भारतीय राजनीति: नए बदलाव| Bhartiya Rajniti Naye Badlaw| class 12 political science chapter 9 NCERT solution in Hindi

Bhartiya Rajniti: नए बदलाव: राजनीतिक विज्ञान कक्षा 12 अध्याय 9 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर को पढ़ें। सभी प्रश्न परीक्षा उपयोगी है। झारखण्ड अधिविध परिषद् राँची के पाठ्यक्रम के अनुसार सभी प्रश्नों को तैयार किया गया है।

Bhartiya Rajniti Naye Badlaw political science class 12 chapter 9

Bhartiya Rajniti: Naye Badlaw: Very Short Questions Answers

Q.1. राष्ट्रीय लोकतंत्रात्मक गठबंधन (NDA) की सबसे बड़ी विशेषता क्या थी?
Ans यह सबसे बड़ी विरोधी दल भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में बने लगभग 13 राजनैतिक पार्टियों (या उससे अधिक) का गठबंधन था जिसकी सरकार अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में तीन बार बनी। इसका कुल कार्यकाल लगभग 6 वर्ष रहा। वाजपेयी कुछ ही दिनों तक पहली बार प्रधानमंत्री रहे लेकिन आज तक जितने भी गैर – कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने हैं उनका कार्यकाल कुछ मिलाकर सर्वाधिक दीर्घ ही रहा है।

Q.2. कांग्रेस प्रणाली किसे कहा जाता है?
Ans: कॉन्ग्रेस का जन्म दिसंबर 1885 में हुआ। प्रारंभिक वर्षों में कांग्रेस खुद में ही एक गठबंधननुमा पार्टी थी। इसमें विभिन्न हित, सामाजिक समूह और वर्ग एक साथ रहते थे। इस परिघटना को ‘कांग्रेस प्रणाली’ कहा गया।

Q.3. 1990 का दशक भारत में नए बदलाव का दशक क्यों माना जाता है?
Ans: (i)1984 में भारत के प्रथम महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अंगरक्षकों द्वारा 1984 में हत्या। लोकसभा के चुनाव सहानुभूति की लहर में कांग्रेस का विजयी होना और उनके पुत्र राजीव गांधी का प्रधानमंत्री बनना परंतु 1989 में कांग्रेस की हार और 1991 में मध्यावधि का चुनाव होना।
(ii) राष्ट्रीय राजनीति में मंडल मुद्दा (ओ.बी.सी) का उदय होना।
(iii) विभिन्न सरकारों द्वारा नई आर्थिक नीति और सुधारों को अपनाकर उदारीकरण, वैश्वीकरण को बढ़ावा देना।
(iv) अयोध्या में स्थित एक विवादित ढांचे का विध्वंस, देश में सामाजिक संप्रदायिक तनाव और दंगे, देश में गठबंधन की राजनीति तेजी से उदित होना और नए राजनैतिक दलों के रूप में भाजपा, उसके सहयोगी और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के समर्थक दलों का तेजी से उत्थान।

Q.4. 1960 के दशक में कांग्रेस के पतन के कुछ कारण बताइए।
Ans:(i) देश की बहुदलीय प्रणाली और गठबंधन राजनीति की बढ़ती लोकप्रियता।
(ii) ओ.बी.सी. के कारण मंडल और कमंडल की राजनीति कुछ समय तक देश की क्षितिज पर छा गई।
(iii) कई प्रांतों और क्षेत्रों में क्षेत्रीय दलों का उदय और अनेक वर्ग समूहो का कांग्रेस से हटकर उनका बड़े राजनीतिक दलों से जुड़ना।
(iv) बहुजन समाज पार्टी का जन्म, उदय एवं विकास।
(v) कुछ राजनीतिक दलों द्वारा सांप्रदायिकता की राजनीति करने में सफल होना।
(vi) 1971 के बाद बड़ी संख्या में बंगलादेशियों का आगमन एवं वोट की राजनीति के कारण उनकी वापसी के बारे में टालमटोल की राजनीति।
(vii) 1984 के सिक्ख दंगे एवं उसे पूर्व हुए अमृतसर में स्वर्ण मंदिर में सैन्य बलों का प्रवेश या ब्लूस्टार की घटना।

Q.5. गठबंधन युग से कुछ उदाहरण दीजिए।
Ans: (i)1989 के चुनाव मैं कांग्रेस की हार। राष्ट्रीय मोर्चा का जनता दल और कुछ अन्य क्षेत्रीय दलों को मिलाकर बनाया जाना। दो राजनैतिक समूहों (वाममोर्चा जिसमें 4 पार्टियां सी.पी.आई., सी. पी. एम., फारवर्ड ब्लॉक और रिपब्लिकन पार्टी है) एवं भाजपा के समर्थन से वी.पी सिंह द्वारा सरकार का गठन।
(ii) राष्ट्रीय मोर्चे की सरकार कुछ महीनों के लिए चंद्रशेखर के नेतृत्व में भी रही।
(iii) संयुक्त मोर्चे की सरकार एच.डी देवगोड़ा तथा इंद्रकुमार गुजराल के नेतृत्व में रही।
(iv) राजग गठबंधन (एन.डी.ए.) कि सरकार कई बार 1998 से लेकर 2004 तक अटल बिहारी के नेतृत्व में रही।
(v) संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार मनमोहन सिंह के नेतृत्व में 2004 से 2014 तक चलती रही।

Q.6. 1980 के दशक से 1991 तक बहुजन राजनीतिक जागृति और गठबंधनो को प्राप्त सफलताओं का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
Ans:(i) 1978 में ‘बामसेफ’ (बैकवर्ड एंड माइनॉरिटी क्लासेज एंपलाइज फेडरेशन) का गठन हुआ। यह सरकारी कर्मचारियों का कोई साधारण सा ट्रेड यूनियन नहीं था। इस संगठन ने ‘बहुजन’ यानी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यको की राजनीतिक सत्ता की जबर्दस्त तरफदारी की। इसी का परवर्ती विकास दलित-शोषित समाज संघर्ष समिति है जिसे बाद के समय में बहुजन समाज पार्टी का उदय हुआ।
(ii) बहुजन समाज पार्टी की अगुआई कांशीराम ने की। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अपने शुरुआती दौर में एक छोटी पार्टी थी और इसे पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के दलित मतदाताओं का समर्थन हासिल था।

Q.7. कांशीराम का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
Ans: कांशीराम का जन्म 1934 में हुआ। वे देश के दलित नेता एवं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापक और सर्वाधिक प्रसिद्धि पाने वाले नेता थे।
उन्होंने अपने समाज और दल की सेवा करने के लिए सरकारी सेवा से त्याग पत्र दिया ताकि वे सामाजिक और राजनैतिक कार्यों में अपना पूरा समय दिन-रात लगा सके।
वास्तव में उन्होंने पहले वामसंघ की स्थापना की, फिर डी. एस.-4 की स्थापना की और अतत: 1984 में बहुजन समाज पार्टी की स्थापना की। कांशीराम कुशल रणनीतिकार थे। वे राजनीतिक सत्ता को सामाजिक समाता का आधार मानते थे। उन्होंने उत्तर भारत के राज्यों में दलित राजनीति के संगठनकर्ता के रूप में ख्वाती प्राप्त की। एक दीर्घकालीन बीमारी के उपरांत 2006 में उनका निधन हो गया।

Q.8. गठबंधन राजनीति से आप क्या समझते हैं?
Ans:(i) वह राजनीति जिसमें चुनाव के पहले अथवा बाद में आवश्यकतानुसार दलों में सरकार के गठन या किसी अन्य मामले (जैसे राष्ट्रपति चुनाव) मैं आपसी सहमति बन जाए और वे सामान्यता: स्वीकृत न्यूनतम साझे कार्यक्रम के अनुसार देश में राजनीति (विरोधी दल के रूप में या सत्ताधारी गुट के रूप में) करना तो ऐसी राजनीति को गठबंधन की राजनीति कहते हैं। (ii) 1973 के चुनाव के बाद कुछ प्रांतों में कांग्रेस ने संयुक्त सरकार बनाई थी।
(iii) बी.पी सिंह एवं चंद्रशेखर द्वारा संयुक्त मोर्चा सरकारे गठबंधन राजनीति अच्छे उदाहरण है।
(iv) अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अथवा डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में गठित प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की राजनीति को स्पष्ट करते हैं।

Q.9. संयुक्त मोर्चा की एक महत्वपूर्ण विशेषता का विवेचन कीजिए।
Ans:(i) संयुक्त मोर्चा सरकार पहले बी.पी सिंह के नेतृत्व में बनी और कांग्रेस को सत्ता से दूर रखने के लिए सी.पी.एम. एवं भारतीय जनता पार्टी उसका समर्थन करते रहे।
(ii) कुछ समय के बाद चंद्रशेखर के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनी। उसे देवी लाल का लोकदल और कांग्रेस समर्थन देती रही। वे केवल मात्र 7 महीने तक संयुक्त सरकार का नेतृत्व करते रहे।

Q.10. राष्ट्रीय मोर्चा का गठन समझाइये।
Ans: 1989 के चुनाव में जनता दल चुनाव से पहले हुए लोकदल, जनमोर्चा, कांग्रेस (एस) एवं जनता पार्टी के विलय का परिणाम था। जनता दल ने फिर कई अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर राष्ट्रीय मोर्चा का गठन किया। इन क्षेत्रीय दलों में थे। तमिलनाडु की डी.एम.के.पार्टी, आंध्र प्रदेश की टी. डी. पी. आदि। राष्ट्रीय मोर्चा ने 1989 में विश्वनाथ प्रताप सिंह के नेतृत्व में वामपंथी दलों एवं भाजपा के बाहरी समर्थन से सरकार बनायी।

Q.11. 1989 के चुनाव में मुख्य मुद्दे क्या थे?
Ans: 1989 के चुनाव में राजीव गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी। कांग्रेस को इस चुनाव में 415 सीटें प्राप्त हुई। परंतु धीरे-धीरे सरकार का साख गिरता गया। कई प्रकार के स्कैंडल सामने आये। राजीव गांधी की सरकार में रहे वित्त मंत्री श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने विभिन्न रक्षा सौदा मैं हुई किमबैग यानी रिश्वत चर्चाओं के संदर्भ में न केवल अपने पद से त्याग पत्र दे दिया बल्कि कांग्रेस से त्याग पत्र देकर नया दल जन मोर्चा बना लिया जो बाद में अन्य प्रमुख विरोधी दलों के साथ विलय होकर जनता दल का गठन किया। 1989 के चुनाव के परिणामों ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा प्रदान की। 1989 के चुनाव में प्रमुख मुद्दा भ्रष्टाचार था। श्री विश्वनाथ प्रताप सिंह जो पहले ही एक ईमानदार छवि वाले व्यक्ति थे जो मिस्टर कलीम बनकर उभरे। कांग्रेस को इस चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा।

Q.12. 1991 में मध्यावधि चुनावों के क्या कारण थे?
Ans: 1989 के चुनावों के बाद जनता दल अर्थात राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार एवं संगठित राजनीतिक समूह के रूप में कार्य नहीं कर सकी व 1991 में सरकार गिर गई जिससे 1991 में मध्यावधि चुनाव आवश्यक हो गये। इस घटनाक्रम के निम्न कारण थे –
(i) मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करना,
(ii) पूरे देश में आरक्षण का विरोध व आरक्षण की राजनीति, (iii) बाबरी मस्जिद व राम मंदिर निर्माण विवाद,
(iv) सांप्रदायिक वातावरण,
(v) राष्ट्रीय मोर्चा के घटकों में आपसे खींच-तान,
(vi) भारती जनता पार्टी द्वारा राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार से समर्थन लेना।

Q.13. एन.डी.ए. के गठन को समझाइये।
Ans: 1991 से 1996 तक कांग्रेस ने नरसिम्हा राव के नेतृत्व में अल्पमत सरकार चलायी। 1996 के चुनावों में कांग्रेस का प्रभाव घटा व भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर आयी व अल्पमत सरकार बनायी जो मात्र 13 दिन चली। भारतीय जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद यूनाइटेड फ्रंट के कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई जो 1999 तक चली। इस बीच दो प्रधानमंत्री रहे। पहले श्री एच. डी. देवगोड़ा व बाद में इंद्र कुमार गुजराल। 1999 में एन. डी. ए. का गठन किया गया जिसमें भारतीय जनता पार्टी के साथ अन्य 22 क्षेत्रीय दल व छोटी पार्टियां थी। 1999 में एन. डी. ए. की सरकार बनी जो 2004 तक चली। 2004 के चुनाव में यू. पी. ए. ने सरकार बनायी।

Q.14. गठबंधन की राजनीति के कारणों पर प्रकाश डालिए।
Ans: 1989 से भारत में गठबंधन सरकारे लगभग निरंतर चल रही है जिसके निम्न प्रमुख कारण है –
(i) क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की बढ़ती संख्या,
(ii) राष्ट्रीय दलों के प्रभाव में गिरावट,
(iii) त्रिशंकु संसद व विभिन्न सभाएं,
(iv) समाज का विभिन्न सामाजिक-आर्थिक वर्गों में बटवारा,
(v) सत्ता की राजनीति का बढ़ता प्रभाव,
(vi) न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर सहमति,
(vii) राष्ट्रीय दलों के द्वारा क्षेत्रीय दलों के साथ ताल-मेल,
(viii) क्षेत्रीय दलों की दबाव की राजनीति।

Q.15. बाबरी मस्जिद के 1991 में ध्वंस होने का भारतीय राजनीतिक पर क्या प्रभाव पड़ा?
Ans: 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद के विवादित स्थान को कार सेवकों के हिंदू कट्टरवादियो ने ध्वंश कर दिया जिससे सारे देश में दंगे व सांप्रदायिक तनाव फैल गया। वहीं राजनीतिक दलों व बुद्धिजीवियों ने इसकी निंदा की, परंतु इस घटना ने हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण कर दिया जिसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को 1996 के चुनाव में मिला जिसमें वह लोकसभा में सबसे बड़े दल के रूप में उभर कर आयी। बाबरी मस्जिद का टूटना भारत के इतिहास में एक काला अध्याय जुड़ गया।

Bhartiya Rajniti: Naye Badlaw: Short Questions Answers

Q.1. 1986 से किन नागरिक मसलो ने भारतीय जनता पार्टी को सुदृढ़ता प्रदान की।
Ans:(i) 1986 में ऐसी दो बातें हुई जो एक हिंदूवादी पार्टी के रूप में भाजपा की राजनीति के लिहाज से प्रधान हो गई। इसमें पहली बात 1985 के शाहबानो के मामले से जुड़ी है। यह मामला एक 62 वर्षीय तलाकशुदा मुस्लिम महिला शाहबानो का था। उसने अपने भूतपूर्व पति से गुजारा भत्ता हासिल करने के लिए अदालत में अर्जी दायर की थी।
(ii) सर्वोच्च अदालत ने शाहबानो के पक्ष में फैसला सुनाया। पुरातनपंथी मुसलमानों ने अदालत के इस फैसले को अपने ‘पर्सनल लॉ ‘ में हस्तक्षेप माना। कुछ मुस्लिम नेताओं की मांग पर सरकार ने मुस्लिम महिला (तलाक से जुड़े अधिकारों) अधिनियम (1986) पास किया। इस अधिनियम के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को निरस्त कर दिया गया।
(iii) सरकार के इस कदम का कई महिला संगठन, मुस्लिम महिलाओं की जमात तथा अधिकांश बुद्धिजीवियों ने विरोध किया। भाजपा ने कांग्रेस सरकार के इस कदम की ओचना की और इसे अल्पसंख्यक समुदाय को दी गई अनावश्यक रियायत तथा ‘तुष्टिकारण’ करार दिया।

Q.2. जनता दल के शासन काल में ही भारत में एक दूरगामी बदलाव धार्मिक पहचान पर आधारित राजनीति का उदय हुआ। स्पष्ट कीजिए।
Ans:(i) जनता दल 1980 में बना। तब से लेकर 1986 तक देश में एक दुरगामी बदलाव आया। यह परिवर्तन धार्मिक पहचान पर आधारित राजनीति के उदय का था। इसने धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के बारे में बहसो को सरगर्म किया। आपातकाल के बाद भारतीय जनसंघ जनता पार्टी में शामिल हो गया।
(ii) जनता पार्टी के पतन और बिखराव के बाद भूतपूर्व जनसंघ के समर्थकों ने 1980 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बनाई। शुरू – शुरू में भाजपा ने जनसंघ की अपेक्षा कहीं ज्यादा बड़ा राजनीतिक मंच अपनाया। इसने ‘गांधीवादी समाजवाद’ को अपनी विचारधारा के रूप में स्वीकार किया। बहरहाल, भाजपा को 1980 और 1984 के चुनावों में खास सफलता नहीं मिली।
(iii) 1986 के बाद इस पार्टी ने अपनी विचारधारा मैं हिंदू राष्ट्रवाद के तत्वों पर जोर देना शुरू किया। भाजपा ने ‘हिंदुत्व’ की राजनीति का रास्ता चुना और हिंदुओं को लामतबंद करने की रणनीति अपनायी।

Q.3. मंडल आयोग की सिफारिशों का भारतीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा?
Ans: मंडल आयोग का गठन जनता पार्टी की सरकार ने 1979 में पिछड़े वर्ग के लोगों की पहचान करने व उनके लिए शिक्षण संस्थाओं व सरकारी नौकरियों में आरक्षण निश्चित करने के लिए किया था जिसमें शैक्षणिक व सामाजिक पिछड़ेपन को आधार माना गया था। मंडल आयोग ने अपनी रिपोर्ट 1980 में ही दे दी थी। परंतु इसको वी.पी. सिंह की सरकार ने 1989 में लागू किया। इस रिपोर्ट के लागू होने से जिसमें 27% के आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी, पूरे देश में हिंसात्मक झगड़े प्रारंभ हो गये। इस रिपोर्ट के लागू होने के बाद भारत में आरक्षण की राजनीति प्रारंभ हो गयी जिसने समाज का व राजनीति का ध्रुवीकरण कर दिया। पिछड़ा वर्ग राजनैतिक सत्ता के लिए संघर्षमय हो गया। इससे प्रांतों व केंद्र की राजनीति दोनों प्रभावित हुई।

Q.4.गठाबंधन की राजनीति से आप क्या समझते हैं? राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार किस प्रकार बनी?
Ans: जब चुनाव के बाद किसी एक राजनीतिक दल को सरकार बनाने के लिए पर्याप्त बहुमत न मिले तो कई सारे राजनीतिक दलों में इस प्रकार से समझौता होता है कि न्यूनतम साझा कार्यक्रम की सहमति के आधार पर मिली – जुली सरकार बनाते हैं, ऐसी सरकार को गठबंधन सरकार करते हैं। 1989 के चुनाव में कांग्रेस को पर्याप्त बहुमत न मिलने पर राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार बनी जो एक गठबंधन सरकार थी क्योंकि इसमें जनता दल प्रमुख पार्टी थी व इसके साथ कुछ क्षेत्रीय पार्टियों ने मिलकर राष्ट्रीय मोर्चे में गठन कर भारतीय जनता पार्टी व वामपंथी दलों के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई। 1989 से ही भारत में गठबंधन सरकारों का प्रचलन चला जो आज भी चल रहा है। 1996 से 1999 तक यूनाइटेड फ्रंट की सरकार, 1999 से 2004 तक एन .डी. ए. की गठबंधन सरकार व 2004 – 2014 से यू. पी. ए. की गठबंधन सरकार चलती रही है।

Q.5. 1989 के चुनाव के बाद कांग्रेस के प्रभाव में कमी के प्रमुख कारण क्या थे?
Ans: 1989 के चुनाव में कांग्रेस के प्रभाव में गिरावट आयी जिसके प्रमुख कारण निम्नलिखित थे –
(i) कांग्रेस सरकारों में बढ़ता भ्रष्टाचार,
(ii) करिश्माई नेतृत्व का अभाव,
(iii) कांग्रेस में बढ़ती अनुशासनहीनता,
(iv) विश्वनाथ प्रताप सिंह का एक करिश्माई नेता के रूप में उदय,
(v) 1991 में कांग्रेस में नेतृत्व का संकट,
(vi) क्षेत्रीय दलों का विकास,
(vii) केंद्र में अनिश्चितता का दौर,
(viii) केंद्र की राजनीति में क्षेत्रीय दलों की बढ़ती हुई भूमिका,
(ix) केंद्र की कांग्रेस सरकारों के द्वारा संविधान के प्रावधानों का दुरुपयोग,
(x) कांग्रेस की परंपरागत वोट बैंक का इससे दूर हो जाना,
(xi) दलित राजनीति का विकास,
(xii) अन्य पिछड़ा वर्ग की राजनीति का विकास।

Q.6. बाबरी मस्जिद विवाद ने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया?
Ans: संप्रदायिकता भारतीय राजनीति की एक नकारात्मक विरासत रही है जो वास्तव में अंग्रेजी शासन की ही देन है। संप्रदायिकता आज भी भारतीय समाज व राजनीति को प्रभावित कर रही है। बाबरी मस्जिद व राम मंदिर विवाद ने भारतीय समाज व राजनीति को विभाजित किया। कुछ एक राजनीतिक दलों ने इस विवाद का राजनीतिकरण किया है। इसका उन्माद इस प्रकार बढ़ा कि 6 नवंबर, 1992 को कट्टरवादियों ने विवादित ढांचे को ध्वंस कर दिया जिससे संप्रदायिकता झगड़ों की झड़ी लग गयी। गोधराकांड व गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगे इसी चिंगारी का परिणाम है। इसी विवाद ने समाज को बांटा है व आपस में नफरत व तनाव को बढ़ाया है जिसका राजनीतिक दलों ने अपने-अपने हित में प्रयोग किया है।

Q.7.मंडल विवाद से आप क्या समझते हैं? भारत में राजनीतिक सत्ता परिवर्तन को इसने किस प्रकार से प्रभावित किया?
Ans: मंडल आयोग का संबंध उस राजनीतिक व समाजिक माहौल से है जो 1990 में मंडल आयोग की पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों व शैक्षणिक संस्थाओं में 27% आरक्षण के सिफारिशों को लागू करने के बाद पूरे देश में उत्पन्न हुआ। शैक्षणिक रूप से व सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए आरक्षण के बाद पूरे देश में सामाजिक तनाव हो गया जिसको राजनीतिक दलों ने अपने-अपने तरीके से परिभाषित व प्रचारित किया। इसका सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव यह रहा कि जिस सरकार ने इस आदेश को लागू किया था अर्थात विश्वनाथ प्रताप सिंह ने नेतृत्व में चल रही राष्ट्रीय मोर्चे की सरकार को इस्तीफा देना पड़ा। देश ऊंची जाति व पिछड़ी जातियों के वर्गों में बंट गया व इसने पूरे सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्था को इस प्रकार से प्रभावित किया कि पिछड़े वर्ग के लोगों में जागरूकता बढ़ी व इनका सामाजिक व राजनीतिक ध्रुवीकरण हो गया। पिछड़े वर्ग के लोगों ने संख्या के अनुपात में न केवल आर्थिक स्रोतों पर हिस्सेदारी की बात की बल्कि राजनीतिक सत्ता में हिस्सेदारी की बात की। अनेक क्षेत्रीय दलों का विकास इस संघर्ष पर ही आधारित है।

Q.8. भारत में गठबंधन सरकारों का भविष्य क्या है?
Ans: 1989 में विभिन्न राज्यों व केंद्र में गठबंधन सरकारे चल रही है। दलीय प्रणाली का स्वरूप इस प्रकार से बदला है कि भारत में दो दलीय प्रणाली तो नहीं बल्कि दो प्रमुख दलों यानी कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी दलों की प्रमुखता के साथ गठबंधन बनते हैं। राष्ट्रीय मोर्चा, संयुक्त मोर्चा, राजग व यू. पी. ए. इसी प्रकार के गठबंधन रहे जिनमें भारतीय जनता पार्टी अथवा कांग्रेस ने प्रमुख भूमिका अदा की है। भारतीय जनता पार्टी व कांग्रेस का जनाधार घटता – बढ़ता रहा है। विभिन्न राज्यों में क्षेत्रीय दलों की सरकार कार्य कर रही है व क्षेत्रीय दल भी सरकार बनाने व चलाने की भूमिका अदा कर रहे हैं। चाहे कांग्रेस के साथ या भारतीय पार्टी के साथ। आज की स्थिति यह है कि कोई भी राजनीतिक दल स्वतंत्र रूप से अकेले सरकार बनाने की स्थिति में नहीं लगता। अतः अभी भारत में गठबंधन की सरकारें चलेगी। इसका अभी भी भविष्य है।

Q.9. गठबंधन की राजनीति के कुछ प्रमुख गुण बताइये।
Ans: गठबंधन की राजनीति विश्व के अनेक देशों में प्रचलित है। भारत में इसकी उत्पत्ति 1989 के बाद हुई। आज भारत के अनेक राज्यों व केंद्र में गठबंधन सरकारे चल रही है। इसके कुछ अवगुणों के बावजूद कुछ गुण भी अवश्य है जो निम्न है-
(i) त्रिशंकु संसद व विधान सभाओं की स्थिति में सरकार बनने की संभावनाएं निश्चित करता है।
(ii) संघीय प्रणाली को मजबूत किया है।
(iii) केंद्रीय ने प्रांतों के संबंधों को एक नया स्वरूप प्रदान किया है।
(iv) क्षेत्रीय दलों का विकास व क्षेत्रीय आकांक्षाओं व हितों की पूर्ति में सहायक।
(v) राज्यों की स्थिति मजबूत हुई है।

Q.10. भारत की राजनीतिक व्यवस्था पर गठबंधन की राजनीति का प्रभाव बताइये।
Ans: 1989 के बाद देश में गठबंधन की राजनीति का दौर जारी है। गठबंधन सरकारे न केवल केंद्र में चल रही है बल्कि अनेक राज्यों में भी गठबंधन की सरकारें चल रही है, जैसे पश्चिम बंगाल, केरल, महाराष्ट्रीय, जम्मू कश्मीर, पंजाब में गठबंधन की सरकारे चल रही है। गठबंधन की सरकारों में क्षेत्रीय दलों की भूमिका अहम रही है। गठबंधन की राजनीति ने भारतीय राजनीति को दोनों तरह से अर्थात नकारात्मक तरीके से भी व सकारात्मक तरीके से प्रभावित किया है जिसको निम्न क्षेत्रों में समझ सकते हैं-
(i) राजनीतिक अस्थिरता,
(ii) क्षेत्रीय दलों की बढ़ती भूमिका,
(iii) क्षेत्रीय हितो व आकांक्षाओं की पूर्ति,
(iv)केंद्र व प्रांतों के संबंधों पर प्रभाव,
(v) राज्यों की राजनीति पर प्रभाव,
(vi) भारतीय संघीय प्रणाली के स्वरूप पर प्रभाव,
(vii) राजनीतिक अवसरवाद में वृद्धि,
(viii) राजनीतिक संस्थाओ व पदों की स्थिति में परिवर्तन।

Bhartiya Rajniti: Naye Badlaw: Short Questions Answers

Q.1. गठबंधन सरकार से आप क्या समझते हैं? गठबंधन सरकारों में क्षेत्रीय दलों की भूमिका समझाएं।
Ans: जब चुनाव के बाद किसी भी राजनीतिक दल को सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत ना मिले वह कई राजनीतिक दल मिलकर अपने विवादित मुद्दों को अलग कर एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर सहमति के आधार पर साझा सरकार बनाते हैं तो इसे गठबंधन सरकार कहते हैं यह स्थिति बहुदलीय प्रणाली में उस समय आ जाती है जब क्षेत्रीय राष्ट्रीय दलों का प्रभाव कम हो जाता है वह कई सारे क्षेत्रीय दलों का प्रभाव बढ़ जाता है जिससे वोट अनेक राजनीतिक दलों में विभाजित होने के कारण किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता। 1980 के बाद भारत में क्षेत्रीय दलों की भूमिका बढ़ने लगी है इससे पहले बहुदलीय प्रणाली होते हुए भी कांग्रेस का प्रभुत्व रहा। कुछ राष्ट्रीय दल रहे परंतु उनकी स्थिति कांग्रेस के सामने कमजोर 1950 से 1980 तक के काल में कांग्रेस के दशक के बाद विभिन्न कारणों से क्षेत्रवाद का विकास हुआ जिसके आधार पर क्षेत्रीय दलों का गठन किया गया जिससे क्षेत्रीय दलों की संख्या विभिन्न कारणों से लगातार बढ़ती ही रही कि 1990 के दशक में राष्ट्रीय दल केंद्र में भी सरकार बनाने व चलाने में अहम भूमिका निभाई। निम्नलिखित मुद्दे ऐसे रहे जिन्होंने समाज को विभाजित किया जिसके आधार पर लोगों के राजनीतिक व्यवहार में परिवर्तन हुआ तथा क्षेत्रीय दलों की संख्या में वृद्धि हुई यह मुद्दे हैं:
आरक्षण मंदिर, मस्जिद विवाद, पिछड़े वर्ग की राजनीति, महिला राजनीति, अल्पसंख्यकों की राजनीति, आदिवासी राजनीति, दलित राजनीति क्षेत्रवाद आदि।

Q.2.भारतीय राजनीति में 1990 से 2004 तक की प्रमुख घटनाओं पर प्रकाश डालिए।
Ans: 1989 के चुनाव के बाद भारत में गठबंधन की राजनीति प्रारंभ हुई. 1989 से लेकर 2004 में यू.पी.ए. सरकार बनने तक घटनाचक्र बड़ी तेजी के साथ चला जिससे भारतीय राजनीति में व्यापक परिवर्तन आए। पिछले 20 वर्षों में भारतीय राजनीति में निम्न प्रमुख विषय छाए रहे।

कांग्रेस के प्रभाव में उतार-चढ़ाव: कांग्रेस भारत का एक प्रमुख राजनीतिक दल रहा है जिसके साथ गौरवमई इतिहास रहा है। 1970 के दशक में भारतीय राजनीति पर कांग्रेस का प्रभुत्व में कमी आई है 1989 से 1990 तक कांग्रेस सत्ता से बाहर गई परंतु 1970 के बाद सत्ता में आ गई। 1996 से लेकर 1990 तक कांग्रेस का जनाधार कम हुआ तथा 2004 तक सत्ता से बाहर कांग्रेस में सबसे बड़े दल के नेता के रूप में उभर कर आई गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रही है।

आरक्षण की राजनीति: 1989 से देश की राजनीति में आरक्षण का मुद्दा छाया रहा वास्तव में आरक्षण की राजनीति हो रही है जिसने भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को अत्यधिक प्रभावित किया है 1980 में राष्ट्रीय मोर्चा के सरकार ने पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए मंडल आयोग की सिफारिशों के आधार पर 2% आरक्षण की व्यवस्था की जिसका प्रारंभ में बहुत विरोध हुआ वह देश में हिंसा हुई परंतु कुछ समय के बाद इसको सभी ने स्वीकार कर लिया है एवं पिछड़ा वर्ग में शामिल होने की होड़ में सब लगे हैं।

राम मंदिर बाबरी मस्जिद विवाद: भारतीय राजनीति को 1990 के बाद बाबरी मस्जिद विवाद ने अत्यधिक प्रभावित किया है तथा सांप्रदायिक तनाव व द्वेष को जन्म दिया जिसका भारतीय जनता पार्टी ने लाभ उठाया।

Q.3. गुजरात के मुस्लिम विरोधी दंगे 2002 पर एक संक्षिप्त लेख लिखें।
Ans: पृष्ठभूमि: कहा जाता है कि गोधरा रेलवे स्टेशन पर एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी इस हिंसा का तत्कालीन उकसाना बहुत ही हानिकारक और दुखदाई साबित हुआ अयोध्या उत्तर प्रदेश की ओर से आ रही एक रेलगाड़ी की बोगी कारसेवकों से भरी हुई थी और ना जाने किस कारण से उसमें आग लग गई इस आग के दुर्घटना में 27 व्यक्ति जलकर मर गए कुछ लोगों ने यह अफवाह फैला दी कि गोधरा के खड़े रेल के डिब्बे में आग मुसलमानों ने लगाई होगी अथवा लगवाई होगी अफवाह बड़ी खतरनाक और हानिकारक होती है गोधरा के दुर्घटना से जुड़ी अफवाह जंगल की आग की तरह संपूर्ण गुजरात में फैल गई अनेक भागों में मुसलमानों के विरुद्ध बड़े पैमाने पर हिंसा हुई हिंसा का यह तांडव लगभग 1 महीने तक चलता रहा लगभग 1100 से व्यक्ति इस हिंसा में मारे गए मुसलमानों के विरुद्ध हुए दंगों को रोकने के लिए राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने पीड़ित मुक्त भोगियों के परिजनों को राहत देने और दोषियों को तुरंत कानून के हवाले एवं पर्याप्त दंड देने के लिए कहा गया आयोग का यह कहना था कि पुलिस और सरकारी मशीनरी ने अपने धर्म का निर्वाह नहीं किया है सरकार ने अनेक लोगों को राहत दी है अनेक लोगों का मुकदमा चल रहे हैं लेकिन यह मानना पड़ेगा कि आतंकवाद और सांप्रदायिकता के कारण दंगे करना या कराना हमारे देश के लोकतांत्रिक व्यवस्था के किसी भी तरह से अनुकूल नहीं है।

Q.4. अयोध्या स्थित विवादित ढांचे राम मंदिर अथवा बाबरी मस्जिद के अक्टूबर 1993 के विध्वंस से लेकर बाद की घटनाओं पर एक लेख लिखें।
Ans: अयोध्या में जो हिंदू संगठन राम मंदिर के निर्माण का समर्थन कर रहे थे उन्होंने 1993 के दिसंबर में एक कार्य सेवा कार्यक्रम का आयोजन किया भाजपा आर एस एस विश्व हिंदू परिषद शिवसेना बजरंग दल दुर्गा वाहिनी आदि के आह्वान पर कर सेवा के इच्छुक लोग संख्या में अयोध्या पहुंचे देश में माहौल तनावपूर्ण हो गया अयोध्या में यह तनाव सबसे ज्यादा दिखाई दिया मान्यवर सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह विवादित स्थल की सुरक्षा का पूरा प्रबंध करें जो भी हो 6 दिसंबर 1993 को उत्तर प्रदेश के सरकार की रक्षा नहीं कर सके और को लोगों ने धारा सही कर दिया मस्जिद के विध्वंस के समाचार से देश के कई भागों में हिंदू और मुसलमान के बीच झड़प हुई 1993 में जनवरी में एक बार फिर अगले दो हफ्तों तक जारी रही। अयोध्या की घटना से कई बदलाव आए। उत्तर प्रदेश में सत्तासीन भाजपा के राज्य सरकार को केंद्र ने बर्खास्त कर दिया इसके साथ ही दूसरे राज्यों में भी जा भाजपा की सरकार थी राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया क्योंकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस बात का शपथ पत्र दिया था कि विवादित ढांचा की रक्षा की जाएगी इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने उनके विरुद्ध अदालत का अवमानना का मुकदमा दायर हुआ भारतीय जनता पार्टी ने अधिकारिक तौर पर अयोध्या में घटित होने वाली घटना का गहरा खेद व्यक्त किया एक जांच आयोग नियुक्त किया गया और उसमें सरकार के निर्देशानुसार उन घटनाओं की जांच शुरू की चेन की वजह से अयोध्या स्थित प्राचीन ऐतिहासिक मस्जिद का विध्वंस हुआ अनेक नेताओं ने देश के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप पर सवाल उठाए धर्म के नाम पर हिंसा कोई भी संप्रदाय करें यह कोई राजनीतिक पार्टी पर चाहे वह 1984 के सिक्ख विरोधी दंगे हुए 1992-93 में हुए सांप्रदायिक दंगे एवं अन्य स्थानों में हुए हो या मुसलमानों के हुए हो दंगों में प्रवीण संप्रदाय और धर्मावलंबियों को हानि पहुंचती है।

Q.5. अयोध्या विवाद पर नोट लिखें।
Ans: अयोध्या में वर्षों पुरानी एक ऐतिहासिक इमारत थी संभवत इसका निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ हिंदू पंडित विद्वान आदि यह दावा करते रहे हैं कि वह प्राचीन हिंदू मंदिर था और संभवत बाबर के आदेश पर उनके शासनकाल में यहां मस्जिद का निर्माण किया गया अधिकांश मुसलमानों विद्वानों का यह दावा था कि यह प्रथम मुगल सम्राट बाबर के काल में ही मस्जिद थे अधिकांश मुस्लिम अयोध्या स्थित नजदीक को बाबरी मस्जिद कहते थे इसका निर्माण मीर बाकी ने करवाया था वस्तुतः मीर बाकी मुगल सम्राट बाबर का सिपहसालार था अनेक हिंदू आज भी यह मानते हैं कि बाबर बहुत उदार शासक नहीं था उसने भगवान राम की जन्मभूमि में बने राम मंदिर को छुड़वा कर उसी स्थान पर एक मस्जिद बनवाई थी अयोध्या का यह ढांचा इमारत मंदिर है या मस्जिद दोनों संप्रदाय के लोगों में उठे विवाद ने एक अदालती मुकदमे का रूप ग्रहण कर लिया। मुकदमा अनेक दशकों तक चलता रहा 1940 के दशक में बाबरी मस्जिद में अदालत के आदेश पर ताला लगा दिया गया और मामला अदालत के हवाले ही रहा।
फैजाबाद जिला न्यायालय द्वारा फरवरी 1986 में सुनाए गए फैसले में सुनाया गया कि बाबरी मस्जिद के अहाते का ताला खोल दिया जाना चाहिए ताकि हिंदू या पूजा-पाठ कर सके क्योंकि इस जगह को पवित्र मानते हैं। जैसे ही बाबरी मस्जिद का ताला खुला वैसे ही दोनों पक्षों में लामबंदी होने लगी अनेक हिंदू और मुस्लिम संगठन इस मामले पर अपने-अपने समुदाय को लामा बंद करने की कोशिश में जुट गए भाजपा ने इसे अपना बहुत बड़ा चुनावी और राजनीतिक मुद्दा बनाया शिवसेना बजरंगदल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद जैसे हिंदूवादी कुछ संगठनों के साथ भाजपा ने लगातार प्रतीकात्मक और लामबंदी के कार्यक्रम चलाएं उसने जनसमर्थन जुटाने के लिए गुजरात स्थित सोमनाथ से उत्तर प्रदेश स्थित अयोध्या तक एक बड़ी रथयात्रा निकाली 6 दिसंबर 1992 को इस इमारत को गिरा दिया गया जिसकी वजह से अनेक स्थानों पर व्यापक दंगे और तनाव व्याप्त रहा।

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