बाबर की जीवन एवं उपलब्धियों का वर्णन करें। BA History Honours Semester 4 Core-8 Internal Exam Question Solution for RS More College Goivindpur Dhanbad.
बाबर की जीवन एवं उपलब्धियों का वर्णन करें।
बाबर की जीवन
बाबर भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से एक थे। उनका जन्म 14 फरवरी 1483 में फर्गाना,(वर्तमान उज्बेकिस्तान) में हुआ था। उनके पिता उमर शेख मिर्ज़ा और माता कुतलुग निगार खानम थीं।
बाबर का जन्म समय विपरीत था, और उन्हें अपने जीवन के दौरान कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। उनका पिता उमर शेख मिर्ज़ा काफी समय तक सम्राट नहीं बन पाए और उन्हें अपने राज्य फर्गाना को छोड़कर भागना पड़ा। बाबर ने छोटे से उम्र में ही अपने पिता की मृत्यु का सामना किया।
1504 में, बाबर ने काबुल पर विजय प्राप्त किया। वे भारत आए और दिल्ली सल्तनत के साम्राज्य के खिलाफ युद्ध लड़े। 1526 में पनीपत की लड़ाई में उन्होंने इब्राहिम लोदी को हराकर दिल्ली सल्तनत का शासक बना।
बाबर ने भारतीय इतिहास में मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी। उनके शासनकाल के दौरान, वे भारत में विभिन्न क्षेत्रों को जीतकर अपने साम्राज्य का विस्तार करते रहे। उन्होंने अपने शासकीय शौर्य, विदेशी सैन्य तकनीक और राजनीतिक दायरे के लिए मशहूर थे।
26 दिसम्बर 1530 में उनकी मृत्यु के बाद, उनके पोते अकबर ने साम्राज्य को और भी मजबूत बनाया और भारतीय इतिहास में मुग़ल साम्राज्य की शान और गरिमा को बढ़ाया।
बाबर का युद्ध अभ्यान और उपलब्धियाँ
बाबर का युद्ध अभ्यान उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण अंशों में से एक था, जिससे उन्होंने अपने सपने को साकार किया और भारत में मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी। बाबर के युद्ध अभ्यान का सबसे प्रमुख उद्देश्य था दिल्ली सल्तनत के सुल्तान को हराकर भारत में मुग़ल सम्राज्य की स्थापना करना। यहाँ, कुछ मुख्य युद्ध अभ्यानों का वर्णन है:
बाबर का समरकंद अभ्यान: बाबर ने 1497 में समरकंद पर आक्रमण किया और इसे जीत लिया। लेकिन इस जीत से उसे कुछ भी लाभ नहीं हुआ। यहाँ उसे पैसा, रसद और लूट का सामान आदि कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ, इसलिए उसने समरकंद को जल्द ही छोड़ दिया। बाबर को पता चला की उसके गैर-मौजूदगी में उसके सोतेले भाई जहाँगीर मिर्जा ने फर्गाना में अपना कब्जा जमा लिया है। इस प्रकार समरकंद और फर्गाना दोनों ही बाबर के हाथों से निकल गया है। 1501 में बाबर ने समरकंद को दूसरी बार जीता था।
बाबर का काबुल विजय: 1504 में बाबर ने काबुल और गजनी पर आक्रमण कर काबुल और गजनी का शासक बना। काबुल विजय बाबर के लिए बहुत हितकारी साबित हुआ। यहाँ से वो खुरासान और भारत दोनों में अपनी नज़र रख सकता था।
बाबर का भारत अभ्यान
सन् 1519 ई. में बाबर ने अपना आक्रमण बाजौर पर किया और बाजौर एवं भीरा को जीत लिया। यह भारत विजय के लिए किया गया पहला आक्रमण था। इसी युद्ध में बाबर ने सर्वप्रथम बारूद एवं तोपखाने का प्रयोग किया।
पनिपथ का प्रथम युद्ध (1526): बाबर का पहला महत्वपूर्ण युद्ध पानीपत का युद्ध था। पानीपत का पहला युद्ध 21, अप्रैल 1526 को लड़ा गया था। इसमें बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराकर दिल्ली सल्तनत में मुग़ल वंश की नींव रखी। बाबर के पास छोटी संख्या में बेहतर तकनीकी योजना के कारण वे इस युद्ध में विजयी हुए। यह उन पहली लड़ाइयों मे से एक थी जिसमें बारूद, आग्नेयास्त्रों और मैदानी तोपखाने को लड़ाई में शामिल किया गया था।
खानवा का युद्ध (1527): बाबर का दूसरा महत्वपूर्ण युद्ध खानवा में लड़ा गया। खानवा का युद्ध 16 मार्च 1527 को आगरा से 35 किमी दूर खानवा गाँव में बाबर एवं मेवाड़ के राणा सांगा के मध्य लड़ा गया। बाबर के सैन्य को अपनी तकनीकी कुशलता के कारण इस युद्ध में विजयी रहे। यह विजय उन्हें राजपूतों के साथ उनके समझौते के लिए मददगार साबित हुई।
चंदेरी का युद्ध (1528): चंदेरी का युद्ध 29 जनवरी 1528 ई. में मुग़लों तथा राजपूतों के मध्य लड़ा गया था। खानवा युद्ध के पश्चात् राजपूतों की शक्ति पूरी तरह नष्ट नहीं हुई थी, इसलिए बाबर ने चंदेरी का युद्ध शेष राजपूतों के खिलाफ लड़ा। इस युद्ध में राजपूतों की सेना का नेतृत्त्व मेदिनी राय खंगार ने किया।
घाघरा का युद्ध (1529): बाबर ने 06 मई, 1529 ई. को बंगाल एवं बिहार की संयुक्त सेना को घाघरा के युद्ध में कुचल डाला। घाघरा का युद्ध उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के निकट घाघरा नदी के तट पर लड़ा गया था! घाघरा का युद्ध बाबर द्वारा लड़ा गया अंतिम युद्ध एवं मध्यकालीन इतिहास का प्रथम युद्ध था, जिसे जल एवं थल दोनों जगह लड़ा गया।
बाबर की उपलब्धियाँ उनके शासनकाल की महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाती हैं और उन्हें भारतीय इतिहास में महान राजा के रूप में याद किया जाता है। उनके साहस, युद्ध कौशल, और राजनैतिक बुद्धि ने उन्हें एक अद्भुत शासक के रूप में विशेष बना दिया है।