Pariyojna Karya: Sociology class 12 Chapter 7 Pariyojna Karya important questions answers padhiye. Jharkhand Pathshala par class 12 ke Sociology ke sabhi chapters ke solutions diye hai. Sociology NCERT Solutions for class 12 of all chapters. pariyojna karya in hindi.
pariyojna karya ke liye sujhav: अति लघु स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1.प्रोजेक्ट क्या है?
Ans: बेलार्ड (Ballard) के अनुसार, “प्रोजेक्ट वास्तविक जीवन का एक भाग है जिसका प्रयोग विद्यालय में किया जाता है।”
Q.2.प्रोजेक्ट कार्य का लक्ष्य क्या होता है? Pariyojna Karya ka lakshya kya hota hai?
Ans: प्रोजेक्ट कार्य का लक्ष्य उपयोगितावादी या रचनात्मक होता है। प्रोजेक्ट कार्य से जो ज्ञान प्राप्त किया जाता है वह उपयोगी और व्यापारिक होता है। संभवत: इसी बात को दृष्टिगत रखते हुए आई.बी. वर्मा ने लिखा है “ज्ञान उपयोगी और व्यावहारिक होना चाहिए।” प्रोजेक्ट कार्य उपयोगिता को सुनिश्चित करता है क्योंकि यह बनावटी नहीं होता वरन् स्वाभाविक परिस्थितियों के अंतर्गत क्रियान्वित किया जाता है। यह अच्छे परिणाम देते हैं इसमें बर्बादी कम से कम होती है। यह बालकों को पूर्ण संतुष्टि व उपयोगी परीक्षण देता है।
Q.3.प्रोजेक्ट कार्य से क्या अभिप्राय है?
Ans: शाब्दिक दृष्टि से प्रोजेक्ट कार्य दो शब्दों प्रोजेक्ट + कार्य से मिलकर बना है, प्रोजेक्ट का अर्थ योजना से और कार्य का अभिप्राय कार्यप्रणाली या विधि से है। इस प्रकार प्रोजेक्ट कार्य का अभिप्राय योजना की कार्यप्रणाली से हैं।
Q.4.प्रोजेक्ट कार्य के आयोजन के चार चरण लिखे।
Ans: प्रोजेक्ट कार्य के आयोजन के चार चरण इस प्रकार हैं – (i) समस्या का चुनाव। (ii) प्रोजेक्ट बनाने वाले की रुचि का विषय चुनना। (iii) विषय का साधन सीमा के अंतर्गत होना। (iv) समस्या की उपयोगिता के बारे में निश्चित होना।
Q.5.प्रोजेक्ट कार्य के गुण लिखिए।
Ans: (i) मनोवैज्ञानिक संतुष्टि। (ii) आत्मविश्वास का अवसर। (iii) विकास का समान अवसर। (iv) व्यावहारिकता। (v) सामाजिक भावना का विकास।
Q.6.प्रोजेक्ट कार्य कब सफल हो सकता है?
Ans: किसी प्रोजेक्ट कार्य की योजना, संगठन तथा संचालन किसी व्यापार को चलाने के समान है, जिसमें तकनीकी ज्ञान एवं कार्यकुशलता की आवश्यकता होती है।
Q.7.प्रोजेक्ट कार्य के दो गुण बताएं।
Ans: (i) मनोवैज्ञानिक संतुष्टि, (ii) सामाजिक भावना का विकास।
Q.8.नियोजन किसे कहते हैं?
Ans:नियोजन किसी निश्चित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए साधनों की वह व्यवस्था है, जिसके आधार पर एक निश्चित अवधि में समाज द्वारा मान्यता प्राप्त लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सके।
Q.9.प्रोजेक्ट कार्य के विभिन्न चरणों का नाम बताएं।
Ans: (i) प्रोजेक्ट कार्य / सर्वेक्षण का आयोजन।
(ii) तथ्यों / सामग्री का संकलन।
(iii) तथ्यों का विश्लेषण तथा वर्गीकरण।
Pariyojna Karya ke liye sujhav: लघु स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1.प्रोजेक्ट का अर्थ लिखिए।
Ans:प्रोजेक्ट का अर्थ –
(i) स्टीवेंसन (prof. Stevenson) : “प्रोजेक्ट एक समस्यामूलक कार्य है जो अपनी स्वाभाविक परिस्थितियों में पूर्णता को प्राप्त करता है।”
(ii) किलपैट्रिक (kilpatrick) : “प्रोजेक्ट वह सह्रदय उद्देश्यपूर्ण कार्य है जो पूर्ण संलग्नता से सामाजिक वातावरण में किया जाता है।”
(iii) बैलार्ड (Ballard) : “प्रोजेक्ट वास्तविक जीवन का एक भाग है जिसका प्रयोग विद्यालय में किया जाता है।”उपर्युक्त परिभाषाओ से स्पष्ट है कि प्रोजेक्ट या योजना वास्तविक सामाजिक परिवेश में ज्ञान व नवीन अनुभव प्राप्त करने का एक समस्यामूलक कार्य है। इसका मूल उद्देश्य व्यावहारिक स्तर पर ज्ञान प्राप्त करना है।
Q.2.प्रोजेक्ट कार्य की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
Ans: प्रयोजनावादी विचारधारा के समर्थक श्री किलपैट्रिक (W.H. Kilpatrik) को प्रोजेक्ट विधि या प्रोजेक्ट कार्य का जन्मदाता माना जाता है। उन्होंने प्रोजेक्ट कार्य की आवश्यकता को प्रकट करते हुए लिखा है, “आधुनिक समय में विद्यालय और समाज तीव्र एवं विस्तृत तौर पर एक – दूसरे से पृथक हो गए हैं। विचार तथा कार्य दो क्षेत्रों में स्थान, समय और भेद में संबंधित हो गए हैं। विद्यालय में जो कुछ अध्ययन किया जाता है और संसार में जो कुछ हो रहा है, इन दोनों में बहुत ही कम संबंध पाया जाता है। विद्यालय में बालकों को प्रोढो के साथ सामाजिक क्रियाओं में भाग लेने का कोई अवसर प्राप्त नहीं हो पाता है, इसलिए हम चाहते हैं कि शिक्षा वास्तविक जीवन की गहराई में प्रवेश करें, केवल सामाजिक जीवन में ही नहीं, वरन् उस उत्तम जीवन की जिसकी हम आकांक्षा करते हैं।” इसका आशय है कि स्कूलों में छात्र/छात्राओं को घिसे – पीटे तरीके से ज्ञान नहीं दिया जाना चाहिए वरन् उन्हें रुचियां, प्रवृत्तियों एवं आवश्यकताओं के अनुसार योजना कार्य में लगा कर ज्ञान देना चाहिए ताकि शिक्षा में सामाजिक दृष्टिकोण की उपेक्षा न हो सके।
Q.3.प्रोजेक्ट कार्य हेतु तथ्यों का संकलन किस प्रकार करते हैं?
Ans : तथ्यों का संकलन ( collection of data): तथ्यों का संकलन प्रोजेक्ट कार्य अथवा सर्वेक्षण में मुख्य कार्य हैं। सर्वेक्षणकर्ताओं को तथ्यों का संकलन सावधानी, लगन, तत्परता, सत्यनिष्ठा और परिश्रम में करना होता है। तथ्यों के संकलन को भी विभिन्न भागों में बांटा जा सकता है –
(i) सूचनादाताओं के संपर्क स्थापित करना : सूचनादाताओं से सीधे जाकर पूछताछ नहीं की जा सकती, क्योंकि सूचनादाताओं में सर्वप्रथम सर्वेक्षण के प्रति स्पष्ट विचार एवं आस्था का निर्णय करना आवश्यक है। सूचनादाताओं की हिचक निकलने के लिए यह स्थिति लाभदायक है। अंग्रेजी में इस स्थिति को “rapport”कहा जाता है।
(ii)तथ्य या सूचना संकलित करना : इस स्तर पर सर्वेक्षणकर्ता अध्ययन यंत्रों की सहायता से सूचनादाताओ से तथ्य सूचना संकलित करता है। सर्वेक्षणकर्ता को सूचनादाताओं से प्राथमिक तथ्यों को संकलित करने के अतिरिक्त संबंधित प्रकाशित रिकार्ड, पुस्तक, पत्र, डायरी आदि के माध्यम से द्वितीयक तथ्यों को भी संकलित करना चाहिए।
(iii) क्षेत्र कार्यकर्ताओं की निगरानी : समय – समय पर सूचना संकलित करने वाले प्रगणको या सर्वेक्षणकर्ताओ कि उच्च अधिकारियों द्वारा देख – रेख होती रहनी चाहिए, जिससे क्षेत्र कार्यकर्ता भावनात्मक एवं अन्य प्रभावो से बचे रहें। यथार्थ सूचनाओं के संकलन में यह कदम महत्वपूर्ण है।
Q.4.प्रोजेक्ट कार्य के गुण – दोष लिखिए।
Ans: प्रोजेक्ट कार्य के गुण –
(i) मनोवैज्ञानिक संतुष्टि प्राप्त होती है – बालको को मनोवैज्ञानिक संतुष्टि प्राप्त होती है क्योंकि इसके द्वारा ज्ञान की प्राप्ति आतंक द्वारा न होकर उनकी स्वाभाविक प्रवृत्तियों के अनुसार होती है।
(ii) आत्म – विकास का अवसर प्राप्त होता है : इसमें बच्चे स्वयं क्रियाशील होते हैं, स्वयं सोचते – विचारते हैं और आवश्यकतानुसार अध्यापकों या निर्देशकों से निर्देश लेते हैं। इस प्रकार यह कार्य बच्चों को आत्मनिर्भर बनाता है और उनमें आत्म – विश्वास जागृत करता है।
(iii) विकास का समान अवसर प्राप्त होता है : प्रोजेक्ट कार्य तीव्र, साधारण एवं मंद बुद्धि सभी बालकों को विकास के समान अवसर प्रदान करता है।
(iv) सामाजिक भावना का विकास : प्रोजेक्ट कार्य सहयोग पर आधारित होता है, परिणामस्वरूप बच्चों में सामाजिक भावना का विकास होता रहता है।
(v) चरित्र का विकास : यह कार्य बालको को दुख – दर्द में एक – दूसरे के अधिक करीब, ले आता हैं, परिणामस्वरूप धीरे-धीरे बालकों में ‘ सत्यं शिवम् सुंदरम्’ की भावना की अनुभूति होने लगती है। वस्तुत: यह भी मानवमात्रा के कल्याण का लक्ष्य है और चरित्र के विकास की उच्चतम स्थिति है।
प्रोजेक्ट कार्य के दोष : (i) अधिक धन की आवश्यकता, (ii) उचित प्रोजेक्ट को ढूंढने में असुविधा, (iii) पठन – विधि का अव्यवस्थित होना, (iv) सभी प्रकार की ज्ञान – प्राप्ति का अभाव, (v) क्रमबद्ध अध्ययन का अभाव, (vi) विद्यालय में विद्यमान वातावरण से अनुकूल करने में कठिनाई।
Pariyojna Karya ke liye sujhav: दीर्घ स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर
Q.1.प्रोजेक्ट कार्य से क्या अभिप्राय है ? प्रोजेक्ट कार्य के आयोजन के चरण लिखिए।
Ans: प्रोजेक्ट कार्य : शाब्दिक दृष्टि से प्रोजेक्ट कार्य दो शब्दों प्रोजेक्ट + कार्य से मिलकर बना है। प्रोजेक्ट का अर्थ योजना से और कार्य का आशय कार्यप्रणाली या विधि से इस प्रकार प्रोजेक्ट कार्य का अभिप्राय योजना की कार्यप्रणाली से है। वास्तव में प्रोजेक्ट कार्य की धारणा केवल शाब्दिक अर्थ से स्पष्ट नहीं हो सकती। समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से प्रोजेक्ट कार्य की धारणा पर्याप्त और व्यापक है। प्रोजेक्ट कार्य में किसी वास्तविक सामाजिक समस्या के बारे में क्षेत्र में जाकर वैज्ञानिक पद्धति के विभिन्न स्तरों का पालन करते हुए तथ्यों को एकत्रित करना होता है, तथ्यों को एकत्रित करने में क्रमबद्ध रूप से निरीक्षण, वर्गीकरण, परीक्षण, तुलना, निष्कर्षीकरण आदि के कठिन स्तरों से गुजरना होता है। सामान्य रूप से प्रोजेक्ट कार्य के लिए सामाजिक सर्वेक्षण विधि का अनुसरण किया जाता है। सामाजिक सर्वेक्षण (social survey) सामाजिक विज्ञानों की एक महत्वपूर्ण अध्यन पद्धति है।
यह सामाजिक समस्याओं के अध्ययन व समाधान का एक वैज्ञानिक साधन है। सामाजिक सर्वेक्षण के समान प्रोजेक्ट कार्य का भी अंतिम लक्ष्य उपयोगितावादी या रचनात्मक है। प्रोजेक्ट कार्य से जो ज्ञान प्राप्त किया जाता है वह उपयोगी व व्यवहारिक होता है। संभवतया इसी बात को स्पष्ट करते हुए श्री आई .बी. वर्मा ने लिखा है, “ज्ञान उपयोगी व व्यवहारिक होना चाहिए। प्रोजेक्ट कार्य इस उपयोगिता को सुनिश्चित करता है क्योंकि यह बनावटी नहीं होता वरन् स्वाभाविक परिस्थितियों के अंतर्गत क्रियान्वित किया जाता है। यह अच्छे परिणाम देता है और इसमें बर्बादी कम – से – कम होती है। यह बालकों को पूर्ण संतुष्टी व उपयोगी प्रशिक्षण देता है। उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि प्रोजेक्ट कार्य के अंतर्गत किसी वास्तविक सामाजिक समस्या का समाजशास्त्र के विद्यार्थियों अथवा सर्वेक्षणकर्ताओं द्वारा क्षेत्र में जाकर अध्यापक महोदय अथवा विशेषज्ञों के निर्देशन में सर्वेक्षण किया जाता है और इस प्रक्रिया में सर्वेक्षण या प्रोजेक्ट कार्य के आयोजन से लेकर सामग्री, विश्लेषण व निर्वाचन, तथ्यों के प्रदर्शन और रिपोर्ट की तैयारी तक के सभी स्तरों से क्रमबद्ध रूप से गुजरना होता है। इस प्रकार अंत में प्रोजेक्ट कार्य की रिपोर्ट भी विद्यार्थियों द्वारा अध्यापक महोदय के निर्देशन में तैयार की जाती है। चूंकि प्रोजेक्ट कार्य के स्वयं के क्षेत्र कार्य का परिणाम है, इसलिए उन्हें व्यवहारिक स्तर पर समाज के बदलते हुए परिवेश व समस्याओं के आयाम के बारे में वास्तविक जानकारी प्राप्त होती है।
(i) सर्वेक्षण अथवा प्रोजेक्ट कार्य का आयोजन : प्रोजेक्ट कार्य या सर्वेक्षण के आयोजन को निम्नलिखित चरणों में विभाजित किया जा सकता है –
(क) समस्या का चयन : किसी भी सर्वेक्षण के आयोजन में समस्या का चयन या चुनाव करते समय निम्न बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए –
(a) सर्वेक्षणकर्ता की रुचि का विषय चयनित किया जाए, जिससे वह अधिक लगन व परिश्रम से कार्य कर सके।
(b) सर्वेक्षण के संबंध में थोड़ा-बहुत पूर्व ज्ञान वाला विषय सर्वेक्षण को निश्चित ढंग से आयोजित करने में सहायक प्रमाणित होता है। (c) विषय का साधन सीमा के अंतर्गत होना भी आवश्यक है जिससे यथार्थ रूप से सर्वेक्षण संभव हो सके।
(d) विषय या समस्या का चयन करते हुए उसकी उपयोगिता के विषय में भी निश्चित होना आवश्यक है ताकि वांछित सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति हो सके।
(ii) उद्देश्य निश्चित करना : आयोजन में दूसरा चरण उद्देश्य का निर्धारण है। उद्देश्य का निर्धारण हो जाने पर सर्वेक्षण की प्ररचना बनाने में सरलता रहती है। वास्तव में उद्देश्य के निश्चित हो जाने पर अध्ययन – उपकरणों, पद्धतियों आदि के विषय में सफलतापूर्वक निर्णय लिया जा सकता है।
(iii) सर्वेक्षण का संगठन : समस्या और उद्देश्य के निर्धारण के पश्चात यह भी आवश्यक है कि सर्वेक्षण योजना के लिए एक उचित संगठन हो। इस दृष्टि से प्रायः एक सर्वेक्षण समिति का आयोजन किया जाता है। इस समिति में सर्वेक्षण निर्देशक, प्रमुख सर्वेक्षण आदि प्रतिनिधि होते हैं। वास्तव में, इस संगठन का उद्देश्य क्षेत्र कार्य में सुगमता, एकरूपता एवं सामाजिक सुधारों से संबंधित क्रियाओं को अधिक संभव बनाना है।
Pariyojna Karya Sociology Class 12 Chapter 7
Q.2.प्रोजेक्ट कार्य में तथ्यों का विश्लेषण, निर्वचन एवं प्रदर्शन की विधि लिखिए
Ans: तथ्यों का विश्लेषण एवं निर्वचन : तथ्यों या सामग्री के विश्लेषण व निर्वाचन के निम्नलिखित चरण है –
(i) तथ्यों की सार्थकता की जांच : इनमें कुछ कसौटीयों के आधार पर तथ्यों की सार्थकता की जांच की जाती है।(ii) तथ्यों का संपादन : संपादन – कार्य के अंतर्गत निम्नलिखित कार्यों का समावेश रहता है –
(a) तथ्यों को व्यवस्थित रूप में सजाना जिससे यह पता चल सके कि किन स्रोतों से अभी सूचना प्राप्त करनी शेष है।
(b) उत्तरो की जांच करना : इसमें उत्तर भरने एवं अन्य भूलों का पता लगाया जाता है।
(c) अनावश्यक तथ्यों को हटाने का कार्य : इसके द्वारा अवांछित तथ्यों को हटा दिया जाता है।
(d) कोड नंबर का डालना : समय की बचत करने के लिए एक जैसी तथ्यों को किसी संख्या द्वारा व्यक्त कर दिया जाता है, ताकि वर्गीकरण में सुविधा हो।
(iii) तथ्यों का वर्गीकरण व सारणीयन : संपादन – कार्य के पश्चात तथ्यों को समानताओ व विभिन्नताओं के आधार पर विभिन्न वर्गो या समूहों में बांट दिया जाता है और इस प्रकार संपूर्ण संकलित सामग्री को संक्षिप्त रूप प्रदान कर दिया जाता है। इस वर्गीकृत सामग्री को अधिक समझने योग्य बनाने के लिए सारणीयन किया जाता है। वास्तव में, संख्यात्मक तालिकाओं के रूप में संक्षिप्त करना ही सारणीयन है।
(iv) तथ्यों का विश्लेषण व सामान्यीकारण : विभिन्न तथ्यों की तुलना और उनमें पाये जाने वाले परस्पर संबंधों के आधार पर कुछ सामान्य निष्कर्षों को निकाला जाता है। सामान्य निष्कर्षों को निकालना ही सामान्यीकरण कहलाता है।
(v) तथ्यों का प्रदर्शन : तथ्यों के प्रदर्शन को भी दो भागों में विभाजित किया जा सकता है –
(a) तथ्यों का चित्रमय प्रदर्शन : तथ्यों को बोधगम्म व सुगम रूप से प्रकट करने के लिए तथ्यों को चित्रों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। वास्तव में चित्रमय प्रदर्शन थोड़े ही समय में प्रमुख बातों को दर्शाने की एक कला है।
(b) रिपोर्ट का निर्माण का प्रकाशन : सर्वेक्षण की संपूर्ण प्रक्रिया में रिपोर्ट का निर्माण करना और उसे प्रकाशित करना अंतिम चरण है। रिपोर्ट को तैयार करते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान रखा जाना चाहिए –
(क) भाषा व विचारों की सरलता,
(ख) तार्किक क्रम में तथ्यों का प्रस्तुतीकरण,
(ग) तथ्यों की पुनरावृति न हो,
(घ) तालिकाएं, चित्र आदि संबंधित सामग्री के पास होनी चाहिए। निर्माण के पश्चात रिपोर्ट को प्रकाशित कर दिया जाता है।