व्यापार से साम्राज्य तक: इस आर्टिकल में आप यह पढ़ेंगे कि कैसे अंग्रेजों ने व्यापार करने के लिए भारत में कदम रखा और धीरे धीरे अपने विस्तार करते गए और पूरे भारत पर कब्जा कर लिया और यहां पर अपना शासन व्यवस्था स्थापित किया।
व्यापार से साम्राज्य तक कुछ महत्वपूर्ण स्मरणीय तथ्य
- मुगल बादशाहो में औरंगजेब आखिरी शक्तिशाली बादशाह थे। 1707 में जब उसकी मृत्यु हो गई तब उसके बाद सारे मुगल सूबेदार और बड़े-बड़े जमींदार अपनी ताकत दिखाने लगे थे।
- 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम से इजाजतनामा हासिल कर लिया जिससे कंपनी को पूरब से व्यापार करने का एकाधिकार मिल गया।
- पहले इंग्लिश फैक्ट्री 1651में हुगली नदी के किनारे शुरू हुई । पूर्वी इंडिया कंपनी के व्यापारी यहीं से अपना व्यापार चलाते थे।
- मुर्शीद कुली खान के बाद अली वर्दी खान और उसके बाद सिराजुद्दोला बंगाल का नवाब बने। यह सभी शक्तिशाली शासक थे उन्होंने पूर्वी ] इंडिया कंपनी को रियायत देने से मना कर दिया था। इन शासकों ने कंपनी से व्यापार का अधिकार देने के बदले कंपनी से नजराने मांगे, उसे सिक्के ढालने का अधिकार नहीं दिया और उसकी बढ़ती किलेबंदी को बढ़ाने से रोक दिया।
- प्लासी के नाम का अर्थ- दरअसल प्लासी का असली नाम पलाशी था जिसे अंग्रेजों ने बिगाड़ कर प्लासी कर दिया। उस जगह को पलाशी वहां पाए जाने वाले पलाश के फूलों के कारण पड़ा। पलाश का फूल लाल रंग का होता है जिसे होली रंग बनाने में प्रयोग किया जाता था।
- प्लासी का युद्ध- अली वर्दी खान की मृत्यु के पश्चात सिराजुद्दौला बंगाल के नए नवाब बने। यह काफी शक्तिशाली थे और इनकी वीरता से अंग्रेजों को डर लगता था। ईस्ट इंडिया कंपनी सिराजुद्दौला को बंगाल के नवाब के पद से हटाना चाहती थी क्योंकि सिराजुद्दौला ईस्ट इंडिया कंपनी के कहने पर उसके अनुसार काम नहीं कर रही थी। ईस्ट इंडिया कंपनी बंगाल के नवाब के पद पर एक ऐसे व्यक्ति को बैठाना चाहती थी जो उसके कठपुतली की तरह काम करें। सिराजुद्दौला ने कंपनी को हुक्म दिया कि अपनी किलेबंदी रोके और राजस्व चुकाए है परंतु कंपनी ने इंकार कर दिया अंत में जब दोनों पक्षों ने हार नहीं मानी तो सिराजुद्दौला ने अपने 30000 सिपाहियों के साथ कासिम बाजार में स्थित इंग्लिश फैक्ट्री पर हमला बोल दिया और अंग्रेज अफसरों को गिरफ्तार किया, गोदाम पर ताला डाल दिया, अंग्रेजों के हथियार छीन लिए और अंग्रेज जहाजों को घेरे में ले लिया इसके बाद नवाब ने कंपनी की कोलकाता स्थित किले पर कब्जे के लिए उधर का रुख किया। मद्रास में रॉबर्ट क्लाइव के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसरों ने कुछ सैनिकों को सिराजुद्दौला से युद्ध करने के लिए भेजा। नवाब के साथ लंबे समय तक सौदेबाजी चली। आखिरकार 1757 में रॉबर्ट क्लाइव के में प्लासी के मैदान में सिराजुद्दौला के खिलाफ कंपनी की सेना का नेतृत्व किया। इस युद्ध में सिराजुद्दौला की हार हुई क्योंकि उसके सेनापति मीर जाफ़र रॉबर्ट कलाइव की लालच में आ गए थे रॉबर्ट क्लाइव ने मीर जाफर को यह कह कर अपनी तरफ कर लिया था कि अगर वह सिराजुद्दौला को हराने में कंपनी की मदद करेंगे तो सिराजुद्दोला की जगह मीर जाफर को बंगाल का नवाब बना दिया जाएगा। मीर जाफ़र रोबर्ट क्लाइव की बीने हुए जाल में फस गए और अपने ही शासक के साथ धोखेबाजी की। प्लासी का युद्ध भारत में अंग्रेजों की एक महत्वपूर्ण जीत मानी जाती है इस युद्ध में सिराजुद्दौला को मार दिया गया और मीर जाफर बंगाल के नए नवाब बने जो अंग्रेजों को राजस्व मुक्त व्यापार करने का समर्थन किया।
- चार मैसूर युद्ध- 1767-69, 1780-84, 1790-92, 1799.
- तीन अंग्रेज मराठा युद्ध- 1782, 1803-05, 1817-19
- 1848-1856 में डलहौजी ने विलय की नीति बनाई जिसके अंतर्गत या सिद्धांत था कि अगर किसी शासक की मृत्यु हो जाती है और उसका कोई पुरुष वरिष नहीं है तो उसकी रियासत हड़प ली जाएगी यानि कंपनी के भूभाग का हिस्सा बन जाएगी। इस सिद्धांत के आधार पर 1848 में सतारा, 1850 में संबलपुर, 1852 में उदयपुर,1853 में नागपुर और 1854 में झांसी अंग्रेजों के हाथ में चली गई। अंत में 1856 में कंपनी ने अवध को भी अपने नियंत्रण में ले लिया।
व्यापार से साम्राज्य तक कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर.
Q.1. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें-
क. बंगाल पर अंग्रेजों की जीत _______ की जंग से शुरू हुई थी।
उत्तर- प्लासी
ख. हैदर अली और टीपू सुल्तान________ के शासक थे।
उत्तर- मैसूर
ग. डलहौजी में ________ का सिद्धांत लागू किया।
उत्तर- विलय नीति
घ. मराठा रियासत के मुख्य रूप से भारत के_________ भाग में स्थित है।
उत्तर- दक्षिण
Q.2. यूरोपीय व्यापारिक कंपनि भारत की तरफ क्यों आकर्षित हो रही थी?
Ans: यूरोपीय व्यापारिक कंपनी भारत की ओर इसलिए आकर्षित हो रही थी क्योंकि भारत में उस समय सूती के वस्त्र और रेशम के कपड़े बहुत ही सस्ते दामों में मिलते थे जिसे यूरोपीय व्यापारिक कंपनी खरीद कर इंग्लैंड ले जाती थी और वहां पर ऊंची कीमतों पर बेच दी थी और अपना मुनाफा अर्जित करती थी इसके साथ ही साथ भारत में काली मिर्च, लौंग, इलायची और दालचीनी की भी जबरदस्त मांग रहती थी। अगर संक्षेप में कहा जाए तो यूरोपीय व्यापारिक कंपनी भारत में दिलचस्पी इसलिए दिखा रहे थे क्योंकि कि भारत उस समय सोने की चिड़िया थी जहां से वे व्यापार कर धन कमाना चाहती थी।
Q.3. बंगाल के नवाब और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच किन बातों पर विवाद थे?
Ans: बंगाल के नवाब और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच टैक्स को लेकर विवाद थे। मुर्शीद कुली खान, अली वर्दी खान और सिराजुद्दौला यह सभी बंगाल के शक्तिशाली नवाब थे जिन्होंने अंग्रेजों को व्यापार करने का अधिकार देने के बदले उनसे नजराने मांगे जिसे अंग्रेजों ने देने से इनकार कर दिया। इस बात को लेकर दोनों में तनाव थे साथ ही साथ बंगाल के नवाब ने अंग्रेजों को सिक्को को ढालने, किलेबंदी करने आदि के लिए प्रतिबंधित कर दिया। ईस्ट इंडिया कंपनी अपने किलेबंदी को बढ़ाना चाहती थी क्योंकि उसका ऐसा भी मांगना था कि अगर व्यापार को बढ़ाना है तो आबादी भी बढ़ानी होगी जिसके लिए और गांव खरीदने होंगे और किलो का पुनर्निर्माण करना होगा। ईस्ट इंडिया कंपनी टैक्स देने से इसलिए इंकार कर रही थी क्योंकि उसका मानना था कि बंगाल के नवाब की बेतुकी मांग से कंपनी को नुकसान हो रहा है। बंगाल के नवाब औरंगजेब ने तो कंपनी को शुल्क मुक्त व्यापार करने का फरमान दे दिया था परंतु ईस्ट इंडिया कंपनी के अलावा आँरेज अफसरो कुछ निजी कंपनियां भी थी जो शुल्क मुक्त व्यापार करना चाहती थी परंतु उन्हें ये सुविधा नहीं दी गई थी फिर भी वे टैक्स चुकाने से आनाकानी कर रहे थे जिस कारण बंगाल के नवाब को लग रहा था कि सरकार की राजस्व वसूली कम होती जा रही है। बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच टैक्स के तनाव के कारण 1757 में प्लासी का युद्ध हुआ।
Q.4. दीवानी मिलने से ईस्ट इंडिया कंपनी को किस तरह फायदा पहुंचा?
Ans: दीवानी मिलने के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी एक बहुत बड़ी समस्या हल हो गई थी समस्या यह थी कि दिवानि मिलने से पहले कंपनी को किसी भी प्रेसीडेंसी के नवाब को व्यापार करने के लिए व्यापार शुल्क चुकाना पड़ता था परंतु अब जब कंपनी के अफसर खुद ही दीवान बन बैठे हैं तो अब उन्हें किसी को टैक्स चुकाने की कोई जरूरत नहीं रही थी। 1765 में जब मीर जाफर अंग्रेज अफसर के इशारों पर कठपुतली की तरह काम करने से इंकार कर दिया तब कंपनी के अफसरों रॉबर्ट क्लाइव ने घोषणा कर दिया था कि अब उन्हें खुद ही नवाब बनना पड़ेगा और 1765 में मुगल सम्राट ने कंपनी को ही बंगाल का दीवान नियुक्त कर दिए।
Q.5. ईस्ट इंडिया कंपनी टीपू सुल्तान को खतरा क्यों मानती थी?
Ans: टीपू सुल्तान हैदर अली के पुत्र थे जिन्हें “शेर ए मैसूर” के नाम से भी जाना जाता है, वह पूर्वी इंडिया कंपनी को खतरा के रूप में दिखाई पड़ रहे थे क्योंकि मालाबार तट पर होने वाले व्यापार मैसूर रियासत के नियंत्रण में था जहां से कंपनी काली मिर्च और इलाइची खरीदी थी। 1785 में टीपू सुल्तान ने अपनी सियासत में पड़ने वाले बंदरगाहों की चंदन की लकड़ी, काली मिर्च और इलायची का निर्यात रोक दिया था। सुल्तान ने स्थानीय सौदागर को भी कंपनी के साथ कारोबार करने से रोक दिया था। टीपू सुल्तान ने भारत में रहने वाले फ्रांस की व्यापारियों से संबंध विकसित कर रहे थे और उनकी मदद से अपनी सेना का आधुनिकीकरण भी कर रहे थे, जिस कारन ईस्ट इंडिया कंपनी टीपू सुल्तान को राजनीतिक और आर्थिक दोनों तरीकों से खतरे के रूप में दिखाई पड रहे थे।