Vidyut Dhara ka Chumbakiy Prabhav: कक्षा 10 विज्ञान अध्याय 12 प्रश्न-उत्तर पढ़े झारखण्ड पाठशाला वेबसाइट में। सभी प्रश्न उत्तर झारखण्ड अधिविध परिषद् राँची द्वारा संचालित पाठ्यक्रम पर आधारित है। Science class 10 NCERT Solutions in Hindi.
Vidyut Dhara ka Chumbakiy Prabhav: 1 अंक स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. विद्युत चुंबक के कोई दो उपयोग लिखें।
Ans:(i) विद्युत घंटी में,
(ii)टेलीफोन रिसीवर में।
Q.2. चुंबक के कोई दो उपयोग लिखें।
Ans:(i) रेडियो में,
(ii)रेफ्रीजरेटर में।
Q.3. उस युक्ति का नाम बताए जो धारा के चुंबकीय प्रभाव पर कार्य करती है।
Ans: विद्युत मोटर।
Q.4.फ्लेमिंग के वामहस्त नियम में अंगूठे द्वारा क्या प्रदर्शित होता है?
Ans: बल
Q.5. साइकिल में किस प्रकार के डायनेमो का उपयोग किया जाता है?
Ans: प्रत्यावर्ती धारा डायनेमो
Q.6. गैल्वनोमीटर क्या है?
Ans: यह एक ऐसा उपकरण है जो किसी परिपथ में विद्युत धारा की उपस्थिति संसूचित करता है।
Q.7. घरेलू परिपथ में कौन – सी धारा प्रवाहित होती है?
Ans: प्रत्यावर्ती धारा।
Q.8. दिष्टधारा की आकृति क्या होती है?
Ans: शून्य
Q.9. दिष्ट धारा के कुछ स्रोतों का नाम लिखें।
Ans: शुष्क सेल, बटन सेल, लेड संचायक आदि।
Q.10. गैल्वनोमीटर को परिपथ में किस क्रम में जोड़ते है?
Ans: श्रेणिक्रम में।
Vidyut Dhara ka Chumbakiy Prabhav: लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1.विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव से आप क्या समझते है?
Ans: जब किसी चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तथा चालक के चारों और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है तो इसे विद्युत धारा का चुंबकीय प्रभाव कहते है।
Q.2. चुंबकीय क्षेत्र से आप क्या समझते है?
Ans: किसी चुंबक के चारों और का वह क्षेत्र जिसमे आकर्षण और प्रतिकर्षण बलों के प्रभाव का अनुभव किया जा सकता है, चुंबकीय क्षेत्र कहलाता है।
Q.3. चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं क्या होती है?
Ans: चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं: वे पथ है जिन पर स्वतंत्र चुंबकीय उतरी ध्रुव गमन करता है। वे बंद वक्र है जिसके किसी बिन्दु पर खींची गई स्पर्श रेखा उस बिन्दु पर चुंबकीय क्षेत्र की तीव्रता की दिशा को निरूपित करती है।
Q.4. चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची बनाए।
Ans: चुंबकीय क्षेत्र के तीन स्रोतों की सूची:
स्थायी चुंबक, विद्युत चुंबक तथा पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र
Q.5. विद्युत चुंबक और स्थायी चुंबक में अंतर लिखें।
Ans: विद्युत चुंबक और स्थाई चुंबक में अंतर:
विद्युत चुंबक | स्थायी चुंबक |
इसमे अधिक शक्तिशाली चुंबकीय बल होता है। | इसमे कम शक्तिशाली चुंबकीय बल होता है। |
इसकी शक्ति को कुंडली में फेरो की संख्या में परिवर्तन करके बढ़ाया जा सकता है। | इसकी शक्ति नियत रहती है। |
इसमे धार के बंद होते ही चुंबकीय गुण समाप्त हो जाता है। | यह अधिक दिनों तक अपने चुंबकीय गुण को बनाए रखता है। |
Q.6. विद्युत चुंबक किसे कहते है?
Ans: वैसा चुंबक जिसके चुम्बकत्व उतने ही समय तक विद्यमान रहता है, जीतने समय तक उसमे विद्युत धारा प्रवाहित होती रहती है, उसे विद्युत चुंबक कहते है।
Q.7. विभव एवं विभवांतर में अंतर बताएं।
Ans: विभव- इकाई धन – आवेश को अनंत से विद्युत क्षेत्र के किसी बिंदु तक लाने में किया गया कार्य विभव कहलाता है। इसका SI मात्रक वोल्ट (v) है।
विभवांतर- इकाई धन आवेश को विद्युत क्षेत्र में एक बिंदु से दूसरे बिंदु तक ले जाने में जितना कार्य होता है उसे विभवांतर कहते हैं। इसका भी SI मात्रक वोल्ट है।
Q.8. ओम का नियम में ताप को अचर रखा जाता है, क्यों?
Ans: ताप के बदलने से प्रतिरोध का मान बदल जाता है, जिससे धारा का सही – सही मान नहीं प्राप्त होता है, अर्थात एक साथ कई मान बदल जाता है। इसलिए तापक्रम को अचर रखा जाता है।
Q.9. अर्धचालक किसे कहते हैं?
Ans: वैसे पदार्थ, जिसमें सामान्य ताप पर कुछ मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं। कम विद्युत चालकता होने के कारण इस तरह के पदार्थों से होकर कुछ विद्युत प्रवाहित होती है। जैसे -सिलिकॉन, जर्मेनियम इत्यादि।
Q.10. अतिचालक किसे कहते हैं?
Ans: वैसे पदार्थ जिसमें अति निम्न ताप पर बिना किसी प्रतिरोध के विद्युत का गमन होता है अतिचालक कहलाता है। जैसे – शीशा, जिंक इत्यादि।
Q.11. विद्युत – तापन उपकरणों में नाइक्रोम तार का उपयोग क्यों किया जाता है?
Ans: विद्युत – तापन उपकरणों में नाइक्रोम तार का उपयोग किया जाता है क्योंकि-
(i) इसका द्रवनांक उच्च होता है।
(ii) प्रतिरोधकता उच्च होता है।
(iii) उच्च ताप पर शीघ्र ऑक्सीकृत नहीं होता है।
Q.12. फ्यूज क्या है? इसकी क्या विशेषताएं हैं?
Ans: फ्यूज एक सुरक्षा की युक्ति है। यह ऐसे तार का टुकड़ा होता है जिसके पदार्थ की प्रतिरोधकता बहुत अधिक होती है और उसकी गलनांक बहुत कम होता है। इसे परिपथ में श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है।
विशेषताएं – यह विद्युत परिपथ को अतिभारण और लघुपथन के कारण नष्ट होने से बचाता है।
Vidyut Dhara ka Chumbakiy Prabhav: लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1. फ्यूज क्या है? विद्युत फ्यूज का कार्य स्पष्ट करने के लिए एक प्रयोग का वर्णन करें।
Ans: फ्यूज तीन तथा तांबे की मिश्रधातु के तार का टुकड़ा होता है जिसका गलनांक बहुत कम होता है। जब लघुपथन अथवा अतिभारण के कारण परिपथ में उच्च धारा प्रवाहित होती है, तो फ्यूज तार गरम होकर पिघल जाता है, फलस्वरूप परिपथ टूट जाता है और धारा प्रवाह रूप जाता है।
एलुमिनीयम की लगभग 5cm लंबी पतली पत्ती लेते है। उसके दो सिरों को मेज पर उधर्वधर स्थिति में रखी लोहे की दो कीलों की नोकों के साथ जोड़ देते है। इन कीलों को प्लग कुंजी और छोटे बल्ब से होते हुए बैटरी के साथ जोड़ते है। प्लग बंद करके परिपथ चालू करते है, तो देखते है कि पट्टी जल जाती है और परिपथ भंग हो जाता है।
Q.2. दिष्ट धारा तथा प्रत्यावर्ती धारा में अंतर लिखें।
Ans: दिष्ट धारा तथा प्रत्यावर्ती धारा में अंतर:
दिष्ट धारा | प्रत्यावर्ती धारा |
वैसी धारा जो सिर्फ एक ही दिशा में प्रवाहित होती है, दिष्ट धारा कहलाती है। | वैसी धारा जो समान समय अंतरालों के पश्चात अपनी दिशा परिवर्तित कर लेती है, प्रत्यावर्ती धारा कहलाती है। |
इस धारा का परिमाण तथा दिशा समय के साथ नियत रहता है। | इस धारा का परिमाण तथा दिशा समय के साथ बदलता रहता है। |
इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में बहुत अधिक ऊर्जा का व्यय होता है। | इसे एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने में बहुत कम ऊर्जा का व्यय होता है। |
ट्रांसफॉर्मर की मदद से इस धारा को घटाया बढ़ाया नहीं जा सकता है। | ट्रैन्स्फॉर्मर की मदद से इस धारा को इच्छानुसार घटाया बढ़ाया जा सकता है। |
इससे विद्युत लेपन नहीं किया जा सकता है। | इससे विद्युत लेपन किया जा सकता है। |
इससे बैटरी को चार्ज नहीं किया जा सकता है। | इससे बैटरी को चार्ज नहीं किया जा सकता है। |
Q.3. विद्यूत चुंबकीय क्षेत्र क्या है? प्रयोग द्वारा सिद्ध करे कि जब किसी चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तब उसके चारों और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
Ans: विद्युत धारावहक चालक के परितः वह समस्त क्षेत्र, जिसमे उसका चुंबकीय सुई द्वारा आभास किया जा सकता है, उसे चुंबकीय क्षेत्र कहते है।
एक मजबूत कार्ड बोर्ड जिसके बीच में छिद्र रहता है, के टुकड़े को क्षतेतिज आधार पर रखकर उसके बीच में स्थित छिद्र से एक तांबे का तार लम्बवत लगाते है। इस तार के सिरों को एक कुंजी तथा बैटरी के ध्रुवों से जोड़ देते है। कार्डकोर्ड के टुकड़ों पर समान रूप से लोहे की कुछ कतरने फैला देते है। कुंजी को दबाकर धारा प्रवाहित करते है और साथ ही साथ कार्डबोड को हाथ से थपथपाते भी है। हम देखते है की लोगे की कतरने संकेंद्रीय वृत्तों में व्यवस्थित हो जाती है। अतः प्रयोग से निष्कर्ष निकलता है कि चालक के समीप चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है तथा बल रेखाओ की दिशा संकेंद्रीय होती है।
Q.4. ऑस्टेर्ड के प्रयोग का वर्णन करे।
Ans: ऑस्टेर्ड के प्रयोग द्वारा पता लगाया गया कि जब किसी चालक से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो उसके चारों और चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
माना AB एक तार है जिसके निकट नीचे चुंबकीय सूई NS है। तार से होकर जब विद्युत धारा नहीं बहती है तो सूई में विक्षेप नहीं होता है। जब तार से विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो चुंबकीय सूई विक्षेपित हो जाती है। धारा की दिशा बदलने पर विक्षेप की दिशा बदल जाती है।