Inten Manke Tatha Asthiyan: हड़प्पा सभ्यता: ईटें, मनके तथा अस्थियाँ: कक्षा 12 की इतिहास भाग 1 पुस्तक की पाठ 1 है। इसमें हड़प्पा सभ्यता के बारे में सम्पूर्ण अध्ययन करेंगे और साथ ही सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों का हल भी करेंगे। सभी प्रश्न झारखण्ड अधिविध परिषद् रांची द्वारा संचालित पाठ्यक्रम के आधार पर तैयार किया गया है। Inten Manke Tatha Asthiyan.
हड़प्पा सभ्यता
ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ
Inten Manke Tatha Asthiyan
अध्याय- 1
ईंटें, मनके तथा अस्थियाँ: महत्वपूर्ण तथ्य
👉हड़प्पा संस्कृति के अधिकांश शहर सिंधु नदी के किनारे फैले होने के कारन इसे सिंधु घाटी सभ्यता भी कहा जाता है।
👉संस्कृती: इस सब्द का प्रयोग प्रातात्विक पुरावस्तुओं के ऐसे समूह के लिए करते है जो एक विशिष्ट सैली के होते है और सामान्यतः एक साथ, एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र तथा काल-खंड से संबधित पाए जाते है।
👉इस सभ्यता की सर्वप्रथम खोज 1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा में की थी जिस कारन इसे हड़प्पा सभ्यता कहा जाता है। इस सभ्यता के दो प्रशिद्ध केंद्र हड़प्पा और मोहनजोदड़ो है।
👉विकसित हड़प्पा सभ्यता का काल-खंड 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व माना जाता है।
👉सिंधु घाटी सभ्यता के जानकारी के प्रमुख स्रोत है:- खुदाई में मिली इमारतें, मृदभांड, औजार, आभूषण, मुर्तियाँ और मुहरें इत्यादि।
👉हड़प्पा सभ्यता का विस्तार: अफगानिस्तान, बलूचिस्तान( पाकिस्तान), गुजरात, राजस्थान, जम्मू और पक्षिमी उत्तर प्रदेश।
👉हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, चन्हूदड़ो, कोटदीजी, धोलावीरा, लोथल, बनावली, राखीगड़ी इत्यादि। (Hadappa Sabhyata class 12)
👉यह एक नगरीय सभ्यता थी। इसकी सबसे प्रमुख विशेसता इसकी नगर नियोजन प्रणाली है।
👉हड़प्पा सभ्यता की बस्तियाँ दो भागो में विभाजित थी:- दुर्ग- इसका प्रयोग विशिष्ट सार्वजनिक प्रयोजन के लिए किया जाता था। निचला शहर- यहाँ आम नागरिको की भवनों के संकेत मिलते है।
👉हड़प्पा सभ्यता के सड़को तथा गलियों को एक ग्रिड पद्धति द्वारा बनाया गया था जो एक दूसरे को समकोण पर कटती थी।
👉यहाँ की जल निकास प्रणाली समकालीन समय की अद्वितीय थी। घरो के नालियों को गली के नालियों से जोड़ा गया थे तथा गली की नालियाँ मुख्य सड़क के दोनों ओर बने बड़े नालियों से मिलती थी। नालियाँ मिट्टी के गारे, चुना और जिप्सम के मिश्रण से बने एक विशेष मसाले से बानी थी तथा इसे शिलाओं और पकी ईटों से ढंका जाता था। सफाई के लिए बिच-बिच में नरमोखे भी बनाये गए थे।
👉हड़प्पा सभ्यता में गेंहू, जौ, दाल, सफ़ेद चना तथा तिल जैसे खाद्य पदार्थो का अवशेष मिला है।
👉हड़प्पाई लिपि: इस सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक है जिसे अभी तक पढ़ा नहीं जा सका है। यह एक रहस्मय लिपि है। इसे दाएं से बांये लिखी जाती थी। इसमें चिह्नों की संख्या 375 से 400 के बिच थी।
👉हड़प्पा सभ्यता में आभूषणों और मनकों को तोलने के लिए बाट का प्रयोग किया जाता था जो चर्ट नामक पत्थर से बनाये जाते थे।
👉चन्हूदड़ों शिल्प उत्पादन का एक प्रमुख केंद्र था। शिल्प कार्यो में मनके बनाना, शंख की कटाई, धातु कर्म, मुहर निर्माण तथा चाट बाट बनाना सम्मिलित थे।
👉हड़प्पा स्थलों से मिले सावधानों में आम तौर पर मृतकों को गर्त में दफनाया गया था। इसके साथ मृदभांड आदि अवशेष मिले है। शवाधान के अध्ययन से सामाजिक आर्थिक भिन्नता का पता चलता है।
👉हड़प्पा सभ्यता का पतन के कई कारन थे जैसे, जलवायु परिवर्तन, नदियों का सुख जाना, बाढ़, वनों की कटाई, भूकंप तथा बाहरी आक्रमण।
MCQ Questions for class 12 history chapter 1
Inten Manke Tatha Asthiyan: अति महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न:- हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख 5 स्थलों का नाम लिखें।
उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता के 5 स्थल है – हड़प्पा, मोहनजोदड़ों, लोथल, कालीबंगा और धौलावीरा।
प्रश्न:- हड़प्पा सभ्यता को काँस्ययुगीन सभ्यता क्यों कहा जाता है?
उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता को काँस्ययुगीन सभ्यता भी कहा जाता है क्योंकि इस सभ्यता के लोग काँस्य धातु का निर्माण करना जानते थे। हड़प्पाई लोग टिन और ताँबा मिलाकर काँसा बनाने के कला में निपुण थे और इसके प्रयोग द्वारा उन्होंने एक उच्च कोटि की सभ्यता का निर्माण किया था।
प्रश्न:- सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता क्यों कहते है?
उत्तर:- सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहते है क्योंकि हड़प्पा इस सभ्यता की खोजी गयी पहली नगर थी जिसकी खुदई 1921 में दया राम साहनी ने किया था।
प्रश्न:- हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता क्यों कहते है?
उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस सभ्यता से जुड़े अधिकांश शहर सिंधु नदी के तट पर पाया गया है।
प्रश्न:- हड़प्पा सभ्यता के विस्तार का उल्लेख करे।
उत्तर:- रंगनाथ राव के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का विस्तार पूर्व से पक्षिम तक 1600 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण तक 1100 किलोमीटर तक है। इसका कुल क्षेत्रफल 12,99,600 वर्ग किलोमीटर है। यह उत्तर-पूर्व में मेरठ से लेकर पक्षिम में बलूचिस्तान के मकरान समुद्र तट तक तथा उत्तर में जम्मू-कश्मीर के अखनूर से लेकर दक्षिण में महाराष्ट्र के दैमाबाद तक विस्तृत है। इसका आकर त्रिभुजाकार है।
प्रश्न:- हड़प्पा के निवासियों द्वारा अपनायी गयी कृषि प्रोद्द्योगिकियों का संक्षेप में वर्णन करे।
उत्तर:- हड़प्पा के निवासियों द्वारा अपनायी गयी कृषि प्रोद्द्योगिकी निम्नलिखित है:
1. कालीबंगा से जुटे हुए खेतों के साक्ष्य मिले है। खेतों की जुताई लिए हल एवं बैल का प्रयोग करते थे।
2. हल रेखाओं के दो समूह एक-दूसरे को समकोण पर काटते हुए विद्धमान थे जो दर्शाते है की एक साथ दो फसलें लगयी जाती थी।
3. खेतों की कटाई लकड़ी के हत्थे पर बिठाये गए पत्थरों अथवा धातुओं के फलकों से की जाती थी।
4. सिंचाई के कृत्रिम साधनों का प्रयोग किया जाता था। नहरों के अवशेस भी खुदाई से मिले है। कुओं से भी सिंचाई की जाती थी।
5. धोलावीरा से जलाशय भी पाए गए है जिसमे जल का संचयन किया जाता था।
Inten Manke Tatha Asthiyan: अति महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न:- हड़प्पा सभ्यता के नगर नियोजन पर प्रकाश डालें।
उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता की एक अनूठी पहलु यहाँ की नगर नियोजन थी। हड़प्पा वासी एक शहरी जीवन व्यतीत करते थे। इनका नगर को देख यह प्रतीत होता है की पहले नगर के लिए योजन बनायीं गयी होगी फिर नगर का निर्माण किया गया होगा। हड़प्पा नगरों की बहुत सी विषेशताएँ है जिनमे प्रमुख विषेशताएँ निम्नलिखित है:
1. नगर सुव्यवस्थित थी और इनका निर्माण वैज्ञानिक तरीके से किया गया था।
2. हड़प्पा सभ्यता का सबसे बड़ा नगर मोहनजोदड़ो था। इसके बहरी आक्रमण से बचने के लिए इसके चरों ओर ऊँची दीवारों का निर्माण कराया गया थे। दीवारों के बाहरी और बड़े गड्डों भी का निर्माण किया गया था। हड़प्पा में भी ऐसी ही व्यवस्था दृष्टिगोचर होती है।
3. यहाँ की सड़कें मिटटी की थी लेकिन समतल एवं सीधी थी। दो सड़के एक दूसरे को समकोण पर कटती थी। सड़कों के दोनों और भवनों का निर्माण किया गया था।
4. नगर के सफाई का भी पूरा प्रबंध किया गया था। घरों के गंदे पानी गली के नाली में आती थी। गली का नाली सड़क के किनारे बने मुख्य नाली से मिलती थी। मुख्य नाली के रस्ते गंदे पानी को शहर से बहार निकला जाता था। सड़क के किनारे कूड़ेदान रखे जाते थे तथा एक अंतराल से गड्डे बनाये जाते थे।
5. मोहनजोदड़ों में सार्वजनिक प्रयोग के लिए विशाल मालगोदाम और एक विशाल स्नानागार भी मिला है।
प्रश्न:- हड़प्पावासियों के पश्चिमी एशिया के साथ व्यापारिक संबंधों का वर्णन करे।
उत्तर:- सिंधु सभ्यता के लोगों के जीवन में व्यापर का बहुत महत्व था। वाणिज्य एवं व्यापर आजीविका के महत्वपूर्ण साधन थे। यहाँ आंतरिक एवं वैदेशिक व्यापर दोनों ही काफी उन्नत अवस्था में थे। मोहनजोदड़ों और हड़प्पा प्रसिद्ध व्यापारिक केंद्र थे। पश्चिम एशिया के साथ हड़प्पा के लोगों के व्यापारिक संबंध के अनेक प्रमाण मिले है।
1. पश्चिम एशिया के साथ हड़प्पा के लोगों का जल और स्थल दोनों मार्गों से होता था।
2. ये लोग ताँबा ओमान से आयात करते थे। ओमान में हड़प्पा का बना एक जार भी मिला है।
3. हड़प्पा के लोग अपने शिल्प कार्यों के लिए ईरान एवं बलूचिस्तान से चाँदी मंगाते थे।
4. ईरान एवं अफगानिस्तान से सीसा की आयात करते थे।
5. पश्चिमी एशिया में कई स्थानों में हड़प्पाई बाट, मुहरें, आदि प्राप्त हुए है।
6. मेसोपोटामिया से प्राप्त कई प्रलेखों में सिंधु क्षेत्र से आयात होने वाली अनेक वस्तुएँ जैसे- लाजवर्द मणि, ताँबा, सोना आदि की चर्चा की है। हड़प्पा से जो मुहरें प्राप्त हुयी है उनमे जहाजों एवं नावों के चित्र मिले है जो उनके समुद्र के रस्ते विदेशी व्यापर की जानकारी देते है।
प्रश्न:- हड़पा सभ्यता के कृषि प्रौद्योगिकी का वर्णन करे।
उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता के कृषि प्रोधोगिकी निम्नलिखित है:-
1. प्राप्त साक्षों से ज्ञात होता है की हड़प्पा सभ्यता के लोगों कृषि कार्य में भी लगे थे। यहाँ के कई स्थलों से अनाज के दाने प्राप्त हुए है। इससे कृषि का संकेत मिलता है।
2. हड़प्पा सभ्यता के मुहरों पर वृषभ और बैल के चित्र तथा मूर्तियों का मिलाना इस बात का संकेत है की हड़प्पा सभ्यता के लोग खेतों की जुताई एवं बैलगाड़ी में इन पशुओं का उपयोग होता था।
3. लोग खेतों की जुताई के लिए हल का उपयोग करते थे। बनावली से मिटटी के हल तथा कालीबंगन से जूते हुए खेत के साक्ष मिले है।
4. फसलों की कटाई के लिए लकड़ी के हत्थों में बिठाए गए पत्थर के फलक या धातु के औजार का प्रयोग किया जाता था।
5. सिंचाई के लिए कुओं एवं नहरों का प्रयोग किया जाता था।
प्रश्न:- हड़प्पाई लोगों के निर्वाह के तरीकों का वर्णन करें।
उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता के निवासी कई प्रकार के पेड़-पैधों से प्राप्त उत्पाद और जानवरों, जिनमें मछली भी शामिल है, से प्राप्त भोजन करते थे। कई स्थलों से विभिन्न प्रकार के दानों के अवशेष के मिलाने से पुरातत्वविद आहार सबंधी आदतों के विषय में जानकारी प्राप्त करने में सफल हो पाएं है। इनका अध्ययन पूरा-वनस्पतिज्ञ करते है जो वनस्पति के अध्ययन के विशेषज्ञ होते है। हड़प्पा स्थलों से मिले अनाज के दानों में गेहूँ, जौ, दाल, सफ़ेद चना तथा तिल शामिल है। बाजारों के दाने गुजरात के स्थलों से प्राप्त हुए है। चावल के दाने अपेक्षाकृत कम पाए गए है।
हड़प्पा स्थलों से मिली जानकारी की हड्डियों में मवेशिओं, भेड़, बकरी, भैंस तथा सूअर की हड्डियाँ शामिल है। जिव-पुरातत्वविदों द्वारा किये गए अध्ययनों से पता चलता है की ये सभी जानवर पालतू थे। जगली प्रजातियों जैसे वराह, हिरण तथा घड़ियाल की हड्डियाँ भी शामिल है। परंतु इस बात की पुष्टि नहीं हो पायी है की हड़प्पा वासी स्वयं इन जानवरों का शिकार करतें थे या किसी अन्य आखेटक समुदाय से इन जानवरों का मांस प्राप्त करते थे।
प्रश्न:- हड़प्पाई लिपि एक रहस्यमय लिपि थी। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:- सामान्यतः हड़प्पाई मुहरों पर एक पंक्ति में लिखा है जो संभवतः मालिक के नाम तथा उसके पदवी को दर्शाता है। विद्वानों का तर्क है की इन पर बना चित्र अनपढ़ लोगों को सांकेतिक रूप से इसका अर्थ बताता था।
अधिकांश अभिलेख संक्षिप्त है। सबसे लम्बे अभिलेख में लगभग 6 जिह्न है। हालाँकि अभीतक इस लिपि को पढ़ी नहीं जा सकीय है। यह अभी तक एक रहस्यमय लिपि है। इसके चिह्न से प्रतीत होता है की यह वर्णमालिय नहीं थी क्योंकि इसमें चिह्नों की संख्या कई अधिक है। ये लगभग 375 से 400 के बिच है। ऐसा प्रतीत होता है की यह लिपि दाईं से बाईं औरलिखी जाती थी क्योकिं कुछ मुहरों में दाईं ओर चौड़ा अंतरलाल है और बाईं ओर यह संकुचित है जिससे प्रतीत होता है की उत्कीर्णक ने दाईं ओर से लिखना आरम्भ किया और बाद में बाईं और स्थान कम पड़ गया।
विभिन्न प्रकार के वस्तुओं में भी लिखावट मिली है जिसमें मुहरें, ताँबें की औजार, विभिन्न बर्तनों, ताँबें तथा मिट्टी की लघुपट्टिकाएँ, आभूषण और कुछ प्राचीन सूचना पट्ट शामिल है।
Inten Manke Tatha Asthiyan: अति महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर
प्रश्न:- हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त अवतल चक्की का वर्णन करे।
उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता के सथलों से प्राप्त पुरावस्तुओं में अवतल चक्कियाँ भी प्राप्त हुयी है। ये चक्कियाँ कठोर पथरीले, आग्नेय अथवा बलुआ पत्थरों द्वारा बानी थी। इन चक्कियों के अधिक प्रयोग के संकेत मिलते है क्योंकि अनाज पीसने यह मात्र एक साधन थी। इन सक्कियों का तल उत्तल है, इस कारन प्रतीत होता है की इन्हें मिट्टियों में जमा कर रखा जाता होगा ताकि ये हिल न सके। यह चक्कियाँ दो प्रकार की मिली है। एक में ऊपर वाला छोटा पत्थर निचे वाले पत्थर पर आगे-पीछे चलाया जाता था। दूसरी वे जिनमे ऊपर वाला पत्थर से नीचे वाले पत्थर पर जड़ीबूटी तथा मसालों को कुटा जाता था। अर्नेस्ट मैके ने वर्तमान समय के अवतल चक्कियों को ध्यान देते हुए इन चक्कियों को भी अवतल चक्की की संज्ञा दी है।
प्रश्न:- हड़प्पा सभ्यता के सड़क व्यवस्था का वर्णन करे
उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता की सड़क व्यवस्था बहुत उत्तम थी विशेषकर मोहनजोदड़ो शहर की। सड़के मिट्टी की थी तथा समतल एवं सीधी होती थी। यहाँ की मुख्य सड़के 9.15 मीटर चौड़ी थी जिसे पुराविदों ने राजपथ कहा है। अन्य सडकों की चौड़ाई 2.75 से 3.66 मीटर तक थी। नगरों का नियोजन जाल पद्धति के आधार पर बसाया गया था इस कारन सड़कें एक-दूसरें को समकोण पर कटती थी। सडकों के सफाई पर भी विशेष ध्यान दिया जाता था। सडकों के दोनों किनारों पर कूड़ेदान रखे जाते थे अथवा एक अंतराल से गड्ढे बनवाये जाते थे। गड्ढों के भर जाने पर फिर नए गड्ढे बनवायें जाते है। सडकों के किनेर चबूतरों का साक्ष्य मिला है, प्रतीत होता है यहाँ दुकानदार वस्तुओं के बिक्री हेतु दुकान लगते थे।
प्रश्न:- हड़प्पा सभ्यता के जल निकास प्रणाली पर प्रकाश डाले। या, मोहनजोदड़ो के जल निकास प्रणाली पर प्रकाश डाले
उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता की जल निकास प्रणाली बहुत उत्तम थी विशेषकर मोहनजोदड़ो शहर की। यहाँ के अधिकांश भवनों में निजी कुएँ व स्नानागार होते थे। भवन के कमरों, रसोई, स्नानागार, शौचालय आदि सभी का पानी भवन की छोटी-छोटी नालियों से निकल कर गली की नाली में आता था। गली की नाली को मुख्य सड़क के दोनों ओर बनी पक्की नालियों से जोड़ा गया था। मुख्य सड़क के दोनों ओर बनी नालियों को पत्थरों एवं शिलाओं से ढँका जाता था। नालियों की सफाई अथवा कूड़ा-करकट को निकालने के लिए बिच-बिच में नर मोखे बनाये गए थे। नालियों की इस प्रकार की विशेषता किसी अन्य नगर में देखने को नहीं मिलती है।
प्रश्न:- हड़प्पा सभ्यता के सामाजिक जीवन पर प्रकाश डाले।
उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता में समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार थी। उनका जीवन सुविधापूर्ण एवं सुखी थी। उत्खनन से बड़ी संख्या में नारी रूपी मुर्तिया मिली है जिससे प्रतीत होता है की परिवार मातृ सत्तात्मक थी। विद्वानों के अनुसार हड़प्पा सभ्यता की सामाजिक जीवन की विशेषता निम्नलिखित है:
1. खुदाई से सुईयों के अवशेष मिले है जिससे प्रतीत होता है की ये लोग शिले हुए वस्त्र पहनते थे।
2. केश विन्यास प्रचलित था। स्त्रियाँ जुड़ा बांधती थी तथा पुरुष लम्बे-लम्बे बाल तथा दाढ़ी-मुछे रखते थे।
3. इस सभ्यता के लोग आभूषणों के शौक़ीन थे। विविध प्रकार के आभूषण जैसे- कंठाहार, कर्णफूल, हँसुली, भुजबंध, कड़ा, कंगूठी और करधनी आदि पहने जाते थे।
4. इस सभ्यता के लोग श्रृंगार के भी शौक़ीन थे। मोहनजोदड़ो की नारियाँ काजल, पाउडर, आदि से परिचित थी। शीशे, कंघे एवं ताँबे के दर्पण का प्रयोग होता था। चन्हुदड़ो से लिपिस्टिक के भी साक्ष्य मिले है।
5. आभूषणों का निर्माण बहुमूल्य पत्थरों, हाथी दाँत, हड्डी एवं शंख आदि से किया जाता था।
6 . हड़प्पा वासी शाखाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन करते थे। अनाज के लिए खेती तथा मांस के लिए शिकार करते थे अथवा अन्य आखेटक समुदाय से प्राप्त करते थे।
7. हड़प्पा सभ्यता के लोग मिट्टी एवं धातुओं से निर्मित तरह-तरह के बर्तनों का प्रयोग करते थे। फर्श पर बैठने के लिए चटाई के साथ-साथ पलंग व चारपाई से भी परिचित थे।
8. सैंधव निवासी आमोद-प्रमोद के भी प्रेमी थे, पाँसा इस काल का प्रमुख खेल था। बच्चों के खेलने के लिए मिट्टी के बने कई खिलौनों के भी साक्ष मिले है।
9. यहाँ प्राप्त नर्तकी की मूर्ति से संकेत मिलते है की ये लोग नृत्य भी मनोरंजन का प्रिय साधन रहा होगा। गाने बजाने के भी ये शौक़ीन थे।
10. मछली फ़साने के काँटे एवं एक मुहर पर तीर से हिरन को मारते दिखाया जाना संकेत देते है की ये लोग शिकार के भी शौकीन थे।
प्रश्न:- हड़प्पा सभ्यता के पतन के प्रमुख कारणों का वर्णन करे।
उत्तर:- हड़प्पा सभ्यता के पतन को लेकर विद्वानों में मतभेद है। विभिन्न विद्वानों के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के पतन की प्रमुख कारन निम्नलिखित है:
1. बाढ़ – मार्शल, मैके आदि के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के पतन का मात्रा एक कारन नदी का बाद था। चूँकि अधिकांश नगर नदियों के तट पर बसे हुए थे जिनमें प्रतिवर्ष बाढ़ आती थी। मोहनजोदड़ो, चन्हूदड़ो लोथल आदि से बाढ़ के साक्ष मिले है।
2. बाहरी आक्रमण- मार्टीमर व्हीलर, गार्डन चइल्ड, पिगत आदि के अनुसार बाढ़ एक मात्र कारन नहीं था इस सभ्यता के अंत का क्योंकि सभी शहर नदियों के तट नहीं था। इनके अनुसार बहरी आक्रमण के कारन भी इस सभ्यता का पता हुआ था। व्हीलर के अनुसार 1500 ई. पू. में आर्यों ने आक्रमण कर हड़प्पा सभ्यता के नगरों को नष्ट कर दिया तथा वहाँ के लोगो को मार डाला।
3. जलवायु परिवर्तन – ए. एन. जलवायु परिवर्तन को हड़प्पा सभ्यता के विनाश का कारन मानते है। उस समय मौसम में बेतहाशा परिवर्तन हुआ होगा जिसे लोग सहन नहीं कर पाए और लोग की मौत हो गयी।
4. नदियों का मार्ग परिवर्तन- माधवस्वरूप वत्स के अनुसार नदियों के मार्गों में हुआ परिवर्तन इस सभ्यता के पतन का कारन बना।
5. महामारी – कुछ विद्वानो का यह भी मानना है की उस समय कोई बीमारी या महामारी फैली होगी जिसका उस समय कोई सफल इलाज नहीं होगा। अतः बीमारी या महामारी के कारन लोग मारे गए और बचे हुए लोग उस क्षेत्र से पलायन कर गए। इस प्रकार उपर्युक्त सभी कारणों से इस सभ्यता का पतन हो गया।
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