उत्साह और अट नहीं रही है | utsah aur at nahi rahi hai | utsah class 10 Hindi Kshitij chapter 5 NCERT notes

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Utsah Class 10 notes
Utsah Class 10 notes

उत्साह: Utsah Class 10 notes

बादल, गरजो!
घेर घेर घोर गगन, धाराधर ओ! 
ललित ललित, कालें घुंघराले,
बाल कल्पना के-से पाले,
विद्युत-छबि उर, में कवि, नवजीवन वाले! 
व्रज छिपा, नूतन कविता  
फिर भर दो - 
बादल, गरजो! 
विकल विकल, उन्मन  
उन्मनविश्व के निदाघ के सकल जन,
आए अज्ञात दिशा से अनंत के घन! 
तप्त धरा, जल से फिर 
शीतल कर दो-  
बादल, गरजो!

(A)कवि और कविता का नाम लिखिए।
Ans:-
कवि : सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला ‘ , कविता : उत्साह।

(B)बादल के सौंदर्य का उल्लेख कवि ने किस प्रकार किया है? वर्णन करें।
Ans:-
बादल के सौंदर्य का उल्लेख कवि ने बहुत ही मनमोहक रूप में किया है। कवि ने बादल को सुंदर और काले घुंघराले बालों वाला बताता है। कवि ने यह बाल – कल्पना के समान किया है। कवि कहता है कि इसके अंदर बिजली की छवि समाई रहती है। कवि ने इस बादल को मानवीयकर के रूप में किया है।

(C)बादल से बरसने की प्रार्थना कवि क्यों करता है? स्पष्ट करें।
Ans:-
बादल से बरसने की प्रार्थना कवि इसलिए करता है, क्योंकि पूरा धरती पूरा वातावरण तप रही है। धरती पर रहने वाले लोग, जानवर, पंछी सब कष्ट झेल रहे हैं और प्यासे भी हैं। बादल बरस कर धरती की प्यास को बुझा देंगे और धरती को शीतल कर देंगे।

(D)कवि बादल को क्या घेरने के लिए कह रहा है और क्यों? वर्णन करें।
Ans:-
बादल को कवि पूरा आकाश घेरने के लिए कह रहे हैं। कवि का मानना है कि मानो यह आकाश धरती का संरक्षक है। इसलिए कवि चाहता है कि बादल पूरे आकाश में फैली गर्मी, तपन, लू को हटाकर धरती पर छाया कर दे और इस धरती को वर्षा का जल प्रदान करें।

(E)बादल को गरजने के लिए कवि क्यों कह रहा है?
Ans:-
कवि ‘निराला’ जी बादल को गरजने के लिए इसलिए कहता है, क्योंकि कवि वातावरण में एक जोश पौरुष एवं क्रांति को चाहता है। इस गरजने के माध्यम से कवि एक उम्मीद चाहता है सबके अंदर एवं निराला जी को बादल की गड़गड़ाहट बहुत प्रिय है।

अट नहीं रही है: At nhi rahi hai Class 10 notes

अट नहीं रही हैं
आभा फागुन की तन
सट नहीं रही है।
कहीं सांस लेते हो,
घर-घर भर देते हो,
उड़ने को नभ में तुम
पर-पर कर देते हो,
आंख हटाता हूं तो
हट नहीं रही है।
पत्तों से लदी डाल
कहीं हरी, कहीं लाल,
कहीं पड़ी है उर में
मंद-गंद - पुष्प-माल,
पाट-पाट शोभा-श्री 
पट नहीं रही है।

(A)कवि और कविता का नाम लिखिए।
Ans:-
कवि – सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ , कविता – अट नहीं रही है।

(B)’अट नहीं रही है’ का क्या आशय है? स्पष्ट करें।
Ans:-
‘अट नहीं रही है’ का आशय यह है कि फागुन महीने की सुंदरता इतनी अद्भुत है कि यह सुंदरता न ही प्रकृति में समा पा रही है और न ही तन में।

(C) कवि ने फागुन के सौंदर्य का वर्णन किस प्रकार किया है? अपने शब्दों में लिखें।
Ans:-
कवि ने फागुन के सौंदर्य का वर्णन बहुत ही अद्भुत सुंदरता के साथ किया है। फागुन की ऋतु अन्य ऋतु की तुलना में बहुत ही अधिक मनमोहक होता है। फागुन की महीने मैं चारों तरफ फूलों से सज जाते हैं। सरसों के पीले फूलों की चादर बिछ जाती है। डालिया एवं लताएं में रंग-बिरंगे फूलों इस फागुन के महीने को और भी आकर्षित बनाता है। इस मनमोहक वातावरण को देखकर प्राणियां उल्लासमय हो जाता है।

(D) फागुन की आभा का प्रभाव कहां – कहां दिखाई देता है? वर्णन करें।
Ans:-
फागुन की आभा का प्रभाव हर स्थान पर दिखाई देता है। फागुन की सुगंध से प्रत्येक घर महकने लगता है। फागुन की सुंदरता हर व्यक्ति के मन को उत्साह एवं आनंद से भर देता है। प्रत्येक व्यक्ति के मन में नई-नई कल्पनाएं जगाता है।

अभ्यास

उत्साह : class 10 Hindi Kshitij NCERT notes

Q.1.कवि बादल से फुहार, रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्यों?
Ans:-
कवि बादल से फुहार रिमझिम या बरसने के स्थान पर ‘गरजने’ के लिए कहता है, क्योंकि ‘बदलो को गरजना’ कवि का मानना है कि ये क्रांति आने का सूचक है। कवि ‘निराला’ जी के अनुसार विनाश के पश्चात ही निर्माण होता है। कवि ‘निराला’ जी एक प्रगतिवादी कवि हैं। बादलों की गरजन को शक्ति का प्रतीक मानकर कवि मनुष्यो में उत्साह एवं साहस भरना चाहता है। वर्षा के पूर्व गरजना ही होती है। अतः कवि के अनुसार बादलों का गर्जना कविता में नवीन कल्पनाओं का ही प्रतीक है।

Q.2.कविता का शीर्षक उत्साह क्यों रखा गया है?
Ans:-
प्रस्तुत कविता का शीर्षक ‘उत्साह’ इसलिए रखा गया है, क्योंकि कवि ने बादलों की गर्जना को उत्साह का प्रतीक माना है एवं कवि के मन में बादल को लेकर उत्साह भी है। कवि का मानना है कि मनुष्य में उत्साह होना ही उसकी उन्नति का प्रमुख स्रोत है तथा जिसमें उत्साह है उसी में जीवन है।

Q.3.कविता में बादल किन-किन अर्थों की ओर संकेत करता है?
Ans:-
कविता में बादल निम्नलिखित अर्थो की ओर संकेत करता है-

  • बादल क्रांति के अर्थ की ओर संकेत करता है। कवि के अनुसार यह क्रांति लोगों की इच्छाओं की पूर्ति का माध्यम बनेगा।
  • जन-जन की आकांक्षाओं को बादल पूरा करने वाला है।
  • ललित कल्पना की ओर भी बादल संकेत करता है।
  • बादल पीड़ित – प्यासे जनों की प्यास को भी बुझाने वाला है।
  • नवजीवन के अर्थ की ओर बादल संकेत करता है।

Q.4.शब्दों का ऐसा प्रयोग जिससे कविता में किसी खास भाव या दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव पैदा हो, नाद-सौंदर्य कहलाता है। उत्साह कविता में ऐसे कौन-से शब्द है जिसमें नाद-सौंदर्य मौजूद है छाटकर लिखें।
Ans:- इस कविता में ‘ उत्साह ‘ में ‘ घेर घेर घोर ‘, ‘ ललित , ललित ‘ , ‘विकल , विकल’ , ‘ उन्मन थे उन्मन ‘ आदि शब्दों में नाद सौंदर्य शामिल है। इन शब्दों में कविता में खास भाव एवं दृश्य में ध्वन्यात्मक प्रभाव उत्पन्न हुआ है।

अट नहीं रही है : class 10 Hindi Kshitij NCERT notes

Q.1.छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की किन पंक्तियों को पढ़कर यह धारणा पुष्ट होती है। लिखें।
Ans:-
छायावाद की एक खास विशेषता है अंतर्मन के भावों का बाहर की दुनिया से सामंजस्य बिठाना। कविता की निम्नलिखित पंक्तियों को पढ़कर यह भावना पुष्ट होती है- आंख हटाता हूं तो हट नहीं रही है।पत्तों से लदी डाल कहीं हरी , कहीं लाल, कहीं पड़ी है उर मैं मंद – गंध – पुष्प – माल , पाट – पाट शोभा – श्री।

Q.2.कवि की आंख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है?
Ans:-
कवि की आंख फागुन की अद्भुत सुंदरता से हट नहीं रही है। कवि जिस तरह नजर उठाकर देखते हैं उसी तरफ सिर्फ हरियाली ही हरियाली दिखाई देता हैं। चारों तरफ फागुन में खिले रंग – बिरंगे फूल और आकाश की स्वच्छता कवि को आकर्षित करता है।

Q.3.प्रस्तुत कविता में कवि ने प्रकृति की व्यापकता का वर्णन किन रूपों में किया है?
Ans:-
इस कविता में कवि ने प्रकृति की सुंदरता की व्यापकता का वर्णन कई प्रकार से किया है। कवि ने पक्षियों की लंबी आकाश की छूने की उड़ान को दिखाया है। पत्तों से लदी पेड़ो की डालियों को भी दिखाया गया है। घर – घर में फैला फागुन का सुंगध, हर जगह का आकर्षित सौंदर्य, कवि ने जान – बूझकर उसे किसी एक दृश्य में नहीं बांधा है, अपुति असीम दिखाया है। इस सौंदर्य को देखकर आंखे न हटा पाना भी इस सौंदर्य के मनमोहक विस्तार की झलक है।

Q.4.फागुन में ऐसा क्या होता है जो बाकी ऋतुओ से भिन्न होता है?
Ans:-
फागुन की ऋतु बाकी रितुओं से भिन्न होती है। फागुन के समय मौसम अत्यंत सुहाना होता है। फागुन में मादकता का प्रभाव विशेष रूप से होता है और यही मादकता इस फागुन की ऋतु को अन्य ऋतुओ से भिन्न कर देता है। इस मौसम में न तो अधिक ठंड होती है और न ही अधिक गर्मी होती है। फागुन की ऋतु में चारों तरफ पृथ्वी हरियाली से संपन्न अद्भुत शोभा दिखाती है। ऐसा सुहावना मौसम केवल फागुन के महीने में ही आता है अन्य ऋतु में नहीं आता है। फागुन महीने की सुंदरता इतना मनमोहक होता है कि हर किसी का मन मोह लेता है। फागुन ऋतु के जैसा सौंदर्य, अद्भुत, आकर्षित अन्य किसी ऋतुओ में नहीं होता है।

Q.5.इन कविताओं के आधार पर निराला के काव्य-शिष्य की विशेषताएं लिखिए।
Ans:-
इन कविताओं के आधार पर निराला जी के काव्य – शिल्प की निम्नलिखित विशेषताएं उभरती है-

  • कवि निराला जी अपने कार्य में खड़ी बोली का प्रयोग किया है।
  • इस कविता में निराला जी ने प्रकृति का चित्रण अत्यंत कुशलता से किये हैं।
  • निराला जी का शब्द चयन अनूठा है। कवि निराला जी कम शब्दों में भी अधिक बात कह जाते हैं।
  • निराला जी अपने काव्य में तत्सम शब्दावली का प्रयोग किये हैं।
  • निराला जी के कविता में कल्पना की उड़ान भी हैं।
  • प्रकृति का मानवीकरण करने में कवि निराला जी बहुत ही विद्यमान है।
  • निराला जी के कविता प्रतीकात्मटा एवं लाक्षणिकता का समावेश भी है।

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