Raja Kishan aur Nagar: राजा, किसान और नगर (आरम्भिक राज्य और अर्थव्यवस्था) लगभग 600 ईo पूo से 600 ईo तक का इतिहास और इससे सबंधित प्रश्न उत्तर। कक्षा 12 की अध्याय 2 का सम्पूर्ण समाधान यहाँ पढ़े। Raja Kishan aur Nagar
परिचय: Raja Kishan aur Nagar
Raja Kishan aur Nagar: पिछले अध्याय में हमने पढ़ा हड़प्पा सभ्यता के बारे में। इस अध्याय में हम जानेंगे हड़प्पा सभ्यता के हजारों वर्ष बाद उपमहाद्वीपों में कई प्रकार के विकास हुए। इस पाठ में हम जिस समय के पढ़ेंगे उसके समय और हङप्पा के समय के बिच वैदिक काल का समय था जिसके बारे में हम थोड़ा ही जानेगें। 1500 ई. पू. से 600 ई. पू तक को वैदिक काल कहा जाता है। वैदिक काल को दो भागो में बाटा गया है गया है। 1500 ई. पू से 1000 ई. पू तक ऋग्वैदिक क्योंकि इस काल में ऋग्वेद की रचना हुयी थी। 1000 ई. पू से 600 ई. पू तक उत्तर वैदिक काल के नाम जाना जाता है। इस काल में बाकि तीन वेदों सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद की रचना हुयी थी। इस अध्याय में हम वैदिक काल के बाद के बारे में जानेगें। इस समय तक आते-आते कई नगरों का विकास हो चूका था विषेकर भारत जैसे उपमहाद्वीप में 16 महाजनपदों का विकास हुआ था। इसमें सबसे शक्तिशाली महाजनपद मगध थी। इस अध्याय में हमलोग मगध के प्रशिद्ध शासकों, किसान और शासन व्यवस्था के बारे में विशेष ध्यान देंगे। Raja Kishan aur Nagar
महत्वपूर्ण तथ्य
*1830 में सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि को पढ़ने में सफलता हासिल की जिससे सम्राट अशोक के अभिलेखों का पता चला।
*छठी शताब्दी ई. पू को एक महत्वपूर्ण क्रांतिकारी काल माना जाता है। इसका कारन आरंभिक राज्यों व नगरों का विकास, लोहे के बढ़ाते प्रयोग और सिक्कों का प्रचलन है।
*इस काल में 16 महाजनपदों का उदय हुआ जो इस प्रकार है – कशी, कौशल, अंग, चेदि, वत्स, कुरु, पांचाल, मत्स्य, सूरसेन, अश्मक, अवंति, गांधार, कम्बोज, वज्जि, मल्ल और मगध।
*सबसे शक्तिशाली जनपद मगध थी। कारण अधिक उपजाऊ भूमि, लोहे की खदानें, नदियों द्वारा यातायात के साधन, योग्य शासक इत्यादि।
*बौद्ध ग्रंथो के अनुसार अशोक सर्वाधिक प्रशिद्ध शासक था।
*मौर्य साम्राज्य की जानकारी के स्रोत है- मेगस्थनीज की इंडिका, कौटिल्य का अर्थशास्त्र, जैन और बौद्ध साहित्य, पौराणिक ग्रंथ, अभिलेख, सिक्के अदि।
*मर्या साम्राज्य के पाँच प्रमुख राजनितिक केंद्र थे- राजधानी पाटलिपुत्र और चार प्रान्त- तक्षशिला, उज्जयनी, तोसलि और सुवर्णगिरि।
*मेगस्थनीज के अनुसार इनके सैनिक गतिविधियों के संचालन हेतु एक समिति और छः उपसमितियां थी। जिनके कार्य थे नौसेना का, यातायात और खान-पान का, पैदल सैनिकों का, अश्वारोहियों का, राथरोहियों तथा हाथियों का संचालन करना।
*चौथी शताब्दी ई. में गुप्त साम्राज्य का उदय हुआ। सामंतवाद का उदय संभवतः काल में माना जाता है।
*गुप्तकालीन इतिहास के जानकारी के स्रोत है- अभिलेख, सिक्के और साहित्य, हरिषेण की प्रयाग प्रसस्ति इत्यादि।
*छठी शताब्दी ई. पू से उपज को बढ़ाने के लिए लोहे के फाल वाले हलों का प्रयोग किया जाने लगा।
*द्वितीय शताब्दी के कई नगरों से छोटे दानात्मक अभिलेखों से विभिन्न व्यवसायों की जानकारी जैसे – धोबी, बुनकर, लिपिक, बढ़ई, कुम्हार, स्वर्णकार, लोहार, धार्मिक गुरु तथा व्यापारी अदि मिलते है।
*छठी शताब्दी ई.पू. से उपमहाद्वीपों में नदी मार्गों तथा भूमार्गों का जाल कई दिशाओं में फैला था। अरब सागर से उ. अफ्रीका तथा पक्षिमी ऐसिया तक और बंगाल की खाड़ी से चीन और दक्षिण पूर्व ऐसिया तक थी।
*अभिलेख साक्ष्य इतिहास के प्रमुख स्रोत है। अभिलेख शास्त्रियों द्वारा अभिलेखों के अध्ययन से बीते काल की भाषा, राजाओं के नाम, तिथि, संदेस अदि की महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करते है।
*कुषाण शासकों ने स्वयं को देव तुल्य प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने नाम के आगे “देवपुत्र’ उपाधि भी धारण की। संभवतः वे चीन के शासकों से प्रेरित थे, जो स्वयं को स्वर्ग पुत्र कहते थे।
*कुषाण शासकों के राजधर्म जानने के सर्वोत्तम प्रमाण उनके सिक्के और मूर्तियां है।
Raja Kishan aur Nagar: MCQ Questions
1 बंगाल एशियाटिक सोसाइटी की स्थापना किस वर्ष हुयी थी?
(a) 1775 में
(b) 1784 में
(c) 1884 में
(d) 1885 में
उत्तर- 1784
2 किस बौद्ध ग्रन्थ में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है?
(a) भगवती सूत्र
(b) विनय पीटक
(c) अगुन्तर निकाय
(d) अभिधम पीटक
उत्तर- अगुन्तर निकाय
3 किस जैन ग्रन्थ में 16 महाजनपदों का उल्लेख मिलता है?
(a) भगवती सूत्र
(b) अगुन्तर निकाय
(c) विनय पीटक
(d) महावीर उपदेश
उत्तर- भगवती सूत्र
4 हर्यक वंश का संस्थापक कौन था?
(a) कालाशोक
(b) बिम्बिसार
(c) बिन्दुसार
(d) घटोत्कच
उत्तर- बिम्बिसार
5 पाटलिपुत्र नगर की स्थापना किसने की थी?
(a) अशोक
(b) चन्द्रगुप्त मोर्य
(c) उदयिन
(d) कुमारगुप्त
उत्तर- उदयिन
6 किन नदियों के संगम पर पाटलिपुत्र स्थित है?
(a) गंगा, व्यास, पुनपुन
(b) गंगा, सतलज, पुनपुन
(c) गंगा, सोन, रावी
(d) गंगा , सोन, पुनपुन
उत्तर- गंगा , सोन, पुनपुन
7 मौर्य वंश का संस्थापक कौन था?
(a) चन्द्रगुप्त द्वितीय
(b) चंद्रगुप्त मौर्य
(c) अशोक
(d) बिन्दुसार
उत्तर- चंद्रगुप्त मौर्य
8 किस अभिलेश से अशोक द्वारा कलिंग विजय की जानकारी मिलती है?
(a) 13 वें शिलालेख
(b) 10 वें शिलालेख
(c) 11 वें शिलालेख
(d) 10 वें शिलालेख
उत्तर- 13 वें शिलालेख
9 अशोक के पिता, पुत्र, पत्नी एवं पुत्री का नाम था?
(a) पिता- चन्द्रगुप्त मोर्य, पुत्र- महेंद्र, पुत्री- संघमित्रा, पत्नी- देवी
(b) पिता- बिन्दुसार, पुत्र- महेंद्र, पुत्री- अनोज्य, पत्नी- देवी
(c) पिता- बिन्दुसार, पुत्र- महेंद्र, पुत्री- संघमित्रा, पत्नी- देवी
(d) पिता- बिन्दुसार, पुत्र- महेंद्र, पुत्री- संघमित्रा, पत्नी- दुधरा
उत्तर- पिता- बिन्दुसार, पुत्र- महेंद्र, पुत्री- संघमित्रा, पत्नी- देवी
10 अशोक के अभिलेख को सर्वप्रथम किसने पढ़ा?
(a) जेम्स प्रिंसेप
(b) टिफ़ेन्थेलर
(c) मधावस्वरूप वत्स
(d) पिंगले
उत्तर- जेम्स प्रिंसेप
11 अशोक के अभिलेख को सर्वप्रथम किसने खोजा?
(a) जेम्स प्रिन्सेप
(b) टिफ़ेन्थेलर
(c) मार्शल
(d) आर. सी. राव
उत्तर- टिफ़ेन्थेलर
12 चीन के महादीवार का निर्माण किसने करवाया था?
(a) चंगेज खां
(b) कड्फिसस
(c) शी-ह्वांग-ती
(d) सी-यूँ-के
उत्तर- शी-ह्वांग-ती
13 भारत में सतीप्रथा का प्रथम साक्ष कहाँ से मिलता है?
(a) अशोक के 13 वाँ शिलालेख से
(b) भानुगुप्त का एरण अभिलेख से
(c) चाणक्य के अर्थशास्त्र से
(d) हरिसेन की प्रयाग प्रसस्ती से
उत्तर- भानुगुप्त का एरण अभिलेख से
14 किस देश की युवतियाँ भारतीय मलमल की दीवानी थी?
(a) रोम
(b) इंग्लैंड
(c) इटली
(d) चीन
उत्तर- रोम
15 फुट डालकर विजय प्राप्त करने का कार्य सर्वप्रथम किस राजा ने किया?
(a) बिम्बिसार
(b) अशोक
(c) अजातशत्रु
(d) कनिष्क
उत्तर- अजातशत्रु
16 अनपे स्वयं के खर्चें से सुदर्शन झील की मरम्मत किसने कराई?
(a) रामगुप्त
(b) चन्द्रगुप्त मोर्य
(c) स्कंदगुप्त
(d) कृष्ण देवराय
उत्तर- स्कंदगुप्त
17 समस्त भारत में ही नहीं एशिया या यूरोप में सर्वप्रथम हूणों को परास्त करने का श्रेय किस शासक को जाता है?
(a) धनानंद
(b) स्कंदगुप्त
(c) चन्द्रगुप्त मोर्य
(d) विक्रमादित्य
उत्तर- स्कंदगुप्त
18 यूरोप का समुद्रगुप्त कौन था?
(a) सिकंदर
(b) नेपोलियन
(c) लुई प्रथम
(d) लुई 14वाँ
उत्तर- नेपोलियन
19 भारत का नेपोलियन किसे कहा जाता है?
(a) समुद्रगुप्त को
(b) स्कंद्गुप्त को
(c) अकबर को
(d) अशोक को
उत्तर- समुद्रगुप्त को
20 इण्डिका की रचना किसने की?
(a) कोटिल्य
(b) बाणभट्ट
(c) मेगस्थनीज
(d) विशाखदत्त
उत्तर- मेगस्थनीज
21 प्रयाग प्रशस्ति की रचना किसने की?
(a) वरामिहिर
(b) हरिषेण
(c) अबुल फ़जल
(d) आर्यभट्ट
22 भारतीय इतिहास का कौन-सा काल स्वर्णकाल के नाम से जाना जाता है?
(a) गुप्तकाल
(b) मोर्यकाल
(c) मुग़लकाल
(d) कुषाण काल
उत्तर- गुप्तकाल
23 अशोक किस वंश का शासक था?
(a) गुप्ता
(b) मौर्य
(c) शुंग
(d) नन्द
उत्तर- मौर्य
24 कौटिल्य के पुस्तक का नाम क्या है?
(a) इंडिका
(b) पंचतंत्रा
(c) मुद्राराक्षस
(d) अर्थशास्त्र
उत्तर- अर्थशास्त्र
25 मैगस्थनीज भारत में किसके दरबार में आया था?
(a) कृष्ण देवराय द्वितीय
(b) समुद्रगुप्त
(c) चन्द्रगुप्त मौर्य
(d) अशोक
उत्तर- चन्द्रगुप्त मौर्य
26 मगध की राजधानी कहाँ थी?
(a) कनिष्कपुर
(b) वाराणसी
(c) पाटलिपुत्र
(d) कलिंद
उत्तर- पाटलिपुत्र
27 पटना का प्राचीन नाम क्या है?
(a) पाटन
(b) पाटलिपुत्र
(c) वैशाली
(d) सुवर्णगिरि
उत्तर- पाटलिपुत्र
28 मगध की प्राचीन राजधानी कहाँ थी?
(a) वैशाली
(b) तक्षशिला
(c) पाटलिपुत्र
(d) राजगृह
उत्तर- राजगृह
29 मोर्य वंश का तृतीयक शासक कौन था?
(a) बिन्दुसार
(b) महेंद्र
(c) अशोक
(d) वृद्रथ
उत्तर- अशोक
30 किस शासक ने वैवाहिक संबंध स्थापित कर अपने शासन क्षेत्र को सुरक्षित किया?
(a) बिन्दुसार
(b) बिम्बिसार
(c) अशोक
(d) विक्रमादित्य
उत्तर- बिम्बिसार
महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर: Raja Kishan aur Nagar
प्रश्न:- मौर्य इतिहास को जानने के प्रमुख स्रोतों का वर्णन करे।
उत्तर:- कौटिल्य का अर्थशास्त्र, मैगस्थनीज का इंडिका, विष्णुपुराण, विशाखदत्त का मुद्राराक्षस तथा अशोक के अभिलेख आदि मौर्यकालीन इतिहास के प्रमुख स्रोत है।
प्रश्न:- गुप्तकालीन इतिहास को जानने के प्रमुख स्रोतों का वर्णन करे।
उत्तर:- कालिदास का रघुवंश, शूद्रक के मृच्छकटिकम, वायुपुराण, विशाखदत्त का देवी चंद्रगुप्तम और गुप्तकालीन अभिलेख आदि गुप्तकाल के इतिहास को जानने के प्रमुख स्रोत है।
प्रश्न:- अभिलेख क्या है? इसके का क्या महत्व है?
उत्तर:- अभिलेख उन लेखों को कहाँ जाता है जो स्तम्भों, चट्टानों, गुफाओं, ताम्रपत्रों और पत्थरों की चौड़ी पट्टियों पर तत्कालीन शासकों का सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक व् धार्मिक जानकारियों को शासकों अथवा राजा-महाराजाओं द्वारा लिखवाये जाते थे। अभिलेखों के अध्ययन को पुरालेखाशास्त्र कहते है। अभिलेख समकालीन समय की सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक तथा धार्मिक इतिहास को जानने का प्रमुख तथा प्रामाणिक स्रोत है। भण्डारकर महोदय ने मात्र अभिलेखों के आधार पर सम्राट अशोक के इतिहास को लिखने का श्लाध्य प्रयास किया है।
प्रश्न:- कलिंग युद्ध का अशोक पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर:- अशोक के 13वें शिलालेख के अनुसार अशोक अपने राज्य अभिषेक के 8वें वर्ष 261 ई. पू. कलिंग का युद्ध लड़ा। इस युद्ध का अशोक पर गहरा असर पड़ा:
1. इस युद्ध के विनाश को देखकर अशोक इतना विचलित हुआ की उसने युद्ध का मार्ग सदा के लिए त्याग दिया और धर्म विजय का मार्ग अपना लिया
2. अशोक अब बौद्ध धर्म का अनुयायी हो गया और इस धर्म को छोटे से मत से एक वैश्विक धर्म बना दिया।
प्रश्न:- अशोक के अभिलेखों का क्या महत्व है?
उत्तर:- यद्धपि मौर्य के इतिहास को जानने के लिए मौर्यकालीन पुरातात्विक प्रमाण जैसे मूर्ति, कलाकृतियाँ, चाणक्य का अर्थशास्त्र, मैगस्थनीज का इंडिका, बौद्ध और जैन साहित्य एवं पौराणिक ग्रन्थ आदि बड़े उपयोगी है लेकिन पत्थरों एवं स्तम्भों पर मिले अशोक के अभिलेख प्रायः सबसे मूल्यवान स्रोत मने जाते है।
अशोक वह पहला सम्राट था, जिसने अपने अधिकारीयों और प्रजा के लिए संदेश प्राकृतिक पत्थरों और पॉलिश किये हुए स्तम्भों पर लिखवाये थे। अशोक ने अपने अभिलेखों के माध्यम से धम्म का प्रसार किया। इसमें अपने बड़ों के प्रति आदर, सन्यासियों और ब्राह्मणों के प्रति उदारता, सेवकों और दासों के साथ उदार व्यवहार तथा दूसरे के धर्मों के परम्पराओं का आदर शामिल है। अशोक का अभिलेख इतिहासकारों के लिए एक इतना महत्वपूर्ण है की भण्डारकर महोदय ने मात्र अभिलेखों के आधार पर सम्राट अशोक के इतिहास को लिखने का श्लाध्य प्रयास किया है।
प्रश्न:- समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है। क्यों?
उत्तर:- समुद्रगुप्त ने मगध राज्य को शक्तिशाली बनाकर तथा छोटे-छोटे राज्यों को जीतकर देश के राजनीतिक एकता की गणना की। समुद्रगुप्त की महान सैनिक सफलताओं के कारन डॉ. वी. ऐ. स्मिथ ने उसे भारत का नेपोलियन कहा। जिस प्रकार नेपोलियन ने लगभग सारे यूरोप को जीता। उसी प्रकार समुद्रगुप्त ने भी सारे भारत को जीता था। भारत में कोई भी शासक उसके सत्ता को चुनौती देने वाला नहीं था।
प्रश्न:- मगध के शक्तिशाली होने के प्रमुख कारणों का वर्णन करें। या, मगध के उत्थान के प्रमुख कारणों का वर्णन करें।
उत्तर:- मगध साम्राज्य के शक्तिशाली होने कई कारन थे जिनमे प्रमुख कारन निम्नलिखित थे:
1. महत्वाकांक्षी शासक- अपनी महत्वकांक्षा पूरी करने के लिए तत्कालीन शासकों ने विभिन्न ढंग अपनाये ताकि उनके राज्य का विस्तार हो सके। बिम्बिसार ने पड़ोसी प्रदेशों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित करके अपनी सीमाओं को सुरक्षित कर लिया। अजातशत्रु वैशाली और कौशल को अपनी शक्ति के बल पर हथिया लिया। महापदमनंद ने कौशल और कलिंग को हड़प लिया। साम, दण्ड, भेद सभी तरह के नीतियों का सहारा लेकर मगध का उत्थान किया गया।
2. प्राकृतिक सम्पदा – मगध में प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता थी। मगध में विशाल लोहे की खानों के कारण हथियार, उद्योग-धंधे, कृषि सम्बन्धी औजार उपलब्ध होने आसान थे। इस प्राकृतिक सम्पदा के कारन मगध राज्य का विकास करना आसान हो गया।
3. अनुकूल स्थान पर राजधानी – मगध की एक ओर तो पहाड़ियों से घिरी राजधानी राजगृह थी, तो दूसरी ओर गंगा, गंडक, और सोन के संगम पर स्थित राजधानी पाटलिपुत्र थी। इन तक आक्रमणकारी आसानी से नहीं पहुँच सकता था। प्राकृतिक सुरक्षा से परिपूर्ण ये राजधानियाँ भी मगध साम्राज्य के उत्थान का एक बड़ा कारन सिद्ध हुआ।
4. सैन्य शक्ति – मगध की सेना में हाथी, घोड़े एवं रथ थे। हाथी मगध के झारखण्ड क्षेत्र के जंगलों में प्रचुर थी। हाथी मगध की सेना को अति शक्तिशाली बनती थी। इनका प्रयोग शत्रु सेनाओं को कुचलने, किलाओं के दरवाजो को तोड़ने, दीवालों को गिराने में सहायक होती थी। हाथी का प्रयोग दुर्गम स्थानों को भी पार करने के सहायक होती थी।
5. उपजाऊ भूमि – गंगा के आसपास स्थित होने के कारन मगध राज्य में उपजाऊ भूमि की कमी नहीं थी। अतः देश की अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में कृषि का बड़ा सहयोग था। इससे राज्य में समृद्धि की लहर दौड़ गई।
प्रश्न:- अशोक के धम्म (धर्म ) के विषय में आप क्या जानते है?
उत्तर:- अशोक ने अपनी जनता के नैतिक उत्थान के लिए लोगों के सामने कुछ नैतिक नियम रखे। इन्ही नियमों के समूह हो अशोक का धम्म कहा गया। अशोक के धर्म के प्रमुख सिद्धान निम्नलिखित थे:
1. बड़ो का आदर करना अर्थात शिष्यों को अपने गुरुजनों का सम्मान करना चाहिए। सभी को ऋषियों, ब्राह्मणों तथा वृद्ध परुषों का आदर करना चाहिए।
2. अशोक के धम्म के अनुसार बड़ों तथा परिवार के सदस्यों को सम्बन्धियों, सेवकों, निर्धनों तथा दासों से अच्छा और नम्र व्यवहार करना चाहिए।
3. सभी को अच्छे कर्म करना चाहिए क्योंकि प्रत्येक मनुष्य को अपने बुरे कर्मों का फल अगले जनम में भुगतना पड़ता है।
4. अहिंसा अशोक के धम्म का मूल मंत्र था। इसके अनुसार किसी भी जिव को मन, वचन तथा कर्म से कष्ट नहीं पहुँचाना चाहिए।
5. सभी मनुष्यों को समय-समय पर अपने जीवन का विश्लेषण करना चाहिए।
6. ईर्ष्या, क्रोध, अहंकार और झूठ पाप है। अतः मनुष्य को इन पापों से दूर रहना चाहिए।
प्रश्न:- अशोक के द्वारा किये गए धम्म प्रचार हेतु उपायों का वर्णन करे।
उत्तर:- सम्राट अशोक ने कलिंग युद्ध के पश्चात युद्ध का मार्ग सदा के लिए त्याग दिया तथा धर्म विजय का मार्ग अपना लिया। अशोक बौद्ध धर्म से बहुत प्रभावित थे इस करना वह बौद्ध धर्म का अनुयायी बन गया। बौद्ध धर्म के इस छोटे से मत को सम्राट अशोक ने वैश्विक स्तर पर पहुँचाया। इस धर्म के प्रचार प्रसार के लिए अशोक ने कई उपाय किये जिनमें प्रमुख कारन निम्नलिखत है:
1. अशोक ने अपने राज्य के युक्त, रज्जुक एवं अन्य अधिकारीयों को निर्देश दिया की प्रत्येक पाँचवें वर्ष वे यात्रा पर जाये तथा धर्म का प्रचार करें और अन्य राज्य संबधी कार्य भी करे।
2. सम्राट अशोक ने बौद्ध धर्म को राज्य धर्म घोषित किया था और जीव हत्या पर प्रतिबंध भी लगाया था।
3. अशोक राज्य अभिषेक के 14 वें वर्ष धर्म महामात्रों की नियुक्ति की। इनका प्रमुख कार्य विभिन्न धार्मिक सम्प्रदायों के बिच बैर-भाव को समाप्त कर धर्म की एकता पर बल देना था।
4. अशोक ने धर्म प्रचार हेतु भारत के विभिन्न भागों में धम्म की शिक्षाओं को शिलाओं पर उत्कीर्ण करवाया।
5. अशोक ने धर्म प्रचार के लिए विदेशों में भी धर्म प्रचारक भेजे। यहाँ तक की श्रीलंका में प्रचार के लिए स्वयं के पुत्र एवं पुत्री महेंद्र और संघमित्रा को भेजा था।
6. अशोक ने इस धर्म के प्रचार-प्रसार एवं स्तूपों के निर्माण के लिए यथा शक्ति दान दिए। अशोक के कल में ही पाटलीपुरा में तृतीया बौद्ध संगीत का आयोजन हुआ था।
प्रश्न:- मौर्य साम्राज्य के नगर प्रशासन का वर्णन करे।
उत्तर:- मैगस्थनीज के अनुसार मौर्य साम्राज्य में शासन व्यवस्था बहुत ही व्यवस्थित ढंग से संचालित होती थी। विशेषकर नगरों की व्यवस्था में विशेष ध्यान दिया जाता था। नगर का शासन प्रबंध 30 सदस्यों का एक मंडल करता था। यह मंडल 6 समितियों में विभक्त होती थी। प्रत्येक समिति में 5 सदश्य होते थे। 6 समितियाँ एवं उसके प्रमुख कार्य निम्नलिखित है:
1. शिल्पकला समिति – इस समिति का कार्य होता था की नगर में हो रही शिल्प उत्पादनों को बढ़ावा देना तथा उनके कार्य बाधाओं को हटाना।
2. वैदेशिक समिति – नगर में प्रायः विदेशियों का आवागमन लगा रहता था। इनका प्रवेश का जाँच, इनकी व्यवस्था तथा सुरक्षा का दायित्व इस समिति का होता था।
3. जनसँख्या समिति – राज्य के नीति निर्माण में लिए जनसँख्या का अनुमान होना बहुत ही आवश्यक होता है। शासन संचालन में इसकी जानकारी आवश्यक होती थी। इसलिए इसके लिए अलग समिति बनायी गयी थी।
4. वाणिज्य व्यवसाय समिति -नगर में व्यापर से सम्बंधित गतिविधियों का दायित्व इस समिति का था।
5. वस्तु निरीक्षक समिति – वास्तु की गुणवत्ता एवं मापतोल की सही मात्रा आदि का निरिक्षण करना इस समिति का कार्य था।
6. कर समिति – कर वसूलना तथा कर से सम्बंधित अन्य कार्य के लिए यह समिति थी।
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प्रश्न:- मौर्य प्रशंसन के प्रमुख तत्वों की चर्चा कीजिये। या,
मौर्य प्रशासन के विषेशताओं का वर्णन करे।
उत्तर:- मौर्य साम्राज्य को इतिहास का एक प्रमुख काल माना जाता है। मौर्य प्रशासन व्यवस्थाव बहुत ही सुदृढ़ थी। मौर्य के प्रशासन की प्रमुख विशेषता निम्नलिखित है :
1. प्रमुख राजनीतिक केंद्र – मौर्य साम्राज्य के पाँच प्रमुख प्रशासनिक केंद्र थे, राजधानी पाटलिपुत्र और चार प्रांतीय केंद्र तक्षशिला, उज्जयिनी, तोसलि और सुवर्णगिरि।
2. आवागमन के साधन – साम्राज्य में भूमि और नदी दोनों प्रकार के आवागमन के साधन विद्धमान थे।
3. मार्गों पर यात्रियों की सुरक्षा आदि की व्यवस्था – विशाल साम्राज्य में राजधानी से प्रांतों में जाने के लिए काफी समय लगता था, अतः विभिन्न मार्गों पर यात्रियों के ठहराव, खान-पान एवं सुरक्षा का प्रबंध था।
4. सेना का प्रबंध – मौर्य काल में सेना का प्रबंध उच्च कोटि का था। मैगस्थनीज के अनुसार सेना का प्रबंध करने के लिए सेना की एक समिति और छः उपसमितियाँ थी, जो निम्नलिखित कार्य करती थी।
(क) नौसेना का संचालन (ख) यातायात और खान-पान का संचालन (ग) पैदल सैनिकों का संचालन (घ)अश्वरोहियों का प्रबंध व् संचालन (ड़) रथारोहियों का संचालन (च) हाथियों का संचालन।
5. धर्म महामात्रों की नियुक्ति – सम्राट अशोक ने जन साधारण का जीवन सुधरने के लिए धम्म महामात्रों की नियुक्ति की। धम्म महामात्र धम्म का प्रचार तथा विभिन्न धर्मों के बिच एकता कायम करने का कार्य करते थे।
6. मंत्रियों की नियुक्ति – मौर्य में विभिन्न प्रकार के मंत्रियों की नियुक्ति की जाती थी। उदहारण के रूप में चाणक्य चन्द्रगुप्त मौर्य का मंत्री था।
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