झारखंड आन्दोलन भारत के झारखंड राज्य के गठन के लिए लड़ा गया एक ऐतिहासिक आन्दोलन था। यह आन्दोलन 15 नवंबर 2000 को झारखंड राज्य का गठन करके आधिकारिक रूप से स्थापित किया गया।
झारखंड एक संघर्षपूर्ण इतिहास रखता है जिसमें कई जनसंख्या और भौगोलिक विषमताएं शामिल थीं। इस आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य बिहार से अलग होकर एक अलग राज्य की स्थापना करना था, जिसमें उनकी भाषा, संस्कृति, और सांस्कृतिक विरासत का सम्मान हो सकता था।
झारखंड आन्दोलन में लोगों की भागीदारी का अहम योगदान था। लोगों ने सड़क जलाने, आंदोलनकारियों द्वारा अनशन करने, और सरकारी दफ्तरों और राज्यसभा भवनों को धरने देने जैसे विभिन्न प्रदर्शनों का आयोजन किया। इस समय ज्यादातर लोगों को एक ही लक्ष्य के लिए जुटने के लिए एकत्रित किया गया था।
इस आन्दोलन के परिणामस्वरूप, भारतीय संसद ने 2 अगस्त 2000 को झारखंड राज्य बिल को पारित किया और झारखंड 15 नवंबर 2000 को भारत के 28वें राज्य के रूप में स्थापित किया गया।
झारखंड की स्थापना से पहले, इस क्षेत्र को बिहार राज्य का हिस्सा माना जाता था। झारखंड आन्दोलन भारत के राष्ट्रीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना था, जो भौगोलिक और सांस्कृतिक विभिन्नताओं के बीच संघर्ष का प्रतीक था।
झारखण्ड आन्दोलन के विभिन्न संगठन
झारखण्ड के स्वतंत्रता आन्दोलन में राजनीतिक और सांस्कृतिक संघर्ष के साथ-साथ विभिन्न संगठनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन संगठनों ने आम जनता को एकजुट करके नए राज्य की स्थापना के लिए संघर्ष किया।
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha – JMM)
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (Jharkhand Mukti Morcha – JMM) झारखण्ड आन्दोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाया है। यह संगठन झारखण्ड के एक राजनीतिक पार्टी के रूप में स्थापित किया गया था और इसका मुख्य लक्ष्य झारखण्ड राज्य की स्थापना करना था।
झारखण्ड आन्दोलन एक अभियान था जो भूमि, जल, और जंगल के अधिकार के लिए संघर्ष किया गया था। यह संघर्ष मुख्य रूप से आदिवासी जनजातियों के अधिकारों को सुरक्षित करने और उनके सामाजिक और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए लड़ा गया था। इसके तहत, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने विभिन्न प्रदेशों में आंदोलन और प्रदर्शन का समर्थन किया और इसमें अपने कार्यकर्ताओं को सम्मिलित किया।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने झारखंड आन्दोलन के दौरान सरकारी नेताओं के खिलाफ भी विरोध किया और सरकारी योजनाओं के विपरीत भी विचार-विमर्श किया। इससे, झारखंड के आदिवासी समुदायों के समर्थन में एक बड़ी बूट बनी।
झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भी अपने संघर्ष का साथ दिया और इससे इसे झारखंड के स्वतंत्रता संग्राम में एक महत्वपूर्ण संगठन बना दिया। उनके नेताओं में श्री शिबू सोरेन, श्री हेमंत सोरेन, और अनिमा मुंडा जैसे प्रमुख नेता शामिल थे, जो आन्दोलन को सफलता तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के संघर्ष का योगदान झारखंड के राजनीतिक, सामाजिक, और आर्थिक विकास में सकारात्मक परिवर्तन लाने में रहा है। इस संगठन ने झारखंड के लोगों की आवाज उठाई और उन्हें उनके मूल अधिकारों की रक्षा करने में मदद की।
झारखंड किसान मजदूर संघ (Jharkhand Kisan Mazdoor Sangh)
झारखंड किसान मजदूर संघ (Jharkhand Kisan Mazdoor Sangh) झारखण्ड आन्दोलन में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। यह संघ झारखण्ड राज्य के किसानों और मजदूरों के हितों की रक्षा और सुरक्षा के लिए संघर्ष करता है। इस संघ का मुख्य उद्देश्य ज़मींदारी और श्रमिकों के अधिकारों को सुरक्षित करना और उनके समृद्धि को सुनिश्चित करना है।
झारखंड किसान मजदूर संघ ने झारखंड के गांवों और कृषि प्रदेशों में आन्दोलन और धरने के लिए संघर्ष किया। इस संघ के सदस्य अपने अधिकारों के लिए सरकारी नेताओं के साथ मुद्दे को उठाते और उनके न्यायिक प्रक्रिया में समर्थन करते हैं। यह संघ भूमि के अधिकार, खेती के उन्नतिकरण, और किसानों और मजदूरों के लिए बेहतर जीवन सुनिश्चित करने के लिए समर्थन करता है।
झारखंड किसान मजदूर संघ ने झारखंड आन्दोलन के माध्यम से समुदाय के मुद्दों को सार्वभौमिक स्तर पर उठाया है और उनके लिए सुधार की मांग की। इससे इस संघ के सदस्यों और जनसमूह के लोगों में जागरूकता और एकता बढ़ी है।
झारखंड किसान मजदूर संघ के योगदान से झारखंड के किसानों और मजदूरों को सामाजिक और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने में मदद मिली है। इस संघ के संघर्ष ने न केवल उन्हें उनके अधिकारों की पहचान दिलाई है बल्कि उन्हें आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित किया है।