लोकतान्त्रिक व्यवस्था का संकट | Loktantrik vyawstha ka sankat Class 12 Political Science Chapter 6 NCERT Solution in Hindi

Loktantrik vyawstha ka sankat: राजनीतिक विज्ञान कक्षा 12 अध्याय 6 के महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर को पढ़ें। सभी प्रश्न परीक्षा उपयोगी है। झारखण्ड अधिविध परिषद् राँची के पाठ्यक्रम के अनुसार सभी प्रश्नों को तैयार किया गया है।

Loktantrik vyawstha ka sankat
Amit Kumar Singh

Loktantrik vyawstha ka sankat अति लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1. नक्सलवादी आंदोलन से आप क्या समझते हैं?
Ans:पश्चिम बंगाल बिहार आंध्र प्रदेश में चल रहा नक्सलवादी आंदोलन उन लोगों का समूह है जो क्रांतिकारी तरीके से भी सामाजिक आर्थिक व्यवस्था में तुरंत परिवर्तन तथा संपूर्ण परिवर्तन करना चाहते हैं यह लोग धनी भूमि स्वामियों से जमीन छीन कर भूमिहीन लोगों में बांटते हैं इन राज्यों के यह हिंसक आंदोलन सरकारों के प्रयासों से भी समाप्त नहीं हुए अभी आंदोलन झारखंड जैसे राज्यों में भी सक्रिय है फिलहाल विभिन्न राज्यों के 75 जिले नक्सलवाद आंदोलन से प्रभावित हैं सर्वाधिक मार्क्सवादी विचारधारा से प्रभावित है।

Q.2.श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपात स्थिति की घोषणा किस प्रकार से की?
Ans:श्रीमती इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को देश में आपात स्थिति की घोषणा करने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद को मौखिक सलाह दी जिस को मान कर उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत देश में आंतरिक गड़बड़ी के कारण आपातकाल की स्थिति की घोषणा कर दी श्रीमती गांधी ने इस निर्णय के लिए मंत्रिमंडल की कोई भी औपचारिक बैठक नहीं कि मंत्रिमंडल को भी इसकी सूचना 26 जून को सुबह को दी गई देश में इस बार आपातकाल की स्थिति की घोषणा प्रथम बार की गई थी श्रीमती इंदिरा गांधी ने देश को यह बताने का प्रयास किया कि आपातकाल की स्थिति की घोषणा के लिए विरोधी दल जिम्मेदार हैं।

Q.3.आपातकाल की स्थिति की घोषणा के तुरंत क्या परिणाम है थे?
Ans:आपातकालीन स्थिति की घोषणा के तुरंत परिणाम निम्नलिखित हैं-

  • नागरिकों के मौलिक अधिकार स्थगित हो जाते हैं।
  • देश का संघात्मक स्वरूप समाप्त हो जाता है।
  • देश का प्रशासनिक स्वरूप एकात्मक हो जाता है।
  • सभी प्रकार के आंदोलनों पर पाबंदियां लगा दी गई।
  • निवारक नजरबंदी कानून का लागू होना।
  • सभी विषयों पर संसद को कानून बनाने का अधिकार राष्ट्रपति के हाथों में पूरे देश का शासन आ जाता है।

Q.4.1975 में आपातकाल स्थिति की घोषणा के प्रमुख कारण क्या थे?
Ans:70 के दशक में आर्थिक तथा राजनीतिक स्टेशन से गुजर रहा था 1971 के चुनाव में कांग्रेस भारी बहुमत से जीती थी परंतु फिर भी सारे देश में राजनीतिक आंदोलन चल रहे थे। 25 जून 1975 को श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल की स्थिति की घोषणा की जिसके कारण थे- बिहार का विद्यार्थी आंदोलन, गुजरात आंदोलन जिसमें चुनी हुई सरकार को कार्य करने नहीं दिया जा रहा था, राष्ट्र की एकता व अखंडता को खतरा, आंतरिक गड़बड़ी जिससे प्रशासन हो गया था इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्णय के संदर्भ में श्रीमती इंदिरा गांधी से इस्तीफे की मांग।

Q.5. “1967 के बाद देश की कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के संबंधों में आए तनावो ने आपातकाल की पृष्ठभूमि तैयार की थी।” इस कथन को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
Ans: 1967 के बाद इंदिरा गांधी एक कद्दावर नेता के रूप में उभरी थी और 1973 – 74 तक उनकी लोकप्रियता अपने चरम पर थी लेकिन इस दौर में दलगत प्रतिस्पर्धा कहीं ज्यादा तीखी और ध्रुवीकृत हो चली थी। इस अवधि में न्यायपालिका और सरकार के संबंधों में भी तनाव आए। सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार की कई पहलकदमियों को संविधान के विरुद्ध माना। कांग्रेस पार्टी का मानना था कि अदालत का यह रवैया लोकतंत्र के सिद्धांतों और संसद की सर्वोच्चता के विरुद्ध है। कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया कि अदालत एक यथास्थिति संस्था है और यह संस्था गरीबों को लाभ पहुंचाने वाले कल्याण – कार्यक्रमों को लागू करने की राह में रोड़े अटका रही है।

Q.6. जनता पार्टी का गठन किस प्रकार से हुआ?
Ans: जनता पार्टी का गठन 1977 में श्री जयप्रकाश नारायण की प्रेरणा से उस समय हुआ जब सभी विरोधी दलों के प्रमुख नेता जेल में थे। इन नेताओं ने 1977 में होने वाले चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ एक जुट होकर लड़ने का फैसला किया। इसमें प्रमुख दल थे कांग्रेस (ओल्ड), समाजवादी पार्टी, भारतीय लोकदल एवं भारतीय जनसंघ। कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी भी बाद में जनता पार्टी में शामिल हो गयी।

Q.7. विरोधी दलों के विरोध तथा कांग्रेस की टूट ने आपातकाल की पृष्ठभूमि कैसे तैयार की थी?
Ans: देश में सन 1952 के चुनाव से ही देश एवं अधिकांश प्रांतो में कांग्रेस के पास ही सता रही। कुछ ही प्रांतों में विरोधी दलों या संयुक्त विरोधी दलों की सरकारें बनी। वे केंद्र में सत्ता में आना चाहते थे। कांग्रेस के विपक्ष में जो दल थे उन्हें लग रहा था कि सरकारी प्राधिकार को निजी प्राधिकार मान कर इस्तेमाल किया जा रहा है और राजनीति हद से ज्यादा व्यक्तिगत होती जा रही है। कांग्रेस टूट से इंदिरा गांधी भी इसका अपवाद नहीं थी। वे पुरानी कांग्रेस को पूर्णतया निर्बल बनाने की इच्छा रखती थी। गुजरात आंदोलन तथा बिहार आंदोलन को विरोधी दलों ने राष्ट्रव्यापी बनाना चाहा। जयप्रकाश नारायण संपूर्ण क्रांति की बात कर रहे थे। ऐसे सभी घटनाओं ने आपातकाल के लिए पृष्ठभूमि तैयार की।

Q.8. तुर्कमान गेट घटना के बारे में समझाये।
Ans: आपातकालीन स्थिति के दौरान दिल्ली के गरीब इलाके के निवासियों को बड़े पैमाने पर विस्थापित होना पड़ा। इन गरीब विस्थापित लोगों को यमुना नदी के निर्जन इलाके में बसाया गया। इसी उद्देश्य की एक घटना तुर्कमान गेट इलाके की एक बस्ती की है। आपातकालीन स्थिति की यह बहुत ही चर्चित घटना है। इस इलाके की झुग्गी – झोपड़ियों को उजाड़ दिया गया व इस इलाके के सैकड़ों लोगों की जबरन ही नसबंदी करा दी गई। यह कार्य अधिकारियों ने अपने आंकड़े पूरे करने के लिए किये। नसबंदी के केस लिए कोटा निर्धारित कर दिया जिसको पूरा करने के लिए बीच के लोगों ने गरीब लोगों को छोटे-छोटे लालच देकर नसबंदी करा दी। इस तरह कुछ लोग अगर सरकार द्वारा प्रायोजित प्रवासो के शिकार हुए तो कुछ लोगो ने कानूनी जमीन हासिल करने के लालच में दूसरो को बलि का बकरा बनाया व ऐसा करके खुद को विस्थापित होने से बचाया।

Q.9. जनता पार्टी की सरकार 1977 में किस प्रकार से बनी?
Ans:1977 के चुनाव में जनता पार्टी को और इसके सहयोगीयों को भारी सफलता मिली। श्रीमती इंदिरा गांधी की कांग्रेस का उत्तरी भारत व मध्य भारत में पूरी तरह से सफाया हो गया। यहां तक कि खुद श्रीमती इंदिरा गांधी भी रायबरेली से चुनाव हार गयी। जनता पार्टी व इसकी सहयोगी दलों को लोकसभा की 330 सीटें मिली जिसमें से अकेले जनता पार्टी को 295 सीटें प्राप्त हुई। इस प्रकार से राष्ट्रपति ने औपचारिक रूप से जनता पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। इस प्रकार से इन परिणामों ने यह स्पष्ट कर दिया था कि इस चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर थी। यह आपातकाल स्थिति की घोषणा के खिलाफ एक जनता की प्रतिक्रिया थी। प्रधानमंत्री के पद पर जनता पार्टी के तीन प्रमुख नेताओं की विवाद ने खुशी के माहौल को निराशा में बदल दिया क्योंकि श्री मोरारजी देसाई, चौधरी चरण सिंह व बाबू जगजीवन राम ने प्रधानमंत्री के पद के लिए अपना-अपना दावा रखा। अंत में विचार-विमर्श के बाद मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री बने व चौधरी चरण सिंह व जगजीवन राम देश के उप प्रधानमंत्री बने।

Q.10. 1975 की आपातकालीन स्थिति के अनुभव से हमें क्या सबक मिला?
Ans:आपातकाल की स्थिति की घोषणा संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत की गयी। सबसे पहले बात यह है कि जब तक आपातकालीन स्थिति के लिए पर्याप्त कारण न हो आपातकाल की स्थिति की घोषणा नहीं होनी चाहिए।
दूसरा सबक इस बात का कि आपातकाल की स्थिति की घोषणा करने का तरीका सही होना चाहिए। श्रीमती इंदिरा गांधी ने आपातकाल की स्थिति की घोषणा बिना मंत्रिमंडल की सलाह के राष्ट्रपति को मौखिक रूप से आदेश जारी करने के लिए कहा जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया इस प्रकार का तरीका गलत था। इसमें भी सुधार हुआ।

Q.11. 42 वें संविधान संशोधन की मुख्य विशेषताएं क्या थी?
Ans: 42 वें संविधान संशोधन की मुख्य विशेषताएं तथ्य प्रावधान निम्नलिखित थे –
(i) संविधान की प्रस्तावना में समाजवाद एवं धर्मनिरपेक्ष शब्द जोड़े गये।
(ii) न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार में कटौती की गई।
(iii) संसद व विधान सभा के कार्य काल में वृद्धि की गई।
(iv) राज्य की नीति के निर्धारत तत्वो को मौलिक अधिकारों से अधिक वरीयता दी गई।
(v) राष्ट्रपति की स्थिति भी कमजोर की गई क्योंकि उसके लिए मंत्रिमंडल की सलाह को मानना आवश्यक किया गया।
(vi) संसद की शक्तियों में वृद्धि की गई।
(Vii) भारतीय संघीय स्वरूप में भी परिवर्तन किया जिसमें सूचियों के विषयों को बदला गया।

Q.12. चौधरी चरण सिंह पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
Ans: चौधरी चरण सिंह का जन्म 1902 में हुआ। वह महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रारंभ में उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहे। वे ग्रामीण एवं कृषि विकास की नीति और कार्यक्रमों के कट्टर समर्थक थे। उनका जन्म 1902 में हुआ। वह महान स्वतंत्रता सेनानी और प्रारंभ में उत्तर प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहे। वे ग्रामीण एवं कृषि विकास की नीति और कार्यक्रमों के कट्टर समर्थक थे। 1967 में कांग्रेस पार्टी को छोड़कर भारतीय क्रांति दल का गठन किया। वे दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। वे जयप्रकाश के संपूर्ण क्रांति आंदोलन से जुड़े और 1977 में जनता पार्टी के संस्थापक में से एक थे। 1977 से 1979 तक वह भारत के उप – प्रधानमंत्री और गृह मंत्री रहे। उन्होंने लोकदल की स्थापना की थी। वे लगभग कुछ महीने के लिए जुलाई, 1979 से जनवरी, 1980 के बीच भारत के प्रधानमंत्री रहे। चौधरी चरण सिंह का निधन 1987 में हुआ।

Q.13. जनता पार्टी की सरकार गिरने के क्या प्रमुख कारण थे?
Ans: जनता पार्टी की सरकार के गिरने के प्रमुख कारण निम्न थे –
(i) जनता पार्टी का टूटना। वास्तव में जनता पार्टी केवल कुछ खास परिस्थितियों का ही परिणाम था।
(ii) जनता पार्टी के घटकों में तालमेल नहीं था।
(iii) कुछ प्रमुख नेताओं की पद लोलुपता।
(iv) प्रमुख घटकों में व्यक्ति पूजा।
(v) जनता पार्टी के घटकों में आपसी मतभेद का जारी रहना।

Q.14.मोरारजी देसाई पर एक संक्षिप्त विवरण दें।
Ans: मोरारजी देसाई का जन्म 1897 में हुआ। वे भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और गांधीवादी नेता थे। वे बॉम्बे (अब मुंबई) राज्य के मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 1966 में कांग्रेस संसदीय पार्टी का नेतृत्व संभाला। वे 1967 – 1969 तक देश के उपप्रधानमंत्री रहे। वे कांग्रेस पार्टी में सिंडीकेट गुट के एक सदस्य थे। बाद में जनता पार्टी के द्वारा प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए और वे देश में पहले और गैर – कांग्रेसी प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 1977 से 1979 के मध्य लगभग 18 महीने इस पद पर कार्य किया। 1995 में उनकी दिवंगत आत्मा ने उनकी शरीर को त्याग दिया।

Q.15. कांग्रेसी व्यवस्था किस प्रकार से दोबारा सत्ता में आयी?
Ans: जनता पार्टी की सरकार गिरने के बाद चौधरी चरण सिंह ने कांग्रेस के बाहरी समर्थन से सरकार बनाई जो मात्र 4 महीने ही चली। चौधरी चरण सिंह ने लोकसभा भंग कर दी। जिससे 1980 में लोकसभा के मध्यावधि चुनाव हुए। श्रीमती इंदिरा गांधी फिर से देश की प्रधानमंत्री बनी। कांग्रेस की पुनः जीत का प्रमुख कारण जनता पार्टी का विभाजन रहा। कांग्रेस की इस प्रकार से पुनर्स्थापना हुई।

Loktantrik vyawstha ka sankat लघु उत्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1. बिहार के आंदोलन का कांग्रेस के खिलाफ चल रहे आंदोलन पर क्या प्रभाव पड़ा?
Ans: ये तो कांग्रेस की सरकारो के खिलाफ पूरे देश में विरोध पनप रहा था परंतु बिहार व गुजरात में आंदोलन का रूप अधिक उग्र था। बिहार के आंदोलन में विरोधी भी शामिल हो गये थे व श्री जय प्रकाश नारायण इसका नेतृत्व कर रहे थे। इसी प्रकार से गुजरात में भी आंदोलन बहुत सक्रिय था जिसका नेतृत्व मोराजी देसाई कर रहे थे। श्री जयप्रकाश नारायण ने इस आंदोलन को अहिंसात्मक तरीके से पूरे देश में चलाने की अपील की जिसका व्यापक प्रभाव पड़ा। इस आंदोलनों का प्रमुख उद्देश्य केंद्र व प्रांतों की कांग्रेसी सरकारों को हटाना था। इस आंदोलन में महंगाई व आर्थिक संकट को मुख्य मुद्दा बनाया गया। श्री जयप्रकाश नारायण ने इस आंदोलन को संपूर्ण क्रांति का नाम दिया जिसका उद्देश्य संपूर्ण व्यवस्था में परिवर्तन करना था।

Q.2. आपातकाल स्थिति की घोषणा से पहले कार्यपालिका व न्यायपालिका में चल रहे टकराव पर प्रकाश डालिए।
Ans: प्रारंभ से ही कार्यपालिका व न्यायपालिका के बीच मतभेद रहे हैं। परंतु संविधान संशोधन के प्रश्न पर 70 के दशक के बाद कार्यपालिका व न्यायपालिका में विवाद और अधिक गहराया था। संसद की मौलिक अधिकारों के संशोधन के अधिकार पर न्यायपालिका का 1967 तक का दृष्टिकोण रहा है कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन कर सकती है। परंतु 1967 में प्रसिद्ध गोलकवास केस में न्यायालय ने यह निर्णय दिया कि संसद मौलिक अधिकारों में संशोधन नहीं कर सकती जिससे कार्यपालिका व न्यायपालिका में टकराव बढ़ गया। सरकार ने इस निर्णय के प्रभाव को समाप्त करने के लिए सविधान में कुछ संशोधन किये जिनको फिर 1973 में केशवानंद केस में चुनौती दी गयी। सर्वोच्च न्यायालय में इस केस के निर्णय में निश्चित किया गया कि संसद संविधान के किसी भी भाग में संशोधन कर सकती है। भले ही मौलिक अधिकार ही क्यों ना हो परंतु संसद संविधान की मूल रचना को नहीं बदल सकी। इस प्रकार से कार्यपालिका व न्यायपालिका में टकराव चलता रहा। आपातकालीन स्थिति में 42वां संविधान संशोधन कर न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार में कमी कर दी गयी।

Q.3. आपातकाल स्थिति की घोषणा के कौन से प्रमुख आर्थिक एवं राजनीतिक कारण थे?
Ans: आपातकाल स्थिति की घोषणा के प्रमुख आर्थिक व राजनीतिक कारण निम्न थे – आर्थिक कारण – (i)1971 की बंगलादेश की लड़ाई का आर्थिक बोझ।
(ii) बंगलादेश के शरणार्थियों का आर्थिक बोझ।
(iii) 1971 की लड़ाई में कैदियों पर लंबे समय तक किये गये खर्च का आर्थिक बोझ।
(iv) मानसून की विफलता।
(v) 1974 का खाद्यान्न संकट।
(vi) आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि।

राजनीतिक कारण –
(i)गुजरात आंदोलन।
(ii) बिहार में विद्यार्थी आंदोलन।
(iii) चुनी हुई सरकारों के खिलाफ आंदोलन।
(iv) गुजरात में आंदोलन का मोरारजी देसाई का नेतृत्व।
(v) जयप्रकाश नारायण का नेतृत्व व उनके द्वारा संसद मार्च।
(vi) देश के अनेक हिस्सों में कानून व व्यवस्था का खराब होना।
(vii) देश की एकता व अखंडता को खतरा।

Q.4. देश में आपातकालीन स्थिति की घोषणा के प्रमुख कारण क्या थे?
Ans: देश में आपातकाल स्थिति की प्रमुख घोषणा निम्न प्रकार के है –
(i) आंतरिक गड़बड़ी,
(ii) पुलिस व सैनिकों में बगावत का डर,
(iii) देश की एकता एवं अखंडता को खतरा,
(iv)आर्थिक संकट,
(v) राजनैतिक अस्थिरता का डर,
(vi) राज्यों में कानून व्यवस्था का खराब होना,
(vii) चुनी हुई सरकारों के खिलाफ आंदोलन,
(viii) प्रशासन का ठप्प होना,
(ix) अराजकता का स्थिति,
(x) हिंसा का माहौल।

Q.5. आपात स्थिति लागू होने के क्या परिणाम थे?
Ans: देश में 25 जून, 1975 को आपात स्थिति की घोषणा की गई थी। आपातकाल की स्थिति के निम्न परिणाम सामने आये-
(i) मौलिक अधिकारों का हनन होना (स्थगन होना),
(ii) संविधान का संघीय स्वरूप समाप्त हो जाता है। देश की सभी शक्तियां केंद्र के पास आ जाती है। इस प्रकार से संविधान एकात्मक हो जाता है।
(iii) केंद्र सरकार की शक्तियां बढ़ जाती है।
(iv) देश का प्रजातंत्रीय स्वरूप प्रभावित होता है।
(v) प्रेस पर पाबंदियां लगा दी गयी।
(vi) सभी दलों के प्रमुख नेताओं को जेल में डाल दिया गया।
(vii) न्यायालय की शक्तियां कम कर दी गई।
(viii)संसद का कार्यकाल बढ़ा दिया गया।
(ix) लोगों की स्वतंत्रता समाप्त हो गई।
(x) संविधान में व्यापक संशोधन किये गये।
(xi)राष्ट्रपति की स्थिति कमजोर कर दी गई।
(xii) देश में एक प्रकार से आतंक का माहौल पैदा हो गया।

Q.6. 42 वें संविधान संशोधन की मुख्य विशेषताएं बताइये।
Ans: संविधान में 42वां संशोधन 1976 में किया गया। उस समय देश में आपातकाल की स्थिति थी। इस संविधान संशोधन में बड़े पैमाने पर परिवर्तन कर दिये। अतः इसे लघु

संविधान भी कहा जाता है। इसमें निम्न मुख्य प्रावधान थे –
(i) संविधान की प्रस्तावना में संशोधन कर दो नये शब्द जोड़े गये – एक समाजवाद व दूसरा धर्मनिरपेक्ष।
(ii) लोकसभा व राज्यसभा विधानसभाओं के कार्यकाल 5 वर्ष की जगह 6 वर्ष कर दिये गये।
(iii) राज्य की नीति के निर्देशक तत्वों को मौलिक अधिकारों के स्थान पर अधिक प्राथमिकता की व्यवस्था कर दी गयी।
(iv) राष्ट्रपति को मंत्रिमंडल की सलाह मानने के लिए बाध्य कर दिया।
(v) न्यायपालिका की शक्तियों व क्षेत्राधिकार में कमी कर दी गई।
(vi) नागरिकों की स्वतंत्रताओ में कमी की गई।
(vii) समवर्ती सूची में नये विषयों को जोड़ा गया।
(viii) कई राज्यो के विषयों को केंद्र सूची में शामिल कर दिया।
(ix) प्रेस की स्वतंत्रता को प्रभावित किया।
(x) केंद्र व प्रांतों के संबंधों को प्रभावित किया।

Q.7. जनता पार्टी के उदय व 1977 के चुनाव में जनता पार्टी की सफलता पर प्रकाश डालिए।
Ans: आपातकाल की स्थिति में सभी दलों के प्रमुख नेताओं को जेल में डाल दिया गया। यहां तक कि जयप्रकाश नारायण व आचार्य कृपलानी को भी जेल में डाल दिया गया। 1977 में संसदीय चुनावों की घोषणा की गई। सभी विरोधी दलों के नेताओं ने इस चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ एकजुट होकर चुनाव लड़ने का निर्णय किया। इसके लिए सभी दलों ने वैचारिक मतभेद भुलाकर जनता पार्टी का गठन किया। इसमें सोशलिटी पार्टी, कांग्रेस ओल्ड, भारतीय जनसंघ पार्टी व भारतीय लोक दल शामिल थे। बाद में बाबू जगजीवन राम की कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी ने भी जनता पार्टी में विलय कर लिया। जनता पार्टी ही कांग्रेस के खिलाफ मुख्य विरोधी दल था।
12977 के चुनाव में जनता पार्टी को भारी सफलता मिली। 543 में से 352 सीट प्राप्त कर जनता पार्टी ने केंद्र में प्रथम गैर – कांग्रेसी सरकार बनाई।

Q.8. शाह आयोग की नियुक्ति का क्या उद्देश्य था?
Ans: आपातकाल की स्थिति के समाप्त होने के साथ-साथ लोकसभा के चुनाव भी 1977 में कराये गये जिसमें जनता पार्टी ने चुनाव जीत व सरकार बनाई। कांग्रेस को इस चुनाव में आपातकाल की स्थिति की ज्यादातियों की सजा भुगतनी पड़ी। यहां तक कि श्रीमती इंदिरा गांधी व उनके प्रमुख मंत्री चुनाव हार गये।
जनता पार्टी ने सरकार बनाने के बाद आपातकाल में हुई विभिन्न ज्यादातियों को जनता के सामने लाने के लिए जस्टिस जे. सी. शाह की अध्यक्षता में मई 1977 में एक आयोग का गठन किया जिसको शाह अयोग के नाम से जाना जाता है। इसका प्रमुख कार्य 25 जून, 1975 के दिन घोषित आपातकाल के दौरान की गई। कार्यवाही तथा इस दौरान सत्ता के दुरुपयोग, अतिचार व सदाचार के विभिन्न साक्षों की जांच की, विभिन्न लोगों के बयान दर्ज किये व इस आधार पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की।

Q.9. जनता पार्टी की सरकार किस प्रकार से गिरी?
Ans: देश मे 1977 के चुनाव के बाद प्रथम गैर – कांग्रेसी सरकार का बड़े उत्साह व उम्मीद के साथ स्वागत किया गया था परंतु जल्द ही जनता को निराश का मुंह देखना पड़ा।
जनता पार्टी की सरकार बनने के समय में जनता पार्टी के घटाको में प्रधानमंत्री के पद को लेकर खींचातानी प्रारंभ हो गयी। प्रधानमंत्री के पद के लिए 3 घटकों के तीन दावेदार सामने आ गये थे – कांग्रेस ओल्ड के श्री मोरारजी देसाई, भारतीय लोकदल के चौधरी चरण सिंह व कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी के बाबू जगजीवन राम। अंत में जयप्रकाश नारायण के हस्तक्षेप से मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री व जगजीवन राम व चरण सिंह को उपप्रधानमंत्री बनाया गया।
इस प्रकार सभी घटकों में खींचातानी चलती रही।
1979 में चौधरी चरण सिंह जनता पार्टी से अलग हो गये जिससे जनता पार्टी की सरकार गिर गई व जनता पार्टी में कई विभाजन हुए।

Q.10. आपातकाल की स्थिति में न्यायपालिका की शक्तियों व क्षेत्राधिकार में क्या परिवर्तन किये गये?
Ans: आपातकाल की स्थिति में संविधान में व्यापक परिवर्तन किये गये। प्रेस व मीडिया की शक्तियों व स्वतंत्रता को भी प्रभावित किया। इसके साथ-साथ न्यायपालिका की शक्तियों व क्षेत्राधिकार में परिवर्तन कर दिया।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के संदर्भ में आपातकालीन स्थिति के संविधान में संशोधन कर यह व्यवस्था की कि सर्वोच्च न्यायालय प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, व स्पीकर के चुनाव संबंधी किसी झगड़े को सर्वोच्च न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार से बाहर कर दिया। 42 वें संविधान संशोधन में व्यापक परिवर्तन किए गये। सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालयो के क्षेत्राधिकार कम कर दिये गये। सर्वोच्च न्यायालय अब कई राज्यों के विषयो से संबंधित झगड़े नहीं सुन सकती थी। इस प्रकार से आपातकालीन स्थिति में न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार में व्यापक परिवर्तन किया गया।

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