहास से भी पता चलता है कि इस क्षेत्र के प्रबंधन पर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के देशों के बीच मौजूद असमानता का असर पड़ा है। धरती के वायुमंडल और समुद्री सतह के समान यहां भी महत्वपूर्ण मसला प्रौद्योगिकी और औद्योगि विकास का है। यह एक जरूरी बात है क्योंकि बाहरी अंतरिक्ष में जो दोहन – कार्य हो रहे हैं उनके फायदे न तो मौजूदा पीढ़ी में सबके लिए बराबर है और सब आगे की पीढ़ियों के लिए।

Q.2.भारत के संदर्भ में साझी संपदा के अर्थ को उदाहरण देकर संक्षेप में समझाएं।
Ans:अर्थ: सारी संपदा का अर्थ होता है ऐसी संपदा जिस पर किसी समूह के प्रत्येक सदस्य का स्वामित्व हो इसके पीछे मूल तर्क यह है की ऐसे संसाधन की प्रकृति उपयोग के स्तर और रख- रखाव के संदर्भ में समूह के हर सदस्य को समान अधिकार प्राप्त होंगे और समान उत्तरदायित्व निभाने होंगे।

उदाहरण: उदाहरण के लिए सदियों के चयन और आपसी समझदारी भारत के ग्रामीण समुदायों साझी संपदा के संदर्भ में अपने सदस्यों के अधिकार और दायित्व तय किए हैं।

आकार में आ रही कमी के कारण: निजीकरण, गहनतर खेती, आबादी की वृद्धि और पारिस्थितिकी तंत्र की गिरावट समेत कई कारण हो से पूरी दुनिया में साझी संपदा का आकार घट रहा है। उसकी गुणवत्ता और गरीबी को उसकी उपलब्धता कम हो रही है

भारत में साझी संपदा: राजकीय स्वामित्व वाली वन्य भूमि में पावर माने जाने वाले वन प्रांतर के वास्तविक प्रबंधन की पुरानी व्यवस्था साझी संपदा के रखरखाव और उपभोग का ठीक-ठीक उदाहरण है दक्षिण भारत के वन प्रदेशों में विद्यमान पावन वन प्रांतरो का प्रबंधन परंपरा अनुसार ग्रामीण समुदाय करता आ रहा है।

Q.3.विश्व की साझी विरासत का दोहन किस प्रकार हो रहा है?
Ans: विश्व की साझी विरासत का दोहन: वैश्विक संपदा की सुरक्षा के सवाल पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग कायम करना टेढ़ी खीर है। इस दिशा में कुछ महत्वपूर्ण समझौते जैसे अंटार्कटिका संधि (1959) मॉन्ट्रियल न्यायाचार अथवा प्रोटोकॉल (1987) अंटार्कटिका पर्यावरणीय प्रोटोकॉल (1991) हो चुके हैं। पारिस्थितिकी से जुड़े हर मसले के साथ एक बड़ी समस्या यह जुड़ी है कि अपुष्ट वैज्ञानिक साक्ष्यों और समय सीमा को लेकर मतभेद पैदा होते हैं। ऐसे में एक सर्वसामान्य पर्यावरणीय एजेंडा पर सहमति कायम करना मुश्किल होता है।

इस अर्थ में 1980 के दशक के मध्य में अंटार्कटिका के ऊपर ओजोन परत के छेद की खोज एक आंख खोल देने वाली घटना है। इसी तरह संपदा के रूप में बाहरी अंतरिक्ष के इतिहास से भी पता चलता है कि क्षेत्र के प्रबंधन पर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के बीच मौजूद असमानता का असर पड़ा है। धरती के वायुमंडल और समुद्री सतह के समान यहां पर महत्वपूर्ण मसला प्रतियोगिता और औद्योगिक विकास का है। यह एक जरूरी बात है क्योंकि बाहरी अंतरिक्ष में जो कार्य हो रहे हैं उनके फायदे ना तो मौजूदा पीढ़ी में सबके लिए बराबर है और सब आगे की पीढ़ी के लिए।

Q.4. विश्व की साझी संप्रदा क्या है इसकी रक्षा का दायित्व तत्व रक्षा करने का उत्तरदायित्व किसका है? वर्णन करें।
Ans:विश्व की साझी संपदा का अर्थ: साझी संपदा उसे कहा जाता है जिस पर सभी लोगों का साझा अधिकार हो और जिससे सभी प्रयोग में ला सकते हो संसार में कुछ भाग तथा प्राकृतिक पदार्थ ऐसे होते हैं जिन पर किसी एक देश का स्वामित्व नहीं होता बल्कि सारे संसार का सामर्थ्य होता है प्रत्येक देश का समुद्र के उस भाग पर जो अपना स्वामित्व माना जाता है जो उसके पेट से लगा होता है और वह एक सीमा के अंदर ही माना जाता है उसे अंतरराष्ट्रीय कानून द्वारा निश्चित किया गया है परंतु उसके बाद का समुद्र सारे संसार के सारे संपदा माना जाता है और उस पर सभी देशों का अधिकार माना जाता है तथा उसका प्रयोग करने का अधिकार सभी को होता है।

विश्व की सारी संपदा की देखभाल:समाज की साझी संपदा अथवा संपत्ति की रक्षा तथा देखभाल सरकार द्वारा की जाती है इसी प्रकार संसार की सारी संपत्ति की देखभाल की आवश्यकता पड़ती है यदि ऐसा ना किया जाए तो वह नष्ट हो जाती है विश्व की शादी संपदा की देखभाल उसकी रक्षा का उत्तरदायित्व सारे संसार पर है अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर है और उसके उचित प्रयोग तथा रक्षा हेतु अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा नियम बनाए जाते हैं देशों के प्रतिनिधि उनसे संबंधित विषयों पर विचार विमर्श करके नियमित करते हैं और उनका पालन किए जाने की अपील करते हैं। विश्व की संपत्ति की देखभाल तथा सभी देशों के आपसी सहयोग से होती है किसी बल प्रयोग द्वारा नहीं।

Q.5.पर्यावरण के संरक्षण के लिए कुछ सुझाव दें।
Ans:पर्यावरण के संरक्षण के लिए सुझाव आज लगभग सभी देशों ने टिकाऊ विकास की अवधारणा को अपने राजनीतिक मुद्दों में सम्मिलित कर लिया है और संयुक्त राष्ट्र संघ तथा अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं पर्यावरण के संरक्षण में प्रयत्नशील हो चुकी है पर्यावरण के संरक्षण के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं:

गांधीजी के विचार: गांधीजी के कुछ विचार ऐसे हैं जो पर्यावरण के संरक्षण में उपयोगी शब्द होते हैं उन्होंने बड़े बड़े उद्योगों का विरोध किया था तथा कुटीर छोटे उद्योगों को प्रोत्साहन देने पर जोर दिया था कुटीर उद्योगों के लगाने से प्रदूषण संबंधी समस्याएं पैदा नहीं होते जो बड़े-बड़े उद्योगों के कारण होता है इसके साथ ही गांधीजी ने यह सुझाव दिया था कि परिवार के प्रत्येक सदस्य को रोजी के लिए परिश्रम करना चाहिए और जहां तक संभव हो अपने खाने-पीने की वस्तुएं स्वयं ही पैदा करनी चाहिए।

जनसंख्या पर नियंत्रण: पर्यावरण तथा विकास आदि का सीधा संबंध जनसंख्या से भी है। बढ़ती हुई जनसंख्या में पर्यावरण के दूषित होने का एक बहुत बड़ा कारण है यदि जनसंख्या पर नियंत्रण पा लिया जाए और इसकी वृद्धि कम हो जाए तो प्राकृतिक संसाधनों की खपत कम होगी और धरती की धारक शक्ति पर दबाव कम हो जाएगा परिवहन वाहन कल कारखाने खेती-बाड़ी सभी कुछ तो जनसंख्या के अनुसार घटता बढ़ता है इसलिए आवश्यक है कि छोटे परिवारों को उत्साह दिया जाए अधिक जनसंख्या के कारण करे विनती है गंदी बस्तियां बढ़ती है पानी और खदानों की कमी महसूस होती है और इसका पर्यावरण को दूषित बनाने में हाथ होता है यदि जनसंख्या संतुलित मात्रा में पड़ेगी तो विकास की संतुलित मात्रा में होगा पर्यावरण का संतुलन बना रहेगा।

वन संरक्षण प्रत्येक समाज में वनों का होना आवश्यक है। अनुमान लगाया जाता है कि भूमि के एक तिहाई भाग में वन या जंगल होने चाहिए इससे प्राकृतिक सौंदर्य व्यक्ति के जीवन को आनंदमय रखता है और इसके साथ ही नदियों व झीलों का बहाव ठीक रहता है देश में बाढ़ की संभावनाएं कम हो जाती है भूमि बंजर नहीं हो पाती इंधन के लिए वनों का अंधाधुंध प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। जहां वन प्रदेश काफी कम है वहां बंजर भूमि को वनों में बदलने के प्रयत्न किए जाने चाहिए वनों के संरक्षण से वन्य जीव जंतुओं का संरक्षण भी सुनिश्चित हो जाता है।

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