Economics for class 12: Jharkhand Academic Council Rachi Model Question paper class 12, 2022. These model papers have been made for practice purposes. The language of this paper is Hindi. Questions are taken from NCERT Book.
Economics for class 12 Model paper
Subject: Economics
Time: 3 Hours
Full Marks: 50
Pass marks: 33
Microeconomics: व्यष्टि अर्थशास्त्र : 50 Marks
Group-A: Multitple Choice Type Questions: 1×5 = 5
Q.1. प्रिंसिपल ऑफ इकोनॉमिक्स के लेखक-
a. मार्शल ✓
b. रॉबिंस
c. एडम स्मिथ
d. इनमें से कोई नहीं
Q.2. अर्थशास्त्र को समष्टि व्यष्टि अर्थशास्त्र में किसने विभाजित किया?
a. रेगनल फ्रिश✓
b. एडम स्मिथ
c. रॉबिंस
d. इनमें से कोई नहीं
Q.3. एक अतिरिक्त इकाई के विक्रय से प्राप्त आगाम को कहते हैं-
a. औसत आगम
b. सीमांत आगम✓
c. कुल आगम
d. इनमें से कोई नहीं
Q.4. उत्पादन करता के स्वयं साधनों का मूल्य क्या कहलाता है?
a. अस्पष्ट लागत ✓
b. स्पष्ट लागत
c. वास्तविक लागत
d. इनमें से कोई नहीं
Q.5. आर्थिक समस्या कौन सा वक्र दर्शाता है?
a. उत्पादन संभावना वक्र ✓
b. मांग वक्र
c. पूर्ति वक्र
d. इनमें से कोई नहीं
Group-B: Short Answer Type 1 Questions: 3×5 = 15
Q.6. पूर्ति क्या है? पूर्ति के नियम को लिखे।
Ans: एक निश्चित समय में तथा एक निश्चित कीमत पर कोई विक्रेता किसी वस्तु के जो मात्रा बेचने के लिए तैयार होता है उसे उस वस्तु की पूर्ति कहते हैं।
पूर्ति का नियम- अन्य बातों के समान रहने पर जब किसी वस्तु की कीमत बढ़ती है तब उस वस्तु की पूर्ति की मात्रा बढ़ती है तथा कीमत के घटने पर पूर्ति की मात्रा घटती है। पूर्ति और कीमत के बीच सीधा संबंध होता है।
Q.7. उत्पादन फलन क्या है?
Ans: उपादान एवं उत्पादन के फलनात्मक संबंध को उत्पादन फलन कहा जाता है। अर्थात, उत्पादन फलन हमें यह बताता है की समय की एक निश्चित अवधि में किस प्रकार और कितनी मात्रा में परिवर्तन दिखेगा। उत्पादन केवल भौतिक मात्रात्मक संबंध पर आधारित होती है। इसमें मूल्यों का समावेश नहीं होता। उत्पादन फलन (Qx) = f (A,B,C,D).
Q.8. आर्थिक प्रणाली क्या है?
Ans: विश्व के सभी देशों में आर्थिक क्रियाएं होती है उन आर्थिक क्रियाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक प्रणाली की आवश्यकता होती है जिसे आर्थिक प्रणाली कहते हैं। आर्थिक प्रणाली तीन प्रकार की होती- समाजवादी आर्थिक प्रणाली, पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली तथा मिश्रित वादी आर्थिक प्रणाली। भारत में आर्थिक क्रियाओं का संचालन मिश्रित आर्थिक प्रणाली के अनुसार किया जाता है।
Q.9. मांग को परिभाषित करें।
Ans: एक निश्चित समय में एक निश्चित कीमत पर तथा एक निश्चित स्थान से जब कोई उपभोक्ता किसी वस्तु की कोई मात्रा खरीदता है तो उसे उस वस्तु की मांग कहते हैं। यहां पर स्थान का अर्थ इंटरनेट या मोबाइल फोन भी हो सकता है। मांग दो प्रकार की होती है- व्यक्तिगत मांग तथा बाजार मांग।
Q.10. उदासीनता वक्र की विशेषताएं बताएं।
Ans. उदासीनता वक्र की विशेषताएं निम्नलिखित है:
1. उदासीनता वक्र बाएं से दाएं ऋणआत्मक धार वाला होता है।
2. ऊंचा उदासीनता वक्र नीचे वाले उदासीनता वक्र की तुलना में संतुष्टि के ऊंचे स्तर को प्रदर्शित करता है।
3. एक ही उपभोक्ता के उदासीनता वक्र एक दूसरे को कभी नहीं काटते हैं।
4. उदासीनता वक्र कभी भी किसी अक्क्ष को अस्पष्ट नहीं करता है।
Group-C: Short Answer Type 2 Questions: 4×3 = 12
Q.11. “अन्य बातें समान रहे” काव्यांश का क्या अर्थ है?
Ans: मांग के नियम के अनुसार वस्तु की कीमत तथा उसके मांग के बीच विपरीत संबंध होता है। इस नियम की क्रियाशीलता के लिए कीमत के अलावा मांग को प्रभावित करने वाले निम्नलिखित कारकों को स्थिर मान लिया जाता है जैस:
1. उपभोक्ता की आय।
2. उपभोक्ता की रूचि, स्वाद, पसंद आदि।
3. संबंधित वस्तुओं की कीमतें।
4. भविष्य में वस्तु के कीमत में परिवर्तन की संभावना ना होना। दूसरे शब्दों में, अन्य बातों के समान रहने से हमारा अभिप्राय कीमत के अलावा उन तत्वों के स्थिर रहने से हैं जो किसी वस्तु की मांग को प्रभावित करते हैं।
Q.12. आदर्शवादी अर्थशास्त्र क्या है?
Ans: इसमें ‘क्या होना चाहिए’ से संबंधित विश्लेषण किया जाता है। इसमें आदर्शसात्मक परिस्थितियों का अध्ययन किया जाता है। इसकी प्रकृति सुझाव देने की होती है। उदाहरण के लिए-भारत में आय की असमानता को कम करने के लिए सरकार को अमीरों पर कर लगाने चाहिए तथा गरीबों को आर्थिक सहायता देनी चाहिए। दूसरे शब्दों में, आदर्शवादी अर्थशास्त्र वह अर्थशास्त्र है जिसमें क्या होना चाहिए से संबंधित तथ्यों का विश्लेषण किया जाता है।
Q.13. समाजवादी अर्थव्यवस्था क्या है?
Ans: समाजवादी अर्थव्यवस्था समाज की एक ऐसी आर्थिक प्रणाली है जिसमें उत्पादन के सभी भौतिक साधनों पर सामाजिक स्वामित्व होता है तथा उनका संचालन एक सामान्य योजना के अंतर्गत, संपूर्ण समाज के प्रतिनिधि एवं उसके प्रति उत्तरदाई संस्थाओं द्वारा किया जाता है। समाज के सभी सदस्य समान अधिकारों के आधार पर ऐसे नियोजन एवं समाजिकृत उत्पादन के लाभों के अधिकारी होते हैं।
Group-D: Long Answer Type Questions: 6×3 = 18
Q.14. सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम के मान्यताओं का वर्णन करें।
Ans: सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम के लागू होने के निम्नलिखित कारक है:-
1. वस्तुओं का उपभोग निरंतर क्रम से होना चाहिए: इसका तात्पर्य यह है कि यदि कोई उपभोक्ता किसी वस्तु का उपभोग कर रहा हो तो वह उसे निरंतर चालू रखें।
2. वस्तुओं कि उपभोग इकाइयों का आकार पर्याप्त होना चाहिए: इसका तात्पर्य क्या है कि वह वस्तु जिसका उपभोक्ता उपभोग कर रहा है, का आकार सामान्य होना चाहिए।
3. उपभोक्ता की आय स्थिर होना चाहिए: इसका तात्पर्य यह है कि उपभोक्ता की आय में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए।
4. उपभोक्ता के फैशन एवं रुचि में परिवर्तन न हो: जब किसी उपभोक्ता की फैशन, रुचि तथा स्वभाव में परिवर्तन नहीं होता है तभी सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम लागू होता है। उपरोक्त नियम अगर उपभोक्ता पर लागू नहीं हो रहा हो तब सीमांत उपयोगिता ह्रास नियम लागू नहीं होता।
Q.15. आर्थिक क्रिया क्या है ? इसके प्रकारों का वर्णन करें।
Ans: उस क्रिया को आर्थिक क्रिया कहते हैं जिसका संबंध मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के लिए सीमित साधनों के उपयोग से होता है। वे सभी क्रियाएं आर्थिक क्रियाएं होती है जो आय का सृजन करती है लेकिन सभी आर्थिक क्रियाएं आय का सीजन नहीं करती है जैसे – उपभोग। उपभोग एक ऐसे आर्थिक क्रिया है जो आय का सृजन नहीं करती बल्कि इसके लिए भुगतान करना पड़ता है। आर्थिक क्रिया के प्रकार:-
1. उपभोग: उपभोग वह आर्थिक क्रिया है जिसमें व्यक्तिगत तथा सामूहिक आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं की उपयोगिता का उपयोग किया जाता है। जैसे – भोजन करना आदि।
2. उत्पादन: उत्पादन व आर्थिक क्रिया है जिसमें वस्तुओं व सेवाओं की उपयोगिता मूल्य में वृद्धि की जाती है। जैसे- दर्जी द्वारा कपड़ा काटकर कपड़ा सिलना, बढ़ई द्वारा लकड़ी का लट्ठा को चीर का कुर्सी, मेज आदि बनाना।
3.विनिमय: विनिमय वह आर्थिक क्रिया है जिसमें किसी वस्तु या उत्पादन के साधन को क्रय -विक्रय किया जाता है. निवेश:- भविष्य में आय कमाने के लिए वस्तुओं तथा सेवाओं के उत्पादन के विभिन्न साधनों पर किया गया खर्च निवेश कहलाता है.
Q.16. उत्पादन संभावना वक्र क्या है? चित्र के द्वारा प्रदर्शित करें।
Ans: किसी भी अर्थव्यवस्था के समक्ष सीमित साधन होते हैं तथा इसके वैकल्पिक प्रयोग असीमित। जब इन्हीं साधनों के कुशलतम प्रयोग द्वारा कोई अर्थव्यवस्था दो वस्तुओं x एवं y उत्पादन कर रहा हो तब, x-वस्तु के उत्पादन मात्रा में वृद्धि करने पर y-वस्तु की मात्रा में कमी होती है तथा इसके विपरीत y-वस्तु की उत्पादन मात्रा में वृद्धि होने पर x वस्तु की उत्पादन मात्रा में कमी आती है। इस प्रकार दो वस्तुओं के उत्पादन की अनेक संभावनाएं उत्पन्न होती हैं जिसे उत्पादन के संभावना कहते है, जब इन्हीं संभावनाओं को रेखा चित्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तो प्रदर्शित करने वाला रेखाचित्र या वक्र उत्पादन संभावना वक्र के नाम से जाना जाता है। सरल शब्दों में कहें तो, उत्पादन संभावना को प्रदर्शित करने वाला वक्र उत्पादन संभावना वक्र के नाम से जाना जाता है।
Macroeconomics: समष्टि अर्थशास्त्र: 50 Marks
Group-A: Multitple Choice Type Questions: 1×5 = 5
Q.17. “मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करें ” यह कथन किसकी है?
a. हार्टले विदर् ✓
b. एडम स्मिथ
c. जॉन कैनेडी
d. इनमें से कोई नहीं
Q.18. R.B.I. का मुख्यालय कहां है?
a. मुंबई✓
b. कोलकाता
c. दिल्ली
d. इनमें से कोई नहीं
Q.19. भारत में ₹1 का नोट कौन जारी करता है?
a. वित्त मंत्रालय✓
b. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया
c. दोनों
d. इनमें से कोई नहीं
Q.20. भारतीय केंद्रीय बैंक की स्थापना कब हुई थी?
a. 1 अप्रैल 1933
b. 1 अप्रैल 1934
c. 1 अप्रैल 1935✓
d. 1 अप्रैल 1936
Q.21. साम्य कीमत पर मांग तथा पूर्ति-
a. बराबर होती है
b. मांग पूर्ति से अधिक होती है
c. मांग पूर्ति से कम होती है
d. इनमें से कोई नहीं
Group-B: Short Answer Type 1 Questions: 3×5 = 15
Q.22. दोहरी गणना से क्या तात्पर्य है?
Ans: दोहरी गणना एक त्रुटि है जो अतार्किक गणना के परिणाम स्वरूप हुई है। इस शब्द का उपयोग अर्थशास्त्र में किसी देश के समान के मूल्य को एक से अधिक बार गिनने की दोषपूर्ण प्रथा का उल्लेख करने के लिए किया जाता है। राष्ट्रीय आय की गणना होने में दोहरे गणना की समस्या भी कभी-कभी सामने आते हैं।
Q.23. तरलता फांद क्या है?
Ans: तरलता पाश या तरलता फांद वह स्थिति है जहां सट्टा उद्देश्य के लिए मुद्रा की मांग पूर्णतया लोचदार हो जाती है। तरलता पाश की स्थिति में ब्याज दर बिना बढ़ाएं या घटाए अतिरिक्त अंत: क्षेपित मुद्रा का प्रयोग कर लिया जाता है।
Q.24. कर की परिभाषा दें।
Ans: यह आधुनिक सरकारों की आय का सबसे बड़ा साधन है। कर एक अनिवार्य भुगतान है जिसे सरकार व्यक्तियों और उद्यमों पर लगाकर प्राप्त करती है और प्राप्त आय जनता को सामान्य लाभ पहुंचाने के लिए खर्च की जाती है।
Q.25. निर्यात और आयात क्या है?
Ans: निर्यात: जब देश में उत्पादित वस्तु बिकने के लिए विदेशों में जाते हैं तो उसे निर्यात कहते हैं। आयात: जब विदेशों से निर्मित वस्तु आवश्यकता पूर्ति के लिए देश के भीतर आती है तो उसे आयात कहते हैं।
Q.26. मुद्रा की आपूर्ति क्या है?
Ans: अर्थव्यवस्था में सभी प्रकार की मुद्राओं के योग को मुद्रा की आपूर्ति कहते हैं। मुद्रा की आपूर्ति में दो बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:
1. मुद्रा की आपूर्ति एक स्टॉक है। यह किसी समय बिंदु के उपलब्ध मुद्रा की सारी मात्रा को दर्शाता है।
2. मुद्रा के स्टॉक से अभिप्राय जनता द्वारा धारित स्टॉक से है। जनता द्वारा धारित स्टॉक समस्त स्टाक से होता है।
Group-C: Short Answer Type 2 Questions: 4×3 = 12
Q.27. केंद्रीय बैंक के कार्य को समझाएं.
Ans: केंद्रीय बैंक के कार्य निम्नलिखित हैं:
1. मुद्रा निर्गमन: देश में मुद्रा निर्गमन अर्थात मुद्रा जारी करने का एकमात्र शेर संस्था केंद्रीय बैंक है। केंद्रीय बैंक को अपने द्वारा जारी मुद्रा के मूल्य परिसंपत्तियों का सुरक्षित भंडार रखना पड़ता है। इन परिसंपत्तियों में सोना, चांदी, सिक्के, विदेशी मुद्रा तथा प्रतिभूतियां शामिल होती है।
2. बैंकों का बैंक तथा पर्यवेक्षक: व्यावसायिक बैंकों को अपने संपूर्ण जमा का एक निश्चित अंश केंद्रीय बैंक में जमा करना पड़ता है जिसे नकद जमा अनुपात कहते हैं. केंद्रीय बैंक इस राशि को सुरक्षित रखता है, बैंकों को अल्पावधि ऋण देता है तथा बैंकों को केंद्रीयकृत संशोधन की सुविधा प्रदान करता है।
Q.28. राजकोषीय नीति क्या है?
Ans: सरकार करारोपण, सार्वजनिक ऋण आदि स्रोतों से सार्वजनिक आय प्राप्त करती है तथा इसे प्रशासन, प्रतिरक्षा, सार्वजनिक सेवाओं पर सार्वजनिक खर्च करती है। यह सब वित्तीय अथवा राजकोषीय क्रियाएं हैं। इन क्रियाओं के निर्देशन एवं नियंत्रण से संबंधित नीति को राजकोषीय नीति कहते हैं। दूसरे शब्दों में, सार्वजनिक खर्च के नियंत्रण और निर्देशन से संबंधित नीति को राजकोषीय नीति कहते हैं। सार्वजनिक खर्च और सार्वजनिक आए मुख्य राजकोषीय उपकरण है। करारोपण, सार्वजनिक आय का मुख्य स्रोत है।
Q.29. मुद्रास्फीति की अवधारणा को स्पष्ट करें।
Ans: कीन्स के आय सिद्धांत के अनुसार मुद्रा स्फीति का कारण मांग में वृद्धि का होना है। किसी वस्तु की मांग में वृद्धि होने पर उस वस्तु का मूल्य बढ़ जाता है, मूल्य में वृद्धि मांग में प्रतिस्पर्धा होने के कारण होता है। इस स्थिति को कैंस ने स्फीति अंतराल कहा है। प्राचीन सिद्धांत एवं कैंस के सिद्धांत में अंतर केवल यह है कि प्राचीन सिद्धांत मुद्रा की मात्रा पर अधिक जोर देता है जबकि कीन्स के आय सिद्धांत आय एवं व्यय के प्रवाह पर जोर देता है।
Group-D: Long Answer Type Questions: 6×3 = 18
Q.30. राष्ट्रीय आय में किन सावधानियों को ध्यान में रखा जाता है?
Ans: राष्ट्रीय आय गणना में निम्नलिखित सावधानियों को रखना आवश्यक होता है:
1. राष्ट्रीय आय की गणना दोहरी गणना से बचा जाना चाहिए।
2. हस्तांतरण भुगतान जैसे वृद्धावस्था पेंशन, छात्रवृत्ति, बेरोजगारी भत्ता, आदि पर खर्च की गणना राष्ट्रीय आय में करने से बचना चाहिए।
3. मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं पर जो खर्च किया जाता है वह चालू उत्पादन की वस्तुओं पर ही किया जाता है परंतु फिर भी इसे राष्ट्रीय आय की गणना में शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि यह अंतिम उत्पादन में शाम में रहता है।
4. जो आय गैरकानूनी तरीके से प्राप्त की जाती है उससे आय की गणना मैं शामिल नहीं किया जाता है।
5. जो आय आकास्मिक रूप से प्राप्त होते हैं जैसे लॉटरी से प्राप्त धन, उसे आय में शामिल नहीं किया जाता है।
6. पुरानी वस्तुओं के विक्रय से प्राप्त आय को भी राष्ट्रीय आय में शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि प्राप्तकर्ता इसके लिए कोई उत्पादक सेवा प्रदान नहीं करता।
Q.31. भुगतान संतुलन के घटक लिखें।
Ans: भुगतान संतुलन के घटक निम्नलिखित हैं:
1. निर्यात पर नियंत्रण: भुगतान संतुलन के घाटे की स्थिति में सबसे आवश्यक उपाय निर्यात को बढ़ाना होता है। निर्यात को प्रोत्साहित करके जैसे लागत में कमी करके, निर्यात करो मैं कमी करके तथा विदेशी उत्पादन ओं को अधिक सरकारी सहायता देकर निर्यात करो को बढ़ाया जाता है तथा भुगतान संतुलन को ठीक किया जाता है।
2. आया तो में कमी करके: भुगतान संतुलन के लिए दूसरा उपाय आयात में कमी करना होता है। इसके लिए आयतीत वस्तुओं पर भारी कर लगाया जाता है।
3. विदेशी विनियोग को प्रोत्साहन: देश के सुनिश्चित एवं आकर्षक नीतियों द्वारा विदेशियों को देश में विनियोग को प्रोत्साहन देकर विदेशी मुद्रा आकर्षित की जाती है जिससे भुगतान संतुलन साम्य हो जाता है।
4. ब्याज कि दर मैं परिवर्तन: ब्याज की दर में वृद्धि करने से विदेशी संस्थाएं अधिक ब्याज कमाने के लिए देसी बैंकों में पूंजी लगाती है जिससे भुगतान संतुलन पर अनुकूल असर पड़ता है।
Q.32. जब सभी आगत एक ही अनुपात मैं बढ़ाए जाते हैं तो उत्पादन फलन के आचरण की व्याख्या करें।
Ans: उत्पादन बढ़ाने के लिए जब उत्पादन के सभी साधनों तथा सेवाओं को एक ही अनुपात में बढ़ाए जाते हैं तो इसे अर्थशास्त्र द्वारा पैमाने का विस्तार कहा जाता है। ऐसा करना सिर्फ दीर्घ की काल में ही संभव होता है। पैमाने के विस्तार से उत्पादन फलन में भी परिवर्तन होता है परंतु प्रतिफल ठीक आगत के अनुपात में हो ऐसा नहीं होता बल्कि उत्पादन फलन की तीन स्थितियां होती हैं:
1. पैमाने के समान प्रतिफल: आगत साधनों मैं जिस अनुपात से वृद्धि की जाए और उत्पादन में भी ठीक उसी अनुपात में वृद्धि हो तो इसे पैमाने के समान प्रतिफल कहते हैं।
2. पैमाने के बढ़ते हुए प्रतिफल: जिस अनुपात में आगत साधनों में वृद्धि की जाती है और उत्पादन में उससे भी अधिक अनुपात में वृद्धि हो तो इसे पैमाने का वर्धमान प्रतिफल कहते हैं।
3. पैमाने के घटते हुए प्रतिफल: जिस अनुपात में आगत साधनों में वृद्धि की जाती है उत्पादन में उससे कम अनुपात में वृद्धि हो तो इसे पैमाने का घटता हुआ प्रतिफल कहते हैं।
इन्हें भी देखें:
- Economics class 12 Model paper 2022 Set 1
- Economics class 12 Model paper 2022 Set 2
- Class 12 Economics book pdf download
- BA English Notes BBMKU & VBU university
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सहयोगी,
अमित कुमार सिंह