भूमंडलीकरण और सामाजिक परिवर्तन | Bhumandlikaran aur samajik Parivartan | sociology class 12 chapter 6 NCERT Notes in Hindi

Sociology class 12 chapter 6, sociology class 12 chapter 6 notes, questions for chapter 6 book 1 sociology class 12 JAC, questions for chapter 6 sociology class 12, sociology chapter 6 revision notes class 12. JAC Board Ranchi.

Sociology class 12 chapter 6: अति लघु स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1.भूधारण से क्या अभिप्राय है?
Ans:
भूमि अथवा अन्य संपत्ति का कानूनी अधिकार। यह राज्य और प्रशासन को राजस्व एकत्रित करने में सहायक होता है। भारत में स्वतंत्रता से पूर्व रैयतवाड़ी, महालवाड़ी तथा जमींदारी भू-धारण की व्यवस्थाएं थी जो कि स्वतंत्रता पूर्व भारत में थी।

Q.2.भू – मंडलीय ग्राम से क्या अभिप्राय हैं ?
Ans
: व्यवसाय और संबंधों को बढ़ाने के लिए विभिन्न देशों में तकनीकी रूप में विकसित कंपनियों और उद्यमों की स्थापना जो कि पूरे विश्व को एक वैश्विक ग्राम मेंं बदल रही है।

Q.3.विश्व व्यापार संगठन से क्या अभिप्राय है?
Ans:
यह एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जिसे संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों में स्थापित किया गया है। यह सन् 1995 में स्थापित हुआ और इसका मुख्यालय जेनेवा में है। यह विभिन्न कानूनों और नीतियों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और सेवाओं का नियमन करता है।

Q.4.सामाजिक क्षेत्र में भूमंडलीकरण ने क्या प्रभाव डाला है?
Ans:
सामाजिक क्षेत्र में भूमंडलीकरण ने फैशन, खान – पान और पेय – पदार्थों के संदर्भ में उपभोग प्रवृत्ति और जीवन – शैली पर अच्छा खासा प्रभाव डाला है। इसने सामाजिक संबंधों और धार्मिक पहचान को भी प्रभावित किया है।

Q.5.भूमंडलीकरण का लाभ निर्धन देशों तक कितना पहुंचा है?
Ans:
वैश्वीकरण संसार के विकासशील देशों की गरीबी से निपटने में नाकाम है। इन देशों में गरीबी बढ़ रही है। एक कठोर पूंजीवादी समाज का निर्माण हो रहा है। मुक्त व्यापार का विस्तार उस हद तक नहीं हो पाया है जिस हद तक पूंजी का मुक्त हस्तांतरण हुआ है।

Q.6.राजनीति के क्षेत्र में भूमंडलीकरण के क्या प्रभाव है?
Ans:
राजनीति के क्षेत्र में भूमंडलीकरण ने बहुदलीय लोकतंत्र, मानव अधिकारों को स्वीकृति और लोक प्रशासन में जवाबदेही और पारदर्शिता का प्रसार किया है।

Q.7.भूमंडलीकरण के उद्देश्य क्या है?
Ans:
भूमंडलीकरण व्यापार और विनिमय के अवरोधों को समाप्त कर पूंजी और श्रम को अधिक गतिशीलता प्रदान कर विश्व अर्थव्यवस्था के एकीकरण की प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य माल सेवा प्रौद्योगिकी श्रम, पूंजी और मुद्रा के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय बाजार का निर्माण करना है। यह एक सीमा विहीन संसार बनाना चाहता है। जिससे राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार आवागमन बिना किसी रोक-टोक के संभव हो सके। वैश्वीकरण के संबंध में यह भी कहा गया है कि इससे उपभोक्ताओं को चुनाव करने के लिए मापक विकल्प मिलेंगे और गरीबी दूर होगी।

Q.8.उदारीकरण से क्या अभिप्राय है ?
Ans:
उदारीकरण – यह भूमंडलीकरण का आर्थिक तत्व है। यह एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत एक अत्यंत नियंत्रित अर्थव्यवस्था खुली दिखने वाली अर्थव्यवस्था के रूप में परिवर्तित की जाती है। नियंत्रण व संचालन को कम करके आंतरिक अर्थव्यवस्था को उदार बनाया जाता है। अधिकतर कार्यों में राज्य का महत्व घटाकर निजी उद्यमों और कंपनियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाता है। सार्वजनिक इकाइयों को समाप्त करके व्यवसाय व उद्योग का निजीकरण होता है। उदारीकरण इस बात पर निर्भर है कि यदि राज्य का हस्तक्षेप कम हो तो अर्थव्यवस्था एवं समाज बेहतर होगा। विभिन्न देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं पर कम – से – कम सरकारी नियंत्रण रखकर उसे उदार बनाना होगा। उदारीकरण की नीति अर्थव्यवस्था की कार्यकुशलता पर जोर डालती है। निजी उद्यमों को सार्वजनिक उद्यमों की तुलना में अधिक निपुण माना जाता है।

Q.9.विकसित और विकासशील देशों को स्पष्ट करें।
Ans:
ऐसे देश जिनमें राष्ट्रीय और प्रति व्यक्ति आय का स्तर बहुत ऊंचा है और जहां आर्थिक विकास की दर ऊंची है, सेवा क्षेत्र और औद्योगिकरण की गति अधिक है, विकसित देश कहलाते हैं। यूरोप और अमेरिका के देश विकसित देश कहलाते हैं। विकासशील देश वे देश है जो यूरोपीय देशों की औपनिवेशिक नीति का शिकार रहे हैं जिनका आर्थिक शोषण किया गया। उन देशों को कच्चे माल की प्राप्ति का स्थान समझा गया और तैयार माल की बिक्री के लिए बाजार बनाया गया। आर्थिक शोषण के कारण निर्धनता और बेरोजगारी की समस्या का इन देशों को सामना करना पड़ रहा है।

Q.10.संस्कृति पर भूमंडलीकरण के प्रभाव का वर्णन करें।
Ans:
भूमंडलीकरण संस्कृति को कई प्रकार से प्रभावित करता है। भारत युगो से सांस्कृतिक प्रभावों के प्रति खुला दृष्टिकोण अपनाए हुए हैं और इसी के फलस्वरूप वह सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध होता रहा है। पिछले दशक में कई बड़े-बड़े सांस्कृतिक परिवर्तन हुए है जिनसे यह डर उत्पन्न हो गया है कि कहीं हमारी स्थानीय सांस्कृतियां पीछे न रह जाएं। हमारी सांस्कृतिक परंपरा ‘कूपमंडूक’ यानी जीवन भर कुएं के भीतर रहने वाले उस मेंढक की स्थिति से सावधान रहने की शिक्षा देती रही है जो कुएं से बाहर की दुनिया के बारे में कुछ नहीं जानता और प्रत्येक बाहरी वस्तु के प्रति शंकालु बना रहता है। वह किसी से बात नहीं करता और किसी से भी किसी विषय पर तर्क – वितर्क नहीं करता। वह तो बस बाहरी दुनिया पर केवल संदेह करना ही जानता है। हम आज भी अपने परंपरागत खुली अभिवृत्ति अपनाए हुए हैं। इसीलिए हमारे समाज में राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों पर ही नहीं बल्कि कपड़ों, शैलियों, संगीत, फिल्म, भाषा, हाव – भर आदि के बारे में गरमागरम बहस होती रहती है। 19वीं सदी के सुधारक और प्रारंभिक राष्ट्रवादी नेता भी संस्कृति तथा परंपरा पर विचार – विमर्श किया करते थे। मुद्दे आज भी कुछ दृष्टियों में वैसे ही है और कुछ अन्य दृष्टियो में भिन्न भी है कि अब परिवर्तन की व्यापकता और गहनता भिन्न है।

Sociology class 12 chapter 6: लघु स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1.भूमंडलीकरण ने तीसरी दुनिया के देशों को किस प्रकार प्रभावित किया है?
Ans:
विकासशील देशों को अपने सर्वागीण विकास के लिए प्रयत्न करने पड रहे हैं। वे अपने प्रयासों से भी प्रयत्न कर रहे हैं और विकसित देशों से भी सहायता प्राप्त करने के लिए कोशिश कर रहे हैं, लेकिन विकसित देश इस प्रकार की नीतियां बना रहे हैं जिनसे विकासशील देशों की कठिनाइयां बढ़ रही है। ये देश अभी भी विकसित देशों पर निर्भर है। तीसरी दुनिया के देश गरीब और पिछड़े हुए हैं जबकि विश्व में कुछ धनी देशों ने विश्व व्यापार संगठन, विश्व बैंक जैसी संस्थाओं पर अपना कब्जा जमाया हुआ है। बहुराष्ट्रीय निगम भी विकसित देशों के ही है। जब तक इनका महत्व बना रहेगा, निर्धन देशों की गरीबी को दूर करना कठिन होगा। निर्धन देशों की अर्थव्यवस्था भूमंडलीकरण की चुनौती का सामना करने में असमर्थ है। यह एक असमान प्रतियोगिता चल रही है। इस प्रतियोगिता के तौर – तरीकों में फेर – बदल किया जाना आवश्यक है। भूमंडलीकरण से गरीब देशों की गरीबी में वृद्धि हुई है। पश्चिम देशों की संस्कृति का प्रभाव इन देशों पर पड़ रहा है। सामाजिक न्याय तथा पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। इन देशों की निर्धनता बढ़ रही है। एक कठोर पूंजीवादी समाज का निर्माण हो रहा है। मुक्त व्यापार का विस्तार उस सीमा तक नहीं हुआ है जिस सीमा तक पूंजी का मुक्त हस्तांतरण हुआ है। सामाजिक क्षेत्र में भूमंडलीकरण ने फैशन, खान – पान और पेय पदार्थों के संदर्भ में उपभोगवृत्ति और जीवन शैली पर अच्छा खासा प्रभाव डाला है।

Q.2.पार राष्ट्रीय से क्या अभिप्राय है?
Ans:
भूमंडलीकरण को प्रेरित एवं संचालित करने वाली अनेक आर्थिक कारकों में से, पार राष्ट्रीय निगमों की भूमिका विशेष महत्वपूर्ण होती है। टी.एन.सी. पारराष्ट्रीय निगम ऐसी कंपनियां होती है जो एक से अधिक देशों में अपने माल का उत्पादन करती है अथवा बाजार सेवाएं प्रदान करती है। ये अपेक्षाकृत छोटी फर्में भी हो सकती है। इनके एक या दो कारखाने उस देश से बाहर होते हैं जहां वे मूल रूप से स्थित है। साथ ही, वे बड़े विशाल अंतर्राष्ट्रीय निगमों के नाम जो जगप्रसिद्ध है, ये है – कोका – कोला, जनरल मोटर्स, कॉलगेट पामोलिव, कोडैक, मित्सुबिशी आदि। भले ही इन निगमों का अपना एक स्पष्ट राष्ट्रीय आधार हो, फिर भी वे भूमंडलीय बाजारों और भूमंडलीय मुनाफो की ओर अभिमुखित है। कुछ भारतीय निगम भी पारराष्ट्रीय बन रहे हैं लेकिन हम समय के साथ बिंदु पर निश्चित रूप से यह नहीं कह सकते हैं कि इस रुख को, कुल मिलाकर, भारत के लोग इसे किस अर्थ में लेंगे।

Q.3.भूमंडलीकरण में संचार व्यवस्था को किस प्रकार प्रभावित किया है?
Ans:
विश्व में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र और दूरसंचार के आधारभूत ढांचे में हुई महत्वपूर्ण उन्नति के परिणामस्वरूप भूमंडलीय संचार व्यवस्था में भी क्रांतिकारी परिवर्तन हुए हैं। अब कुछ घरों और बहुत – से कार्यालयो में बाहरी दुनिया के साथ संबंध बनाए रखने के अनेक साधन उपलब्ध है; जैसे – टेलीफोन (लैंडलाइन और मोबाइल दोनों किस्मो के), फैक्स मशीने, डिजिटल और केबल टेलीविजन, इलेक्ट्रॉनिक मेल और इंटरनेट आदि। आप में से कुछ को ऐसी बहुत – सी जगहो के बारे में पता होगा और कुछ को नहीं भी होगा। हमारे देश में इसे अक्सर ‘डिजिटल विभाजन’ का सूचक माना गया है। इस डिजिटल विभाजन के बाद भी प्रौद्योगिकी के ये विविधि रूप समय और दूरी को तो संकुचित या कम करते ही हैं इस ग्रह पर दो सुदूर वितरित दिशाओं – बगलूर बेंगलुरू और न्यूयार्क में बैठे दो व्यक्ति न केवल बातचीत कर सकते हैं, बल्कि दस्तावेज और चित्र आदि भी एक – दूसरे को उपग्रह प्रौद्योगिकी की सहायता से भेज सकते हैं। मोबाइल टेलीफोनो में भी अत्यधिक वृद्धि हुई है और अधिकांश नगर में रहने वाले मध्यवर्गीय युवाओं के लिए सेलफोन उनके अस्तित्व का हिस्सा बन गए हैं। इस प्रकार सेलफोनो के इस्तेमाल में भारी वृद्धि हुई है और इनके प्रयोग के तरीकों में भी काफी बदलाव दिखाई देता है।

Q.4.भूमंडलीकरण के सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभावों का वर्णन करे।
Ans:
भूमंडलीकरण मुक्त बाजार की स्थिति में विश्व की अर्थव्यवस्थाओं के एकीकरण की प्रक्रिया है। मुक्त बाजार में व्यापार और पूंजी का मुक्त प्रवाह है तथा लोगों का राष्ट्रीय सीमाओं के आर – पार जाना शामिल है। इसलिए भूमंडलीकरण की पहचान नई विश्व व्यापार व्यवस्था तथा व्यवसायिक बाजारों के खुलने से है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने भूमंडलीकरण के प्रसार में काफी मदद की है।

  • सकारात्मक प्रभाव – भूमंडलीकरण की स्थिति में आंतरिक व्यवस्था में विदेशी निवेश प्रचुर मात्रा में होता है। जिन देशों में आंतरिक संसाधनों की कमी होती है उन देशों में विदेशी पूंजी आर्थिक विकास की गति को तेज बना देती है। भूमंडलीकरण से रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है, अधिक रोजगार और अधिक आर्थिक विकास जनता के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हैं। अर्थव्यवस्था में उदारीकरण वंचित समूहों के लिए एक नई आशा उत्पन्न करेगा। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भूमंडलीकरण व्यवसायिक हिस्सेदारो के बीच सहयोग और भाईचारा बढ़ाता है। सरकार के बीच भी सहयोग में वृद्धि करता है।
  • नकारात्मक प्रभाव – विकासशील देशों का अनुभव यह बताता है कि भूमंडलीकरण उन देशों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं है। विभिन्न देशों को आर्थिक विकास का लाभ नहीं मिल रहा है। बाजार व्यवस्था हमेशा मुनाफे की खोज में लगी रहती है। मुक्त प्रतियोगी बाजार कार्यकुशलता की गारंटी तो दे सकती है परंतु अनिवार्य रूप से समानता नहीं ला सकती। बाजार के विस्तार से लोग ग्रामों से नगरों की ओर जा रहे हैं। नगरीय जीवन की मूल्यहीनता, परिवारों का विघटन और प्रेरणा के आधार के रूप में भावुकता के स्थान पर धन की प्रवृत्ति बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष विश्व बैंक तथा विश्व व्यापार संगठन जैसी संस्थाएं विश्व – पूंजीवाद को बढ़ा रही है। जिसके कारण राज्य की कंपनियों को निजीकरण और कल्याण सेवाओं को धीरे-धीरे कम किया जा रहा है। इन कदमों से जनता को आवश्यक सामाजिक सेवाएं प्रदान करने की राष्ट्रों की क्षमता कम हो रही है। वंचित समूहों के लिए उपलब्ध शिक्षा स्वास्थ्य और पोषण पर खर्च कम किया जा रहा है। आज विकासशील देशों में रोजगार पर बुरा असर पड़ रहा है। बेरोजगारी दुगुनी हो गई है। अब गरीबी की रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। विकास का लाभ केवल धनी देशों को ही मिल रहा है। धन और आय की विषमता में काफी वृद्धि हुई है। गरीब अब और अधिक गरीब होते जा रहे हैं। भूमंडलीकरण आर्थिक सत्ता बहुराष्ट्रीय निगमों के हाथों में केंद्रीत करता है। सामान्य नागरिकों के सामाजिक तथा आर्थिक अधिकारों को सीमित करता है। यह राज्य की भूमिका को कम करता है। विकासशील देशों की जनता कृषि सेवाओं और पेटेंट अधिकारों जैसे सवालों पर भी अंतरराष्ट्रीय समझौते से चिंतित है।

Q.5.उदारीकरण के आर्थिक नीति से क्या तात्पर्य हैं?
Ans:
भूमंडलीकरण में सामाजिक और आर्थिक संबंधों का विश्वभर में विस्तार सम्मिलित है। यह विस्तार कुछ आर्थिक नीतियों द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है। मुख्यता इस प्रक्रिया को भारत में उदारीकरण कहा जाता है। ‘ उदारीकरण ‘ शब्द से अभिप्राय ऐसे अनेक नीतिगत निर्णयों से है जो भारत राज्य द्वारा 1991 में भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व – बाजार के लिए खोल देने के उद्देश्य से लिए गए थे। इसके साथ ही, अर्थव्यवस्था पर अधिक नियंत्रण रखने के लिए सरकार द्वारा इससे पूर्व अपनाई जा रही नीति पर विराम लग गया। सरकार ने स्वतंत्रता – प्राप्ति के पश्चात अनेक ऐसे कानून बनाये थे जिनसे यह सुनिश्चित किया गया था कि भारतीय बाजार और भारतीय स्वदेशी व्यवसाय व्यापक विश्व की प्रतियोगिता से सुरक्षित रहें। इस नीति के पीछे यह अवधारणा थी कि उपनिवेशवाद से मुक्त हुआ देश स्वतंत्र बाजार की स्थिति में नुकसान में ही रहेगा। सरकार का यह भी विश्वास था कि अकेला बाजार ही संपूर्ण जन – कल्याण विशेष रूप से सुविधा – वंचित वर्गों के कल्याण का ध्यान, नहीं कर सकेगा। यह अनुभव किया गया कि जनसाधारण के कल्याण के लिए सरकार को भी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। अर्थव्यवस्था के उदारीकरण का अर्थ था भारतीय व्यापार को नियमित करने वाले नियमों और वित्तीय नियमनो को समाप्त कर देना। इन उपायों को ‘ आर्थिक – सुधार’ भी कहा जाता हैं। इन सामायोजनो का अर्थ सामान्यतः सामाजिक क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक सुरक्षा में राज्य के व्यय में कटौती है। अन्य अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं जैसे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यू.टी.ओ.) के संदर्भ में भी यह बात कही जा सकती है।

Q.6.भूमंडलीकरण ने राजनीतिक परिदृश्य में किस प्रकार का परिवर्तन किया है? स्पष्ट कीजिए।
Ans:
‘भूतपूर्व समाजवादी विश्व का विघटन’ अनेक दृष्टीयो में एक वृहद् राजनीतिक परिवर्तन था, जिसने भूमंडलीकरण की प्रक्रिया को और तीव्र कर दिया; इसके परिणामस्वरूप भूमंडलीकरण को सहारा देने वाली आर्थिक नीतियों के प्रति एक विशिष्ट आर्थिक और राजनीतिक दृष्टिकोण उत्पन्न हो गया। इन परिवर्तनों को अक्सर नव – उदारवादी आर्थिक उपाय कहा जाता है। हम पूर्व में यह देख चुके हैं कि भारत में उदारीकरण की नीति के अंतर्गत क्या – किया ठोस कदम उठाए गए। मोटे तौर पर, इन नीतियों में मुक्त उद्यम संबंधी राजनीतिक दूरदर्शिता प्रतिबिंबित होती है जिसमें यह विश्वास किया जाता है कि बाजार की शक्तियों का निर्बाध शासन कुशल एवं न्यायसंगत होगा। इसलिए यह दूरदर्शितापूर्ण नीति के अंतर्गत राज्य की ओर से विनियमन और आर्थिक सहायता (सब्सिडी) दोनों की ही आलोचना करती है। इस अर्थ में भूमंडलीकरण की वर्तमान प्रक्रिया में राजनीतिक दूरदर्शिता उतनी ही है एक जितनी की आर्थिक दुरदर्शिता। तथापि, वर्तमान भूमंडलीकरण से भिन्न भूमंडलीकरण की भी संभावनाएं हैं। इस प्रकार हम एक समावेशात्मक भूमंडलीकरण की भी संकल्पना कर सकते हैं जिसमें समाज के सभी अनुमानों का समावेश होता है। भूमंडलीकरण के साथ एक अन्य महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम भी घटित हो रहा है, और वह है राजनीतिक सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय रचनातंत्र। इस संबंध में यूरोपीय संघ (ई.यू.), दक्षिण एशियाई राष्ट्र संघ (एशियान), दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग सम्मेलन (सार्क) और अपनी हाल में दक्षिण एशियाई व्यापार संघों का परिसंघ (बोर्डस) – ये कुछ ऐसे उदाहरण हैं जो क्षेत्रीय संघों की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाते हैं।

Sociology class 12 chapter 6: दीर्घ स्तरीय प्रश्न तथा उत्तर

Q.1.भूमंडलीकरण से क्या आशय है? भूमंडलीकरण की क्षमता का वर्णन कीजिए।
Ans:
भूमंडलीकरण शब्द का प्रयोग आर्थिक अर्थ में किया जाता है। इस दृष्टि से भूमंडलीकरण बाजार की स्थिति में विश्व की अर्थव्यवस्थाओं के एकीकरण की प्रक्रिया है। मुक्त बाजार में व्यापार और पूंजी का मुक्त प्रवाह है तथा लोगों का राष्ट्रीय सीमाओं के पार जाना शामिल है। भूमंडलीकरण की पहचान नई विश्व व्यापार व्यवस्था तथा व्यवसायिक बाजारों के खुलने से है। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी ने भूमंडलीकरण के प्रसार में काफी सहायता की है। इस प्रक्रिया को सूचना के तत्काल प्रसार के लिए विकसित तकनीक ने सरल बना दिया है। 1970 तक भूमंडलीकरण के विचार में रुकावटे आयी। भूमंडलीकरण की प्रवृत्ति को पिछले 10 वर्षों में नया प्रोत्साहन मिला है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा उत्पादन अंतर्राष्ट्रीय बड़े पैमाने पर हो रहा है। 1998 में इन कंपनियों की बिक्री विश्व व्यापार की एक – तिहाई थी। ये निगम पूरे संसार को एक बाजार समझते हैं। विदेशी व्यापार की मात्रा को बढ़ाने के उद्देश्य से कर एवं सीमा शुल्क को घटाने तथा अन्य बाधाओं को दूर करने के लिए परिणामस्वरूप देश की सीमाओं के बाहर व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। यातायात और संचार पर होने वाले खर्च अपेक्षाकृत कम हो गए हैं। भूमंडलीकरण ने बहुराष्ट्रीय निगमों के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं।

भूमंडलीकरण की क्षमता – भूमंडलीकरण की प्रक्रिया मुक्त बाजार के मुख्य सिद्धांत पर आधारित है। ऐसा माना जाता है कि यह मुक्त बाजारीकरण प्रतियोगिता उत्पन्न करता है और कार्य क्षमता को बढ़ाता है जिसका नियंत्रित बाजारों में अभाव होता है। बढ़ी हुई कार्य क्षदमता सामानो तथा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाती है। यह पिछडी अर्थव्यवस्था के विकास में सहायक है। भूमंडलीकरण की स्थिति में आंतरिक अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेश प्रचुर मात्रा में होता है, जो इसे मजबूत और तेज बनाता है। ये निवेश उन देशों को सहायता पहुंचाते हैं जो आंतरिक संसाधनों की कमी का सामना कर रहे हैं। इस प्रकार विदेशी पूंजी तथा वस्तुओं के अनियंत्रित प्रवाह की मुक्त द्वारा नीति अपनाई जाती है जिससे अपेक्षा की जाती है कि यह तीसरी दुनिया की मंद अर्थव्यवस्था को तेज गति प्रदान करेगी। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भूमंडलीकरण व्यवसायिक सहयोग और भाईचारे में वृद्ध करेगा। यह राष्ट्रों के बीच आदान-प्रदान तथा स्थापना के माध्यम से विश्व शांति और मैत्री का युग लायेगा।

Q.2.भूमंडलीकरण के परिणाम लिखे।
Ans:
संयुक्त राष्ट्र संघ के एक अध्ययन के अनुसार भूमंडलीकरण का योग संसार के लाखों लोगों के लिए निर्धनता दूर करने में सहायता करेगा। विकासशील देशों में अभी तक जो अनुभव किया गया है वह इस तथ्य की पुष्टि नहीं करता। यह उन देशों के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा करने में सक्षम नहीं है। व्यापार में वृद्धि, नई प्रौद्योगिकी, विदेशी निवेश और इंटरनेट के विस्तार ने विश्व में आर्थिक विकास की गति को बढ़ाया है। परंतु विभिन्न देशों को आर्थिक विकास का लाभ समान रूप से नहीं मिला है क्योंकि बाजार व्यवस्था मुनाफे की खोज में लगी रहती है। मुक्त प्रतियोगिता बाजार कार्यकुशलता की गारंटी तो दे सकता है परंतु अनिवार्य रूप से समानता को सुनिश्चित नहीं कर सकता। यह संसार के विकासशील देशों में असमानता में वृद्धि कर रहा है। एशिया और अफ्रीका के देशों में फैलते बाजार के विकास के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में नगरीय क्षेत्रों में जनसंख्या का पलायन हो रहा है। धन की प्रवृत्ति बढ़ रही है। नगरीय जीवन की मूल्यहीनता में वृद्धि हो रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संस्थानों ने विश्व पूंजीवाद की विचारधारा को प्रबल बनाया है। ये संगठन विश्व बाजार के लिए राजनीतिक और कानूनी कदम है –

  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार एवं सेवाओं की बाधाओं का निराकरण।
  • पूंजी का स्थानांतरण।
  • संपत्ति के अधिकारों की विश्व के पैमाने पर सुरक्षा।
  • राज्य की कंपनियों का निजीकरण।
  • व्यावसायिक कार्यों का अनियमन।
  • कल्याण सेवाओं को क्रमश: समाप्त करना।

इन सभी क़दमों में जनता को आवश्यक सामाजिक सेवाएं प्रदान करने की राष्ट्रों की क्षमता को घटा दिया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक द्वारा विकासशील देशों को अपने खर्च घटाने के लिए विवश किया है। इससे जनसंख्या के वंचित समूहों के लिए उपलब्ध शिक्षा स्वास्थ्य और पोषण को घटा दिया है। इन सुविधाओं को केवल सुविधाप्राप्त व्यक्तियों तक ही सीमित रखा गया है। एशिया के देशों में 1997 – 98 के मंदी के दौर में बेरोजगारी दुगुनी हो गई। अधिकांश देशों में श्रमिको की सौदेबाजी की क्षमता कम हो गई है। वास्तविक मजदूरी नहीं मिल रहा है। निर्धन और अधिक निर्धन होते जा रहे हैं। भूमंडलीयकरण आर्थिक संबंधों को जटिल बनाता है तथा आर्थिक सत्ता बहुराष्ट्रीय निगमों के हाथ में केंद्रित करता है।

Q.3.उदारीकरण की प्रक्रिया को स्पष्ट करें। इसके परिणामों का वर्णन कीजिए।
Ans:
उदारीकरण भूमंडलीकरण का आर्थिक तत्व है। यह एक प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत एक अत्यंत नियंत्रित अर्थव्यवस्था खुली दिखने वाली व्यवस्था के रूप में परिवर्तित हो जाती है। नियंत्रण और संचालन को कम करके आंतरिक अर्थव्यवस्था को उदार बनाया जाता है। राज्य का महत्व घटाकर निजी उद्यमियो और कंपनियों के लिए मार्ग प्रशस्त किया जाता है। सार्वजनिक इकाइयों को समाप्त करके व्यवसाय व उद्योग का निजीकरण होता है। उदारीकरण का विचार इस सोच पर निर्भर है कि यदि राज्य का हस्तक्षेप कम हो तो अर्थव्यवस्था एवं समाज बेहतर होगा। इसे ‘कम राज्य – अच्छा राज्य’ जैसे नारों से लोकप्रिय बनाया गया है। भूमंडलीकरण की प्रक्रिया विश्व की अर्थव्यवस्थाओ को एक साथ जोड़ रही है। इस प्रक्रिया को उदारीकरण और निजीकरण के द्वारा आसान बनाया जा रहा है। विभिन्न देशों को अपनी अर्थव्यवस्थाओं पर कम से कम सरकारी नियंत्रण रखकर उसे उदार बनाना होगा। उदारीकरण की नीति अर्थव्यवस्था की कार्य – कुशलता पर जोर डालती है। भारत में 1991 में नई आर्थिक नीति की घोषणा की गई। नियंत्रित अर्थव्यवस्था के स्थान पर अधिकांश उद्यम निजी क्षेत्रों को सौंपा रहे हैं। मिश्रित अर्थव्यवस्था के कारण भारत में सार्वजनिक क्षेत्र का विकास तेजी से किया गया। राज्य का नियंत्रण और संचालन व्यापक रहा है और निजी क्षेत्र के उद्योगों को भी प्रभावित करता रहा है। लाइसेंस और परमिट के द्वारा निजी उद्योगों को नियंत्रित किया जा रहा है। 1991 में भारत में उदारीकरण की प्रक्रिया तेज की गई। नीतिगत सुधारों ने अर्थव्यवस्था को उदार बना दिया। 1991 – 94 की अवधि में व्यापार और उद्योग से नियंत्रण और संचालन को विघटित करने पर ध्यान दिया गया। कर व सीमाशुल्क को घटाया गया है। घरेलू व विदेशी दोनों विदेशों के लिए उपयुक्त वातावरण का निर्माण किया गया है। सूचना तकनीक के क्षेत्र में भारत आगे बढ़ा है। आने वाले वर्षों में सूचना तकनीक से संबंधित सेवाओं से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है। उदारीकरण की नीति अपनाई जा रही है, परंतु समस्याएं बढ़ी है। भारत के 26 .10% लोग आज भी गरीबी रेखा के नीचे है। रोजगार की स्थिति गंभीर बनी हुई है। नौकरियां घट रही है। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना में लाखों लोग अलग हटा दिये गये हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था पर्याप्त रोजगार देने की स्थिति में नहीं है। पूर्ण रोजगार संपूर्ण साक्षरता, प्राथमिक शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सभी नागरिकों के जीवन स्तर की गुणवत्ता में सुधार जैसे चुनौती भरे कार्यों को पूरा करना बाकी है।

Read More